Home समाचार राहुल गांधी बने पप्पू, नमो ऐप को डिलीट करने की जगह कांग्रेस...

राहुल गांधी बने पप्पू, नमो ऐप को डिलीट करने की जगह कांग्रेस का ऐप ही डिलीट कर डाला

SHARE

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी एक बार फिर बड़े पप्पू साबित हुए हैं। इस बार उन्होंने और उनकी टीम ने ऐसा काम कर डाला है, जो शायद ही आज तक कभी किसी राजनेता या राजनीतिक दल ने न किया होगा। डेटा चोरी को लेकर इन दिनों कांग्रेस और भाजपा में घमासान छिड़ा हुआ है। कांग्रेस पहले ही कैम्ब्रिज एनालिटिका के साथ मिलकर भारतीयों के निजी डेटा चोरी करने के आरोप में फंसी हुई है। इस दोष से बचने के लिए कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ऐप को निशाना बनाया और साजिश रची। लेकिन जल्द ही कांग्रेस अपनी ही इस साजिश का शिकार हो गई। राहुल गांधी और उनके आईटी के लोगों ने नमो ऐप डिलीट करने का अभियान चलाया। #DeleteNaMoApp के साथ खुद राहुल गांधी ने भी ट्वीट किया। लेकिन इंटरनेट से साफ है कि राहुल गांधी और उनके लोगों ने कांग्रेस के ऐप को ही डिलीट कर दिया। आज सुबह सुबह कांग्रेस का ऐप प्लेस्टोर से गायब हो गया।

कांग्रेस ने नमो ऐप पर जान बूझकर लोगों को डराने वाला अभियान चलाया और ऐप को लेकर झूठी जानकारी फैलायी। लेकिन इसका उल्टा असर हुआ। जानकारों के मुताबिक कांग्रेस के #DeleteNaMoApp अभियान की वजह से नमो ऐप डाउनलोड करने वालों की संख्या में भारी बढ़ोतरी हुई। ग्राफिक्स से ये बात साफ नजर आती है।

दरअसल नमो ऐप न सिर्फ किसी राजनेता के लिहाज से पूरे विश्व का सबसे लोकप्रिय ऐप है, बल्कि अपने फीचर्स की वजह से सबसे यूनिक माना जाता है। इसमें आपको कोई डेटा देने की जरूरत नहीं पड़ती। एक गेस्ट की तरह आप लॉगिन कर सकते हैं। आपको जरूरत के हिसाब से डेटा मांगा जाता है। वह भी किसी तीसरी पार्टी से शेयर नहीं किया जाता। इस प्लेटफॉर्म पर बाकी ऐप की तरह एकतरफा संवाद नहीं होता, बल्कि एक आम आदमी जहां सीधे प्रधानमंत्री से संवाद कर सकता है, वहीं अपने क्षेत्र के सांसद और विधायकों से भी इंटरेक्ट कर सकता है। लेकिन कांग्रेस की स्थिति इससे एकदम अलग है। कांग्रेस का सर्वर सिंगापुर में है। जाहिर है भारतीयों के डेटा को लेकर गंभीर स्थिति बनी हुई है।

इससे भी बड़ा खतरा यह है कि कांग्रेस ने अपनी गोपनीयता पॉलिसी में साफ लिख रखा है कि वह आपके डेटा को अपनी सुविधा के मुताबिक थर्ड पार्टी को देगी।

जाहिर है कांग्रेस अपनी ही घेरेबंदी में फंस गई। इसकी वजह से कांग्रेस की काफी फजीहत भी हुई। आनन-फानन में कांग्रेस ने अपनी गोपनीयता पॉलिसी को भी हटा दिया।

 

कुल मिलाकर देखें तो कांग्रेस ने जो पत्थर भाजपा पर उछालने की कोशिश की, वो पत्थर उसी के ऊपर गिरा है। लेकिन यह मामला सिर्फ आरोप-प्रत्यारोप का नहीं है। अगर भारतीयों के डेटा को सिंगापुर की कंपनी को भेजा जा रहा है या फिर तीसरी पार्टी को ट्रांसफर करने की बात कांग्रेस कबूल रही है तो यह भारतीय सुरक्षा से भी जुड़ा गंभीर मामला है।

Leave a Reply Cancel reply