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उद्धव सरकार की नाकामी : नागपुर के 198 अस्पतालों से ठुकराए कोरोना पीड़ित दंपति को सूरत में मिला उपचार

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हाल ही में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में चल रही सरकार की काफी प्रशंसा की थी. उन्होंने कोरोना को हैंडल करने और पारदर्शी तरीके से काम करने के लिए जिस उद्धव सरकार की प्रशंसा की थी उसी के राज में एक कोरोना पीड़ित दंपति को इलाज नहीं मिला। आखिर में उन्हें 65 हजार रुपये किराया देकर एंबुलेंस से सूरत जाना पड़ा जहां उन्हें उचित इलाज मिला। सूरत में 10 दिनों तक इलाज कराने के बाद आज वह कोरोना महामारी से उबर चुके हैं।

मूल रूप से यूपी के प्रयागराज निवासी बृजेश कुमार त्रिपाठी (53) और उनकी पत्नी अनुपमा (47) की दो हफ्ते पहले कोरोना पॉजिटिव होने से तबीयत खराब हो गई। बृजेश पेशे से कॉन्ट्रैक्टर हैं। दोनों पति-पत्नी ने इलाज के लिए 198 अस्पतालों का दरवाजा खटखटाया, लेकिन किसी ने भर्ती नहीं किया। आखिर में उन्होंने 65 हजार रुपए भाड़ा देकर एंबुलेंस से सूरत पहुंच गए। सूरत के एक आइसोलेशन सेंटर में 10 दिन के इलाज के बाद वे पूरी तरह स्वस्थ हो गए और कोरोना की उनकी रिपोर्ट निगेटिव हो गई है। जब दोनों दंपति नागपुर में अस्पतालों के दरवाजे खटखटाने में लगे थे उस वक्त बृजेश की पत्नी अनुपमा का फेफड़ा 60 प्रतिशत तक संक्रमित हो चुका था। फिर भी महाराष्ट्र सरकार की असंवेदनशील अस्पतालों ने उन्हें इलाज के लिए भर्ती नहीं किया। लेकिन वहीं इतनी विषम परिस्थिति में भी सूरत के परवत गांव स्थित नमो कोविड आइसोलेशन सेंटर ने भर्ती कर दोनों पति-पत्नी को एक नया जीवन दिया।

कोरोना महामारी को हैंडल करने में पूरी तरह विफल उद्धव सरकार की प्रशंसा सोनिया गांधी किस आधार पर कर रही है यह समझ से परे। जिस सरकार के अधीन नागपुर स्थित 198 अस्पताल कोरोना मरीज को भर्ती नहीं कर पाया हो उस सरकार की प्रशंसा कैसे की जा सकती है। लेकिन सोनिया गांधी ने किया है। इससे स्पष्ट है कि सोनिया गांधी किसी न किसी प्रकार महाराष्ट्र में उद्व की सरकार को बचाए रखना चाहती है ताकि उन्हें सत्ता का हिस्सा मिलता रहे और राज्यों में कांग्रेस सरकार की गिनती बनी रहे।

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