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कांग्रेस का हाथ, आतंक के साथ !

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अभी तक लोग कहते थे कांग्रेस का हाथ, भ्रष्टाचार के साथ, लेकिन अब कहेंगे- ‘कांग्रेस का हाथ, आतंकवाद के साथ।’ …केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी की कही गई इस बात ने कांग्रेस पार्टी की बीते सत्तर साल की राजनीति की पोल-खोल कर रख दी है। दरअसल बीते सत्तर सालों में कांग्रेस ने कई ऐसे कदम उठाए हैं जिसने देश में आतंकवादियों की हौसला अफजाई की है। ताजा मामला सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल से जुड़ा हुआ है।

अहमद पटेल के अस्पताल का ‘आतंकवादी कनेक्शन’ !
सोनिया गांधी के करीबी अहमद पटेल का आतंकवादियों से कनेक्शन सामने आने से राजनीतिक गलियारोंं में हड़कंप है। देश की सर्वोच्च नेता रही सोनिया गांधी के करीबी का आतंकियों से संबंध होना देश की सुरक्षा को लेकर बड़े सवाल खड़े करती है। दरअसल गुजरात एटीएस ने कुछ दिन पहले जिन आतंकवादियों को गिरफ्तार किया है उनमें से एक कांग्रेस नेता अहमद पटेल के अस्पताल में नौकरी करता था। गिरफ्तार आतंकवादियों के संबंध अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठन ISIS से बताया जा रहा है। अहमद पटेल ने भरूच में बने इस अस्पताल का उद्घाटन 2016 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से करवाया था।

हिंदू धर्मगुरु की हत्या करना चाहते थे आतंकवादी
गिरफ्तार आतंकवादी मोहम्मद कासिम ने खुलासा किया है कि वे चुनाव से पहले अहमदाबाद में एक हिंदू धर्म गुरु की हत्या और एक यहूदी धर्मस्थल में घुसकर खूनखराबे की साजिश रच रहे थे। आतंकवादी निशाने वाली जगहों की रेकी भी कर चुके थे और चुनाव की तारीखों का एलान होने के बाद किसी भी दिन साजिश को अंजाम देने की तैयारी थी। उनके पास से इस साजिश से जुड़े कई दस्तावेज भी मिले हैं। ऐसे खूंखार आतंकियों का किसी भी स्तर पर आतंकियों से संबंध स्थापित होना देश के लिए खतरा है, यहां तो देश पर छह दशक तक राज करने वाली कांग्रेस के शीर्ष नेताओं के करीबी नेता से आतंकियों के संबंध जाहिर हुए हैं।  

दो दिन पहले ही दिया था अस्पताल से इस्तीफा
यह बात भी सामने आई है कि अहमदाबाद के अलावा ये आतंकी बैंगलोर में सक्रिय रह चुके थे। गिरफ्तारी से दो दिन पहले ही कासिम ने अहमद पटेल के अस्पताल में नौकरी से इस्तीफा दिया था। वो सरदार पटेल हॉस्पिटल में इको-कार्डियोग्राम डिपार्टमेंट में टेक्नीशियन के तौर पर काम करता था, जबकि दूसरा आतंकी उबेद सूरत की डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में एडवोकेट था। गौरतलब है कि अहमद पटेल को कांग्रेस की तरफ से सीएम पद का चेहरा माना जा रहा है। बहरहाल इस प्रकरण में सबसे विशेष यह है कि ताजा आरोप लगाने वाले प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री विजय रुपाणी है। यानी बात गंभीर है और इसे केंद्र सरकार और जांच एजेंसियों को भी गंभीरता से लेना चाहिए। 

आतंकी कनेक्शन वाले अस्पताल के ट्रस्टी हैं अहमद पटेल
दरअसल सरदार पटेल अस्पताल चैरिटेबल संस्था है, 150-200 कर्मी काम करते हैं। अहमद पटेल और उनके परिवार के अन्य सदस्य अस्पताल के ट्रस्टी हैं। सूत्रों से कहा जा रहा है कि वे अस्पताल से होने वाले लाभ से भी जुड़े हैं। जाहिर है एक तो अस्पताल के ट्रस्टी हैं और दूसरे वे इसके लाभ से भी जुड़े हैं। यानी अस्पताल के सभी पहलुओं से भी अवगत हैं। सवाल यह है कि आखिर कार्रवाई से पहले इन आतंकियों ने अस्पताल से इस्तीफा क्यों दिया। क्या अहमद पटेल को उनके आतंकी कनेक्शन होने का और पुलिस द्वारा कार्रवाई किए जाने का पता था?

सोनिया राहुल की चुप्पी पर उठ रहे सवाल
हालांकि अहमद पटेल इस मामले पर अपनी सफाई दे रहे हैं, लेकिन सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने जिस तरह से चुप्पी साधी हुईं है, उससे लगता है कि कांग्रेस पार्टी देश तोड़ने वालों के साथ है। क्या उन्हें देशहित की जरा भी परवाह नहीं है? अगर है तो फिर चुप्पी क्यों?  दरअसल पहले भी कई ऐसे वाकये सामने आए हैं जिसमें कांग्रेस पार्टी आतंकियों के समर्थन में खड़ी रही है।  यह वही कांग्रेस हैं जिनके नेता आज याकूब मेनन और अफजल गुरु के फांसी पर आपत्ति जाताते रहे हैं।

जेएनयू में देशद्रोहियों के साथ रहे राहुल
देश की मुख्यधारा में रही कांग्रेस और उनके नेता जेएनयू में देशद्रोही नारे लगाने वाले लोगों के साथ खड़ी थी। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर कही वह कभी गांधीजी, नेहरूजी, इंदिराजी और राजीवजी ने भी नहीं कही थी। दरअसल इस देश का दुर्भाग्य है कि राहुल गांधी ने उनका समर्थन किया जिन्होंने देश को तोड़ने और उसके टुकड़े-टुकड़े करने के नारे लगाए थे। 

आतंकी अफजल की फांसी पर पॉलिटिक्स
दरअसल कांग्रेस पार्टी आज देश के आतंकियों को शहीद का दर्जा देने पर तुली हुयी है। संसद पर हमले के दोषी आतंकी अफजल गुरु की फांसी पर भी कांग्रेस ने पॉलटिक्स की। कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा था कि संसद हमले के दोषी अफजल गुरु को फांसी देना गलत था और उसे गलत तरीके से किया गया। इतना ही नहीं यही कांग्रेस है जिनके नेताओं ने याकूब मेनन की फांसी पर आपत्ति जताई थी।

दिग्विजय सिंह ने हाफिज सईद और ओसामा को सम्मान दिया
क्या कांग्रेस की संस्कृति और संस्कार आतंकियों को महिमा-मंडित करने की है? कांग्रेस कभी ओसामा बिन लादेन को ओसामा जी कहती है, कभी हाफिज सईद को हाफिज जी और अफजल गुरु को अफजल गुरु जी कहती है, तो क्या यही कांग्रेस की संस्कृति और संस्कार है। दिग्विजय सिंह ने ओसामा बिन लादेन और हाफिज सईद को जी कहा तो रणदीप सुरजेवाला ने अफजल गुरु को जी कहा। सबसे खास यह कि कांग्रेस ऐसे बयान देती है और पीछे हट जाती है। यानी जहां संदेश पहुंचाना है पहुंचा दिया और जिन्हें बरगलाना है उन्हें बरगला भी दिया। बाटला हाउस एनकाउंटर में जब आतंकियों को मार गिराया गया तो सोनिया गांधी ने रोने का नाटक भी किया। मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति के तहत उन्होंने देशहित से खिलवाड़ किया। 

कांग्रेसी नेताओं का ‘जहरीले’ जाकिर नाइक से नाता
इस्लामी कट्टरपंथी धर्म प्रचार जाकिर नाइक से कांग्रेस के ताल्लुकात रहे हैं। जाकिर नाइक ने कई देशविरोधी कार्य किए, कई देशविरोधी भाषण दिए, लेकिन कांग्रेसी सरकारें उस पर कार्रवाई से कतराती रही हैं। एक बार दिग्विजय सिंह ने जाकिर नाइक को ‘मैसेंजर ऑफ पीस’ बताया था। वाकया साल 2012 का है, जब एक इवेंट के दौरान कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने नाइक के साथ मंच साझा किया था। इस इवेंट में दिग्विजय को जाकिर नाइक की तारीफों के पुल बांधते हुए सुना जा सकता है। दिग्विजय सिंह ने नाइक को दुनिया भर में शांति का संदेश देने वाला बताया था, लेकिन जब बांग्लादेश में आतंकी हमलों में शामिल आतंकियों ने खुद को जाकिर नाइक से प्रेरित बताया तो वे बगलें झांकने लगे थे। हालांकि तब भी कांग्रेसी नेताओं ने दिग्विजय सिंह पर कोई कार्रवाई नहीं की थी।

जाकिर नाइक ने राजीव गांधी ट्रस्ट को 50 लाख रुपये दिए
इस्लामी धर्म प्रचारक जाकिर नाइक जो युवाओं में कट्टरपंथी भावनाएं भड़काने का काम करता है। उसकी संस्था इस्लामिक रिसर्च फाउडेंशन ने 2011 में राजीव गांधी चैरिटेबुल ट्रस्ट को 50 लाख रुपये चंदे के रूप में दिया था, जिसका खुलासा सिंतबर 2016 में तब हुआ जब जाकिर नाईक के खिलाफ सरकारी एजेंसियां जांच कर रही थीं। जाकिर नाइक की संस्था, इस्लामिक रिसर्च फाउडेंशन, बालिकाओं को पढ़ाने और अस्पताल बनाने के लिए अन्य स्वयंसेवी संस्थाओं की सहायता करती रहती थी। इस संस्था को यह धन इस्लामिक देशों से भारत में इस्लाम धर्म के प्रचार प्रसार के लिए मिलते थे। जैसे ही जनता को इस बात का पता चला, सोनिया गांधी और राहुल गांधी जो राजीव गांधी चैरिटेबल संस्था के संचालक हैं, ने 50 लाख रुपये चुपके से जाकिर नाइक को वापस कर दिए।

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