प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शासन में हर क्षेत्र में तेज गति से विकास हो रहा है। प्रधानमंत्री मोदी के अथक प्रयास और सजगता का परिणाम है कि आज सरकार के काम तय समय पर पूरे हो रहे हैं। इससे एक के बाद एक कई उपलब्धियां हासिल हो रही हैं। इसी क्रम में भारतीय रेलवे ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। लखनऊ मंडल के सुभागपुर-पचपेड़वा खंड का कार्य पूरा होते ही उत्तर प्रदेश (यूपी) सहित पूर्वोत्तर रेलवे के सभी मार्गों का विद्युतीकरण पूरा हो गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रेल मंत्रालय की इस उपलब्धि के लिए तारीफ की है।
पूर्वोत्तर रेलवे द्वारा शत प्रतिशत विद्युतीकरण के ट्वीट पर रिट्वीट करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने लिखा, वेरी गुड। प्रधानमंत्री मोदी की सराहना मिलते ही पूर्वोत्तर रेलवे में खुशी की लहर दौड़ गई। महाप्रबंधक चन्द्र वीर रमण सहित सभी अधिकारी और कर्मचारी गदगद हैं। वहीं विद्युतीकरण होने के बाद लखनऊ, वाराणसी और इज्जतनगर मंडल स्थित बड़ी रेल लाइन के सभी रूटों पर अब सिर्फ इलेक्ट्रिक इंजन वाली ट्रेनें ही चलेंगी। डीजल वाले इंजन अब इतिहास बन जाएंगे। पूर्वोत्तर रेलवे ऊर्जा बचत, पर्यावरण संरक्षण एवं रेल खंडों के विद्युतीकरण में निरंतर उपलब्धियां अर्जित कर रहा है।
Very good! https://t.co/CikE3cyPWc
— Narendra Modi (@narendramodi) February 22, 2023
इस उपलब्धि के साथ, भारतीय रेल ने छह जोनल रेलवे यानी पूर्वी तटीय रेलवे (ईस्ट कोस्ट रेलवे), उत्तर मध्य रेलवे, उत्तर पूर्व रेलवे, पूर्व रेलवे, दक्षिण पूर्व रेलवे, पश्चिम मध्य रेलवे में बीजी मार्गों के विद्युतीकरण का कार्य पूरा कर लिया है। इसके अलावा, अत्यधिक उपयोग में आने वाला नेटवर्क (एचयूएन -5), झांसी-मुजफ्फरपुर-कटनी अब पूर्ण रूप से विद्युतीकृत हो गया है। इससे भटनी-वाराणसी-नैनी (इलाहाबाद)-मानिकपुर-सतना-कटनी और छपरा-वाराणसी सहित झांसी-लखनऊ-बाराबंकी-बुढ़वाल, गोंडा-आनंदनगर-गोरखपुर-वाल्मीकिनगर-सुगौली, मुजफ्फरपुर-बछवाड़ा और नरकटियागंज-रक्सौल-सीतामढ़ी-दरभंगा-समस्तीपुर, सीतामढ़ी-मुजफ्फरपुर-हाजीपुर के बीच कनेक्टिविटी बेहतर होगी।
गौरतलब है कि वर्तमान में लखनऊ मण्डल में 828.54 रूट किमी, वाराणसी मण्डल में 1262.28 रूट किमी और इज्जतनगर मण्डल में 940.41 रूट किमी सहित कुल 3031.23 रूट किमी रेलमार्ग का विद्युतीकरण पूरा हो गया है, जिसमें बड़ी लाइन के सभी आपरेशनल (चलायमान) रेलमार्गों का विद्युतीकरण शामिल है। इलेक्ट्रिक इंजनों के चलने से ट्रेनों का समय पालन दुरुस्त होगा। कार्बन का उत्सर्जन नहीं होने से पर्यावरण भी संरक्षित होगा। रेलवे के खर्चों में कमी आने के साथ रेल राजस्व की बचत होगी। इसके अलावा अब ट्रेनों की रफ्तार बढ़ जाएगी। इससे ट्रेनों और रेल यात्रियों के समय में भी बचत होगी। इस तरह कुल रूट किलोमीटर (आरकेएम) के 85 प्रतिशत हिस्से के विद्युतीकरण के साथ, भारतीय रेल मिशन 100 प्रतिशत विद्युतीकरण को पूरा करने की दिशा में तेजी से प्रगति कर रहा है और यह दुनिया में सबसे बड़ा हरित रेलवे नेटवर्क बन गया है।