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तथाकथित बुद्धिजीवियों को पीएम मोदी ने दिखाया आइना, कहा- सही बात करने वालों को सही काम करने वालों से है नफरत

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मई 2014 में पूर्ण बहुमत के साथ देश की बागडोर संभाली थी। लेकिन पूर्व में स्थापित और परंपरागत विचारधार को उनकी सत्ता खटने लगी। क्योंकि एक खास कार्य संस्कृति में विकसित विचारधारा और उसके बौद्धिक वर्ग को प्रधानमंत्री मोदी की कार्यशैली से चुनौती मिलने लगी। इससे वे परेशान हो गए। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी की सरकारों को बदनाम करने और उनके कामकाज को कमतर दिखाने के लिए बौद्धिक प्रोपेगंडा का सहारा लेना शुरू कर दिया। लेकिन उन्हें अपने मकसद में कामयाबी नहीं मिली। इसका सबसे बड़ा प्रमाण 2019 का आम चुनाव है, जिसमें जनता ने तथाकथित बुद्धिजीवियों को दरकिनार कर प्रधानमंत्री मोदी पर फिर से भरोसा जताया।

सामान्य जनता के विचारों को मिला महत्त्व

टीएन निनान जैसे बुद्धिजीवियों ने बीजेपी शासित राज्यों के श्रम सुधारों की आलोचना की है। इस तरह के आलोचक तथाकथित बुद्धिजीवियों के संबंध में प्रधानमंत्री मोदी ने 6 मार्च, 2020 को इकोनॉमिक टाइम्‍स ग्‍लोबल बिजनेस समिट में विस्तार से चर्चा की थी। उन्होंने कहा था कि एक दौर ऐसा था जब एक खास वर्ग के Predictions के अनुसार ही चीजें चला करती थीं। जो राय उसने दे दी, वही फाइनल समझा जाता था। लेकिन टेक्नोलॉजी के विकास से और Discourse के ‘डेमो-क्रेटाइ-जेशन’ से, आज समाज के हर वर्ग के लोगों की Opinion Matter करती है। आज सामान्य जनता अपनी Opinion को बहुत मजबूती के साथ, जमे-जमाए So Called Wisdom के विपरीत, बड़ी ताकत के साथ रजिस्टर करवा रही है।

“बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराने पर दिया जोर”

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पहले इसी सामान्य जनता की आशाओं-अपेक्षाओं पर, इस खास वर्ग के तर्क और Theories हावी हो जाती थी। जब लोगों ने हमें सेवा करने का अवसर दिया। 2014 में पहली बार इस कार्य को संभाला तो देश की आबादी का बहुत बड़ा हिस्सा, टॉयलेट्स, इलेक्ट्रिसिटी कनेक्शन, गैस कनेक्शन, अपना घर, इन जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए के लिए तरस रहा था। हमने लोगों को बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराने पर ध्यान दिया।

“नए अप्रोच के साथ नए मार्ग पर चले हम”

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमारे सामने मार्ग था कि पहले से जो चलता आ रहा है, उसी मार्ग पर चलें या फिर अपना नया रास्ता बनाएं, नई अप्रोच के साथ आगे बढ़ें। हमने बहुत सोच विचार करके तय किया। हमने नया मार्ग बनाया, नई अप्रोच के साथ आगे बढ़े और इसमें सबसे बड़ी प्राथमिकता दी- लोगों के  Aspirations को। इस दौरान देश में चुनाव भी हुआ। हमारे कार्यों पर मुहर भी लगी।

 “बदलाव के विरोधी खड़ी करते हैं बाधाएं”

प्रधानमंत्री मोदी ने लोगों को संबोधित करते हुए तथाकथित बुद्धिजीवियों के दोहरे मानदंड का बखूबी चित्रण किया। उन्होंने कहा कि जिस वर्ग की बात मैं आपसे कर रहा था, उसकी एक बहुत बड़ी पहचान है- ‘Talking The Right Things’. यानि हमेशा सही बात बोलना। सही बात कहने में कोई बुराई भी नहीं हैं। लेकिन इस वर्ग को ऐसे लोगों से नफरत है, चिढ़ है, जो ‘Doing The Right Things’ पर चलते हैं। इसलिए जब Status Quo में बदलाव आता है, तो ऐसे लोगों को कुछ खास तरह के Disruptions दिखाई देने लगते हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने दोहरे मानदंड पर की चोट

इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने तथाकथित बुद्धिजीवियों के दोहरे मानदंड पर करारा हमला किया। उन्होंने देश हित में लिए गए फैसलों की आलोचना करने वाले लोगों को आइना दिखाते हुए कहा कि जो लोग खुद को Gender Justice का मसीहा बताते हैं, वो तीन तलाक के खिलाफ कानून बनाने के हमारे फैसले का विरोध करते हैं। जो लोग दुनिया भर को शरणार्थी अधिकारों के लिए ज्ञान देते हैं, वो शरणार्थियों के लिए जब CAA का कानून बनता है तो विरोध करते हैं। जो लोग दिन रात संविधान की दुहाई देते हैं, वो आर्टिकल 370 जैसी अस्थाई व्यवस्था हटाकर, जम्मू-कश्मीर में पूरी तरह संविधान को लागू करने का विरोध करते हैं। जो लोग न्याय की बात करते हैं, वो सुप्रीम कोर्ट का एक फैसला उनके खिलाफ जाने पर देश की सर्वोच्च अदालत की नीयत पर ही सवाल खड़े कर देते हैं।

 

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