वेस्ट बंगाल में जब से ममता बनर्जी की सरकार बनी है प्रदेश के साथ-साथ वहां की पुलिस भी बदनाम होती चली गई है। हाल के दिनों में हुई हिंसक घटनाओं को देखें तो स्पष्ट होता है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की शह पर वहां की पुलिस हिंसक वारदातों को अंजाम देने में जुटी है। प्रदेश में जैसे-जैसे ममता बनर्जी सरकार की साख गिरती गई वहां की पुलिस को हिंसक होने की छूट मिलती गई। सीएम ममता बनर्जी ने प्रदेश में अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को दबाने के लिए पुलिस का धड़ल्ले से उपयोग किया है। खासकर लोकसभा चुनवा के दौरान टीएमसी कार्यकर्ताओं के साथ-साथ पुलिस का नंगा नाच सामने आया है। इस कारण बदनाम सूची में पश्चिम बंगाल पुलिस पहले स्थान पर पहुंच गई है। वहीं ममता बनर्जी के नेतृत्व में चलने वाली सरकार की अलोकप्रियता के कारण पश्चिम बंगाल का नाम भी सबसे बदनाम राज्यों में पहले नंबर पर आ गया है। प्रदेश की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को इतना अहंकार हो गया है कि वह प्रदेश की जनता के विकास और उसकी भलाई को लेकर प्रधानमंत्री तक से मिलने से इनकार कर दिया है।
पांचवें चरण के मतदान के दौरान भारी हिंसा
चौथे चरण में बाबुल सुप्रियो की कार पर हमला
तीसरे चरण में सीपीएम सांसद के काफिले पर हमला
तीसरे चरण के मतदान के दौरान वीरभूमि में टीएमसी के कार्यकर्ताओं ने जमकर गुंडागर्दी की थी। वीरभूमि के इस्लामपुर क्षेत्र में टीएमसी कार्यकर्ताओं ने सीपीएम के सांसद मोहम्मद सलीम के काफिले पर हमला किया। इस घटना के बात टीएमसी कार्यकर्ताओं के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की।
पश्चिम बंगाल में दूसरे चरण के दौरान रायगंज सीट के सासंद और उम्मीदवार मोहम्मद सलीम ने टीएमसी कार्यकर्ताओं पर हमले करने का आरोप लगाया। इसके साथ ही उन्होंने यहां पर दोबारा वोटिंग कराने की मांग की। इस चरण में सबसे ज्यादा हिंसा दार्जिलिंग सीट के चोपरा में हुई है। वहां के मतदाताओं ने तो अपनी सुरक्षा के लिए केंद्रीय सुरक्षा बल तैनात करने की मांग की है। वहां के लोगों का कहना है कि बंगाल पुलिस उनकी सुनती नहीं बल्कि शिकायत करने पर उन्हें ही फंसा देती है।
टीएमसी कार्यकर्ताओं को पुलिस का संरक्षण प्राप्त होने के कारण ही भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं की बेरहमी से हत्या होती रही लेकिन पुलिस ने उनके खिलाफ कभी कोई कार्रवाई नहीं की। वह चाहे पेड़ से लटकाकर फांसी देने जैसा जघन्य अपराध का मामला हो या फिर दूसरे दलों के कार्यकर्ताओं की हत्या