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महामारी के बावजूद दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन जारी रखने पर अड़े राकेश टिकैत

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पूरा देश आज कोरोना की दूसरी लहर से जूझ रहा है। महाराष्ट्र के बाद दिल्ली कोरोना से सबसे अधिक प्रभावित है। लोग बेड और ऑक्सीजन को लेकर अस्पताल का चक्कर लगा रहे हैं। इस दौरान भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत आंदोलन जारी रखने पर अड़े हुए है और लगातार किसान पंचायत कर रहे हैं। राकेश टिकैत ने भिवानी में कहा कि अगर सरकार उन्हें कोरोना के मामलों में वृद्धि के चलते दिल्ली की सीमाओं पर विरोध स्थलों को छोड़ने के लिए कहती है तो वे ऐसा नहीं करेंगे। 

हरियाणा में भिवानी के प्रेम नगर गांव में गुरुवार (29 अप्रैल) को किसान महापंचायत को संबोधित किया। पंचायत के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग खुलेआम धज्जियां उड़ाई गई। राकेश टिकैत ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि वे कोविड-19 मामलों में वृद्धि के बीच दिल्ली सीमाओं पर प्रदर्शन स्थलों को नहीं छोड़ेंगे।

राकेश टिकैत ने कहा, “सरकार कोरोना मामलों में वृद्धि के बीच किसानों की आवाज़ को दबाने की कोशिश कर रही है। हम सरकार के साथ वार्ता करने के लिए तैयार हैं और नवंबर और दिसंबर तक इसके होने की उम्मीद है। गुजरात में किसान सबसे अधिक प्रभावित हैं और अगर किसानों के मुद्दे को हल नहीं किया जाता है तो भाजपा सरकार इस गुजरात मॉडल को पूरे देश में लागू करेगी।”

हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, प्रदर्शनकारी किसानों के नेता राकेश टिकैत ने कहा, “राम मंदिर के लिए दान देने की बजाय नए एम्स के निर्माण के लिए एक दान अभियान शुरू किया जाना चाहिए। हरियाणा सरकार गत 6 वर्षों से सत्ता में रहने के बाद भी भिवानी में एक मेडिकल कॉलेज बनाने में विफल रही है।”

एक अन्य किसान नेता गुरनाम सिंह चाढूनी ने कहा कि अगर सरकार देश भर में सीआरपीसी की धारा 144 लागू करती है तो भी हमारा विरोध जारी रहेगा। विशेषकर पंजाब और हरियाणा राज्यों के किसान गत 5 महीनों से दिल्ली जाने वाले राजमार्गों को बंद करके विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। वे मोदी सरकार द्वारा लागू किए गए तीन कृषि सुधार कानूनों को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं।

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