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मुझे खुशी है कि लोकसभा अध्यक्ष ने आपातकाल की निंदा की- प्रधानमंत्री मोदी

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लोकसभा अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभालते ही ओम बिरला ने अपने पहले संबोधन में आपातकाल का जिक्र किया। ओम बिरला ने कहा कि यह सदन 1975 में देश में आपातकाल लगाने के निर्णय की निंदा करता है। उन्होंने कहा कि 25 जून, 1975 को भारत के इतिहास में हमेशा एक काले अध्याय के रूप में जाना जाएगा। लोकसभा अध्यक्ष के इस बयान पर कांग्रेस ने हंगामा शुरू कर दिया, लेकिन स्पीकर को इस पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ तमाम सांसदों का साथ मिला। 

लोकसभा अध्यक्ष की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा है कि ‘मुझे खुशी है कि माननीय अध्यक्ष ने आपातकाल की कड़े शब्दों में निंदा की है। उन्होंने आपातकाल के दौरान की जाने वाली ज्यादतियों को उजागर किया और यह भी बताया कि किस तरह से लोकतंत्र का गला घोंटा गया था। उस दौरान कष्ट झेलने वाले लोगों के सम्मान में मौन धारण करना बहुत भावपूर्ण था। आपातकाल 50 साल पहले लगाया गया था, लेकिन आज के युवाओं के लिए इसके बारे में जानना महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह इस बात का सटीक उदाहरण है कि जब संविधान को रौंदा जाता है, जनमत को दबाया जाता है और संस्थाओं को नष्ट किया जाता है, तो क्या होता है। आपातकाल के दौरान होने वाली घटनाओं से पता चलता है कि तानाशाही कैसी होती है।’

ओम बिरला ने इमरजेंसी को लेकर लोकसभा में दो मिनट का मौन भी रखा। उन्होंने कहा कि ये सदन 1975 में देश में आपातकाल लगाने के निर्णय की कड़े शब्दों में निंदा करता है। इमरजेंसी के दौरान भारत के नागरिकों के अधिकार नष्ट कर दिए गए, नागरिकों से उनकी आजादी छीन ली गई। ये वो दौर था जब विपक्ष के नेताओं को जेलों में बंद कर दिया गया। इस दौरान विपक्ष ने जमकर हंगामा किया। लेकिन अपना संबोधन जारी रखते हुए स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि हम उन सभी लोगों के दृढ़ संकल्प की सराहना करते हैं जिन्होंने आपातकाल का विरोध किया, संघर्ष किया और भारत के लोकतंत्र की रक्षा का दायित्व निभाया। 25 जून 1975 को भारत के इतिहास में हमेशा एक काले अध्याय के रूप में जाना जाएगा। इस दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लागू किया और बाबा साहेब अंबेडकर द्वारा बनाए गए संविधान पर हमला किया। भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों को कुचला गया और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का गला घोंटा गया।

लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि इमरजेंसी के दौरान लोगों को कांग्रेस सरकार द्वारा जबरन थोपी गई अनिवार्य नसबंदी का, शहरों में अतिक्रमण हटाने के नाम पर की गई मनमानी का और सरकार की कुनीतियों का प्रहार झेलना पड़ा। ये सदन उन सभी लोगों के प्रति संवेदना जताना चाहता है। उन्होंने आगे कहा कि इमरजेंसी के उस काले कालखंड में, कांग्रेस की तानाशाह सरकार के हाथों अपनी जान गंवाने वाले भारत के ऐसे कर्तव्यनिष्ठ और देश से प्रेम करने वाले नागरिकों की स्मृति में हम दो मिनट का मौन रखते हैं।

देखिए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के संबोधन का वीडियो-

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