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Congress-Mukt भारत की ओर कदम…राजस्थान के सभी विश्वविद्यालय NSUI से मुक्त, विधानसभा चुनाव से पहले युवाओं ने दिखाया कांग्रेस को आईना, सीएम और मंत्रियों के जिलों में भी करारी हार

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राजस्थान में अगले साल विधानसभा चुनाव से पहले युवाओं ने गहलोत सरकार और कांग्रेस संगठन के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। प्रदेश की 14 यूनिवर्सिटी के छात्र संघ के चुनाव परिणाम में एक भी जगह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की छात्र शाखा (एनएसयूआई) अध्यक्ष का चुनाव नहीं जीत पाई। इसमें जयपुर, जोधपुर, बीकानेर, अलवर, अजमेर, भरतपुर, सीकर, उदयपुर, कोटा और बांसवाड़ा की ट्राइबल यूनिवर्सिटी शामिल है। कांग्रेस की छात्र इकाई का इतनी बुरी तरह सूपड़ासाफ हुआ है कि मुख्यमंत्री गहलोत से लेकर कई वरिष्ठ मंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष तक सारी कोशिशों के बावजूद अपने जिलों तक में एनएसयूआई को नहीं जिता पाए हैं।सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार को जनता कैसे सबक सिखाएगी, इसकी झलक युवाओं ने दिखा दी
राजस्थान में वैसे ही पिछले कुछ विधानसभा चुनावों से परिपाटी सत्तारूढ़ पार्टी को सबक सिखाने की रही है। सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार को जनता कैसे सबक सिखाएगी, इसकी बड़ी झलक राज्य के युवाओं ने तो दे दी है। युवाओं ने प्रदेश के छात्र संघ चुनाव में एबीवीपी का झंडा बुलंद किया और एनएसयूआई को खाता तक नहीं खोलने दिया। सीएम गहलोत और कांग्रेस के लिए खतरा इसलिए भी है कि राज्य में 28 साल तक के 1.28 करोड़ मतदाता है। वर्तमान में प्रदेश में कुल मतदाता 5.09 करोड़ हैं। यानी एक चौथाई वोटर 28 साल तक के हैं। प्रदेश में भले ही प्रत्यक्ष-परोक्ष रूप से करीब पांच लाख युवा वोटरों ने कालेज-विश्वविद्यालयों की सरकारें चुनी हैं, लेकिन युवाओं के कांग्रेस विरोधी रुझान ने बता दिया है कि आने वाला साल कांग्रेस सरकार के लिए खतरे की घंटी साबित होगा।

छात्र संघ चुनाव में भी दिखा गहलोत वर्सेज पायलट, मंत्री की बेटी एनएसयूआई प्रत्याशी के खिलाफ
राज्य के छात्र संघ चुनाव को कांग्रेस की राजनीति के अगल करके इसलिए भी नहीं देख सकते, क्योंकि इन चुनावों में सीएम, सीएम पुत्र वैभव, सरकार के मंत्रियों और कांग्रेस के पदाधिकारियों ने एनएसयूआई प्रत्याशियों को जिताने की हरचंद कोशिशें की थीं। गहलोत वर्सेज पायलट की तनातनी तक इन चुनावों में नजर आई, जिसका खामियाजा भी कांग्रेस से भुगता। दरअसल, राजस्थान विश्वविद्यालय से राज्य के मंत्री मुरारी मीणा की बेटी निहारिका चुनाव लड़ना चाहती थीं। लेकिन मुरारी मीणा को पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट का करीबी माना जाता है। इसलिए निहारिका को एनएसयूआई द्वारा टिकट नहीं दिया गया। इसके विरोध में निहारिका एनएसयूआई के उम्मीदवार के खिलाफ निर्दलीय के रूप में चुनाव मैदान में उतर गईं। कांटे की टक्कर में निर्दलीय निर्मल चौधरी ने मंत्री मुरारीलाल मीणा की बेटी निहारिका जोरवाल को 1465 वोट से हराया। लेकिन निहारिका NSUI की उम्मीदवार रितु बराला को तीसरे स्थान पर धकेलने में सफल रहीं।

CM, मंत्रियों के जिलों में भी सूपड़ासाफ, NSUI की हार कांग्रेस के लिए साफ इशारा
राजस्थान के कॉलेज-यूनिवर्सिटीज के छात्रों ने चुनाव से ठीक साल भर पहले अपना रुझान दे दिया है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से लेकर सभी बड़े मंत्रियों के इलाकों में कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई को करारी हार का सामना करना पड़ा है। गहलोत के गृह क्षेत्र की जयनारायण व्यास यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में एनएसयूआई हार गई है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के गृह जिले सीकर में शेखावटी यूनिवर्सिटी और एसके कॉलेज में एनएसयूआई बुरी तरह हारी है। छात्रसंघ चुनावों के रिजल्ट में सत्ताधारी पार्टी और विपक्ष दोनों के लिए चेतावनी के संकेत हैं। सबसे ज्यादा चिंता कांग्रेस के लिए मानी जा रही है।

सीएम के पुत्र वैभव गहलोत और एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष का प्रचार भी काम न आया
राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस के छात्र संगठन की हार ने बीजेपी को पर्सेप्शन के मोर्चे पर अपर हैंड दे दिया है। विधानसभा चुनावों के समीकरण, मुद्दे और वोटिंग पैटर्न भले ही इन चुनावों से पूरी तरह अलग होते हैं, लेकिन छात्रसंघ चुनावों के नतीजों को सरकार के कामकाज से जोडते हुए कांग्रेस की विफलता से तो जोड़ा ही जाएगा। क्योंकि एनएसयूआई की यह हालत तब है, जब कांग्रेस के कई विधायक और मंत्री पर्दे के पीछे से एक्टिव थे। जोधपुर में अशोक गहलोत के बेटे और आरएसीए अध्यक्ष वैभव गहलोत ने कैम्पस में जाकर प्रचार किया, लेकिन एनएसयूआई की करारी हार हुई। मुख्यमंत्री के गृह क्षेत्र में एनएसयूआई हार गई। एनएसयूआई प्रदेशाध्यक्ष अभिषेक चौधरी भी जोधपुर जिले के हैं, लेकिन वे भी एनएसयूआई प्रत्याशी को नहीं जिता सके।

भरतपुर, कोटा, बांसवाड़ा और बीकानेर के विश्वविद्यालयों में सरकार के मंत्री भी जीत नहीं दिला पाए
भरतपुर जिले से विश्वेंद्र सिंह, भजनलाल जाटव, जाहिदा और सुभाष गर्ग मंत्री हैं, लेकिन वे भी कोई कमाल नहीं दिखा सके। चार मंत्रियों और दो बोर्ड चेयरमैन वाले जिले भरतपुर में महाराजा सूरजमल यूनिवर्सिटी में एबीवीपी जीत गई। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल के क्षेत्र कोटा में कोटा यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में एनएसयूआई को हार का सामना करना पड़ा है। बांसवाड़ा जिले से महेंद्रजीत सिंह मालवीय और अर्जुन बामणिया मंत्री हैं। वहां भी एनएसयूआई हारी है। मंत्री बीडी कल्ला और मंत्री भंवर सिंह भाटी के जिले बीकानेर में महाराजा गंगा सिंह यूनिवर्सिटी और वेटरिनरी यूनिवर्सिटी में एनएसयूआई हार गई है।आदिवासी क्षेत्रों में भी हारे, यूथ कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष के इलाके में बीटीपी छात्र संगठन की जीत
आदिवासी इलाके डूंगरपुर, बांसवाड़ा में एनएसयूआई को करारी हार का सामना करना पड़ा है। यूथ कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गणेश घोघरा के निर्वाचन क्षेत्र डूंगरपुर से लेकर पूरे जिले के चारों कॉलेजों में बीटीपी के छात्र संगठन की जीत हुई है। बांसवाड़ा में गोविंद गुरु यूनिवर्सिटी और कॉलेजो में एबीवीपी ने कांग्रेस को हराया है। आदिवासी क्षेत्र में इन नतीजों ने इस इलाके के युवाओं का रुझान साफ कर दिया है।

यूथ वोटर्स बहुत वायब्रेंट और ट्रेंडसेटर, उनका जिधर रुझान, सत्ता उसी के हाथ आएगी
विधानसभा चुनावों में यूथ वोटर्स बहुत वायब्रेंट और ट्रेंडसेटर माने जाते हैं। पिछले कुछ चुनावों में यूथ वोटर्स ने सरकारें बदलने में बड़ी भूमिका निभाई है। छात्रसंघ चुनावों के नतीजों ने दोनों पार्टियों को भविष्य के लिए कई संकेत दिए हैं। यह साफ हो गया है कि यूथ वोटर्स को वही अपनी तरफ कर पाया, जिसका ग्राउंड कनेक्ट मजूबत होगा। यूथ आम तौर पर सत्ता विरोधी रुझान का माना जाता है, यह ट्रेंड किधर भी मुड़ सकता है। बड़े नेताओं के इलाकों में कांग्रेस के छात्र संगठन की हार ने यूथ के रुझान को जाहिर कर दिया है। ऐसे में कांग्रेस के कर्ताधर्ता युवाओं को मनाने की तिकड़म में लग सकते हैं।

 

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