बिहार के विधानसभा चुनाव में सीएम बनने के मुंगेरीलाल बने तेजस्वी यादव के हसीन सपनों पर खुद उनके अपनों ने ही वज्रपात कर दिया है। बिहार की राजनीति में लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने नया सियासी दांव खेला है। राजद से छह साल के निकाले जाने के बाद तेज प्रताप ने ‘टीम तेज प्रताप’ के बैनर तले पांच पार्टियों-विकास वंचित इंसान पार्टी (VVIP), भोजपुरिया जन मोर्चा, प्रगतिशील जनता पार्टी, वाजिब अधिकार पार्टी और संयुक्त किसान विकास पार्टी के साथ गठबंधन का ऐलान कर दिया है। उनके इस कदम ने बिहार की सियासत में हलचल मचा दी है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विधानसभा चुनाव से पहले ही राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव का कुनबा बिखर गया है। इसका सबसे ज्यादा नुकसान तेजस्वी यादव को ही होने जा रहा है। क्योंकि तेजप्रताप उन्हीं के लिए ‘वोट कटुआ’ साबित होंगे। यही वजह है कि बिहार की सियासत में तेज प्रताप यादव का नया गठबंधन सुर्खियों का केंद्र बन गया है।
पांच दलों के गठजोड़ से तेजस्वी यादव की राजद को होगा नुकसान
दरअसल, तेजप्रताप को पार्टी के निष्कासित करते समय राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को भी इसका अहसास नहीं था कि तेज प्रताप इतने कम समय में ही पूरे दम-खम के साथ उनके खिलाफ ताल ठोंक देंगे। राजद से निष्कासित होने के बाद तेज प्रताप ने ‘टीम तेज प्रताप’ के बैनर तले निषाद नेता प्रदीप निषाद की पार्टी सहित पांच दलों से गठजोड़ किया है। बिहार की सियासत में ये सवाल गूंज रहा है कि तेज प्रताप अपने छोटे भाई और उनकी पार्टी को विधानसभा चुनाव में कितना ज्यादा नुकसान पहुंचाएंगे। इसके साथ ही उनके एक और कदम ने तब खलबली मचा दी जब उन्होंने राजद और कांग्रेस को भी गठबंधन में शामिल होने का न्योता दिया और साथ ही यह भी कह दिया कि, जिसको जो सोचना है सोचे। जानकार कहते हैं कि तेज प्रताप का यह बयान उनके भाई तेजस्वी यादव और राजद के प्रति उनकी नाराजगी को बता रहा है। इससे उनके बीच दरार और बढ़ने वाली है।
बिहार में 14 प्रतिशत निषाद वोट कई विधानसभा सीटों पर निर्णायक
तेज प्रताप ने निषाद नेता प्रदीप निषाद की VVIP पार्टी से गठजोड़ कर निषाद समुदाय को लुभाने की शानदार राजनीतिक कोशिश की है। प्रदीप निषाद पहले मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के साथ थे, लेकिन अब उन्होंने अपनी अलग पार्टी बनाई है। बता दें कि बिहार में निषाद समुदाय की आबादी लगभग 14 प्रतिशत है जो कई सीटों पर निर्णायक भूमिका निभाती है। ऐसे में तेज प्रताप यादव का यह गठबंधन निषाद वोटों को एकजुट करने की अहम रणनीति हो सकती है। तेज प्रताप के इस गठबंधन से मुकेश सहनी की VIP की इस समुदाय में पकड़ कमजोर हो सकती है। तेज प्रताप यादव का मुकेश सहनी पर सियासी हमला करते हुए उन्हें ‘बहरूपिया’ बताया है। तेज प्रताप का यह तंज भी सहनी और तेजस्वी यादव को कमजोर करने की रणनीति का हिस्सा है।‘टीम तेज प्रताप’ और महुआ से चुनाव लड़ने की घोषणा बगावती तेवर
जानकार कहते हैं कि राजद से निष्कासन और परिवार से दूरी ने तेज प्रताप को सियासी तौर पर एक नई पहचान दिलाने का अवसर दिया है। उनकी ‘टीम तेज प्रताप’ और महुआ विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की घोषणा उनके ऐसे ही बगावती तेवर दिखाती है। वे एक ओर गठबंधन के साथ अलग-अलग जाति के वोटों को जोड़ रहे हैं, दो दूसरी ओर तेजस्वी के कोर वोटर में भी सेंध लगाने में लगे हैं। उनकी यह दोहरी राजनीतिक रणनीति राजद और तेजस्वी यादव को मुश्किल में डाल सकती है। राजनीति के जानकार कहते हैं कि दरअसल, तेजस्वी यादव की बौखलाहट यह है कि वे किसी भी रूप में तेज प्रताप को उभरने नहीं देना चाहते। इसीलिए तेज प्रताप की कथित प्रेमिका प्रकरण को इतने जोर-शोर से उठाया गया है।राजद की संगठनात्मक संरचना को तेजप्रताप की सेंध से बचाना चुनौती
तेजस्वी यादव के सामने तेज प्रताप के आने के बाद से सबसे बड़ी चुनौती राजद की संगठनात्मक संरचना को तेज प्रताप की सेंध से बचाना है। राजद सूत्रों का ही कहना है कि पार्टी में कई लोग तेज प्रताप के निष्कासन से खुश नहीं हैं। उनका मानना है कि चुनाव जीतने के लिए तेजस्वी यादव और तेज प्रताप को मिलकर लड़ना चाहिए था। लेकिन अब एक-दूसरे के सामने आने से ज्यादा नुकसान तेजस्वी यादव को ही होगा। क्योंकि तेज प्रताप यादव के पास को खोने के लिए कुछ नहीं है। तेज प्रताप ने जो कुछ भी हासिल किया यह उनकी जीत के रूप में ही देखा जाएगा। इसीलिए तेज प्रताप कथित रूप से राजद के कोर वोट बैंक- यादव, मुस्लिम और पिछड़ा वर्ग में सेंध लगाने के समीकरणों में जुटे हुए हैं।
तेजप्रताप निर्दलीय लड़ें या पार्टी से, नुकसान राजद को ही होगा
राजनीतिक जानकारों के मुताबिक भले ही तेज प्रताप यादव का नया गठबंधन छोटे दलों के साथ है, लेकिन वे उनके बागी तेवरों ने आरजेडी के भीतर टेंशन बढ़ा दी है। अगर तेज प्रताप निर्दलीय या नई पार्टी से चुनाव लड़ते हैं तो वोटों का बंटवारा राजद को नुकसान पहुंचा सकता है। तेज प्रताप ने निषाद नेता प्रदीप निषाद की VVIP पार्टी से गठजोड़ कर निषाद समुदाय को लुभाने की कोशिश की है। प्रदीप निषाद पहले मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के साथ थे, लेकिन अब उन्होंने अपनी अलग पार्टी बनाई है। बता दें कि बिहार में निषाद समुदाय की आबादी लगभग 14 प्रतिशत है जो कई सीटों पर निर्णायक भूमिका निभाती है। तेज प्रताप यादव का यह गठबंधन निषाद वोटों को एकजुट करने की रणनीति हो सकती है।
विक्टिम कार्ड: बिहार और देश जानता है कि मेरे साथ अन्याय हुआ
RJD सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे और हसनपुर विधायक तेजप्रताप यादव ने पटना के होटल में पीसी में अपने खिलाफ विक्टिम कार्ड भी खेला। उन्होंने कहा कि VVIP ही ओरिजिनल पार्टी है। VIP वाला तो बहरूपिया है। बेकार का पार्टी बना कर घूम रहा है। तेजप्रताप ने कहा, ‘बहुत सारी चुनौती है। पूरा बिहार और देश जानता है कि किस तरह से मेरे साथ अन्याय हुआ है। राजद में बैठे कुछ विभीषणों ने ही उनके साथ खेल किया है और चुनाव में वो उनकी पोल खोलकर रहेंगे। हमने महुआ से चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। महुआ के लिए हमने बहुत काम किया है’। ‘मैं आगे बिहार के लिए लड़ाई लड़ूंगा। मेरे दुश्मन बहुत लोग हैं। आपलोगों के चैनल के माध्यम से वो सुनेंगे तब बुरा लगेगा। तेजस्वी मेरा चैनल देख रहे होंगे।
तेजप्रताप ने ताल ठोंककर कहा कि तेजस्वी महुआ से नहीं लड़ेंगे चुनाव
महुआ से तेजस्वी यादव के चुनाव लड़ने वाले सवाल पर तेज प्रताप ने ताल ठोंककर कहा कि तेजस्वी वहां से किसी भी सूरत में कभी भी चुनाव नहीं लड़ेंगे। आप लोग अगर मगर छोड़ दीजिए। तेजप्रताप यादव ने कुछ दिन पहले ही महुआ सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया था। उन्होंने कहा था कि ‘टीम तेज प्रताप एक प्लेटफार्म है, जो चुनाव में युवाओं को समर्थन देगी। जो लड़ना चाहेंगे, उन्हें पूरा सपोर्ट मिलेगा’। तेज प्रताप बोले कि महुआ सीट को अमानत के तौर पर हमने मुकेश रौशन को सौंपा था। उस समय कुछ पॉलिटिकल सिनेरियो बना था, जिस कारण मुझे हसनपुर से लड़ना पड़ा था।मंडल को अब कमंडल ले कर बनारस जाना चाहिए – तेजप्रताप
राजद प्रदेश अध्यक्ष मांगनी लाल मंडल ने कहा कि था कि तेज प्रताप यादव का कोई अस्तित्व नहीं है। तेज प्रताप यादव ने इसका जवाब देते हुए कहा कि वो अपने अस्तित्व की चिंता करें। मांगनी लाल मंडल जी को इस उम्र में कमंडल लेकर बनारस जाना चाहिए। बता दें कि 29 जून 2025 को मुकेश सहनी के पीए और काफी नजदीकी रहे प्रदीप निषाद ने नई पार्टी वीवीआईपी के गठन की घोषणा की थी। प्रदीप निषाद पहले ही कह चुके हैं कि वे 70 फीसदी सीटें मल्लाह समाज के उम्मीदवार को देंगे।
विधानसभा चुनाव से पहले ही लालू यादव का कुनबा आमने-सामने
आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने कुछ माह पहले ही अपने ‘लाल’ से नाता तोड़ लिया था। लालू-राबड़ी के बेटे तेज प्रताप यादव ने अपना रिलेशनशिप वाला शिगुफा क्या छोड़ा, उससे पिता लालू यादव समेत सारी पार्टी ही असहज हो गई। उन्हें लगा कि इससे चुनाव में विरोधियों को अच्छा मौका मिल जाएगा। सत्ता पाने के लालच में आखिरकार लालू प्रसाद यादव को कड़ा फैसला लेना ही पड़ा। तेज प्रताप यादव को पार्टी से परिवार से निकाले जाने की घोषणा करते हुए लालू के जो सोशल मीडिया पोस्ट किया। लालू यादव ने अपने बड़े बेटे तेज प्रताप यादव को पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया। जिसके बाद से ही तेज प्रताप के राजनीतिक भविष्य को लेकर अटकलें तेज हो गई थीं। अब तेज प्रताप ने अलग चुनाव लड़ने के ऐलान और पांच पार्टियों के साथ गठबंधन करके अपने अगले कदम से सबको चौंका दिया है। इस बीच लालू यादव की बहू ऐश्वर्या ने दावा किया कि उनके पति तेज प्रताप यादव को पार्टी से निष्कासित करना आगामी बिहार विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर किया गया एक ‘नाटक’ है। भाजपा और अन्य दलों ने भी लालू के इस कदम को चुनाव के लिए उठाया गया राजनीतिक स्टंट करार दिया। यह तय है कि तेजप्रताप को लेकर लालू-तेजस्वी को विधानसभा चुनाव में नुकसान उठाना पड़ेगा।
पत्नी ऐश्वर्या बोली- बिहार विधानसभा चुनाव के लिए लालू का नाटक
बिहार में इसी साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इसके लिए सभी दलों ने अभी से कमर कस ली है। लेकिन चुनावी तैयारियों से पहले ही लालू यादव के कुनबे में बम फूट गया था। लालू प्रसाद ने अपने बड़े बेटे तेजप्रताप यादव को कथित रूप से ‘गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार’ के कारण छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया और उनके साथ सभी पारिवारिक संबंध भी तोड़ दिए। इस बीच तेज की पत्नी ऐश्वर्या ने संवाददाताओं से बात करते हुए अपने ससुराल वालों पर एक ऐसे व्यक्ति से उनकी शादी कराकर जीवन बर्बाद करने का आरोप लगाया, जिसका व्यवहार ‘असामान्य’ है। ऐश्वर्या ने यह भी जोर देकर कहा, ‘इस परिवार का यह नाटक चुनावों को ध्यान में रखकर किया गया है। मुझे लगता कि ये लोग दरार से ज्यादा दिखावा कर रहे हैं। वे सभी मिले हुए हैं। मुझे यकीन है कि आज नहीं तो कल राबड़ी देवी (ऐश्वर्या की सास) ने तेजप्रताप के आंसू पोंछकर और यह आश्वस्त करके उन्हें सांत्वना देने की कोशिश करेंगी। तेजप्रताप और ऐश्वर्या ने 2018 में शादी की थी, लेकिन बाद में ऐश्वर्या ने शारीरिक और भावनात्मक यातना का आरोप लगाते हुए ससुराल छोड़ दिया।
तेज प्रताप खुद बताया, 12 साल से लड़की के साथ रिलेशनशिप में हैं
दरअसल, लालू यादव के कुनबे में इस सुलगते विवाद को चिंगारी भी खुद तेज प्रताप यादव ने ही दिखाई है। तेज प्रताप के फेसबुक पेज से दो दिन पहले ही घोषणा की गई थी कि वो एक युवती के साथ 12 साल से रिश्ते में हैं। यह पोस्ट तेजी से वायरल होने लगी तो उन्होंने कुछ घंटों बाद ही इस पोस्ट हटा दिया और एक्स प्लेटफार्म पर दावा किया कि उनका फेसबुक पेज हैक हो गया था। जब ऐश्वर्या से इस पोस्ट के बारे में पूछा गया तो उन्होंने नाराजगी जताते हुए कहा, ‘तो, वह (तेजप्रताप) खुद कह रहे हैं कि वह किसी और के साथ रिश्ते में हैं। क्या यह बात उनके परिवार वालों को नहीं पता थी। लालू जी, राबड़ी जी और तेजस्वी जी ने मेरी शादी ऐसे व्यक्ति से क्यों करवाई? मेरी जिंदगी बर्बाद हो गई है।’
तेज प्रताप की हरकतों से पहले भी हुई लालू परिवार की किरकिरी
लालू यादव के इस फैसले को चुनाव से जोड़कर देखने वालों के भी अपने तर्क हैं। तर्क यह भी दिए जा रहे हैं कि पहले भी कई बार तेज प्रताप ने ऐसी हरकतें की हैं, जिनसे पार्टी और लालू परिवार की किरकिरी हुई है। लेकिन कभी कोई सख्त कदम नहीं उठाया गया। उदाहरण होली के समय सिपाही सें ठुमका लगाने की बात से लेकर मुख्यमंत्री आवास के बाहर हंगामा, जगदानंद सिंह के एक फैसले के खिलाफ कोर्ट जाने की धमकी तक के दिए जा रहे हैं। बीजेपी साफ-साफ लालू के फैसले को चुनाव से पहले स्टंट बता रही है। सत्ताधारी एनडीए के सबसे बड़े घटक भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता नितिन नवीन ने लालू यादव के तेज प्रताप यादव को आरजेडी से निकालने के फैसले को पूरी तरह से राजनीतिक स्टंट बताया है।
लालू यादव ने शुरू से ही तेज प्रताप की गलतियों को पनाह दी
कभी तेजस्वी को ‘अर्जुन’ और खुद को ‘कृष्ण’ बताने वाले तेज प्रताप यादव आज राजद और लालू परिवार से निकाल दिए गए। मां के सम्मान के लिए पत्नी को छोड़ने का दावा करने वाले तेज प्रताप यादव को उनके पिता लालू प्रसाद यादव ने ही पार्टी और परिवार से बेदखल कर दिया। बिहार की राजनीति में दशकों से काबिज लालू परिवार में शुरू हुए झंझावत अब किस करवट मुड़ेगा? यह कहना अभी मुश्किल है। लेकिन लालू यादव ने जिस तरह से तेज प्रताप यादव को निकाला है, उससे खुद लालू यादव पर भी सवालिया निशान उठने लगे हैं। ‘लालू के लाल’ तेज प्रताप यादव ने पूर्व में कई ऐसे काम किए, जिसने राजद की मुश्किलें बढ़ाई। लेकिन तब कार्रवाई के बजाए लालू यादव अपने लाल को पनाह देते रहे। जानकारों का कहना है कि लालू परिवार में शुरू से ही तेज प्रताप यादव उस मनमर्जी वाले बच्चे की तरह रहे, जो सामाजिक-राजनीतिक मान-मर्यादाओं को ताक पर रखते हुए केवल अपनी मर्जी के साथ जीना पसंद करता है।
लालू-तेजस्वी विधानसभा से तेज प्रताप की सदस्यता रद्द कराएं
तेज प्रताप यादव को लेकर जेडीयू ने आरजेडी पर हमला बोला है। जेडीयू के प्रवक्ता नीरज कुमार ने तेज प्रताप यादव की सदस्यता रद्द करने की मांग उठाई है। एक बयान में नीरज कुमार ने कहा कि तेज प्रताप यादव लालू प्रसाद यादव के बेटे हैं और अनुशासनहीनता उन्होंने पहली बार नहीं की है। जेडीयू नेता नीरज कुमार ने आगे कहा, “दरोगा प्रसाद राय जो इस राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रहे हैं, जिनका सम्मान है। उनकी पोती ऐश्वर्या राय जो मिरांडा हाउस में पढ़ी, उसके साथ जब जुल्म हो रहा था तो इनका (लालू यादव) ट्वीट खामोश था। आज आई वॉश कर रहे हैं। उन्होंने लालू प्रसाद के बड़े बेटे को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि यदि तेज प्रताप यादव ने गुनाह किया है। आप (लालू) पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, विधानमंडल के नेता तेजस्वी यादव हैं, तो तेजस्वी यादव विधानसभा को लिखें कि तेज प्रताप यादव सदस्यता को निरस्त किया जाए, नहीं तो माना जाएगा कि आप पूरे तौर पर इस मामले में चूहा-बिल्ली का खेल खेल रहे हैं।
चुनाव को देखते हुए मर्यादा और सीमाएं लांघना याद आया- लोजपा
भाजपा नेता दानिश इकबाल ने तेज प्रताप की पत्नी ऐश्वर्या का नाम लिए बिना कहा कि बिहार की एक बेटी का अपमान पूरे लालू परिवार ने किया। लालू यादव ने संस्कार सही दिया होता तो आज ये नौबत नहीं आती। उन्होंने कहा कि परवरिश की कमी साफ झलकती है। वहीं, चिराग पासवान की अगुवाई वाली लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने तंज करते हुए कहा है कि चुनाव को देखते हुए इनको मर्यादा और सीमाएं लांघना याद आ रहा है। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के मुताबिक लालू यादव के घर के अंदर जो राजनीतिक नूरा-कुश्ती चल रही है, ये तेज प्रताप एपिसोड उसका ही परिचायक है। बिहार में एनडीए सरकार की अगुवाई कर रही जनता दल (यूनाइटेड) राजीव रंजन ने कहा है कि ऐश्वर्या के साथ जो महापाप उस परिवार ने किया, उस समय लालू यादव की चेतना क्यों नहीं जाग रही थी? ये शुद्ध अनैतिकता है। उन्होंने कहा कि चुनाव के समय लोगों को गुमराह करने के लिए तेज प्रताप को दिखावे के लिए पार्टी और परिवार से निकालने की बात कही गई है। जेडीयू प्रवक्ता ने यह भी कहा कि देखिएगा, चुनाव के बाद ये परिवार में जैसे थे वैसे ही रहेंगे और पार्टी में भी वैसे ही उनकी वापसी हो जाएगी। उन्होंने कहा कि बेटियों का सम्मान बिहार की संस्कृति रही है और महिलाएं चुनाव में इसका जवाब देंगी।
अब तेज प्रताप यादव के पास चुनावी ऑप्शन क्या है?
इससे पहले जब तेज प्रताप यादव किसी वजह से नाराज होते थे तो उनके पास एनडीए से जुड़ी पार्टियों का ऑप्शन होता था। मगर, इस बार हालात अलग है। लालू यादव ने खुद से उनको पार्टी से बेदखल किया है। इस बार पहले वाले हालात नहीं है। इतना तो साफ हो गया है कि आरजेडी के टिकट पर तेज प्रताप यादव चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। अब तेजप्रताप ने पांच दलों के साथ जुड़कर यह तो ऐलान कर दिया है कि वे चुनाव में अपना पूरा दमखम दिखाएंगे। वे नई पार्टी बनाते हैं या फिर आजाद उम्मीदवार के रूप में चुनावी समर में उतरेंगे, यह अभी सस्पेंस है। अगर, वो निर्दलीय चुनाव लड़े तो हो सकता है कि तेजप्रताप के खिलाफ कोई मजबूत उम्मीदवार चुनाव मैदान में ना उतरे। ताकि आरजेडी की खिलाफत और मजबूती से की जा सके।
चुनाव में तेजप्रताप को अपने इन पांच संगठनों से मिलेगी भरपूर मदद
लालू के लाल तेजप्रताप ने आरजेडी में रहते हुए पिछले करीब आठ साल में जनता के अपनी पैंठ बनाने के लिए की संगठन बनाए हैं। ताकि राजनीति के मैदान में इनका सहयोग लिया जा सके। अब जबकि तेजप्रताप आरजेडी से अलग हो गए हैं तो उनके खुद के बनाए ये संगठन उनके खूब काम आ सकते हैं…
धर्म समर्थक सेवक संघ: 2017 में तेज प्रताप ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का मुकाबला करने के लिए धर्म समर्थक सेवक संघ (DSS) नाम का संगठन बनाया। उन्होंने ट्विटर पर DSS का एक टीजर भी लॉन्च किया था।
यदुवंशी सेना: तेज प्रताप ‘यदुवंशी सेना’ का गठन कर चुके हैं। बिहार में यादव समुदाय की आबादी 12 प्रतिशत है। इसके जरिए उन्होंने यादव समुदाय के युवाओं को अपने साथ जोड़ा था।
तेज सेना: तेज प्रताप यादव ने 28 जून 2019 को ‘तेज सेना’ नाम के संगठन का गठन किया था। तब उन्होंने युवाओं से अपनी सेना में शामिल होने की अपील की थी।
लालू-राबड़ी मोर्चा: अप्रैल 2019 में तेज प्रताप यादव ने राष्ट्रीय जनता दल के कामकाज से नाराज होकार लालू-राबड़ी मोर्चा नाम से समानांतर राजनीतिक संगठन बनाया था। लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी के भीतर आंतरिक दरार के तौर पर देखा गया था।
छात्र जनशक्ति परिषद: तेज प्रताप यादव ने सितंबर 2021 में छात्र जनशक्ति परिषद नाम के एक नए छात्र संगठन की स्थापना की। राजद के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के साथ हुए विवाद के बाद बनाए थे।
बिहार की जनता ही लालू का उत्तराधिकारी तय करेगी – तेजप्रताप
लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे और राष्ट्रीय जनता दल से निष्कासित तेजप्रताप यादव ने चुनावी शंखनाद करते हुए कहा है कि लालू यादव का असली उत्तराधिकारी कौन है ये अब बिहार की जनता तय करेगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि पिता लालू यादव का अंदाज जब मेरे अंदर आता है तो लोग पसंद करते हैं। जो जमीन से जुड़ा रहता है उसके बोल-बोली भी वैसा ही निकलता है। हम जमीन से जुड़े नेता हैं। कभी मीटिंग में जाते हैं, जनसभा करते हैं तो उस तरह का आवाज निकलता है। सब लोग कहते हैं कि आपका ठेठ लालू जी वाला आवाज है, अंदाज है। तेज प्रताप यादव ने आजतक से बातचीत में साफ-साफ कहा कि बिहार चुनाव में किंगमेकर की भूमिका में मैं ही रहूंगा। जैसे उनके पिता लालू यादव किंग मेकर की भूमिका निभाते रहे हैं। तेजप्रताप यादव ने कहा हमारे काम से दुश्मन का सफाया होगा. उन्होंने कहा कि वे कृष्ण के भक्त हैं और जो भी साजिश रचेगा उसे वे तोड़ेंगे और अपना काम करके तोड़ेंगे।
मैं ही हूं सीएम फेस, बिहार को स्कॉटलैंड बना दूंगा- तेजस्वी
दूसरी ओर बिहार विधानसभा चुनावों से पहले तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री पद के लिए अपना स्वयंभू दावा पेश कर रहे है, जिसमें इंडिया गठबंधन की सर्वसहमति भी शामिल नहीं है। तेजस्वी अभी से ख्याली-पुलाव पकाते हुए सरकार बनने पर बिहार को स्कॉटलैंड बनाने का वादा करने लगे हैं। उन्होंने अपने भाई तेजप्रताप यादव को लेकर भी प्रतिक्रिया दी। तेजस्वी यादव ने कहा कि तेजप्रताप यादव ने जो किया, वो मुझे पसंद नहीं है। सीएम फेस को लेकर तेजस्वी यादव से पहले कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार भी बयान दे चुके हैं। विधानसभा चुनाव को लेकर बिहार का सियासी पारा अभी से हाई हो चुका है। तमाम मुद्दों पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच घमासान मचा हुआ है। सीएम फेस का स्वयंभू ऐलान करने से पहले तेजस्वी यादव ने दावा किया कि बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने पर वक्फ अधिनियम को कूड़ेदान में फेंक दिया जाएगा।
राजद फिर पार्टी नहीं प्रॉपर्टी बनी, लालू यादव 13वीं बार अध्यक्ष
उधर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव 13वीं बार राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन लिए गए। एक तरह से उन्होंने राजद को घर की पार्टी ही बना दिया है, जिसमें पार्टीगत लोकतंत्र नाम को कोई चीज नहीं है। उनके चयन की औपचारिक घोषणा आगामी पांच जुलाई को पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में हो गई। पांच जुलाई 1997 को आरडेजी के अस्तित्व में आने के बाद से लालू यादव ही लगातार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे हैं। वे सेहत संबंधी बीमारियों के चलते सार्वजनिक मंचों पर कम ही दिखते हैं और राजनीतिक रूप से उनकी सक्रियता भी काफ़ी कम है, लेकिन अध्यक्ष बनने का लोभ वे अभी भी संवरण नहीं कर पा रहे हैं। जेडीयू प्रवक्ता अंजुम आरा कहती हैं, “लालू प्रसाद यादव सज़ायाफ़्ता हैं और उनको अध्यक्ष बनाना ये साबित करता है कि आरजेडी में संविधान, लोकतांत्रिक मर्यादाएँ मायने नहीं रखती।” वहीं बीजेपी नेता और बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने राजद को “पार्टी नहीं प्रॉपर्टी” की संज्ञा दी है। वो कहते हैं, “ये बार-बार नामांकन की नौटंकी क्यों की जा रही है? जब राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद तो लालू के पास ही रहेगा।”