पश्चिम बंगाल के पुरुलिया में दो हिंदुओं की हत्या कर दी गई। दामोदर मंडल और नारायण गोप नाम के भाजपा के कार्यकर्ता को टीएम की के गुंडों ने मारा है। आरोप ये है कि पुलिस के संरक्षण में टीएमसी कार्यकर्ताओं ने इस हत्याकांड को अंजाम दिया है। जाहिर है हिंदुओं की एक के बाद एक हत्या से पूरा समुदाय दहशत में है।
1.1 Niranjan Gope and Damodar Mandal of Joypur(Purulia) are the victims of TMC’s ” Snatch n Grab” power by ” Hook or Crook” and lost their lives. What a shame! pic.twitter.com/3fhCq4B1UC
— Dilip Ghosh (@DilipGhoshBJP) August 27, 2018
इसी के साथ ये सवाल भी उठ रहा है कि क्या पश्चिम बंगाल ‘कश्मीर’ बनने की राह पर है? वो कश्मीर जहां से उसके मूल निवासी हिंदुओं का नरसंहार किया गया था। वो कश्मीर जहां से चार लाख कश्मीरियों को एक रात में ही भगा दिया गया था। यही कुछ तो बंगाल में भी हो रहा है।
Violence & Brutality continues in Bengal as two innocent men, Narayan Gope & Damodar Mondal were shot to death by TMChhi’s ‘Uniform wearing’ goons at Joypur, Purulia. WB’s Manush & Democracy cries tears of blood in #TMChhi‘s Bengal. @TajinderBagga @BJPLive @PIB_India @rishibagree pic.twitter.com/lsi0PrysDX
— Babul Supriyo (@SuPriyoBabul) August 27, 2018
पश्चिम बंगाल आने वाले टाइम मैं कश्मीर 2 बनेगा. हिन्दू मरेंगे कश्मिर मैं same हो रहा था कुछ करो वरना कुछ टाइम पे कोई हिंदू नही बचेगा ममता बनर्जी तो बांग्लादेशी women है जो हिन्दू को सिर्फ दुश्मन के अलावा कुछ नही समझती ऐसे ही मारे जायेंगे .बीजपी join करना गुनाह होगा .
— pooran Singh (@pooransingh3791) August 28, 2018
इससे पहले 27 जुलाई को पश्चिम बंगाल में बीजेपी के दलित हिंदू कार्यकर्त्ता शक्तिपदा सरदार की हत्या कर दी गई थी। 29 जुलाई को दक्षिण 24 परगना जिले में एक और भाजपा कार्यकर्ता समरेश मैती को ‘तालिबानी स्टाइल’ में फांसी पर लटकाने की कोशिश की गई। हालांकि उनकी किस्मत अच्छी थी कि भाजपा कार्यकर्ताओं ने एकजुट होकर पीछा किया और उन्हें टीएमसी के गुंडों से बचा लिया। दरअसल पिछले पंचायत चुनावों में इस इलाके में भाजपा ने तृणमूल कांग्रेस को कई सीटों पर हराया है। इसके बाद से ही टीएमसी के गुंडों द्वारा हिंदू कार्यकर्ताओं को सरेआम मारा जा रहा है।
आपको बता दें कि पंचायत चुनाव के बाद बीते डेढ़ महीने में ही 24 कार्यकर्ताओं की सरेआम हत्या कर दी गई है। उन्हें न सिर्फ सरेआम मारा जा रहा है बल्कि कइयों को तो मार कर लटका भी दिया जा रहा है। ‘तालिबानी शासन शैली’ में किए जा रहे कत्लेआम के पीछे का उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ यही है कि पूरे प्रदेश में यह संदेश जाए कि भाजपा को समर्थन किया तो जिंदा नहीं बचोगे!
SamreshMaity,kidnapped byTMC MLA BankimHazra’s goons.They tried to hang him but rescuedby local BJPworkers ontime andnow hospitalized.This is the second attempt to murder BJPworkers in South 24parganas in last 48 hours. He remains critical and battling for his life. #TerrorState pic.twitter.com/Zb2YQKKwEZ
— Chandra Kumar Bose (@Chandrabosebjp) 29 July 2018
दरअसल पश्चिम बंगाल में वाम दलों के हिंसक शासन के खात्मे के बाद अब तृणमूल कांग्रेस का युग है, लेकिन बंगाल की सूरत नहीं बदली है। प्रदेश में भाजपा के राजनीतिक उभार से डरी ममता बनर्जी के शासन में खुलेआम हिंदुओं की लिंचिंग हो रही है, लेकिन देश का तथाकथित सेक्यूलर मीडिया भी मौन है!
‘तालिबानी स्टाइल’ में की जा रही हिंदुओं की हत्या | |
28 जुलाई | शक्तिपद सरदार की धारदार हथियार से की गई हत्या |
11 जुलाई | पिता-पुत्र लालमन महतो और दीपक की एक साथ हत्या |
01 जून | बलरामपुर में दुलाल कुमार की हत्या, खंभे पर लटकाया |
30 मई | 18 वर्षीय त्रिलोचन महतो की हत्या कर पेड़ से लटकाया |
15 मई | चुनाव अधिकारी राजकुमार राय की हत्या कर शव फेंका |
13 मई | CPI (M) के देबू दास और पत्नी ऊषा को जिंदा जलाया |
ममता बनर्जी कई मौकों पर दिखा चुकी हैं कि वह मुस्लिम परस्त हैं। हिंदुओं औरहिंदू धर्म के प्रति ‘कुंठा’ का भाव भी
मोहर्रम में जुलूस निकले तो परंपरा, रामनवमी पर निकले संप्रदायवाद
सनातन संस्कृति में शस्त्रों का विशेष महत्त्व है। अलग-अलग पर्व त्योहारों पर धार्मिक यात्राओं में तलवार, गदा लेकर चलने की परंपरा रही है, लेकिन पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने धार्मिक यात्राओं और शस्त्र भी दो साम्प्रदायिक और सेक्यूलर करार दे दिया है। गौरतलब है कि जब यही शस्त्र प्रदर्शन मोहर्रम के जुलूस में निकलते हैं तो सेक्यूलर होते हैं, लेकिन रामनवमी में निकलते ही साम्प्रदायिक हो जाते हैं।
राम के नाम से ममता का नफरत कई बार हो चुकी है जाहिर
ममता बनर्जी कई बार हिंदू धर्म और भगवान राम के प्रति अपनी असहिष्णुता जाहिर करती रही हैं। हालांकि कई बार कोर्ट ने उनकी इस कुत्सित कोशिश को सफल नहीं होने दिया है। वर्ष 2017 में जब लेक टाउन रामनवमी पूजा समिति’ ने 22 मार्च को रामनवमी पूजा की अनुमति के लिए आवेदन दिया तो राज्य सरकार के दबाव में नगरपालिका ने पूजा की अनुमति नहीं दी थी। इसके बाद जब समिति ने कानून का दरवाजा खटखटाया तो कलकत्ता हाईकोर्ट ने पूजा शुरू करने की अनुमति देने का आदेश दिया।
बंगाल सरकार ने पाठ्यक्रम में रामधनु को कर दिया रंगधनु
भगवान राम के प्रति ममता बनर्जी की घृणा का अंदाजा इस बात से भी जाहिर हो गई, जब तीसरी क्लास में पढ़ाई जाने वाली किताब ‘अमादेर पोरिबेस’ (हमारा परिवेश) ‘रामधनु’ (इंद्रधनुष) का नाम बदल कर ‘रंगधनु’ कर दिया गया। साथ ही ब्लू का मतलब आसमानी रंग बताया गया है। दरअसल साहित्यकार राजशेखर बसु ने सबसे पहले ‘रामधनु’ का प्रयोग किया था, लेकिन मुस्लिमों को खुश करने के लिए किताब में इसका नाम ‘रामधनु’ से बदलकर ‘रंगधनु’ कर दिया गया।
ऐसा नहीं है कि ये पहली बार हुआ है कि ममता बनर्जी ने हिंदुओं के साथ भेदभाव किया है। कई ऐसे मौके आए हैं जब उन्होंने अपना मुस्लिम प्रेम जाहिर किया है और हिंदुओं के साथ भेदभाव किया है। सितंबर, 2017 में कलकत्ता हाईकोर्ट की इस टिप्पणी से ममता बनर्जी का हिंदुओं से नफरत जाहिर होता है। कोर्ट ने तब कहा था, ”आप दो समुदायों के बीच दरार पैदा क्यों कर रहे हैं। दुर्गा पूजन और मुहर्रम को लेकर राज्य में कभी ऐसी स्थिति नहीं बनी है। उन्हें साथ रहने दीजिए।”
दशहरे पर शस्त्र जुलूस निकालने की ममता ने नहीं दी थी अनुमति
हिंदू धर्म में दशहरे पर शस्त्र पूजा की परंपरा रही है। लेकिन मुस्लिम प्रेम में ममता बनर्जी हिंदुओं की धार्मिक आजादी छीनने की हर कोशिस करती रही हैं। सितंबर, 2017 में ममता सरकार ने आदेश दिया कि दशहरा के दिन पश्चिम बंगाल में किसी को भी हथियार के साथ जुलूस निकालने की इजाजत नहीं दी जाएगी। पुलिस प्रशासन को इस पर सख्त निगरानी रखने का निर्देश दिया गया। हालांकि कोर्ट के दखल के बाद ममता बनर्जी की इस कोशिश पर भी पानी फिर गया।
हनुमान जयंती पर निर्दोषों को किया गिरफ्तार, लाठी चार्ज
11 अप्रैल, 2017 को पश्चिम बंगाल में बीरभूम जिले के सिवड़ी में हनुमान जयंती के जुलूस पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया। मुस्लिम तुष्टिकरण के कारण ममता सरकार से हिन्दू जागरण मंच को हनुमान जयंती पर जुलूस निकालने की अनुमति नहीं दी। हिंदू जागरण मंच के कार्यकर्ताओं का कहना था कि हम इस आयोजन की अनुमति को लेकर बार-बार पुलिस के पास गए, लेकिन पुलिस ने मना कर दिया। धार्मिक आस्था के कारण निकाले गए जुलूस पर पुलिस ने बर्बता से लाठीचार्ज किया। इसमें कई लोग घायल हो गए। जुलूस में शामिल होने पर पुलिस ने 12 हिन्दुओं को गिरफ्तार कर लिया। उन पर आर्म्स एक्ट समेत कई गैर जमानती धाराएं लगा दीं।
कई गांवों में दुर्गा पूजा पर ममता बनर्जी ने लगा रखी है रोक
10 अक्टूबर, 2016 को कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश से ये बात साबित होती है ममता बनर्जी ने हिंदुओं को अपने ही देश में बेगाने करने के लिए ठान रखी है। बीरभूम जिले का कांगलापहाड़ी गांव ममता बनर्जी के दमन का भुक्तभोगी है। गांव में 300 घर हिंदुओं के हैं और 25 परिवार मुसलमानों के हैं, लेकिन इस गांव में चार साल से दुर्गा पूजा पर पाबंदी है। मुसलमान परिवारों ने जिला प्रशासन से लिखित में शिकायत की कि गांव में दुर्गा पूजा होने से उनकी भावनाओं को ठेस पहुंचती है, क्योंकि दुर्गा पूजा में बुतपरस्ती होती है। शिकायत मिलते ही जिला प्रशासन ने दुर्गा पूजा पर बैन लगा दिया, जो अब तक कायम है।
ममता बनर्जी ने सरस्वती पूजा पर भी लगाया प्रतिबंध
एक तरफ बंगाल के पुस्तकालयों में नबी दिवस और ईद मनाना अनिवार्य किया गया तो एक सरकारी स्कूल में कई दशकों से चली आ रही सरस्वती पूजा ही बैन कर दी गई। ये मामला हावड़ा के एक सरकारी स्कूल का है, जहां पिछले 65 साल से सरस्वती पूजा मनायी जा रही थी, लेकिन मुसलमानों को खुश करने के लिए ममता सरकार ने इसी साल फरवरी में रोक लगा दी। जब स्कूल के छात्रों ने सरस्वती पूजा मनाने को लेकर प्रदर्शन किया, तो मासूम बच्चों पर डंडे बरसाए गए। इसमें कई बच्चे घायल हो गए।
ममता राज के 8000 गांवों में एक भी हिंदू नहीं
दरअसल ममता राज में हिंदुओं पर अत्याचार और उनके धार्मिक क्रियाकलापों पर रोक के पीछे तुष्टिकरण की नीति है। लेकिन इस नीति के कारण राज्य में अलार्मिंग परिस्थिति उत्पन्न हो गई है। प. बंगाल के 38,000 गांवों में 8000 गांव अब इस स्थिति में हैं कि वहां एक भी हिन्दू नहीं रहता, या यूं कहना चाहिए कि उन्हें वहां से भगा दिया गया है। बंगाल के तीन जिले जहां पर मुस्लिमों की जनसंख्या बहुमत में हैं, वे जिले हैं मुर्शिदाबाद जहां 47 लाख मुस्लिम और 23 लाख हिन्दू, मालदा 20 लाख मुस्लिम और 19 लाख हिन्दू, और उत्तरी दिनाजपुर 15 लाख मुस्लिम और 14 लाख हिन्दू। दरअसल बंगलादेश से आए घुसपैठिए प. बंगाल के सीमावर्ती जिलों के मुसलमानों से हाथ मिलाकर गांवों से हिन्दुओं को भगा रहे हैं और हिन्दू डर के मारे अपना घर-बार छोड़कर शहरों में आकर बस रहे हैं।
ममता राज में घटती जा रही हिंदुओं की संख्या
पश्चिम बंगाल में 1951 की जनसंख्या के हिसाब से 2011 में हिंदुओं की जनसंख्या में भारी कमी आयी है। 2011 की जनगणना ने खतरनाक जनसंख्यिकीय तथ्यों को उजागर किया है। जब अखिल स्तर पर भारत की हिन्दू आबादी 0.7 प्रतिशत कम हुई है तो वहीं सिर्फ बंगाल में ही हिन्दुओं की आबादी में 1.94 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है, जो कि बहुत ज्यादा है। राष्ट्रीय स्तर पर मुसलमानों की आबादी में 0.8 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जबकि सिर्फ बंगाल में मुसलमानों की आबादी 1.77 फीसदी की दर से बढ़ी है, जो राष्ट्रीय स्तर से भी कहीं दुगनी दर से बढ़ी है।