प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हर मौसम में आवागमन के लिए अनुकूल जिस सड़क परियोजना की आधारशिला कुछ महीनों पहले रखी थी, उसके एक महत्वपूर्ण चरण पर काम तेज गति से आरंभ हो चुका है। उत्तराखंड में पिथौरागढ़ और टनकपुर को जोड़ने वाली 12 मीटर चौड़ी सड़क पर काम तेजी से चल रहा है। पहाड़ी क्षेत्रों से गुजरने वाली 150 किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण वर्ष 2019 तक पूरा कर लिया जाएगा। इस सड़क के बनने से नेपाल की सीमा तक सैन्य साजो-सामान को किसी भी मौसम में पहुंचाने में कोई बाधा नहीं होगी और पूर्वोत्तर सीमा पर चीन से मिलने वाली किसी भी चुनौती से निपटने में सेना और अधिक सक्षम और सशक्त होगी। प्रधानमंत्री मोदी ने देश में सड़कों का जाल बिछाने की कई महत्वाकांक्षी योजनाएं आरंभ की हैं, जिससे देश की आर्थिक प्रगति के साथ-साथ सामरिक सुरक्षा में भी जबर्दस्त बढ़ोतरी हो रही है।
पीएम मोदी की ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’- प्रधानमंत्री मोदी ने पूर्वोत्तर राज्यों के विकास के साथ-साथ देश की सामरिक सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ बनाई, जिसके तहत पूर्वोत्तर के सातों राज्यों को पूर्वी और दक्षिणी पूर्वी एशिया के देशों- म्यांमार, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लावोस, फिलीपींस, सिंगापुर, थाइलैंड और वियतनाम से व्यापार करने के लिए फ्रंटलाइन राज्य के रूप में लिया गया। इसी नीति के तहत बांग्लादेश के साथ संबंध सुधारने को प्रधानमंत्री मोदी ने प्राथमिकता दी और उसके साथ कई समझौते करके सबंधों को एक ठोस मजबूती दी। पूर्वोत्तर राज्यों के विकास को मजबूती देने के लिए ही प्रधानमंत्री मोदी ने ASEAN देशों की पिछले तीन सालों में कई यात्राएं कीं और सामरिक महत्त्व के कई समझौते किये। आज इन देशों से संबंध एक नई ऊंचाई पर पहुंच चुके हैं। देश में ऐसा पहली बार होगा, जब वर्ष 2018 के गणतंत्र दिवस समारोह में ASEAN देशों के सभी दस राष्ट्रों के शासनाध्यक्ष अतिथि के रूप में उपस्थित होंगे। एक तरफ इन राज्यों से सटे हुए देशों के साथ संबंधों को मजबूत किया जा रहा है तो दूसरी ओर सड़कों, रेल, बंदरगाहों का निर्माण करके इन राज्यों द्वारा इन देशों से व्यापार करने की सुविधा बढ़ाई जा रही है। इस नीति से पूर्वोत्तर राज्यों का आर्थिक विकास तो होगा ही, साथ ही साथ सामरिक स्तर पर भारत की सुरक्षा मजबूत होगी।
जापान की भागीदारी-पूर्वोत्तर के राज्यों के विकास में ASEAN देशों के साथ-साथ जापान की एक बड़ी भूमिका है। जापान, भारत का शुरू से सहयोगी रहा है और भारत के आधारभूत ढांचे के विकास के लिए निवेश करता रहा है। जापान में वर्ष 2012 में शिंजों अबे की सरकार बनने और वर्ष 2014 में नरेन्द्र मोदी के भारत में प्रधानमंत्री बनने से रिश्तों में एक नई ताजगी आई है। जापान वर्ष 2019 तक भारत में 33 बिलियन डॉलर का निवेश कर रहा है। इसके अतिरिक्त प्रधानमंत्री मोदी की सामारिक दृष्टि से महत्वपूर्ण कई परियोजनाओं में भी जापान निवेश करने की तैयारी कर रहा है।
• अरुणाचल प्रदेश में पनबिजली परियोजना
• नेपाल, बांग्लादेश, म्यांमार से जोड़ने के लिए सड़क और पुल परियोजना
• इंफाल (मणिपुर) को मोरेह (म्यांमार) की सड़क परियोजना
• म्यांमार के Dawei SEZ से पूर्वोत्तर राज्यों को जोड़ने की परियोजना
• म्यांमार Sittwe बंदरगाह से जोड़ने वाली Kaladan Multimodal Transit Transport Project
• पूर्वोत्तर राज्यों में स्मार्ट सिटी परियोजना
• बांग्लादेश, नेपाल, म्यांमार से लगे नेशनल हाईवे 51 व 54 को upgrade करने की परियोजना
• त्रिपुरा की फेनी नदी पर पुल परियोजना, जो अगरतल्ला को बांग्लादेश के चिटगांव से जोड़ेगी।
• आयजोल- तियुपांग(मिजोरम) सड़क परियोजना- यह परियोजना 32 देशों के सहयोग से बनने की तैयारी में Great Asian Highway का हिस्सा होगी। Great Asian Highway, 141,000 किमी. लंबी सड़कों का नेटवर्क होगी।
सागरमाला परियोजना- प्रधानमंत्री मोदी की एक अन्य महत्वपूर्ण सागरमाला परियोजना है। इस परियोजना पर लगभग 70 हजार करोड़ रुपये का खर्च आएगा, जो पूर्व और पश्चिम में स्थित बंदरगाहों को सड़क और रेल मार्ग से जोड़ने की योजना है। इस योजना से देश के शिपिंग क्षेत्र की तस्वीर पूरी तरह से बदल जाएगी। जलमार्ग से माल की ढुलाई से देश में औसतन हर साल 40 हजार करोड़ रुपये की बचत होगी और देश के अंदर जलमार्गों का विकास होगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने सड़क परियोजनाओं के जरिए देश में आर्थिक गति को तेज करने के साथ-साथ देश की सामरिक सुरक्षा को मजबूत करने का एक दूरदर्शी कदम उठाया है। सड़कों से देश के सकल घरेलू उत्पाद के साथ साथ प्रति व्यक्ति आय में भी बढ़ोतरी होगी, जो भारत को कुछ ही वर्षों में आर्थिक रूप से संपन्न कर देगी।