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ग्रामीण स्वच्छता सर्वेक्षण: शौचालय का इस्तेमाल करने में ग्रामीण नहीं हैं पीछे

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में शुरू स्वच्छ भारत अभियान के लिए एक अच्छी खबर है। ग्रामीण स्वच्छता सर्वेक्षण से पता चला है कि ग्रामीण इलाकों में जिन घरों में शौचालय है, वहां ज्यादातर लोग इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। साफ है कि ग्रामीण इलाके के लोगों की आदत में तेजी से बदलाव आ रहा है और शौचालय का उपयोग करने में वे किसी से पीछे नहीं हैं। केंद्रीय पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय की और से विश्व बैंक समर्थित स्वच्छ भारत मिशन परियोजना के अंतर्गत एक स्वंतत्र सर्वेक्षण एजेंसी द्वारा किये गए राष्ट्रीय वार्षिक ग्रामीण स्वच्छता सर्वेक्षण (National Annual Rural Sanitation Survey (NARSS)) 2017-18 के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में शौचालय का उपयोग 93.4% होने की पुष्टि हुई है। यानी, जिन घरों में शौचालय उपलब्ध है, उनमें से 93.4 प्रतिशत उसका उपयोग भी करते हैं।

जिन गांवों को खुले में शौच से मुक्त घोषित और सत्यापित किया गया है, सर्वेक्षण एजेंसी ने उनमें से 95.6 % गावों के खुले में शौच मुक्त होने की भी पुष्टि की है। यह सर्वेक्षण मध्य-नवम्बर 2017 और मध्य-मार्च 2018 के बीच किया गया, और इस के अंतर्गत 6136 गांवों के 92040 घरों का स्वच्छता सम्बन्धी विषयों पर सर्वेक्षण किया गया। सर्वेक्षण के अंतर्गत गावों के स्कूल, आंगनवाड़ी एवं सामुदायिक शौचालयों का भी सर्वेक्षण किया गया। 

राष्ट्रीय वार्षिक ग्रामीण स्वच्छता सर्वेक्षण के अनुसार:

1. सर्वेक्षण किये गए77 % घरों में शौचालय की सुविधा पायी गयी
2. शौचालय की सुविधा वाले घरों मेंसे 93.4 % में शौचालय का उपयोग
3. सर्वेक्षण किये गए खुले में शौच से मुक्त घोषित एवं सत्यापित गावों में से 95. 6 % के खुले में शौच से मुक्त होने की पुष्टि
4. सर्वेक्षण किये गए गावों में से 70 % में ठोस तथा तरल अपशिष्ट की न्यूनतम मात्रा पायी गयी

2014 के बाद बने साढ़े छह करोड़ से ज्यादा शौचालय
स्वच्छ भारत मिशन ने अब तक करोड़ों लोगों के व्यवहार परिवर्तन करने में सफलता हासिल की है। स्वच्छ भारत मिशन के प्रारम्भ से अब तक करोड़ों लोगों ने अपने शौचालय का निर्माण किया है और उसका नियमित इस्तेमाल कर रहे हैं। अब तक 6.5 करोड़ शौचालयों का निर्माण कराया जा चुका है, और 3.38 लाख गांव और 338 ज़िले अब तक खुले में शौच से मुक्त घोषित हुए हैं। 9 राज्य और 3 केंद्र शासित प्रदेश- सिक्किम, हिमाचल प्रदेश, केरल, हरियाणा, उत्तराखंड, गुजरात, अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, मेघालय, चंडीगढ़, दमन और दीउ एवं दादरा और नगर हवेली, खुले में शौच मुक्त घोषित किये जा चुके हैं।

जन आंदोलन बना स्वच्छ भारत अभियान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में स्वच्छ भारत अभियान एक जन आंदोलन बन चुका है। प्रधानमंत्री मोदी ने 2 अक्टूबर 2014 को साफ-सफाई को बढ़ावा देने के लिये स्वच्छ भारत अभियान शुरू करते हुये खुद हाथों में झाड़ू थामी थी तो पूरे देश ने हाथ में झाड़ू थाम लिया था। पीएम मोदी ने सफाई के प्रति देश में लोगों में जागरूकता और सकारात्मक सोच लाने का प्रयास किया, और आज यह अभियान स्वतंत्र भारत का बहुत ही महत्वपूर्ण जन आंदोलन बन चुका है। देश को स्वच्छ करने की जो पहल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की, वैसा पहले कभी किसी ने नहीं सोचा था।

अभियान की शुरुआत करते हुए उस दिन श्री नरेंद्र मोदी ने कहा था, “2019 में महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर भारत उन्हें स्वच्छ भारत के रूप में सर्वश्रेष्ठ श्रद्धांजलि दे सकता है।” स्वच्छ भारत अभियान के शुरू हुए अभी साढ़े तीन साल ही हुए हैं, लेकिन स्वच्छता के प्रति देश सजग हो गया है, साफ-सफाई के प्रति सोच बदल गई है।

जब पीएम ने स्वयं उठाया झाड़ू
महात्मा गांधी के सपने को साकार करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने दिल्ली के मंदिर मार्ग पुलिस स्टेशन के पास स्वयं झाड़ू उठाकर स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की थी। फिर वो वाल्मिकी बस्ती पहुंचे और वहां भी साफ-सफाई की और कूड़ा उठाया। उन्होंने इस अभियान को जन आंदोलन बनाते हुए देश के लोगों को मंत्र दिया था, ‘ना गंदगी करेंगे, ना करने देंगे’।

9-9 लोगों को आमंत्रण
इस अभियान को गति देने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने समाज के हर वर्ग से 9-9 लोगों और संस्थाओं को आमंत्रित करना शुरू किया, जिसने धीरे-धीरे एक बहुत बड़ी श्रृंखला का रूप धारण कर लिया। देश में एक से बढ़कर एक लोग इस अभियान से जुड़ते चले गए और स्वच्छ भारत अभियान एक राष्ट्रीय आंदोलन बनता चला गया।

पीएम ने स्वयं कुदाल उठाकर की सफाई
पीएम मोदी का सपना साकार होने लगा और स्वच्छ भारत अभियान के चलते लोगों में साफ-सफाई के प्रति एक जिम्मेदारी की भावना आ गई। प्रधानमंत्री इस कार्य को और आगे बढ़ाते रहे, वो अपने निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी पहुंचे और वहां भी खुद आगे बढ़कर सफाई अभियान को गति देने का काम किया। पीएम मोदी ने काशी के अस्सी घाट पर गंगा के किनारे कुदाल से साफ-सफाई की। इस मौके पर भारी संख्या में स्थानीय लोगों ने स्वच्छ भारत अभियान में उनका साथ दिया।

हर वर्ग का मिल रहा है साथ
देश में साफ-सफाई के इस विशाल जन आंदोलन में समाज के हर वर्ग के लोगों और संस्थाओं ने साथ दिया। सरकारी अधिकारियों से लेकर, सीमा की रक्षा में जुटे वीर जवानों तक, बॉलीवुड कलाकारों से लेकर नामचीन खिलाड़ियों तक, बड़े-बड़े उद्योगपतियों से लेकर आध्यात्मिक गुरुओं तक, सभी इस पवित्र कार्य से जुड़ते चले गए। इसमें अमिताभ बच्चन, सचिन तेंदुलकर, सानिया मिर्जा, साइना नेहवाल और मैरी कॉम जैसी हस्तियों के योगदान बेहद सराहनीय हैं।

‘मन की बात’ में सराहना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ‘मन की बात’ में लगातार देश के विभिन्न व्यक्तियों और संगठनों के उन प्रयासों की सराहना की है, जिसने स्वच्छ भारत अभियान को व्यापक रूप से सफल बनाने में मदद की है।

ओडीएफ गांव का हर परिवार बचाता है 50 हजार रुपये
यूनिसेफ ने अनुमान व्यक्त किया है कि स्वच्छता का अभाव हर साल भारत में 1,00,000 से भी अधिक बच्चों की मौत के लिए जिम्मेदार है। यूनिसेफ द्वारा कराए गए एक अन्य अध्ययन में यह अनुमान व्यक्त किया गया है कि भारत के किसी भी ओडीएफ गांव का हर परिवार प्रत्येक साल 50,000 रुपये की बचत करने में सफल हो जाता है क्योंकि वह बीमारी के इलाज में होने वाले खर्चों से बच जाता है और इसके साथ ही ऐसे परिवारों के सदस्यों के बीमार न पड़ने से आजीविका की बचत भी होती है।

खुले में शौच से मुक्ति की ओर देश
साफ है कि प्रधानमंत्री मोदी ने जब स्वच्छ भारत अभियान शुरू किया था, तब देश का एक भी राज्य खुले में शौच की समस्या से मुक्त नहीं था। इस समय देश के दस राज्य/केंद्र शासित प्रदेश खुले में शौच की समस्या से मुक्त हो चुके हैं। इस सामाजिक बुराई से बाहर निकलना इतना आसान नहीं है, लेकिन इसे सफल बनाने में आम लोगों का मिल रहा योगदान बहुत ही सराहनीय है। इस समस्या के प्रति लोग बहुत अधिक जागरूक हो चुके हैं और उन्हें जिस तरह से सरकार से मदद मिल रही है उससे लगता है कि 2 अक्टूबर 2019 से बहुत पहले ही ये मिशन पूरा हो जाएगा।

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