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सपा नेता बाज नहीं आ रहे सनातन विरोधी करतूतों से, अब विधायक सरोज बोले- देवी-देवताओं के मंदिर शक्तिहीन, गौरी और गजनवी से देश को नहीं बचा पाए

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अहंकार में डूबे समाजवादी पार्टी के नेता अभी तक तो रामचरितमानस को बकवास ग्रंथ बताते थे, अब वे सीधे-सीधे सर्वशक्ति भगवान को ही चैलेंज, उन्हें शक्तिहीन बताने जैसे स्तर तक नीचे गिर रहे हैं। इन नेताओं के सुप्रीमो अखिलेश यादव रात के अंधेरे में ही सही, लेकिन कुंभ स्नान तो कर आते हैं, लेकिन अपने नेताओं की सनातन विरोधी बातों पर अंकुश लगाने के बजाए अपरोक्ष रूप से उनका समर्थन ही करते दिखते हैं। अभी सपा सांसद और विधायक की टिप्पणियों पर मचा बवाल ठंडा भी नहीं पड़ा है कि समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता और मंझनपुर से विधायक इंद्रजीत सरोज ने मंदिरों की भूमिका और भगवान की शक्ति पर सवाल खड़ा करके नया बवाल मचा दिया है। सरोज ने कौशांबी के एक कार्यक्रम में कहा कि अगर भारत के मंदिर शक्तिहीन हैं। क्योंकि अगर उनमें ताकत होती तो मोहम्मद गोरी और महमूद गजनवी भारत पर हमला नहीं कर पाते।

अगर मंदिरों में शक्ति होती तो ना आते गजनवी और गोरी
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और मंझनपुर सीट से विधायक इंद्रजीत सरोज का एक विवादित बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। आंबेडकर जयंती पर आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि भारत के मंदिरों को शक्तिहीन बताया। इंद्रजीत सरोज ने कहा, अगर भारत के मंदिरों में ताकत होती तो मोहम्मद गोरी व महमूद गजनवी ना आया होता और इस देश को लूटने का काम ना किया होता। उन्होंने तंज करते हुए कहा कि अगर ताकत है तो सिर्फ जनता के मंदिर में। जहां बाबा अपना मंदिर छोड़कर जनता के मंदिर पर विराजमान हैं।

सनातन का विरोध करने वाला सरोज का वीडियो वायरल
सपा के मंझनपुर सीट से विधायक इंद्रजीत सरोज ने अपने तीन मिनट 15 सेकेंड के वीडियो में कहा कि जब रामायण, महाभारत, गीता और रामचरितमानस की रचना की गई, उस समय भारत में शूद्रों को पढ़ने का अधिकार नहीं था। अगर आप पढ़ने की कोशिश करते तो आंखें फोड़ दी जाती। अगर आप सुनने की कोशिश करते तो शीसा पिघलाकर कान में डाल दिया जाता। अगर आप जीभ से उच्चारण करते तो जीभ काट ली जाती। यह व्यवस्था थी भारत में थी। उन्होंने यह भी कहा कि पूर्व के काल में शूद्रों को सार्वजनिक रास्तों में चलने की इजाजत नहीं थी। जो चलता था उसे गले में हंड़िया बांधना पड़ता था। उसी में थूकना पड़ता था। यह अगर किस्सा कहानी लग रही हो तो अभी एक पिक्चर जारी हुई है, महात्मा ज्योतिबा राव फूले की, उसे देख लेना। यही सारी व्यवस्थाओं के बारे में उसमें दिखाया गया है।

विधायक सरोज ने तुलसीदासजी के बारे में भी अभद्र टिप्पणी की
विधायक इंद्रजीत सरोज ने प्राचीन ग्रंथों में कथित जाति-आधारित भेदभाव के बारे में टिप्पणी करके विवाद खड़ा कर दिया है। इंद्रजीत सरोज ने तुलसीदास पर भी हमला किया और कहा कि तथाकथित ‘नकली हिंदुओं’ के खिलाफ इतना कुछ लिखा, लेकिन मुसलमानों के बारे में उन्होंने कुछ अच्छा या बुरा क्यों नहीं लिखा? उन्हें ऐसा करना चाहिए था। मुगल काल में उनमें हिम्मत नहीं थी। हमारे लिए उन्होंने बहुत सारी नकारात्मक बातें लिखीं और हम उन्हें पढ़ते रहते हैं। आंबेडकर जयंती पर समाजवादी पार्टी की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए सरोज ने मंदिरों की आध्यात्मिक शक्ति पर सवाल उठाया और आक्रमणकारियों के खिलाफ उनकी कथित कमजोर ताकत को इससे जोड़ा। उन्होंने कहा कि अगर भारत के मंदिरों में शक्ति होती, तो मुहम्मद-बिन-कासिम नहीं आता, महमूद गजनवी नहीं आता, मुहम्मद गौरी आकर इस देश को नहीं लूटता। इसका मतलब है कि मंदिरों में कोई शक्ति नहीं थी।

सपा नेता मौर्य ने भी रामचरितमानस को बताया था बकवास ग्रंथ
इससे पहले समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी रामचरितमानस के पवित्र ग्रंथ को बकवास बताते हुए कहा था कि सरकार को इस पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि रामचरितमानस में दलितों और महिलाओं का अपमान किया गया है। तुलसीदास ने ग्रंथ को अपनी खुशी के लिए लिखा था। करोड़ों लोग इसे नहीं पढ़ते। रामचरितमानस पर बिहार के मंत्री की आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने बयान देकर विवाद को बढ़ाया था। सपा नेता ने कहा, रामचरितमानस में दलितों और महिलाओं का अपमान किया गया है। लाखों-करोड़ों लोगों ने कभी रामचरितमानस को नहीं पढ़ा है। इस ग्रंथ को बकवास बताते हुए कहा कि सरकार को इस पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए।

Lucknow: Uttar Pradesh Chief Minister and Samajwadi Party President Akhilesh Yadav and Congress Vice President Rahul Gandhi during their road show in Lucknow on Sunday. PTI Photo by Nand Kumar(PTI1_29_2017_000257A)

सपा और कांग्रेस कर रहे चोर-चोर मौसेरे भाई की कहावत चरितार्थ
सपा और कांग्रेस इस मामले में चोर-चोर मौसेरे भाई की कहावत चरितार्थ कर रहे हैं। सपा नेता इंद्रजीत सरोज के बयान का इंडी गठबंधन में सहयोगी कांग्रेस के एक नेता विजय वडेट्टीवार ने बचाव किया है। उन्होंने कहा, ‘यह भी सच है कि अगर भगवान को राजनीति में लाया जाएगा तो वह मंदिरों में भी नहीं रहेंगे। आजकल भगवान को राजनीति में लाया जा रहा है। भगवान का स्थान मंदिरों से ज्यादा दिलों में होना चाहिए। उन्हें लोगों की आस्था में होना चाहिए, अब इसके साथ भी खिलवाड़ हो रहा है, फिर मंदिरों में भगवान कैसे मिलेंगे। विजय वडेट्टीवार ने कहा, ‘मुझे समझ नहीं आता कि इंद्रजीत सरोज का क्या इरादा था। मैं भगवान की शक्तियों पर टिप्पणी नहीं करूंगा, लेकिन उनका नाम लेकर भ्रष्ट राजनीति करना भगवान की शक्तियों को कमजोर करने और अपनी शक्तियों को बढ़ाने का प्रयास है, यही आजकल राजनीति में हो रहा है।

देवी-देवताओं ने श्राप देकर आक्रांताओं को भस्म क्यों नहीं किया
समाजवादी पार्टी के सांसद रामजीलाल सुमन के बाद अब सपा राष्ट्रीय महासचिव इंद्रजीत सरोज ने हिन्दू-देवी देवताओं और मंदिरों को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की है जिसके बाद सियासत गरमा गई है। सपा नेता ने कहा कि जब मुस्लिम आक्रांता यहां लूटपाट कर रहे थे हमारे देवी-देवता क्या करते रहे, वो उन्हें श्राप दे सकते हैं। उनको भस्म कर सकते थे। लेकिन नहीं किया, इसका मतलब है कि उनमें कुछ कमी है। हमारे देवी देवता उतने ताकतवर नहीं थे। सपा नेता यही नहीं रुके, सपा महासचिव ने कहा कि “जब मोहम्मद बिन तुगलक इस देश में आया, विदेशी आक्रांता थे वो अरब से चलकर आए थे और लूट कर चले गए, महमूद गजनबी अफगानिस्तान से आया और सोमनाथ मंदिर में 17 बार लूटकर चला गया। पहला मुस्लिम शासक मोहम्मद गौरी था तो यहां के देवी-देवता या भगवान क्या करते रहे। उन्हें श्राप दे देना चाहिए था। मुसलमान अंधे हो जाते..भस्म हो जाते। लूले लंगड़े हो जाते अपाहिज हो जाते।

अखिलेश यादव के इशारे पर अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल- भाजपा
इंद्रजीत सरोज के इस बयान पर भाजपा की भी तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है। बीजेपी प्रवक्ता मनीष शुक्ल ने पलटवार करते हुए कहा कि हिन्दुओं की आस्था केंद्र, उनके देवी-देवताओं, गोस्वामी तुलसीदास और जातिगत आधार पर जो गाली इंद्रजीत सरोज ने दी है, जिस अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया है वो अखिलेश यादव के इशारे पर किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इसी तरह की भड़काऊ बयानबाजी करके मुर्शिदाबाद में हिन्दुओं की हत्या कराई गई है। ये केवल ममता बनर्जी का ही दोष नहीं है बल्कि ओवैसी-अखिलेश जैसे लोग भी उसमें शामिल हैं। माहौल का विषाक्त करने का प्रयास अखिलेश यादव कर रहे हैं। हिन्दुओं को जातिगत आधार पर बांटने के लिए ऐसा करवा रहे हैं। अखिलेश के परिवार में पांच सांसद हैं, उनसे इस तरह की भाषा प्रयोग क्यों नहीं कराया जा रहा है। ये अखिलेश यादव साजिश कर रहे हैं।

चुनाव हार कर दलबदलू हुए सपा विधायक इंद्रजीत सरोज
सपा विधायक इंद्रजीत सरोज ने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया और राजनीति में सक्रिय हो गए। अब विवादास्‍पद बयान के बाद इंद्रजीत सरोज सुर्खियों में आ गए हैं। इंद्रजीत सरोज का जन्‍म 1 जनवरी 1963 को कौशांबी के नगरेहा खुर्द गांव पश्‍चिम शरीरा में हुआ। उस समय यह अलग जिला न होकर इलाहाबाद जिले में ही आता था। 1985 में इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन कर यहीं पर वह सामाजिक व राजनीतिक रूप से सक्रिय हो गए। सरोज ने बहुजन समाज पार्टी ज्‍वाइन की। वे बसपा से विधानसभा चुनाव लड़कर मंत्री भी रहे। 2017 के चुनाव में इंद्रजीत सरोज को मंझनपुर सीट पर हार का सामना करना पड़ा। बीजेपी के लाल बहादुर ने उन्हें 4,160 वोटों से हराया। 2017 का चुनाव हारने के बाद इंद्रजीत सरोज ने बसपा सुप्रीमो मायावती से मतभेद होने पर 2018 में बसपा छोड़ दी और समाजवादी का दामन थाम लिया। उन्होंने 2019 में कौशांबी लोकसभा सीट से सपा के टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन बीजेपी के विनोद सोनकर से करीब 38,000 वोटों से हार गए। 2022 में वह एक बार फ‍िर सपा के टिकट पर मंझनपुर से विधायक बने और अब विधानसभा में सपा के उप नेता हैं।

अब इतिहास की बातों के कन्नी काटने लगे अखिलेश यादव
उत्तर प्रदेश की मुख्य विपक्षी समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद रामजी लाल सुमन भी पिछले दिनों चर्चाओं में बने रहे। राणा सांगा को लेकर दिए गए बयान की वजह से उनकी खूब आलोचना हो रही है। करणी सेना से लेकर क्षत्रिय समाज समेत ने संगठनों ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। इन्हीं सब विवाद के बीच सपा मुखिया अखिलेश यादव का बड़ा बयान आ गया है। अखिलेश यादव ने पार्टी के नेताओं को इतिहास की बात ना करने की सलाह दी है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पार्टी के नेताओं को नसीहत देते हुए कहा कि मैं पार्टी से यही कहूंगा कि कोई भी सवाल इतिहास से जुड़ा न किया जाए। क्योंकि इतिहास में हर तरह की बातें होती हैं। अखिलेश यादव ने कहा कि अभी सुनने में आ रहा है कि लोग इतिहास के पन्ने पलट रहे हैं।

पहले समाजवादी पार्टी के नेता अबू आजमी ने औरंगजेब को बनाया था हीरो 

ब्लॉकबस्टर फिल्म ‘छावा’ में औरंगजेब के किरदार से ज्यादा सुर्खियों में विपक्ष ने असली औरंगजेब को ला दिया है। जिस औरंगजेब के लिए उसके पिता शाहजहां ने कहा था कि खुदा ऐसा बेटा किसी को ना दे…उसी की शान में समाजवादी पार्टी और विपक्ष के नेता कसीदे पढ़ रहे हैं। औरंगजेब को हीरो बनाने वाले समाजवादी पार्टी के नेता अबू आजमी अपने बयान से मुकरने के बाद भी माफी ना मांगने की जिद पर अड़े हैं। इतना बवाल मचने के बाद भी वे औरंगजेब को सही ठहराने पर उतारू हैं और उसका समर्थन सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव करने में लगे हैं। इस विरोध के बीच सूप तो सूप, चलनी भी बोलने लगी है। शायर मुनव्वर राणा के बेटे तबरेज राणा ने कहा कि औरंगजेब को जिस हिसाब से पोर्ट्रे किया जा रहा है, वो वैसे नहीं थे। मैंने अपने वालिद से सुना और पुरानी किताबों में काफी पढ़ा है। औरंगजेब बुरे नहीं थे। उनके विपरीत चीजें दिखाई जा रही हैं। औरंगजेब को लेकर विपक्ष की इस घटिया वकालत का भाजपा नेताओं ने करारा जवाब दिया है। योगी आदित्यनाथ ने अबू आजमी का इलाज तक करने की बात कही है।

राहुल की औरंगजेब से तुलना पर भड़क गए सपा विधायक
महाराष्ट्र के सपा विधायक अबू आजमी विधानसभा से बाहर निकल रहे थे तो चलते-चलते एक रिपोर्टर ने सवाल किया कि असम के मुख्यमंत्री ने राहुल गांधी की तुलना औरंगजेब से की है। अबू आजमी ने जवाब दिया, ‘मैं औरंगजेब को क्रूर शासक नहीं मानता। जो लोग दावा कर रहे हैं कि छत्रपति संभाजी महाराज और औरंगजेब के बीच हिंदू-मुसलमान की लड़ाई थी, वे झूठ बोल रहे हैं।’ आजमी ने यह भी कहा कि ‘हमें गलत इतिहास दिखाया जा रहा है। औरंगजेब ने कई मंदिर बनवाए हैं। छत्रपति संभाजी महाराज और औरंगजेब के बीच धार्मिक नहीं, बल्कि सत्ता और संपत्ति के लिए लड़ाई थी। अगर कोई कहता है कि यह लड़ाई हिंदू और मुसलमान को लेकर थी, तो मैं इस पर विश्वास नहीं करता।’ आजमी के बयान पर बवाल मचा और उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई तो अगले ही दिन अबू को कहना पड़ा, ‘मेरे शब्दों को तोड़-मरोड़ कर दिखाया गया है। फिर भी मेरी बात से कोई आहत हुआ है तो मैं अपने शब्द वापस लेता हूं। मैंने छत्रपति शिवाजी महाराज, संभाजी महाराज या किसी भी महापुरुष के बारे में कोई अपमानजनक टिप्पणी नहीं की है।’

औरंगजेब की तारीफ कर कौन सी गलती की, जो माफी मांगू
सपा नेता के इस बयान से उठा विवाद महाराष्ट्र से लेकर उत्तर प्रदेश की विधानसभा तक गूंजा। अबू आजमी को धमकियां मिलने लगीं, महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे ने उन पर देशद्रोह का केस चलाने की मांग की। उत्तर प्रदेश से सीएम योगी आदित्यनाथ ने पलटवार करते हुए कहा कि अबू आजमी जैसे लोगों का इलाज यूपी में होगा। अबू आजमी ने अपना बयान तो वापस ले लिया, लेकिन औरंगजेब को हीरो बनाने पर माफी मांगने के बारे में जब उससे मीडिया ने पूछा तो उसके साफ जवाब दिया, ‘मैंने कौन सी गलती की है, मैं माफी क्यों मांगू।’ मैं आज भी इतिहास की इस बात पर कायम हूं कि औरंगजेब सेक्युलर था। उनके प्रशासन में 34% हिंदू थे। उम्मीद नहीं थी कि इसको इतना तूल दे दिया जाएगा। लोग मुझे गाली दे रहे हैं, मुझे विधानसभा से सस्पेंड कर दिया गया। मुझे फोन करके धमकियां दी जा रही हैं। इसलिए मैंने कहा कि मैं अपनी बात वापस लेता हूं। लेकिन मैंने माफी नहीं मांगी है।

यूपी से पहले इलाज को महाराष्ट्र सरकार ने ही कर दिया
महाराष्ट्र की राजनीति और संभाजी राजे को लेकर जैसी पवित्र भावना है, उसे हर कोई जानता है। इसके बावजूद औरंगजेब की तारीफ करना आ बैल मुझे मार वाली कहावत को ही चरितार्थ करना है। मीडिया ने जब अबू आजमी से यह पूछा कि योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अबू आजमी UP आएं, तो हम उनका इलाज कर देंगे। इस पर क्या कहेंगे? अबू आजमी ने कहा कि कौन सी ऐसी बात कह दी कि वो हमारा इलाज कर देंगे। यहां पर भी उन्हीं की सरकार है। इलाज तो इन्होंने मेरा यहीं पर कर ही दिया है। विधानसभा सत्र से सस्पेंड कर दिया। मेरे खिलाफ FIR दर्ज कर दी। सदन में डिप्टी चीफ मिनिस्टर कहते हैं कि मैं आतंकवादी हूं।

योगी बोले- शाहजहां ने कहा था औरंगजेब जैसा बेटा पैदा न हो
उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा ये लोग (सपा) औरंगजेब को अपना आदर्श मान रहे हैं। उसे अपना हीरो बता रहे हैं। उसका पिता शाहजहां अपनी जीवनी में लिखता है- खुदा करे कि ऐसा कमबख्त किसी को पैदा न हो। उसने शाहजहां को आगरा के किले में कैद कर रखा था। एक-एक बूंद पानी के लिए तरसाया। जिसका आचरण औरंगजेब जैसा है, वही उस पर गौरव की अनुभूति करेगा। ये लोग भारत की आस्था पर प्रहार करने वाले क्रूर शासक औरंगजेब को अपना आदर्श मानते हैं। कोई मुसलमान भी अपने बेटे का नाम औरंगजेब नहीं रखता। भारत की आस्था को रौंदने वाले का महिमामंडन करने वाले सदस्य को सपा को बाहर निकाल देना चाहिए। उसे (अबू आजमी) यहां बुलाइए। उत्तर प्रदेश ऐसे लोगों का उपचार करने में देर नहीं करता।

अखिलेश ने आजमी का बचाव किया, निलंबन से सच पर लगाम नहीं
सपा विधायक के मन में औरंगजेब की महिमामंडन करने का साहस इसलिए पैदा हुआ, क्योंकि सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव का समर्थन उसको मिला है। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एक्स पर लिखा….जब आपन कुर्सी हिले तभए मन का आपा खोए…ऊ का औरन के इलाज करे जो खुदए बीमार होए। वहीं महाराष्ट्र विधानसभा से अबू आजमी के निलंबन पर अखिलेश ने लिखा- निलंबन का आधार यदि विचारधारा से प्रभावित होने लगेगा तो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और परतंत्रता में क्या अंतर रह जाएगा। हमारे विधायक हों या सांसद उनकी बेखौफ दानिशमंदी बेमिसाल है। कुछ लोग अगर सोचते हैं कि ‘निलंबन’ से सच की ज़ुबान पर कोई लगाम लगा सकता है तो फिर ये उनकी नकारात्मक सोच का बचपना है।

तरबेज बोले, औरंगजेब इतना बुरा नहीं, शान में पढ़े कसीदे
औरंगजेब का मामला ज्यों-ज्यों तूल पकड़ता जा रहा है, कई बयान आने लगे हैं। एक ओर देश के अलग-अलग हिस्सों में अबू आजमी द्वारा दिए गए बयान के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं। पुतले जलाए जा रहे हैं। वहीं, औरंगजेब के चंद हितैषी इस पर समर्थन भी कर रहे हैं। अब इस मामले में शायर मुनव्वर राणा के बेटे तबरेज राणा का बयान आया है। उन्होंने टीवी 9 भारतवर्ष से बात करते हुए कहा कि आधा सच पूरे झूठ से ज्यादा खतरनाक होता है। उनका कहना है कि औरंगजेब को जैसे दिखाया जा रहा है, वो इतना बुरा नहीं था। औरंगजेब पूरी तरह से गलत या बुरा था, वो इस बात का विरोध करते हैं। इसके बाद उन्होंने औरंगजेब की तारीफ में कसीदे पढ़े।

औरंगजेब पर मनगढ़ंत कहानी बनाकर अबू आजमी को विलेन बनाया
तबरेज राणा ने कहा कि औरंगजेब को जिस हिसाब से पोर्ट्रे किया जा रहा है, वो वैसे नहीं थे। मैंने अपने वालिद से सुना और पुरानी किताबों में काफी पढ़ा है, औरंगजेब बुरे नहीं थे। इसके विपरीत चीजें दिखाई जा रही हैं। तबरेज ने अनर्गल दावा किया औरंगजेब ने सिर्फ एक मंदिर तोड़ा है, वो भी इसलिए क्योंकि वहां गलत काम हो रहा था। औरंगजेब को इस मामले में जानकारी दी गई, इसलिए उसने वो मंदिर तुड़वाया। अपनी बात का समर्थन करते हुए तबरेज ने कहा कि उसके समय में मस्जिद भी तुड़वाई गई, पर इसका जिक्र किसी किताब में नहीं है। औरंगजेब हिंदुस्तानी थे, यहीं पैदा हुए और यहीं मरे हैं। मनगढ़ंत कहानी फैलाई जा रही है। मेरे पास किताबें हैं, ऐसी किताबें जिसमें सब सच लिखा है। जब अबू आजमी की सजा को लेकर उनसे सवाल किया गया तो वो बोले कि अबू आजमी साहब को विलेन बना दिया गया है। सजा का तो अदालत फैसला लेगी, लेकिन उन्हें विलेन बना दिया गया है। हम दबी कुचली कौम हैं, सिर्फ हमारे बयान सुनाई दे रहे हैं, दूसरे इतना कुछ कह देते हैं, किसी को दिक्कत नहीं होती।

औरंगजेब पर बयान के बाद क्या-क्या हुआ

  • अबू आजमी पूरे बजट सत्र के लिए सस्पेंड – औरंगजेब की तारीफ करने पर अबू आजमी को पूरे बजट सत्र के लिए सस्पेंड कर दिया गया। महाराष्ट्र का बजट सत्र 3 मार्च को शुरू हुआ और 26 मार्च को खत्म होगा। संसदीय कार्य मंत्री चंद्रकांत पाटील ने सदन में प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि आजमी की टिप्पणी से सदन की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची है। इसलिए उनकी सदस्यता को बजट सत्र के लिए निलंबित करने का प्रस्ताव रखा गया है। विधानसभा अध्यक्ष ने प्रस्ताव को सदन में पारित कर दिया।
  • मुंबई में केस दर्ज, तीन दिन थाने में पेश होना होगा – अबू आजमी के खिलाफ मुंबई के मरीन ड्राइव पुलिस स्टेशन में केस दर्ज किया गया। FIR में कहा गया है कि आजमी ने कहा भारत में सरकार चला रही पार्टी देश में मुसलमानों को खत्म करना चाहती है। इसलिए वे हिंदू और मुस्लिम धर्म के लोगों के बीच तनाव पैदा कर रहे हैं।’ FIR कराने वाले शिवसेना कार्यकर्ता किरण नकटी ने आरोप लगाया है कि आज़मी ने हिंदू समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाई और BJP को भी बदनाम किया है। इस केस में अबू आजमी को अग्रिम जमानत मिल गई है।

  • औरंगजेब की कब्र ढहाने की मांग, फडणवीस बोले- हम सब यही चाहते हैं छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशज और सातारा से BJP सांसद उदयनराजे भोंसले ने मांग की थी कि औरंगजेब की कब्र को ढहा दिया जाए। उन्होंने कहा कि एक JCB मशीन भेजकर कब्र को गिरा दो, वो एक चोर और लुटेरा था। औरंगजेब की कब्र पर जाकर श्रद्धांजलि देने वाले लोग उसका भविष्य हो सकते हैं। उन्हें उस कब्र को अपने घर ले जाना चाहिए, लेकिन औरंगजेब का महिमामंडन अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
  • औरंगजेब की कब्र छत्रपति संभाजीनगर जिले के खुल्दाबाद में है। 89 साल की उम्र में 3 मार्च, 1707 को औरंगजेब की मौत हो गई थी। औरंगजेब को दौलताबाद के पास खुल्दाबाद में सूफी संत शेख जैन-उद-दीन की कब्र के बगल में दफनाया गया था।
हिंदुओं को जातियों में बांटने वाली टूलकिट का हो रहा है खेल
यह तो शीशे की तरह साफ है कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी अमेरिकी अरबपति जार्ज सोरोस और डीप स्टेट के साथ मिलकर भारत विरोधी षड्यंत्रों को अंजाम देने में लिप्त हैं! समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो अखिलेश यादव के लंदन दौरे के बाद अब इस कड़ी में उनका नाम भी जुड़ गया है। यूं तो राहुल-मुलायम इंडी गठगंधन के भी सहयोगी हैं। लेकिन उत्तर प्रदेश की राजनीति में अखिलेश यादव ने भाजपा और सीएम आदित्यनाथ योगी से पार पाने के लिए हिंदुओं को जातियों में बांटने वाली टूलकिट का खेल खेला है। राहुल गांधी इस काम को पहले ही जातिगत जनगणना का ढोल पीटकर अंजाम दे ही रहे हैं। दरअसल, इन दोनों युवराजों को पता है कि उनके पास पीएम मोदी और भाजपा के हिंदुत्व की कोई काट नहीं है। इसीलिए वे हिंदुओं को जातियों में बांटने का कुचक्र चल रहे हैं। इसीलिए जानबूझकर पहले औरंगजेब का और अब राणा सांगा का मुद्दा उछाला है। रामजी लाल सुमन के बहाने सुनियोजित तरीके के इसे राजपूत वर्सेज दलित मुद्दा बनाया हैं। लेकिन हिंदुओं को जातियों में बांटने की टूलकिट की साजिश खुलकर सामने आ गई है।
इंडी गठबंधन ने मुस्लिम तुष्टिकरण और जातिगत वैमनस्य फैलाने की सारी हदें पार कीं
दरअसल, इंडी गठबंधन में सहयोगी समाजवादी पार्टी ने मुस्लिम तुष्टिकरण और जातिगत वैमनस्य फैलाने की सारी हदें पार कर दी हैं। पहले तो सपाई सिर्फ मुस्लिम हितैषी बनते थे। औरंगजेब जैसे क्रूर शासकों के हिमायती बनते थे। अब इंडी गठबंधन और सपा हिंदुओं का गौरवशाली इतिहास बिगाड़ने में जुटी हुई है। अब राज्यसभा में समाजवादी पार्टी के सांसद रामजीलाल सुमन ने मुगलों से लोहा लेने वाले मेवाड़ के वीर योद्धा महाराणा संग्राम सिंह सांगा के खिलाफ बेहद अपमानजनक टिप्पणी कर दी है। उन्होंने राणा सांगा के वंशजों और उन्हें मानने वाले हिंदुओं को गद्दार तक कह डाला है। सपा सांसद की इस अभद्र, अशोभनीय, असभ्य और अनर्गल टिप्पणी को लेकर राजस्थान समेत देशभर की सियासत में उबाल आ गया है। राजस्थान के सीएम भजनलाल ने कहा कि मेवाड़ के महान योद्धा राणा सांगा के बारे में समाजवादी पार्टी के सांसद का निम्नस्तरीय बयान, न केवल राजस्थान की 8 करोड़ जनता को, बल्कि सम्पूर्ण देशवासियों को आहत करने वाला है। समाजवादी पार्टी के सांसद रामजीलाल सुमन के राणा सांगा को गद्दार कहने का मुद्दा राजस्थान विधानसभा में गूंजा। कांग्रेस ने आपत्ति की तो भाजपा ने कहा कि इससे साफ तय हो गया कि आप लोग भी रामजीलाल सुमन के साथ हो।
सपा सांसद सुमन ने महाराणा सांगा पर यह विवादित बयान दिया
समाजवादी पार्टी के सांसद रामजी लाल सुमन ने राज्यसभा में जो बयान दिया उससे पूरे देश में बवाल मचा हुआ है। सपा सांसद सुमन ने मुस्लिम तुष्टिकरण के चलते राणा सांगा को लेकर बयान में कहा था कि ‘बीजेपी के लोगों का ये तकियाकलाम बन गया है कि इनमें बाबर का DNA है। मैं जानना चाहूंगा कि बाबर को आखिर लाया कौन? सुमन ने अनर्गल दावा किया कि इब्राहिम लोदी को हराने के लिए बाबर को राणा सांगा लाया था। मुसलमान अगर बाबर की औलाद हैं तो तुम लोग उस गद्दार राणा सांगा की औलाद हो, ये हिन्दुस्तान में तय हो जाना चाहिए कि बाबर की आलोचना करते हो, लेकिन राणा सांगा की आलोचना नहीं करते। बता दें कि देश में पहले से औरंगजेब की कब्र को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है। इसके बाद राणा सांगा पर विवादित बयान के बाद यह बहस और तेज हो गई है।
हिंदुओं को बांटने की टूलकिट के पीछे है डीप स्टेट की ‘चौकड़ी’
सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव के लंदन दौर के बाद अब यह समझ में आने लगा है कि औरंगजेब की हिमायत और राणा सांगा की खिलाफत के बयान सपा नेताओं ने यूं ही नहीं दिए हैं। इसके पीछे डीट स्टेट की सुनियोजित साजिश है और वे मुस्लिमों को एकजुट करने और हिंदुओं को बांटने की अपनी टूलकिट को अंजाम देने में लगे हैं। कड़ी से कड़ी जोड़ने पर स्पष्ट होता है कि कैसे अखिलेश यादव और राहुल गांधी के परिवार के बीच मित्रता है। राजनीतिक गठबंधन है। अब राहुल गांधी से जुड़ा एनजीओ, कांग्रेस के युवराज के खास सलाहकार विदेशों से और जार्ज सोरेस से भारत विरोध के नाम पर करोड़ों की फंडिंग ले रहे हैं। डीप स्टेट के इस गोरखधंधे में राहुल गांधी ने अपने मित्र अखिलेश यादव को मिला लिया है। इसलिए भी समाजवादी पार्टी हिंदुओं को जातियों में बांटने की राजनीति में उतर आई है। इस ‘चौकड़ी’ को लगता है कि वे सिर्फ और सिर्फ हिंदूओं को बांटकर ही भाजपा को सत्ता से दूर कर पाएंगे। यही वजह है कि राहुल गांधी भी आए दिन हिंदुस्तान को जातियों में बांटने के लिए जातिगत जनगणना का राग अलापते रहते हैं।
राहुल एंड कंपनी को हजम नहीं हो रही पीएम मोदी की लगातार सफलता
डीप स्टेट, राहुल गांधी और अखिलेश यादव की करतूतों की कलई तो भाजपा नेताओं ने अपने एक्स अकाउंट पर खोलकर रख दी है। जहां तक सोरोस और राहुल गांधी के संबंधों का सवाल है तो सोशल मीडिया पर इनकी घनिष्ठता के कई प्रमाण बिखरे हैं। इनसे साफ पता चलता है कि लोकसभा से लेकर विधानसभाओं में हार-दर-हार झेल रहे कांग्रेस के ‘कर्ताधर्ता’ राहुल गांधी अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए कितने निचले स्तर तक गिर गए हैं! राहुल अभी तक तो विदेशों में जाकर भारत और मोदी सरकार की बुराई करके देश को नीचा दिखाने के कोशिश किया करते थे। लेकिन अब उनपर साफ-साफ देश के साथ ‘गद्दारी’ करने के आरोप लगे हैं। उधर उनके मित्र अखिलेश यादव के इशारे पर सपा नेता हिंदू राष्ट्र के गौरव राणा सांगा को ‘गद्दार’ बता रहे हैं। दरअसल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का लगातार तीसरी बार सत्ता में आना राहुल एंड कंपनी को हजम नहीं हो रहा है। उनके यह भी गले नहीं उतर रहा है कि पिछले एक दशक में भारत लगातार दुनिया में तेजी से एक शक्ति के तौर पर स्थापित हो रहा है। देश ने हर क्षेत्र में अपने प्रदर्शन में गुणात्मक सुधार किया है।
सांसद के घर पर हमले को दलित विमर्श से जोड़ रही सपा
राजपूत राजा राणा सांगा पर समाजवादी पार्टी के सांसद रामजी लाल सुमन की टिप्पणी से शुरू हुआ विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। राजपूत समाज की नाराजगी, बयान देने वाले नेता का विरोध, सांसद के घर पर हमले के बाद अब इस मामले में सियासी तड़का लगने लगा है। चोरी और सीनाजोरी की तर्ज पर सपा सांसद रामजी लाल सुमन ने राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ से मिलकर सुरक्षा की मांग की। सपा सांसद रामजी लाल सुमन ने कहा- मैंने कुछ गलत नहीं बोला है, मैं माफी नहीं मांगूंगा और अपने बयान पर कायम हूं। इधर रामजी लाल सुमन के घर पर हुए हमले के बाद सपा नेता राम गोपाल यादव उनके घर आगरा पहुंचे। उन्होंने मुख्यमंत्री पर निशाना साधते हुए इस मुद्दे को दलित राजनीति से जोड़ने की कोशिश की। 
दलित पर नहीं, राणा सांगा को विद्रोही बताने वाले पर हमलाः भाजपा
दूसरी ओर इस मामले में बीजेपी के नेताओं ने समाजवादी पार्टी को करारा जवाब दिया है। गोरखपुर सांसद भाजपा नेता रवि किशन ने कहा कि उकसाने वाले बयान से बचना चाहिए। आप कहेंगे तो जनता उग्र हो जाती है। भाजपा सांसद लक्ष्मीकांत बाजपेई ने कहा- दलित होने के कारण उनके घर पर हमला नहीं हुआ बल्कि राणा सांगा जैसे योद्दा के खिलाफ बोलने वालों के खिलाफ हमला हुआ। उत्तर प्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद लक्ष्मीकांत वाजपेई ने कहा, “अखिलेश यादव को यह बात ध्यान रखनी चाहिए। उनका या उनके किसी कार्यकर्ता का कोई भी वाक्य भारत माता के विरुद्ध है तो उनको बोलने में संकोच करना चाहिए। राणा सांगा को गद्दार बताएंगे, देश का इतिहास झुठलायेंगे तो वह स्वाभाविक प्रक्रिया होगी। अगर उनके साथ कोई घटना घटती है तो दलित के साथ नहीं, बल्कि राणा सांगा को विद्रोही बताने वाले के साथ घटना घटी है।
अखिलेश यादव ने राजपूत वोटों की चिंता इसलिए छोड़ी 
राजपूत राजा राणा सांगा पर सपा सांसद रामजी लाल सुमन की विवादित टिप्पणी के बाद शुरू हुए सियासी घमासान को अखिलेश यादव 2027 के चुनावों की नजर से देख रहे हैं। इसीलिए समाजवादी पार्टी सपा सांसद रामजी लाल सुमन के घर पर करणी सेना के लोगों द्वारा किए गए घेराव को राजूपत बनाम दलित बनाने की कोशिश हो रही है। करणी सेना के पहुंचने के बाद उन्हें आपदा में अवसर दिखने लगा है। हालांकि हिंदुओं को बांटने की इस रणनीति में अखिलेश यादव कभी कामयाब नहीं हो पाएंगे और उन्हें मुंह की खानी पड़ेगी। इसमें कोई दो राय नहीं हो सकती कि आज समाजवादी पार्टी वोट बैंक के लिए राजपूत आधार नहीं हैं। केवल 2012 के विधानसभा चुनाव तक भी क्षत्रिय वोटों पर सपा की पकड़ थी। अखिलेश मंत्रिमंडल में 11 ठाकुर इस बात के सबूत थे। अखिलेश सरकार में रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया, विनोद कुमार सिंह उर्फ पंडित सिंह, अरविंद सिंह गोप, राधे श्याम सिंह, राजा आनंद सिंह, योगेश प्रताप सिंह, राजा महेंद्र अरिदमन सिंह समेत कुल 11 ठाकुर मंत्री थे। मगर आज स्थितियां पूरी तरह से बदल चुकी हैं। अखिलेश यादव को भी मालूम है कि अब राजपूत समाजवादी पार्टी को वोट नहीं देने वाले हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह हैं उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ। राजपूत कुल से आने वाले योगी पर उत्तर प्रदेश की राजनीति में असली ‘ठाकुर’  साबित हो रहे हैं। यूपी का अगला चुनाव योगी बनाम अखिलेश होता है तो उत्तर प्रदेश के राजपूत तन मन धन से योगी आदित्यनाथ के साथ होंगे। शायद यही कारण है कि अखिलेश यादव ने राजपूत वोटों की चिंता छोड़कर दलित वोटों पर फोकस करने में लगे हैं। 

मायावती ने सुमन पर हमले को लेकर अखिलेश को ही घेरा
अखिलेश यादव की इस रणनीति का असर इससे समझ में आता है कि यूपी में दलित राजनीति की मसीहा कही जाने वाली बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो और उत्तर प्रदेश की पूर्व सीएम मायावती एकदम एक्शन में आ गई हैं। सांसद रामजी लाल सुमन के घर हुए हमले को लेकर मायावती ने अखिलेश यादव पर ही निशाना साधा है।  एक्स पर 30 वर्ष पुरानी घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने समाजवादी पार्टी से पश्चाताप करने की मांग की है। मायावती ने लिखा कि आगरा की हुई घटना के साथ-साथ सपा मुखिया अखिलेश यादव को इनकी सरकार में 2 जून 1995 को लखनऊ स्टेट गेस्ट हाउस कांड में इस पार्टी द्वारा मेरे ऊपर कराया गया जानलेवा हमला भी इनको जरूर याद कर लेना चाहिए तथा इसका पश्चाताप भी जरूर करना चाहिए।

दलित सपा के हथकंडे समझ चुके, बहकावे में नहीं आएंगे
उन्होंने दूसरी पोस्ट में कहा कि आगरा घटना की आड़ में अब सपा अपनी राजनीतिक रोटी सेंकना बंद करे और आगरा की हुई घटना की तरह यहां दलितों का उत्पीड़न और ज्यादा न कराए। उन्होंने लिखा कि समाजवादी पार्टी अपने राजनीतिक लाभ के लिए अपने दलित नेताओं को आगे करके जो घिनौनी राजनीति कर रही है अर्थात उनको नुकसान पहुंचाने में लगी है, यह कतई उचित नहीं है। दलित ना सिर्फ समाजवादी के हथकंडे भलीभांति समझ चुके हैं, बल्कि इनके बहकावे में आने वाले नहीं है। समाजवादी पार्टी हमेशा से दलितों की विरोधी थी और आज भी दलित विरोधी ही है।
अब आइए जान लेते हैं कि राजस्थान के राजपूत राजा राणा सांगा के बारे में सपा सांसद की अपमानजनक टिप्पणी पर राजस्थान के नेताओं ने क्या कहा…

राजस्थान विधानसभा में गूंजा राणा को गद्दार कहने का मुद्दा
समाजवादी पार्टी के सांसद रामजीलाल सुमन के राणा सांगा को गद्दार कहने का मुद्दा राजस्थान विधानसभा में उठा। बीजेपी विधायक श्रीचंद कृपलानी ने पॉइंट ऑफ इंफॉर्मेशन के जरिए राणा सांगा को गद्दार कहने का मामला उठाते हुए पूरे मामले में कार्रवाई की मांग की। इस पर कांग्रेस विधायक हरिमोहन शर्मा ने कहा- सदन में इस पर चर्चा नहीं हो सकती। हरिमोहन शर्मा के इतना कहते ही बीजेपी विधायकों ने कड़ी आपत्ति की। इस पर बीजेपी विधायकों ने कहा- राणा सांगा के अपमान पर चर्चा क्यों नहीं हो सकती? कई बीजेपी विधायक जोर-जोर से बोलने लगे, इससे सदन में हंगामे की स्थिति बन गई। बीजेपी विधायकों ने कहा कि आप राणा सांगा पर टिप्पणी का समर्थन कर रहे हो क्या? श्रीचंद कृपलानी ने कहा- आपके खड़ा होने से यह तय हो गया कि आप रामजीलाल सुमन के साथ हो? कांग्रेस ने खुद अपनी पोल खोल ली। आप मुगलों का साथ दे रहे हो। सरकारी मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग ने कहा- कांग्रेस विधायक दल रामजीलाल सुमन के साथ खड़ा है, राणा सांगा का अपमान करने वाले के साथ खड़ा है, शर्म आनी चाहिए।

अपने सांसद के बयान के लिए अखिलेश देश से माफी मांगें-भजनलाल
सपा सांसद के बयान पर राजस्थान के सीएम भजनलाल ने सोशल मीडिया पर अपनी कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने एक्स पर लिखा कि ‘शूरवीरों की धरती राजस्थान के लाडले सपूतों ने मातृभूमि की रक्षा के लिए सदा अपना सर्वोच्च बलिदान दिया है। मेवाड़ के महान योद्धा राणा सांगा के बारे में समाजवादी पार्टी के सांसद का निम्नस्तरीय बयान, न केवल राजस्थान की 8 करोड़ जनता को, बल्कि सम्पूर्ण देशवासियों को आहत करता है।’ उन्होंने आगे लिखा कि ‘जिस महान योद्धा ने मुगलों से युद्ध में अपने शरीर पर 80 घाव झेले, उनको गद्दार कहना विपक्षी नेताओं की घटिया मानसिकता को दर्शाता है। वोटो के तुष्टिकरण के लिए ये लोग इतिहास पुरुषों का अपमान करने से भी नहीं चूकते हैं। इसके लिए सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को को तुरंत देश से माफी मांगनी चाहिए और अपने सांसद पर अविलम्ब कार्रवाई करनी चाहिए।’

सुमन का बयान देश के शौर्य और बलिदान का अपमान है: दीया कुमारी
सपा सांसद के राणा सांगा पर दिए विवादित बयान की डिप्टी सीएम दीया कुमारी ने भी कटु आलोचना की है। उन्होंने एक्स पर लिखा कि ‘वीर शिरोमणि महाराणा सांगा जी, जिनके शौर्य की गाथा राजस्थान की मिट्टी के कण-कण से सुनाई देती है। जिनकी वीरता की कहानी सुनकर यहां बच्चे बड़े हुए हैं, 80 घाव खाकर भी देश के लिए लड़ने वाले देशभक्त योद्धा के लिए कहा गया ‘गद्दार’ शब्द, ना सिर्फ महाराणा सांगा जी और राजस्थान, बल्कि देश के शौर्य और बलिदान का भी अपमान है। सपा सांसद रामजी लाल सुमन का यह बयान शर्मनाक और निंदनीय है। उन्हें देश की वीरता को कलंकित करने वाले इन कटु शब्दों के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए।’

कुछ तुच्छ लोग ही इस तरह की बयानबाजी करते हैं: शेखावत
राणा सांगा को लेकर दिए गए विवादित बयान पर केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत भी जमकर बरसे। उन्होंने कहा कि कुछ तुच्छ बुद्धि और छोटे हृदय के लोग इस तरह की चर्चा करते हैं। इन चर्चाओं के लिए कोई गुंजाइश भी नहीं है। उन्होंने कहा कि “भारत के इतिहास की समीक्षा करने वाले एक हजार वर्ष बाद या जब भी समीक्षा करेंगे तो कभी बाबर और राणा सांगा की तुलना नहीं कर पाएंगे। महाराणा सांगा ने स्वतंत्रता की जो अलख जगाई थी, उसने न सिर्फ मुगलों से लोहा लिया, बल्कि भारत की संस्कृति को सनातन बनाए रखने में बहुत बड़ा योगदान दिया था। कुछ तुच्छ बुद्धि और छोटे दिल के लोग ऐसी चर्चाएं करते हैं। इसी तरह बीजेपी नेता राजेंद्र राठौड़ ने भी बयान को राणा सांगा का बड़ा अपमान बताया। उन्होंने कहा कि राजस्थान की धरा साहस, शौर्य, त्याग और बलिदान की भूमि रही है। राणा सांगा पर ऐसी टिप्पणी राजस्थान के इतिहास का अपमान है।

सुमन का बयान तुष्टिकरण की राजनीति का हिस्सा : राज्यवर्धन
राजस्थान सरकार में कैबिनेट मंत्री और भाजपा नेता राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने समाजवादी पार्टी और इंडिया गठबंधन पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने सुमन के बयान को “तुष्टिकरण की राजनीति का हिस्सा” बताते हुए कहा कि यह सिर्फ एक बयान नहीं, बल्कि राष्ट्र के सम्मान पर हमला है। उन्होंने कहा कि “कुछ लोग ऐसे हैं, जिन्होंने अपनी आत्मा देश के दुश्मनों को बेच दी है। ये लोग भारत को नीचा दिखाने और महापुरुषों का अपमान करने में कोई कसर नहीं छोड़ते। ये लोग दीमक हैं, जो देश की जड़ों को खोखला करने में लगे हैं लेकिन अब भारत जाग चुका है और ऐसे लोगों को हम और बर्दाश्त नहीं करेंगे।” वहीं मेवाड़ राजघराने से आने वाले बीजेपी विधायक विश्वराज सिंह मेवाड़ ने भी सपा सांसद के बयान पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा है- संसद में ऐसे लोग भी पहुंचते है। ऐसों से महाराणा सांगा को कोई प्रमाण पत्र की जरूरत ही नहीं है, मगर सदन की गरिमा और हमारे इतिहास में से एक महान व्यक्तित्व के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने पर कड़ी कार्रवाई की जरूरत है।

कांग्रेस की सपा सांसद के खिलाफ कार्रवाई किए जाने की मांग
बीजेपी ही नहीं इंडिया गठबंधन में सपा के साथ खड़ी कांग्रेस के नेताओं ने भी सपा सांसद सुमन के बयान की कटु आलोचना की है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने अपने एक्स हैंडल पर लिखा, “अस्सी घाव लगे थे तन पे, फिर भी व्यथा नहीं थी मन में। मातृभूमि की रक्षा में अपना सम्पूर्ण जीवन अर्पण करने वाले, अदम्य साहस, वीरता, त्याग और स्वाभिमान के प्रतीक वीर शिरोमणि महाराणा सांगा पर सांसद रामलाल सुमन द्वारा संसद में अमर्यादित टिप्पणी बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय है व माफी योग्य नहीं है।” खाचरियावास ने इस बयान के लिए सपा सांसद के खिलाफ कार्रवाई किए जाने की मांग भी की है।

ताकि फिर महापुरुषों के सम्मान को ठेस पहुंचाने का दुस्साहस ना हो
इस बीच शिव से निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने एक बयान में कहा है कि मैं सरकार से मांग करता हूं कि राष्ट्र नायकों की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाले गैर-जिम्मेदाराना वक्तव्य देने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। उन्होंने एक्स पर पोस्ट कर लिखा कि प्रातः स्मरणीय, वीर शिरोमणि महाराणा सांगा केवल एक महान योद्धा नहीं, बल्कि साहस, स्वाभिमान और अदम्य पराक्रम के प्रतीक थे। उनकी वीरता ऐसी थी कि अनेकों घाव सहने के बावजूद उनका हौसला कभी नहीं टूटा। एक भुजा, एक आँख और एक टांग खोने के बाद भी वे युद्धभूमि में पूरी दृढ़ता से डटे रहे। उनके शरीर पर युद्ध के दौरान 80 से अधिक घावों के निशान थे, इसीलिए उन्हें “सैनिकों का भग्नावशेष” कहा जाता था। विधायक भाटी ने लिखा कि महाराणा सांगा का चरित्र केवल वीरता तक सीमित नहीं था वे न्यायप्रिय और उदार शासक भी थे। इसका उदाहरण तब देखने को मिला जब उन्होंने सुल्तान मोहम्मद शाह माण्डु को युद्ध में पराजित कर बंदी बनाया, लेकिन अपनी विशाल हृदयता का परिचय देते हुए उसका राज्य उसे लौटा दिया। यह उनकी नीति, नैतिकता और नेतृत्व क्षमता को दर्शाता था। उन्होंने सरकार से मांग करते हुए कहा कि गैर-जिम्मेदाराना वक्तव्य देने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में कोई भी हमारे महापुरुषों के सम्मान को ठेस पहुंचाने का दुस्साहस न कर सके।

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