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G-20 सम्मेलन में छोटे और सीमांत किसानों की आजीविका की तरफ ध्यान खींचने में सफल रहे पीएम मोदी, रोम घोषणा पत्र में सतत विकास के मंत्र को मिली जगह

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में दुनियाभर में भारत की साख मजबूत हुई है। आज विश्व में भारत की आवाज प्रभावी तरीके से सुनी जा रही है। इसकी झलक इटली की राजधानी रोम में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन में दुनिया के दिग्गज नेताओं के साथ प्रधानमंत्री मोदी की केमिस्ट्री के रूप में देखने को मिली। यह सम्मेलन कई मायनों में भारत के लिए बेहद सफल रहा। प्रधानमंत्री मोदी जी-20 देशों का ध्यान गरीब किसानों की तरफ खींचने में सफल रहे। उन्होंने सम्मेलन के मंच से छोटे और सीमांत किसानों की आजीविका में सुधार लाने पर जोर दिया और जी-20 देशों से इसके लिए कदम आगे बढ़ाने की अपील की। इस पर सभी देशों ने किसानों की आजीविका को बेहतर करने पर प्रतिबद्धता जताई और वैश्विक प्रयास करने की जरूरत से सहमत हुए।

प्रधानमंत्री मोदी ने जलवायु परिवर्तन पर विश्व की चिंताओं को जाहिर किया। साथ ही जलवायु परिवर्तन कम करने के सुझावों को जोरदार तरीके से रखा। सबसे बड़ी बात यह है कि उन्होंने विकसित देशों को उनकी जि‍म्मेदारियों और कमियों से अवगत कराया। इसका नतीजा है कि इस सम्मेलन में सतत विकास बिंदु संख्या 12 पर चर्चा की गई और उसे स्वीकार किया गया। इसका उद्देश्य विकसित देशों को उनकी शानदार और ऊर्जा की गहन खपत वाली जीवनशैली को कम करने के लिए प्रोत्साहित करना है। जी-20 शिखर सम्मेलन में भारत के शेरपा और केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने बताया कि सतत जीवनशैली पर प्रधानमंत्री मोदी का मंत्र ‘सतत खपत और जिम्मेदार उत्पादन पैटर्न’ पर जी-20 का रोम घोषणा पत्र में दिखाई देता है। उन्होंने कहा कि जी-20 नेता इस बात पर सहमत हुए कि विश्व स्वास्थ्य संगठन कोविड-19 टीके को आपात मंजूरी देने की प्रक्रिया को तेज करने से मजबूत होगा। गौरतलब है कि इस सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी ने एक धरती एक स्वास्थ्य का मंत्र दिया था।

विकासशील देशों की आवाज बना भारत

जी-20 शिखर सम्मेलन में ऊर्जा और जलवायु का मुद्दा चर्चा के केंद्र में रहा। भारत अन्य विकासशील देशों के साथ जलवायु और ऊर्जा विशिष्ट के लक्ष्यों को पाने के लिए क्या एक्शन लिया जाए इस मुद्दे पर भाषा के महत्व को समझाने में सफल रहा। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत ने विकासशील देशों के हितों को सुरक्षित रखने पर जोर दिया। इसे कई अन्य विकासशील देशों का समर्थन प्राप्त हुआ। इस दौरान भारत ने बल दिया कि वह विकासशील देशों की आवाज का प्रतिनिधित्व करना जारी रखेगा और मानवता के हितों की रक्षा करेगा।

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