Home समाचार पीएम मोदी की प्रेरणा से तीन महिलाओं ने जेवर बेचकर बनवाए शौचालय

पीएम मोदी की प्रेरणा से तीन महिलाओं ने जेवर बेचकर बनवाए शौचालय

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लाल किले के प्राचीर से जब पहली बार देश को संबोधित किया तो सबसे पहले उन्होंने शौचालय और खुले शौच से मुक्ति का आह्वान किया। तब से देश में स्वच्छ भारत मिशन, खुले शौच से मुक्ति, शौचालय का निर्माण, उपयोग और रख-रखाव का कार्यक्रम एक जन आंदोलन का रूप ले लिया है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सामान्य से सामान्य लोग भी इसके प्रति इतने सजग हैं कि एक से बढ़कर एक मिसाल कायम कर रहे हैं। बिहार के पूर्णिया जिले में गोड़ियरपट्टी पंचायत के मेहंदी गांव की तीन महिलाओं शीला देवी, वीणा देवी और विमला देवी ने खुले शौच की समस्या से मुक्ति के लिए अपने-अपने जेवर बेचकर अपने-अपने घरों में शौचालय बनवाईं। तीनों महिलाएं मजदूरी करतीं हैं। पैसे की कमी के कारण शौचालय का बाहर से पलस्तर भी नहीं हो पाया लेकिन शौचालय का इस्तेमाल होने लगा है। तीनों महिलाएं अपनी पंचायत में आदर्श हो गईं हैं। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छता अभियान से प्रेरित होकर देशभर में लाखों लोगों ने घर पर शौचालय बनवाए हैं। शौचालय निर्माण में कुछ कुछ प्रेरणा के दूत एक नजर में – 

शौचालय के लिए आठवीं की छात्रा ने रखा था उपवास
कर्नाटक के बेल्लारी जिले के तालूर गांव की आठवीं कक्षा की एक लड़की ने ऐसा ही एक मिसाल कायम कर दिया है। 13 साल की एच. महनकली ने घर में शौचालय न बनने तक कुछ भी खाने-पीने से साफ इनकार कर दिया। पिता के लाख समझाने पर भी महनकली नहीं मानी और दो दिन तक अन्न का एक भी दाना मुंह में नहीं रखा। ग्राम पंचायत और सरकारी अधिकारियों ने भी उसे मनाने की कोशिश की, लेकिन आखिर में उन्होंने उसके घर के सामने शौचालय बनवाना शुरू कर दिया। महनकली अब गांव के लोगों के लिए आदर्श बन गई है।

पीएम से प्रेरणा लेकर छठी क्लास की छात्रा ने पॉकेटमनी से बनवाए शौचालय
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छता अभियान से प्रेरित होकर देशभर में लाखों लोगों ने घर पर शौचालय बनवाए हैं। लेकिन प्रधानमंत्री से प्रेरणा लेकर छठी क्लास की एक स्कूली छात्रा ने अपनी पॉकेटमनी से दूसरों के लिए शौचालय बनवा डाले। झारखंड के जमशेदपुर की मोंद्रिता चटर्जी ने पोटका गांव में दो शौचालय बनवाए। मोंद्रिता साल भर से पॉकेटमनी बचा रही थीं। 12 महीनों में उन्होंने 24 हजार रुपए बचाए। इसी पैसे से मोंद्रिका ने पोटका में शौचालय बनवा डाले। मोंद्रिता का कहना है कि दूसरे लोग भी इस तरह के काम कर स्वच्छता अभियान में हिस्सा ले सकते हैं। राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने इस कार्य के लिए मोंद्रिता की सराहना करते हुए कहा कि वह हम सभी के लिए एक प्रेरणा है। उन्होंने कहा कि मैं इससे काफी खुश हूं कि एक स्कूल की लड़की ने पॉकेटमनी से शौचालय बनवाए।

गड्ढा खोदकर खुद शौचालय बनाने वाली सुशीला बनीं दूसरों के लिए प्रेरणा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्‍वच्‍छ भारत अभियान का असर दूर-दराज के गांवों में भी दिखने लगा है। पहले जो लोग खुले में शौच करने जाया करते थे, अब अपने घर में शौचालय बना रहे हैं। महाराष्ट्र में पालघर जिले की एक महिला सुशीला कुरकुट्टे भी देश भर के लोगों को लिए प्रेरणास्रोत बन गई। नंदगाव की सुशीला को जब खुले में शौच से होने वाली बीमारियों के बारे में पता चला तो वो गर्भवती होते हुए भी लगातार तीन दिन तक अकेले शौचालय खोदने का काम किया। उसके दिल-दिमाग और मन में सिर्फ यही ख्याल था कि उसके गांव को खुले में शौच की प्रथा से मुक्त होना है और इसके लिए उससे जो बन पड़ेगा, वह करेगी। स्वच्छता के प्रति समर्पण को देखते हुए सुशीला को स्वच्छ शक्ति सम्मान से भी सम्मानित किया गया।

देखिए वीडियो-

शौचालय के लिए बेच दिया मंगलसूत्र 

गोरखपुर में भटहट क्षेत्र के बूढ़ाडीह गांव की सविता देवी आम लोगों के लिए एक प्रेरणा बन गई हैं। उन्होंने उन लोगों को स्वच्छता की राह दिखाई है, जो पैसे की कमी का हवाला देकर शौचालय का निर्माण नहीं करवाते। सविता देवी ने शौचालय बनाने के लिए अपना मंगलसूत्र बेचकर एक मिसाल पेश की हैं। बिहार के पटना जिले की सविता देवी की शादी बूढ़ाडीह निवासी दिव्यांग वीरेंद्र मौर्या से हुई। शादी के बाद गांव आने पर शौचालय ना होना उन्हें अखरता था। आखिरकार उन्होंने मंगलसूत्र बेचकर शौचालय बनाने का फैसला किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान से प्रेरणा लेकर शौचालय बनाने वाली सविता देवी पहली महिला नहीं हैं। 

कानपुर की लता देवी
उत्तर प्रदेश के कानपुर की रहने वाली लता देवी दिवाकर ने भी घर में शौचालय बनवाने के लिए अपना मंगलसूत्र बेच दिया। शौचालय ना होने की वजह से परिवार को काफी दिक्कतें होती थीं। इस महिला ने अपने सुहाग की निशानी मंगलसूत्र और अन्य जेवर बेचकर घर में शौचालय बनवाया। मंगलसूत्र बेचकर घर में शौचालय बनाने की बात पूरे इलाके में फैल गई। गांव के लोगों ने लता की सोच और हौसले को सलाम किया। लता की सोच से सबक लेते हुए गांव के कई परिवारों ने घर में शौचालय का निर्माण शुरू करा दिया है।

बरेली की सुमन गंगवार
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वच्छता अभियान और घर-घर में शौचालय बनवाने के अभियान का आम लोगों पर गहरा असर होता दिख रहा है। उत्तर प्रदेश के ही बरेली की रहने वाली सुमन गंगवार ने अपने घर में शौचालय बनवाने के लिए अपने गहने तक गिरवी रख दिए। गुलरिया भवानी गांव की रहने वाली 31 साल की सुमन का कहना है कि हर सुबह हमें शौच के लिए अलग-अलग जगह की खोज करनी पड़ती थी। खेतों में अक्सर पानी भरा रहता है और जंगली जानवरों का खतरा भी रहता है। इसलिए मैंने फैसला किया कि मैं अपने घर में शौचालय बनवाउंगी फिर चाहे इसके लिए कुछ भी करना पड़े। पहले मैंने अपना मंगलसूत्र गिरवी रखा जिससे मुझे 6 हजार रुपए मिले लेकिन फिर एक हजार रुपए के लिए मुझे अपनी कान की बालियां भी गिरवी रखनी पड़ी।

रोहतास की फूल कुमारी
बिहार के रोहतास जिले की फूल कुमारी ने भी में शौचालय निर्माण के लिए अपने मंगलसूत्र को गिरवी रखकर एक उदाहरण पेश की है। संझौली प्रखंड के बरहखाना गांव की फूल कुमारी ने अपने पति के घर में शौचालय नहीं होने पर उसके निर्माण के लिए अपना मंगलसूत्र गिरवी रख दिया। फूल कुमारी के पति खेतिहर मजदूर होने के कारण वे अपने घर में शौचालय नहीं बना पा रहे थे। ऐसे में फूल कुमारी ने मंगलसूत्र को गिरवी रखकर शौचालय बनवाया। जिला प्रशासन ने अब अन्य लोगों को प्रेरित करने के लिए फूल कुमारी को संपूर्ण स्वच्छता कार्यक्रम का ब्रांड एंबेस्डर बनाया है।

विदर्भ की संगीता अवहले
महाराष्ट्र के विदर्भ जिले में वाशिम के सिक्खड़ गांव की संगीता अवहले ने मंगलसूत्र बेचकर घर में शौचालय बनवाकर एक अनोखी मिसाल पेश की है। संगीता ने घर में शौचालय बनवाने के लिए मंगलसूत्र बेच दिया। यह खबर गांव से लेकर पूरे महाराष्ट्र में फैल गई। संगीता के इस कदम की प्रशंसा करते हुए महाराष्ट्र की मंत्री पंकजा मुंडे ने कहा कि राज्य में हम ज्यादा से ज्यादा संख्या में शौचालय बनवाना चाहते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान को आगे बढ़ाने के लिए मुंडे ने उसकी प्रशंसा करते हुए उसे एक नया मंगलसूत्र भेंट किया, जिसे उसने अपने पति के हाथों गले में पहना।

शौचालय के लिए बेच दी बकरी
राजस्थान के डूंगरपुर जिले के एक आदिवासी परिवार ने शौचालय निर्माण की खातिर अपनी आजीविका के प्रमुख साधन बकरी को बेच दिया तथा गहनों को गिरवी रख दिया, लेकिन दम तभी लिया, जब शौचालय बन गया। डूंगरपुर-रतनपुर मार्ग पर सड़क के किनारे एक झोंपड़ी में रहने वाला कांतिलाल रोत एक मिल में दिहाड़ी मजदूरी कर अपनी विधवा मां, दिवंगत छोटे भाई की पत्नी और बच्चों तथा अपने पत्नी-बच्चों का पालन-पोषण करता है। स्वच्छ भारत मिशन के तहत जब नगर परिषद डूंगरपुर ने विशेष अभियान चलाया और लोगों को शौचालय बनवाने के लिए समझाया तो कांतिलाल ने बकरी को बेचकर चार हजार रुपये जुटाए और शौचालय बनवाया।

104 की उम्र में बकरी बेचकर गांव में बनवाया पहला शौचालय
छत्तीसगढ़ की स्वच्छता दूत पद्मश्री कुंवर बाई हमेशा स्वच्छता मिशन के लिये एक मिसाल के तौर पर याद की जाएंगी, क्योंकि शौचालय बनाने के लिए उन्होंने अपनी अंतिम पूंजी यानी कि पाली हुई बकरियों को बेच दिया था। धमतरी जिला के गांव कोटा भर्री में कुंवर बाई ने 104 साल की उम्र में खुद अपना शौचालय बनवाया बल्कि गांव वालों को शौचालय बनवाने के प्रेरित भी किया। दिसंबर 2016 में जब प्रधानमंत्री राजनांदगांव के डोंगरगढ़ आए तो सार्वजनिक मंच से कुंवर बाई का पैर छूकर सम्मान किया था।

शादी कार्ड पर छपवाई पीएम मोदी की तस्वीर
हरियाणा के जींद जिले के बराहकलां गांव के निवासी सुशील शांडिल्य और उसकी बहन रेणू और छोटे भाई चेतन की शादी 19 फरवरी, 2018 को हुई है। तीनों बहन भाईयों की शादी के एक साथ कार्ड छपवाए गए, लेकिन इस कार्ड में शादी के आमंत्रण के साथ ही प्रधानमंत्री की तस्वीर और उनके सामाजिक संदेश भी छापे गए। 

श्लोक की जगह ‘मोदी मिशन’ की पंक्तियां
पिछले वर्ष राजस्थान के झालावाड़ जिले में 29 अप्रैल, 2017 को हुई एक शादी का निमंत्रण कार्ड सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। क्योंकि इस कार्ड पर श्लोक की जगह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत मिशन और बाल विवाह रोकथाम के नारे लिखे गए थे।

कार्ड पर स्वच्छता Logo के नीचे लिखा था-

‘मेरा सपना, घर परिवार का सपना, शौचालय उपयोग ही, सम्मान है अपना।’
‘घर महकेगा, परिवार महकेगा, बेटी पढ़ाओ, जग महकेगा।’
‘जन-जन का है, बस एक ही सपना, खुले में शौच मुक्त हो भारत अपना।’
‘जन-जन की है जिम्मेदारी, घर-घर शौचालय ही समझदारी।’

कार्ड पर बाल विवाह के बारे में भी लिखा कि- ‘बाल विवाह अभिशाप ही नहीं, कानून अपराध भी है।’ बाल विवाह पर रोकथाम के लिए ही दूल्हा पूरीलाल के नाम के आगे उसकी जन्म तिथि (11-2-1996) और दुल्हन पद्मा की जन्म तिथि (19-3-1999) लिखी गई थी। दरअसल दूल्हे पूरीलाल के चाचा रामविलास मीना ने यह कार्ड छपवाकर लोगों के बीच स्वच्छता के प्रति जागरूकता लाने की कोशिश की है। मीना पंचायत प्रसार एवं स्वच्छता अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं।

शौचालय न हो तो खाने न आएं
मई, 2017 में राजस्थान के ही राजसमंद जिले के नाथद्वारा तहसील में ग्राम पंचायत उपली ओड़न के गांव डिंगेला के रहने वाले लालसिंह कितावत ने भी निमंत्रण कार्ड पर स्वच्छ भारत अभियान का संदेश छपवाया। शादी के कार्ड पर यह संदेश लिखा गया है कि घर में शौचालय नहीं है तो जीमने (खाना खाने) न आएं।

बिन शौचालय दुल्हन का श्रृंगार अधूरा
2017 में ही में बिहार के पूर्णिया जिले के बिरनिया गांव में भी एक दूल्हे ने अपनी शादी के कार्ड में ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ और ‘बिन शौचालय दुल्हन का श्रृंगार अधूरा है’ का संदेश छपवाया था। शादी कार्ड पर छपा शौचालय जागरुकता का यह स्लोगन पूरे पूर्णिया में चर्चा में रहा। दूल्हा वरुण कुमार केंद्र प्रायोजित ग्रामीण आवास योजना के बैसा प्रखंड के सहायक पद पर हैं और ये ग्रामीण आवास की हकीकतों को रोज देखते रहे हैं। उनका कहना था कि गांव में बाहर शौच करना महिला सम्मान के खिलाफ हैं।

शादी कार्ड पर स्वच्छ भारत अभियान का Logo
आकाश जैन ने अपनी बहन की शादी के कार्ड पर स्वच्छ भारत अभियान का लोगो छपवाया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आकाश जैन के ट्वीट को री-ट्वीट किया। जिसके बाद आकाश जैन अचानक सेलेब्रेटी बन गए। 

शादी के व्यस्त समय में भी आकाश जैन और उसके पिता ने स्वच्छ भारत अभियान के प्रति जो लगाव दिखलाया, उस पर देशभर में जैन परिवार सुर्खियों में आ गया।

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