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अपने देश में विरोध के बावजूद भारत विरोधी हरकतों से बाज नहीं आ रहे पीएम जस्टिन ट्रुडो, कनाडा ने पहली बार भारत को बताया दुश्मन देश

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प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो खालिस्तान समर्थकों को खुश करने के अपने निजी राजनीतिक स्वार्थ के चक्कर में भारत-कनाडा के रिश्तों में लगातार खाई खोदने का काम कर रहे हैं। ट्रूडो सरकार ने भारत के खिलाफ जो नया हमला बोला है, उसमें वे सारी हदें पार कर रहे हैं। कनाडा की जस्टिन ट्रूडो सरकार ने अपने आधिकारिक दस्तावेज में पहली बार भारत को ‘दुश्मन देशों’ की सूची में डाला है। कनाडा के लिए राष्ट्रीय साइबर खतरा आकलन 2025-26 की रिपोर्ट में भारत का नाम खतरे वाले देशों में शामिल किया गया है। इस रिपोर्ट को कनाडा के साइबर सुरक्षा केंद्र ने जारी किया है। भारत को चीन, रूस, ईरान और उत्तर कोरिया के साथ ‘राज्य के विरोधी’ के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। इसमें भारत को कनाडा का विरोधी देश कहा गया है। कनाडा की मीडिया ने दोनों देशों के बीच के तनाव को ‘राजनयिक युद्ध’ बताया है। जस्टिन ट्रूडो ने पहले भी भारत से पंगा लेने की कोशिश की थी, लेकिन उनकी दाल नहीं गल पाई। कनाडा में ही जस्टिन ट्रूडो की खटिया खड़ी हो गई है। अपनी तीखी आलोचनाओं के बीच उनको यहां तक खुद कबूलना पड़ा था कि निज्जर हत्याकांड को लेकर उनकी सरकार ने भारत को कोई ठोस सबूत नहीं दिया है। इस मामले को लेकर वह अपने घर यानी कनाडा में भी घिरते नजर आ रहे हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि निज्जर मसले पर ट्रूडो का रवैया उनकी अपरिपक्वता को दिखाता है। बता दें कि यह कोई पहला मामला नहीं है, जबकि ट्रूडो के रवैये के चलते कनाडा को शर्मसार होना पड़ा है। यहां तक कि ट्रूडो को विवादों के चलते सार्वजनिक तौर पर माफी भी मांगनी पड़ी है।

 

भारत को बदनाम करने वाले ट्रूडो की पोल खुलने के बाद हो रही आलोचना
प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की अगुवाई वाली कनाडा की सरकार ने पहले खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का आरोप भारत पर मढ़ा था। पीएम की कुर्सी बचाने और चुनाव जीतने की कोशिश में भारत को बदनाम करने वाले ट्रूडो की पोल खुल गई। इस पूरे विवाद को लेकर जस्टिन ट्रूडो की काफी आलोचना हो रही है। कनाडा में अब लोग उनसे ऊब चुके हैं। कनाडा में चुनाव से पहले ही उनके इस्तीफे की मांग बहुत जोर पकड़ने लगी है। भारत और कनाडा में जारी कूटनीतिक विवाद के बीच कनाडा के एक लिबरल सांसद ने प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो से अगले चुनाव से पहले पार्टी नेता के पद से इस्तीफा देने को कहा है। कनाडा के सांसद सीन केसी का कहना है कि देश के लोग जस्टिन ट्रूडो को अब और बर्दाश्त नहीं कर सकते।

चीन-रूस के साथ भारत को भी देश विरोधी सूची में डाला
अभी खालिस्तान समर्थक निज्जर हत्याकांड का मामला सुलझा भी नहीं है कि कनाडा सरकार ने भारत विरोधी नया मामला खड़ा कर दिया है। कनाडा के लिए राष्ट्रीय साइबर खतरा आकलन रिपोर्ट में भारत का नाम खतरे वाले देश की सूची में जानबूझकर डाला गया है। भारत को चीन, रूस, ईरान और उत्तर कोरिया के साथ ‘राज्य के विरोधी’ के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। इस रिपोर्ट को कनाडा के साइबर सुरक्षा केंद्र ने जारी किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘हमारा आकलन है कि भारत सरकार द्वारा प्रायोजित साइबर खतरा पैदा करने वाले लोग जासूसी के उद्देश्य से कनाडा सरकार के नेटवर्क के खिलाफ साइबर खतरा गतिविधि संचालित कर सकते हैं।’ इसमें आगे कहा गया है कि कनाडा और भारत के बीच आधिकारिक द्विपक्षीय संबंधों के कारण कनाडा के खिलाफ भारत सरकार द्वारा प्रायोजित साइबर खतरा गतिविधि को बढ़ावा मिलेगा।’

भारत पर आधुनिक साइबर कार्यक्रम बनाने का आरोप
राष्ट्रीय साइबर खतरा आकलन रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत का नेतृत्व ‘लगभग निश्चित रूप से घरेलू साइबर क्षमताओं के साथ एक आधुनिक साइबर कार्यक्रम बनाने की इच्छा रखता है’ और ‘बहुत संभव है कि वह अपने साइबर कार्यक्रम का उपयोग राष्ट्रीय सुरक्षा अनिवार्यताओं को बढ़ाने के लिए करे। जिसमें जासूसी, आतंकवाद का मुकाबला करना, भारत व भारत सरकार के खिलाफ अपनी वैश्विक स्थिति और काउंटर नैरेटिव को बढ़ावा देने के प्रयास शामिल हैं।’ हाल ही में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में, कनाडा के संचार सुरक्षा प्रतिष्ठान की प्रमुख कैरोलिन जेवियर ने कहा था, “यह स्पष्ट है कि हम भारत को एक उभरते साइबर खतरे वाले अभिनेता के रूप में देख रहे हैं।”

कई वेबसाइट को हैक करने का भी बनाया प्रोपेगेंडा
इस रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि पिछले साल राजनयिक तनाव की शुरुआत के बाद कथित तौर पर भारत से जुड़े एक हैकटिविस्ट समूह ने कनाडाई वेबसाइटों के खिलाफ साइबर हमले किए थे। राजनयिक तनाव भी हैकटिविस्ट गतिविधि को प्रेरित कर रहे हैं। कनाडा की ओर से भारत पर एक कनाडाई नागरिक की हत्या में शामिल होने का आरोप लगाने के बाद, एक भारत समर्थक हैकटिविस्ट समूह ने कनाडा में वेबसाइटों के खिलाफ़ संक्षिप्त DDoS हमले करने का दावा किया, जिसमें कनाडाई सशस्त्र बलों की सार्वजनिक वेबसाइट भी शामिल है।”

कनाडा के राजनयिक को निकाला तो भारत पर नया हमला
यह ट्रूडो सरकार का भारत के खिलाफ नया हमला है। इसके पहले अक्तूबर में कनाडा ने भारत के उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा को हरदीप सिंह निज्जर हत्याकांड के माले में पर्सन ऑफ इंटरेस्ट घोषित किया था। दरअसल, जस्टिन ट्रूडो खालिस्तानियों का वोट पाने के लिए भारत के खिलाफ प्रोपगैंडा रचते रहे हैं। वह खालिस्तानियों को खुश करके उनका वोट पाना चाहते हैं और चुनाव जीतना ही उनका असल और एकमात्र मकसद है। यही वजह है कि वह पिछले एक साल से ही भारत के खिलाफ बार-बार जहर उगल रहे हैं। जस्टिन ट्रूडो ने आरोप लगाया है कि खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत का हाथ है। हालांकि भारत ने कनाडा के आरोपों को बेतुका बताया है और सिरे से खारिज किया है। इसके बाद भारत ने अपने राजनयिकों को कनाडा से बुला लिया और कनाडा के राजनयिकों को निकाल दिया। अब यह शीशे की तरह साफ हो गया है कि भारत के खिलाफ बेबुनियाद आरोप लगाकर ट्रूडो अपनी सरकार की विफलताओं से लोगों का ध्यान हटाना चाह रहे हैं।

कनाडा में कई सांसद कर रहे हैं जस्टिन ट्रूडो के इस्तीफे की मांग
कैनेडियन ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन ने लिबरल सांसद सीन केसी के हवाले से कहा, ‘मुझे जो संदेश मिल रहा है वो एकदम साफ और स्पष्ट है और जैसे-जैसे समय बीत रहा है, यह और स्पष्ट होता जा रहा है कि अब ट्रूडो के जाने का समय आ गया है।’ ट्रूडो के नेतृत्व को लेकर लिबरल कॉकस में बेचैनी के हाई लेवल को रेखांकित करते हुए सांसद केसी ने कहा कि लोग अब और बर्दाश्त नहीं कर सकते। उन्होंने ट्रूडो को नकार दिया है और चाहते हैं कि वह चले जाएं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, जून में लिबरल पार्टी के गढ़ टोरंटो-सेंट पॉल्स में हुए उपचुनाव में हार के बाद पार्टी के लिए आगे की राह पर चर्चा के लिए लिबरल सांसदों की कई बैठकें हुई थीं। केसी की यह टिप्पणी इन बैठकों के एक हफ्ते बाद आई है। लिबरल सांसद सीन केसी का बयान इसलिए और ज्यादा गंभीर हो जाता है, क्योंकि ट्रूडो से इस्तीफा मांगने वाले इकलौते सांसद नहीं हैं। इससे पहले जून की शुरुआत में न्‍यू ब्रंसविक के सांसद वेन लॉन्‍ग ने भी जस्टिन ट्रूडो से इस्‍तीफा देने को कहा था। साथ ही न्‍यूफाउंडलैंड और लैब्राडोर के सांसद केन मैकडोनाल्‍ड ने प्रधानमंत्री जस्टिन के नेतृत्‍व समीक्षा की मांग की। यहां तक की मीडियो रिपोर्ट में कहा गया है कि ट्रूडो के नेतृत्‍व में कैबिनेट मंत्री रहीं ओटावा-क्षेत्र की पूर्व सांसद कैथरीन मैककेना ने भी कहा है कि पार्टी को एक नए नेता की जरूरत है।

पीएम ट्रूडो और विवादों का हमेशा से नाता रहा है। वे आए दिन गलतियां करते हैं और शर्मिंदा होते हैं। उनके विवादों के कुछ किस्से…

  • कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो से जुड़े 5 विवादित किस्से
    1. साल 2016 में जस्टिन ट्रूडो अपने अरबपति दोस्त के प्राइवेट आइलैंड पर छुट्टियां मनाने की वजह से विवादों में फंस गए थे। कनाडा में नैतिक मामलों की निगरानी करने वाली संस्था ने पहली बार दिसंबर 2017 में इस मामले में ट्रूडो की निंदा करते हुए कहा था कि प्रधानमंत्री ने नियमों का उल्लंघन किया है। तब रॉयटर्स की रिपोर्ट में बताया गया था कि आगा खान के फाउंडेशन को ट्रूडो और उनके अधिकारियों की लॉबिंग के लिए आधिकारिक तौर पर रजिस्टर्ड किया गया था। इसके बाद ट्रूडो ने कहा कि वह भविष्य में अपनी छुट्टियों के लिए वॉचडॉग की मंजूरी लेंगे।
  • 2. इसके अलावा मई 2016 में ट्रूडो की एक गलती के कारण उन्हें बेहद शर्मिंदा होना पड़ा। कनाडा के हाउस ऑफ कॉमन्स में हुई एक घटना को ‘एल्बोगेट’ के नाम से जाना जाता है। दरअसल विपक्ष के रवैये से परेशान होकर ट्रूडो एक शख्स को पकड़ने के लिए भागे इस दौरान उनकी कोहनी एक महिला के सीने पर लग गई। इस घटना के लिए ट्रूडो ने कई बार माफी मांगी। उन्होंने कहा ‘मैं भी एक इंसान हूं जो एक बेहद दबाव वाली नौकरी कर रहा है।’ उन्होंने वादा किया वह कभी ऐसा दोबारा नहीं करेंगे।
  • 3. जस्टिन ट्रूडो साल 2018 में पहली बार भारत राजकीय दौरे पर आए थे, इस दौरान खालिस्तानी अलगाववादी जसपाल अटवाल के साथ ट्रूडो की तस्वीर को लेकर जमकर विवाद हुआ। अटवाल को पंजाब के मंत्री मलकीत सिंह सिंधु की हत्या की कोशिश के मामले में दोषी पाया गया था और उसे 20 साल की सजा सुनाई गई थी। मंत्री सिंधु 1986 में वैंकुअर गए थे जहां उनकी हत्या की कोशिश की गई थी। जसपाल अटवाल एक सिख अलगाववादी था, जो इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन से जुड़ा हुआ था।
  • 4. एक और विवाद साल 2022 का है, जब ट्रूडो को ब्रिटेन की क्वीन एलिजाबेथ द्वितीय के अंतिम संस्कार से दो दिन पहले उन्हें होटल की लॉबी में रैप सॉन्ग गाते हुए रिकॉर्ड किया गया था। वीडियो में ट्रूडो मरून टी-शर्ट और डार्क जींस पहने पियानो के ठीक बगल में खड़े होकर फ्रेडी मर्करी का हिट सॉन्ग गा रहे थे। सोशल मीडिया पर यह वीडियो काफी वायरल हुआ था, वीडियो में क्वीन एलिजाबेथ के अंतिम संस्कार में शामिल होने पहुंचे कनाडाई डेलिगेशन के अन्य लोग भी मौजूद थे। ट्रूडो की इस शर्मनाक हरकत की सोशल मीडिया पर लोगों ने काफी आलोचना की थी।
  • 5. ताजा विवाद पिछले साल का ही है। जब उन्होंने स्पीकर फर्गस को आंख मारी थी। इसके जस्टिन ट्रूडो को काफी आलोचना का सामना करना पड़ा था। दरअसल हाउस ऑफ कॉमन्स में स्पीकर फर्गस ने ट्रूडो को ‘सम्मानीय प्रधान मंत्री’ के तौर पर संबोधित किया तो वहीं ट्रूडो ने तुरंत उन्हें टोकते हुए ‘बहुत सम्मानीय’ जोड़ा। इस दौरान उन्होंने स्पीकर फर्गस को आंख मारी और अपनी जीभ भी बाहर निकाली। उनकी यह हरकत कैमरे में कैद हो गई, जिसके बाद सोशल मीडिया पर उनकी काफी आलोचना हुई।

वो 4Is मुद्दे जिनके चलते अपने घर में बुरी तरह घिरे ट्रूडो
कनाडा में ट्रूडो सरकार अपनी नीतियों को लेकर बुरी तरह से घिर गई है। अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर खालिस्तानी आंदोलन और अलगाववादियों को खुली छूट, अवैध प्रवास के चलते बढ़ती आबादी और बुनियादी सुविधाओं की कमी के चलते उनकी लोकप्रियता बेहद कम हो चुकी है। कनाडा में 4 प्रमुख घरेलू मुद्दे जिन्हें 4Is के नाम से भी जाना जाता है वो हैं- इन्फ्लेशन (महंगाई), इनकम्बेंसी (सत्ता), इमीग्रेशन (अप्रवास), और आइडेंटिटी (पहचान)। कनाडा में महंगाई इस वक्त सबसे बड़ा मुद्दा है, कई ऐसे मौके सामने आए हैं जब कर्मचारियों ने सार्वजनिक तौर पर ट्रूडो को आसमान छूती महंगाई को लेकर घेरा है। आरोप है कि ट्रूडो सरकार आम जनता की परेशानियों और मुद्दों को अनसुना कर रही है। इसके अलावा करीब एक दशक तक सत्ता में बने रहने के कारण उनकी सरकार एंटी-इनकम्बेंसी यानी सत्ता विरोधी लहर का भी सामना कर रही है। जिससे ट्रूडो का राजनीतिक आधार और भी कम हो गया है।

कनाडा में आइडेंटिटी क्राइसिस के बीच ट्रूडो का ‘ट्रंप कार्ड’ फेल
पीएम ट्रुडो की स्थिति को और जटिल बनाने के लिए कनाडा में पहचान की राजनीति एक बड़ी चुनौती बन गई है। देश की विविधता अब सामाजिक विभाजन का कारण बन गई है। खालिस्तान आंदोलन चलाने वाले समूह के दबाव में कनाडा की विदेश नीति प्रभावित हो रही है, जिससे भारत और कनाडा के बीच संबंध तनावपूर्ण हो गए हैं। अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर इन समूहों को कनाडा सरकार ने खुली छूट दी जो अब भारत के साथ संबंधों पर असर डाल रही है। कनाडा की मीडिया और कई राजनेता भारत के साथ विवाद को गलत कदम बता रहे हैं। माना जा रहा है कि ट्रूडो शायद जिसे ‘ट्रंप कार्ड’ की तरह इस्तेमाल करना चाह रहे थे, वही अब उनके खिलाफ बड़े विरोध का कारण साबित हो रहा है।

इमीग्रेशन: अप्रवासियों को शरण और नागरिकता देना अब बनी कमजोरी
वहीं इमीग्रेशन यानी अप्रवास अमेरिका की तरह कनाडा में भी एक बहुत बड़ा मुद्दा बन चुका है। कनाडा जो कि विभिन्नता के लिए जाना जाता था, यही अब इसकी समस्या बन चुकी है। अप्रवासियों को शरण और नागरिकता देना लिबरल पार्टी की ताकत थी, इसे लेकर अब ट्रूडो सरकार घिरने लगी है। दरअसल बढ़ती आबादी ने कनाडा की सोशल सर्विस और हाउसिंग इनफ्रास्ट्रक्चर को प्रभावित करना शुरू कर दिया है। इसका नतीजा यह हुआ कि ट्रूडो सरकार को अप्रवासियों की संख्या को कम करने के लिए मजबूर होना पड़ा। हाल ही में ट्रूडो सरकार ने स्टूडेंट वीजा में कटौती का फैसला किया था, जिससे भारतीय छात्रों की भी चिंता बढ़ गई थी। इसके अलावा कनाडा बॉर्डर से घुसने वाले प्रवासी श्रमिकों को लेकर अमेरिका-कनाडा के बीच तनाव भी सामने आया है। इसे लेकर अमेरिका लगातार कनाडा पर दबाव डाल रहा है।

2019 और 2021 के चुनाव में चीन के दखल का मुद्दा भी अहम
ट्रूडो सरकार के कार्यकाल के सबसे बड़े अनसुलझे मुद्दों में से एक कनाडा के चुनावों में चीनी हस्तक्षेप से निपटना रहा है। चीन पर कनाडा के आंतरिक मामलों खासकर चुनाव में हस्तक्षेप और फंडिंग के जरिए दखल का आरोप लगता रहा है। पिछले कुछ सालों में चीन पर कनाडा के चुनाव को प्रभावित करने और चीन समर्थक उम्मीदवारों को पैसे भेजने का आरोप लगाने वाली कई रिपोर्टें सामने आई हैं। 2023 में कनाडा की खुफिया एजेंसी ने खुलासा किया था कि 2019 और 2021 के चुनाव में चीन ने कनाडा के चुनाव में दखलंदाजी की है। आरोप हैं कि चीन ने उन उम्मीदवारों के पक्ष में माहौल बनाने में मदद की जो बीजिंग को फायदा पहुंचाने वाली पॉलिसी के समर्थक हैं। इन आरोपों की जांच के लिए ट्रूडो ने फॉरेन इंटरफेयरेंस कमीशन (FIC) बनाया, जिसका काम कनाडा की चुनावी प्रक्रिया में चीन की भूमिका की जांच करना था। अब तक इस मुद्दे पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई है। जिससे ट्रूडो सरकार आगामी चुनाव में एक बार फिर घिर सकती है।

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