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प्रधानमंत्री मोदी ने मध्य प्रदेश में 1.75 लाख परिवारों का कराया गृह प्रवेश, कहा- कोरोना काल में जिस गति से काम हुआ, वो अपने आप में एक रिकॉर्ड

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज, 12 सितंबर को मध्य प्रदेश में प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत बने 1.75 लाख घरों के गृह प्रवेश कार्यक्रम का उद्घाटन किया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अब मध्य प्रदेश के पौने दो लाख ऐसे परिवार, जो आज अपने घर में प्रवेश कर रहे हैं, जिनका गृह-प्रवेश हो रहा है, उनको भी मैं बहुत बधाई देता हूं, शुभकामनाएं देता हूं। उन्होंने कहा कि इस बार आप सभी की दीवाली, आप सभी के त्योहारों की खुशियां कुछ और ही होगी। कोरोना काल नहीं होता तो आज आपके जीवन की इतनी बड़ी खुशी में शामिल होने के लिए, आपके घर का एक सदस्य, आपका प्रधानसेवक आपके बीच होता।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कोरोना काल में तमाम रुकावटों के बीच देशभर में 18 लाख घरों का काम पूरा किया गया। उसमें 1 लाख 75 हजार घर अकेले मध्य प्रदेश में ही पूरे किए गए हैं। इस दौरान जिस गति से काम हुआ है, वो भी अपने आप में एक रिकॉर्ड है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत एक घर बनाने में औसतन 125 दिन लगते हैं, लेकिन कोरोना के समय में इस योजना के तहत घरों को सिर्फ 45 से 60 दिन में ही बनाकर तैयार कर दिया गया। आपदा को अवसर में बदलने का ये सबसे अच्छा उदाहरण है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस तेज़ी में बहुत बड़ा योगदान रहा शहरों से लौटे हमारे श्रमिक साथियों का। हमारे इन साथियों ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण रोज़गार अभियान का पूरा लाभ उठाते हुए अपने परिवार को संभाला और साथ-साथ अपने गरीब भाई-बहनों के लिए घर भी तैयार करके दे दिया। मुझे संतोष है कि पीएम गरीब कल्याण अभियान से मध्य प्रदेश सहित देश के अनेक राज्यों में करीब-करीब 23 हज़ार करोड़ रुपए के काम पूरे किए जा चुके हैं।

इस अभियान के तहत गांव-गांव में गरीबों के लिए घर तो बन ही रहे हैं, हर घर जल पहुंचाने का काम हो, आंगनबाड़ी और पंचायत के भवनों का निर्माण हो, पशुओं के लिए शेड बनाना हो, तालाब और कुएं बनाना हो, ग्रामीण सड़कों का काम हो, गांव के विकास से जुड़े ऐसे अनेक काम तेज़ी से किए गए हैं। इससे दो फायदे हुए हैं। एक तो शहरों से गांव लौटे लाखों श्रमिक साथियों को रोज़गार उपलब्ध हुआ है। और दूसरा- साथी ईंट, सीमेंट, रेत और निर्माण से जुड़े दूसरे सामान का व्यापार-कारोबार करते हैं, उनकी भी बिक्री हुई है। एक प्रकार से प्रधानमंत्री गरीब कल्याण रोज़गार अभियान इस मुश्किल समय में गांव की अर्थव्यवस्था का भी बहुत बड़ा सहारा बनकर उभरा।

प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि पहले जो योजनाएं बनी थीं, उनमें सरकार बहुत ज्यादा थी, सरकार का दखल बहुत ज्यादा था। उन योजनाओं में मकान से जुड़ी हर चीज का फैसला सरकार करती थी। जिसको उस घर में रहना था, उसकी पूछ ही नहीं थी। अब जैसे शहरों की ही तर्ज पर आदिवासी क्षेत्रों में ही कॉलोनी सिस्टम थोपने की कोशिश होती थी, शहरों जैसे मकान बनाने की ही कोशिश होती थी। जबकि हमारे आदिवासी भाई-बहनों का रहन-सहन शहर के रहन-सहन से बिल्कुल अलग होता है। उनकी जरूरतें अलग होती हैं। इसलिए सरकार के बनाए घरों में उनको वो अपनापन आता ही नहीं था। इतना ही नहीं, पहले की योजनाओं में पारदर्शिता की भारी कमी थी, कई तरह की गड़बड़ियां भी होती थीं। मैं उनके विस्तार में नहीं जाना चाहता। इसलिए उन घरों की क्वालिटी भी बहुत खराब होती थी। ऊपर से बिजली, पानी जैसी मूल ज़रूरतों के लिए लाभार्थी को सरकारी दफ्तरों के चक्कर अलग से काटने पड़ते थे। इन सबका नतीजा ये होता था कि उन योजनाओं के तहत जो घर बनते भी थे, उनमें जल्दी लोग शिफ्ट ही नहीं होते थे, उनमें गृह प्रवेश ही नहीं हो पाता था।

उन्होंने कहा कि 2014 में इन पुराने अनुभवों का अध्ययन करके, पहले पुरानी योजना में सुधार किया गया और फिर प्रधानमंत्री आवास योजना के रूप में बिल्कुल नई सोच के साथ योजना लागू की गई। इसमें लाभार्थी के चयन से लेकर गृह प्रवेश तक पारदर्शिता को प्राथमिकता दी गई। पहले गरीब सरकार के पीछे दौड़ता था, अब सरकार लोगों के पास जा रही है। अब किसी की इच्छा के अनुसार लिस्ट में नाम जोड़ा या घटाया नहीं जा सकता। चयन से लेकर निर्माण तक वैज्ञानिक और पारदर्शी तरीका अपनाया जा रहा है। इतना ही नहीं, मटीरियल से लेकर निर्माण तक, स्थानीय स्तर पर उपलब्ध और उपयोग होने वाले सामानों को भी प्राथमिकता दी जा रही है। घर के डिजायन भी स्थानीय ज़रूरतों और निर्माण शैली के मुताबिक ही तैयार और स्वीकार किए जा रहे हैं। अब पूरी पारदर्शिता के साथ, घर बनाने के हर चरण की पूरी मॉनीटरिंग के साथ लाभार्थी खुद अपना घर बनाता है। जैसे-जैसे घर बनता जाता है, वैसे-वैसे घर की किश्त भी उसके खाते में जमा होती जाती है। अब अगर कोई बेईमानी करने की कोशिश भी करता है तो इसमें पकड़े जाने के लिए अनेक रास्ते बनाए गए हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 2019 के पहले 5 वर्ष शौचालय, गैस, बिजली, सड़क जैसी बेसिक सुविधाओं को गांव तक पहुंचाने का काम किया गया, अब इन मूल सुविधाओं के साथ-साथ आधुनिक सुविधाओं से भी गांवों को मजबूत किया जा रहा है। इसी 15 अगस्त को लाल किले से मैंने कहा था कि आने वाले 1 हज़ार दिनों में देश के करीब 6 लाख गांवों में ऑप्टिकल फाइबर बिछाने का काम पूरा किया जाएगा। पहले देश की ढाई लाख पंचायतों तक फाइबर पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया था, अब इसको गांव-गांव तक पहुंचाने का संकल्प लिया गया है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि इस कोरोना काल में भी प्रधानमंत्री गरीब कल्याण रोज़गार अभियान के तहत ये काम तेज़ी से चला है। सिर्फ कुछ हफ्तों में ही देश के 116 जिलों में 5 हजार किलोमीटर से ज्यादा का Optical Fibre बिछाया जा चुका है।  जिससे साढ़े 12 सौ से ज्यादा ग्राम पंचायतों में करीब 15 हजार Wi-Fi Hot Spot और लगभग 13 हजार ऑप्टिकल फाइबर कनेक्शन दिए गए हैं। यहां मध्य प्रदेश के भी चुने हुए जिलों में 12 सौ किलोमीटर से ज्यादा Optical Fibre बिछाया गया है। और मैं फिर याद दिलाउंगा, ये सारा काम कोरोना काल में ही हुआ है, इस संकट के बीच हुआ है। जैसे ही गांव-गांव में ऑप्टिकल फाइबर पहुंचेगा तो इससे नेटवर्क की समस्या भी कम हो जाएगी। जब गांव में भी जगह-जगह बेहतर और तेज़ इंटरनेट आएगा, जगह-जगह WiFI Hotspot बनेंगे, तो गांव के बच्चों को पढ़ाई और युवाओं को कमाई के बेहतर अवसर मिलेंगे यानि गांव अब WiFi के ही Hotspot से नहीं जुड़ेंगे, बल्कि आधुनिक गतिविधियों के, व्यापार-कारोबार के भी Hotspot बनेंगे।

प्रधानमंत्री मोदी ने कोरोना महामारी को लेकर लोगों में बढ़ती लापरवाही पर सावधान किया। उन्होंने लोगों से बचाव के लिए पूरी सावधानी बरतने की अपील करते हुए कहा है कि जब तक इसकी दवाई नहीं आ जाती है ढिलाई नहीं बरतें। प्रधानमंत्री ने कहा कि जब तक दवाई नहीं, तब तक ढिलाई नहीं।

इस कार्यक्रम में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी मौजूद रहे। प्रधानमंत्री मोदी ने इस कार्यक्रम में घर पाने वाले तीन लोगों से बात भी की। इनमें धार जिले के सरदारपुर गांव के गुलाब सिंह, सिंगरौली जिले के प्यारेलाल यादव और ग्वालियर जिले के नरेंद्र नामदेव शामिल हैं।

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