कोरोना काल में दुनिया भर के देशों को वैक्सीन देने एवं संकट के समय पड़ोसियों की मदद करने की नीति से वैश्विक मंच पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कद लगातार बढ़ा है और इससे भारत को दुनिया भर में सम्मान की दृष्टि से देखा जाने लगा है। आज भारत विश्व की दो परस्पर विरोधी शक्तियों का एक जैसा मित्र है। चाहे फिलस्तीन हो या इज़राइल, ईरान हो या सऊदी अरब, रूस हो या यूक्रेन यानी परस्पर विरोधी देश भी भारत के साथ अच्छे संबंध बनाकर रखना चाहता है। पिछले कुछ समय के घटनाक्रम पर नजर डालें तो यह साफ हो जाता है कि अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी में भारत का दबदबा लगातार बढ़ता जा रहा है। रूस-यूक्रेन संकट के दौरान यह देखा गया कि 20 से ज्यादा देशों ने अपने महत्वपूर्ण मंत्रियों या राजनयिकों को नई दिल्ली भेजा। एक तरह से उस संकट के दौरान नई दिल्ली दुनिया के नेताओं का केंद्र बन गया था। वहीं दुनिया के सबसे अधिक शक्तिशाली देशों में शुमार अमेरिका के राष्ट्रपति जर्मनी में जी7 सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी से हाथ मिलाने को बेचैन दिखे। यह वीडियो उस वक्त सभी लोगों ने देखा कि पीएम मोदी जब कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो से बात कर रहे थे, इस दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन उनसे मिलने के लिए खुद चलकर आए। इस दौरान बाइडेन के रास्ते में कई राजनेता दिखे, लेकिन वे सीधे पीएम मोदी की तरफ ही बढ़ते रहे। उन्होंने पीएम मोदी के कंधे पर पीछे से हाथ रखकर अपनी मौजूदगी का अहसास कराया, जिसके बाद दोनों नेताओं ने हाथ मिलाकर एक दूसरे का अभिवादन किया।
चीन की साजिश नाकाम, श्रीलंका ने जासूसी जहाज को रोका
चीन लगातार भारत के खिलाफ साजिश रचता रहता है इससे सभी लोग वाकिफ हैं। अब भारत के खिलाफ चीन की एक और साजिश नाकाम हो गई है। इस बार चीन की कोशिश भारतीय इलाके में जासूसी की थी। लेकिन भारत के सख्त रवैये की वजह से चीन को उल्टे पांव लौटना पड़ा। श्रीलंका ने चीनी जासूसी जहाज को देश में घुसने से रोक दिया। भारत की नाराजगी को देखते हुए श्रीलंका ने ये रोक लगाई है। 11 अगस्त को ये जहाज हंबनटोटा पहुंचने वाला था। चीनी जासूसी जहाज युआन वांग 5 को 17 अगस्त तक वहां रहना था लेकिन भारत ने इस पर आपत्ति जताई और फिर श्रीलंका ने जहाज पर रोक लगा दी। भारत ने श्रीलंका सरकार से चीनी जहाज के इस इलाके में आने को लेकर कड़ी आपत्ति जताई थी।
Fantastic deal, it will hell lot of difficult for China to attack India while giving our country technological advance.I guess China's dream of creating string of pearl ports along Indian Ocean is a distant Dream.China sending their spy ship to intimidate us fell flat.
— Kalyani ??? (@myself_kalyani) August 8, 2022
शक्तिशाली रडार से लैस है चीन का जासूसी जहाज
चीन का जासूसी जहाज युआन वांग 5 बेहद शक्तिशाली रडार और अत्याधुनिक तकनीक से लैस है। यह जहाज अंतरिक्ष और सैटेलाइट ट्रैकिंग के अलावा इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल के लॉन्च का भी पता लगा सकता है। यह युआन वांग सीरीज की तीसरी पीढ़ी का ट्रैकिंग जहाज है, जिसे 29 सितंबर, 2007 को सेवा में शामिल किया गया था। इस जहाज को चीन के 708 अनुसंधान संस्थान ने डिजाइन किया है। इस जहाज में बहुत शक्तिशाली एंटेना लगे हैं जो उसे लंबी दूरी तक निगरानी करने में मदद करते हैं।
Chinese Ambassador to Sri Lanka Qi Zhenhong meets Sri Lanka's President to express "China’s concern and huge displeasure at the Sri Lankan Government’s decision to rescind permission to the Chinese vessel (spy ship) to dock at Hambantota". @MEAIndia
— Pranay Chatterjee ?? (@PranayChatter11) August 7, 2022
श्रीलंकाई राष्ट्रपति ने की चीनी राजदूत के साथ सीक्रेट बैठक
श्रीलंकाई मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, चीन के जासूसी जहाज युआन वांग 5 की यात्रा को स्थगित करने की मांग के बाद श्रीलंका के कार्यवाहक राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने चीन के राजदूत क्यूई जेनहोंगे के साथ बंद कमरे में बैठक की। हालांकि, श्रीलंकाई राष्ट्रपति कार्यालय ने ऐसी किसी भी बैठक से इनकार किया है। श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने मालदीव भागने के ठीक पहले चीन के जासूसी जहाज को हंबनटोटा बंदरगाह पर आने की मंजूरी दी थी। उस समय श्रीलंका ने कहा था कि चीनी पोत हंबनटोटा में ईंधन भरेगा और कुछ खाने-पीने के सामान को लोड कर चला जाएगा।
श्रीलंका ने पहले अनुमति दी, फिर किया इनकार
रानिल विक्रमसिंघे सरकार के कैबिनेट प्रवक्ता ने 2 अगस्त को ऐलान किया कि जहाज को ईंधन भरने की अनुमति दी जा रही है। इस पर भारतीय नौसेना ने भी कोलंबो को अपनी गंभीर सुरक्षा चिंताओं से अवगत कराया। हालांकि 5 अगस्त को, श्रीलंका के विदेश मंत्रालय ने जासूसी जहाज को हंबनटोटा बंदरगाह पर रूकने की अनुमति देने को फैसले को स्थगित कर दिया और उचित राजनयिक चैनलों के जरिए चीनी विदेश मंत्रालय के समकक्षों को लिखित रूप से इस फैसले से अवगत करा दिया।
संकट के समय भारत ने दिया श्रीलंका का साथ
भारत संकट के समय श्रीलंका के साथ कंधे से कंधा मिलाकर इस द्वीपीय देश के सामने मौजूद वर्तमान आर्थिक संकट से निपटने के लिए खड़ा है और लगातार मदद कर रहा है। भारत ने पेट्रोल, डीजल, प्राकृतिक गैस, खाद्य पदार्थों और दवाओं के रूप में 3.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक की मदद की है। श्रीलंका के जासूसी जहाज की यात्रा स्थगित किए जाने के फैसले से यह बात साफ हो गई है कि चीन के दमखम और दबाव के बावजूद वह अपने पड़ोसी भारत की सुरक्षा चिंता का सम्मान करता है। श्रीलंका पर चीन का 10 प्रतिशत से अधिक विदेशी ऋण बकाया है, बीजिंग को 2017 में कोलंबो की ओर से हंबनटोटा बंदरगाह 99 साल के लिए लीज पर मिला हुआ है।
अभी ताइवान की तरफ है जासूसी जहाज
मरीन ट्रैफिक वेबसाइट के मुताबिक, यह जहाज फिलहाल दक्षिण जापान और ताइवान के उत्तर पूर्व के बीच पूर्वी चीन सागर में है। यह रिसर्च सर्वे पोत समुद्र के तल का नक्शा बना सकता है जो चीनी नौसेना के पनडुब्बी रोधी अभियानों के लिए बेहद अहम है। माना जा रहा है कि श्रीलंका में चीनी राजदूत ने श्रीलंकाई सरकार के साथ अपनी बात रखी और कहा कि पोत को अनुमति देने से इनकार करने से द्विपक्षीय संबंधों पर असर पड़ेगा। लेकिन भारत द्वारा जताई गई आपत्ति को श्रीलंका ने तरजीह दी और जहाज के आने पर रोक लगा दी।
हंबनटोटा बंदरगाह से कूडनकुलम परमाणु ऊर्जा स्टेशनों की दूरी 750 किलोमीटर
दरअसल युआन वांग 5 एक डबल यूज वाला जासूसी पोत है, जो अंतरिक्ष और उपग्रह ट्रैकिंग के लिए बनाया गया है। यह बैलिस्टिक मिसाइल लॉन्च में भी सक्षम है। शिप में 400 लोगों का क्रू है। साथ ही इस पर एक बड़ा सा पाराबोलिक एंटिना लगा हुआ है और कई तरह के सेंसर मौजूद हैं। इसकी सबसे खास बात ये है कि यह परमाणु ऊर्जा संयत्रों की भी जासूसी कर सकता है। ऐसे में भारत के लिए खतरा और बढ़ जाता है। रिपोर्ट के मुताबिक हंबनटोटा बंदरगाह से भारत के कलपक्कम और कूडनकुलम परमाणु ऊर्जा स्टेशनों की दूरी 750 किलोमीटर है। इसके अलावा दक्षिणी भारत के 6 बंदरगाहों की दूरी भी ज्यादा नहीं है। ऐसे में इन सबकी जासूसी होने का खतरा है। यही वजह है कि इस पूरे घटनाक्रम पर भारत काफी नजदीक से नजर बनाए हुए था।
भारत के परमाणु संयंत्रों की जासूसी का था खतरा
हिंद महासागर के उत्तरी पश्चिमी हिस्से में चीन का इरादा जासूसी करने का था। चीनी जहाज से कलपक्कम और कुडनकुलम परमाणु संयंत्रों की जासूसी का खतरा था। भारत ने इसलिए ऐतराज जताया और श्रीलंका को ये मानना पड़ा। भारत ने जिस तरह से श्रीलंका के बुरे दिनों में उसकी मदद की। कूटनीति में इसे बेहद अच्छा माना गया और उसका असर भी दिख रहा है। श्रीलंका के हंबनटोटा आ रहा चीन का जासूसी जहाज युआन वांग 5 अब वहां नहीं आ पाएगा। चीन के जहाज के खिलाफ भारत के सख्त ऐतराज के बाद इसे घुसने से रोका गया। भारत ने श्रीलंका से साफ कह दिया था कि इससे इस क्षेत्र की सुरक्षा और आर्थिक हितों पर असर होगा। इसी के बाद श्रीलंका की सरकार ने चीन से कहा कि वो अपने अंतरिक्ष उपग्रह ट्रैकर जहाज की यात्रा को टाल दे। जिसके बाद चीन ने अपने जहाज को श्रीलंका के रूट से हटाकर ताइवान के करीब तैनात कर दिया है।