स्वाति चतुर्वेदी पेशे से पत्रकार हैं। वे अंग्रेजी समाचार पत्र स्टेट्समैन, इंडियन एक्सप्रेस और हिन्दुस्तान टाइम्स में काम कर चुकी हैं। आजकल तमाम बेवसाइटों पर लिखने के साथ-साथ सोशल मीडिया पर भी काफी एक्टिव रहती हैं। सोशल मीडिया पर उनके बयान या लेख उनकी निष्पक्ष पत्रकारिता की पोल खोलते हैं। इस निष्पक्ष पत्रकारिता की आड़ में वे कांग्रेस और राहुल गांधी का खुला समर्थन करती हैं और कांग्रेस के एजेंडे को बढ़ाने का काम करती हैं। उनके सिलसिलेवार बयान और लेख इस तथ्य के साक्षात प्रमाण हैं-
राहुल गांधी का सम्मान और मोदी का अपमान– 28 अक्टूबर को एक ट्वीट में राहुल की हार्दिक, अल्पेश और जिग्नेश से हुई भेंट पर लिखा गया कि राहुल गांधी हज करने गये। इस ट्वीट की प्रतिक्रिया में स्वाति ने लिखा कि यह हद निम्न दर्जे की कट्टरता है।
लेकिन 26 अक्टूबर को प्रधानमंत्री मोदी के उस बयान पर कि उपभोक्ताओं के अधिकारों की बात वेदों में भी कही गई है , कटाक्ष करते हुए प्रतिक्रिया दी कि आधार संख्या का भी उल्लेख वेदों में मिलता है और शायद यह ऋग्वेद की पहली ऋचा रही हो।
कानून व्यवस्था के मुद्दों पर एजेंडा चलाना–
कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी राज्यों की चुनी हुई सरकारों की है, लेकिन कर्नाटक में जहां कांग्रेस की सरकार सत्ता में है, वहां पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या को भगवा आतंकवाद से जोड़कर, कांग्रेस के भगवा आतंकवाद के एजेंडे को हवा देने का प्रयास किया।
आज दो महीने बाद भी कर्नाटक की सरकार उन हत्यारों को कठघरे में खड़ा नहीं कर सकी है, लेकिन स्वाति इस विषय में कोई आवाज उठाते हुए नजर नहीं आ रही हैं। कर्नाटक में कानून-व्यवस्था के मुद्दे को भगवा आतंकवाद का नाम दिया जाता है तो उत्तर प्रदेश में मुस्लिम विरोधी कारनामे के रूप में एजेंडा चलाया जाता है।
बच्चों के मौत पर भी राजनीतिक एजेंडा– देश के अलग-अलग राज्यों में मानसून के दौरान बच्चों की इंफेक्शन के कारण मौतें हुई, जो निसंदेह एक दुःखद घटना है, लेकिन ‘निष्पक्ष’ पत्रकार स्वाति चतुर्वेदी ने गुजरात में 9 बच्चों की हुई मौत और उससे पहले उत्तर प्रदेश में हुई बच्चों की मौतों पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा कि क्या यह योगी मॉडल या गुजरात मॉडल है, जबकि कर्नाटक में जहां कांग्रेस की सरकार है, वहां 90 बच्चों की मौत होती है, लेकिन उस पर किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया या लेख से परहेज कर लिया जाता है।
कांग्रेस के एजेंडे के लिए झूठी तस्वीरों का सहारा लेना– बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में, सितंबर में छात्राओं के धरना-प्रदर्शन के दौरान पुलिस की कार्रवाई को अति रंजित करके पेश करने के लिए, सहारनपुर में हुई मार-पीट में घायल एक लड़की की तस्वीर को, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की तस्वीर बताकर ट्वीट कर दिया, ताकि देश में और अधिक रोष पैदा हो और दुनिया को बताया जाए कि प्रधानमंत्री के निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी में पुलिस हिंसा कर रही है।
विकास के मुद्दे पर भी राजनीतिक एजेंडा- सड़कें विकास का मुख्य पैमाना हैं। हाल ही में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अमेरिका की यात्रा पर गये थे, जहां उन्होंने राज्य की सड़कों की तारीफ की थी। उस पर कांग्रेसी नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कुछ तस्वीरों के साथ एक ट्विट किया, जिस पर स्वाति का ट्वीट था-
लेकिन कर्नाटक की राजधानी बंगलुरु की सड़कों पर 15,935 गड्डों पर आई रिपोर्ट पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
पत्रकार का एक धर्म होता है, जनता के विकास और हक की आवाज को सत्ता के गलियारों तक पहुंचाना, लेकिन जब इस धर्म पर राजनीतिक एजेंडा हावी होता है तो पत्रकारिता की विश्वसनियता और प्रजातंत्र में उसकी उपयोगिता का अंत हो जाता है।