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प्रधानमंत्री मोदी के विजन ने 4 वर्षों में गणतंत्र दिवस को बेहद खास बना दिया है

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लीक पर चलने के आदी नहीं हैं। मोदी सरकार की विदेश नीति में भी उनके इस व्यक्तित्व की झलक बार-बार देखने को मिलती है। उनके हर कदम का एक खास अंदाज होता है, जिसके पीछे का एकमात्र मकसद होता है इंडिया फर्स्ट। प्रधानमंत्री के रूप में इस साल उनके कार्यकाल के चौथे गणतंत्र दिवस की तैयारियां चल रही हैं। प्रधानमंत्री मोदी के विजन ने इस साल के गणतंत्र दिवस को भी बिल्कुल अनूठा बना दिया है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस बार एक नहीं, बल्कि 10-10 विदेशी मेहमानों को गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया है। इससे पहले आजतक ऐसा कभी नहीं हुआ।

2018: पहली बार दस देशों के नेताओं को निमंत्रण
मई, 2014 में सत्ता में आने के बाद से ही मोदी सरकार ने पड़ोसी देशों से संबंधों को प्रगाढ़ बनाने के लिए ऐक्ट ईस्ट नीति पर जोर दिया है। इसी के तहत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस वर्ष गणतंत्र दिवस पर सभी दस आसियान देशों के नेताओं को बतौर मुख्य अतिथि आमंत्रित किया है। इन देशों में थाईलैंड, वियतनाम, इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपिंस, सिंगापुर, म्यांमार, कंबोडिया, लाओस और ब्रूनेई शामिल हैं। इनमें मलेशियाई प्रधानमंत्री मोहम्मद नजीब बिन तुन अब्दुल रजक पिछले साल ही भारत का दौरा कर चुके हैं। म्यामांर की नेत्री आंग शान शू ची का भारत से पुराना नाता रहा है। जबकि, सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली हसलीन लुंग का प्रधानमंत्री मोदी के साथ व्यक्तिगत तौर पर भी अच्छे संबंध रहे हैं। लगभग ऐसी ही स्थिति इंडोनेशियाई प्रधानमंत्री जोको विडोडो के साथ भी है। मेहमानों में कंबोडिया के प्रधानमंत्री हुन सेन की उपस्थिति भी खास हो सकती है। जबकि, ब्रूनेई के सुल्तान हाजी हसनल बोल्कियाह दुनिया के सबसे रईस लोगों में गिनती के लिए चर्चा में रहते हैं। वहीं, नुआन जुंग फुक वियतनाम के प्रधानमंत्री के तौर पर पहली बार भारत आ रहे हैं। लाओस के प्रधानमंत्री थोंगलाउन सिसोउलिथ की पिछले साल ही प्रधानमंत्री मोदी से पहली मुलाकात हुई थी। वहीं थाईलैंड ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में मजबूती से भारत का पक्ष लिया है।

2017: पहली बार यूएई के जवान भी परेड में शामिल
पिछले साल यानी 26 जनवरी, 2017 में राजपथ पर परेड में पहली बार संयुक्त अरब अमीरात के 144 जवानों का दस्ता भी सेना के जवानों के साथ परेड करता दिखाई दिया। यह पूरे देश के लिए कौतूहल का विषय बन गया। ऐसा इसलिए हुआ कि उस बार अबु धाबी के क्राउन प्रिंस एवं यूएई सशस्त्र सेना के डिप्टी सुप्रीम कमांडर शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि बन कर आए थे। अबु धाबी के क्राउन प्रिंस के इस भारत दौरे की एक बहुत बड़ी विशेषता ये रही कि समारोह के एक दिन पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने खुद से एयरपोर्ट जाकर उनकी आगवानी की थी।

2017 के गणतंत्र दिवस में पहली बार-

  • देश के इतिहास में ये पहली बार हुआ जब राजपथ पर भारतीय सेना के साथ यूएई के सैनिकों ने भी परेड किया।
  • करीब 100 एनएसजी कमांडो का दस्ता भी पहली बार इस परेड में शामिल हुआ।
  • राजपथ पर पहली बार स्वदेशी फाइटर प्लेन तेजस ने उड़ान भरी।

2016: पहली बार फ्रांस का सैन्य दस्ता भी परेड में शामिल
26 जनवरी, 2016 में फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांसुआ ओलांद गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि थे। इस समारोह की विशेषता ये रही कि पहली बार फ्रांस की सैन्य टुकड़ी के 76 सदस्यीय दल ने भी मार्च में भाग लिया, जिसमें 48 सदस्सीय संगीतकारों का दल भी शामिल था। उस साल फ्रांस के राष्ट्रपति को चीफ गेस्ट के रूप में बुलाने के चलते दुनिया में आतंकवाद के खिलाफ एक ठोस संदेश गया। क्योंकि, कुछ दिनों पहले ही फ्रांस ने पेरिस में और भारत ने पठानकोट में आतंकवाद का भयानक चेहरा देखा था।

2016 के गणतंत्र दिवस में पहली बार-

  • पहली बार फ्रांस की सैन्य टुकड़ी ने भी मार्च में भाग लिया।
  • पहली बार पूर्व-सैनिकों की झांकी भी शामिल हुई, जिसमें उन्होंने ने राष्ट्रनिर्माण में अपनी भूमिका को दर्शाया।
  • पहली बार ही सीआरपीएफ की पूरी तरह महिला जवानों की टुकड़ी परेड में शामिल हुई।

2015: पहली बार अमेरिकी राष्ट्रपति चीफ गेस्ट बने
अपनी सरकार के पहले ही गणतंत्र दिवस पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चीफ गेस्ट के रूप में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के नाम की घोषणा करके सबको हैरान कर दिया था। उस वक्त प्रदूषण और सुरक्षा से जुड़ी कई वजहों से अमेरिकी प्रशासन अपने राष्ट्रपति की भारत यात्रा के लिए हामी भरने में संकोच कर रहा था, लेकिन मोदी जी के प्रभाव में ओबामा ने तुरंत निमंत्रण स्वीकार कर लिया और पूरे उत्साह से पत्नी मिशेल ओबामा के साथ भारत के आतिथ्य के लिए तैयार हो गए। वे पूरे दो घंटे तक खुले आसमान के नीचे रहे और शानदार परेड का आनंद लिया। 

2015 के गणतंत्र दिवस में पहली बार-

  • अमेरिकी राष्ट्रपति मुख्य अतिथि बने।
  • महिला दस्ते की अगुआई में परेड की शुरुआत हुई।
  • गणतंत्र दिवस के मौके पर गूगल पर एक डूडल भी आया।

26 जनवरी दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के संविधान लागू होने का दिन है। ऐसे अवसर पर विश्वभर के बेहद खास मेहमानों को बुलाकर प्रधानमंत्री मोदी ने पूरी दुनिया को जो सकारात्मक संदेश देने की पहल की है, उससे भारत पहले अछूता था। इसी कड़ी में प्रधानमंत्री ने अबकी बार आसियान में शामिल सभी दस देशों के नेताओं को बुलाकर एक सार्थक संदेश देने की कोशिश की है। यह पहल दक्षिण एशियाई देशों के हित में है और मौजूदा समय में विश्व की उभरती चुनौतियों का सामना करने में सबको सक्षम बनाने की ताकत रखता है।

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