प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार, 19 नवंबर, 2025 को आंध्र प्रदेश के पुट्टापर्थी में श्री सत्य साईं बाबा की पवित्र महासमाधि पर श्रद्धासुमन अर्पित किए और साईं बाबा के जन्म शताब्दी समारोह में हिस्सा लिया। इस मौके पर उन्होंने बाबा के जीवन और शिक्षाओं पर आधारित स्मारक सिक्का और डाक टिकटों का सेट जारी किया।

भावपूर्ण संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारतीय सभ्यता का मूल मंत्र ही सेवा रहा है और यही हमारे आध्यात्मिक और दार्शनिक मार्ग की आत्मा है। उन्होंने कहा कि भक्ति हो, ज्ञान हो या कर्म हर मार्ग अंत में सेवा में जाकर मिलता है।
प्रधानमंत्री ने साईं बाबा के लोकप्रिय सूत्र ‘Love All, Serve All’ का जिक्र करते हुए कहा कि बाबा ने सेवा को सिर्फ उपदेश नहीं, बल्कि love in action के रूप में जिया। उन्होंने बताया कि शिक्षा, स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास और मानवीय कार्यों के रूप में खड़ी साईं संस्थाएं इस बात का जीवंत प्रमाण हैं कि महान आत्माओं का प्रभाव समय के साथ और बढ़ता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि साईं बाबा का संदेश आश्रम की सीमाओं तक सीमित नहीं, बल्कि गांवों, बस्तियों, स्कूलों और आदिवासी इलाकों तक समाज की प्रेरणा बनकर फैला है। उन्होंने याद करते हुए कहा कि गुजरात भूकंप के दौरान सत्य साईं सेवादल के लोगों ने राहत कार्यों में अहम भूमिका निभाई थी।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पिछले 11 वर्षों में भारत ने सामाजिक सुरक्षा के क्षेत्र में बड़ा विस्तार किया है। 2014 में जहां 25 करोड़ लोग सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से जुड़े थे, आज यह संख्या लगभग 100 करोड़ के करीब पहुंच चुकी है। उन्होंने इसे ‘गरीब कल्याण की ऐतिहासिक उपलब्धि’ बताया।

समारोह में 20,000 बेटियों के नाम पर सुकन्या समृद्धि योजना के खाते खोले गए। उन्होंने बताया कि देशभर में अब तक 4 करोड़ से अधिक बेटियों के खाते खोले जा चुके हैं और इन खातों में 3.25 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा जमा हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि यह योजना बेटियों के उज्ज्वल भविष्य और शिक्षा के लिए मजबूत सुरक्षा कवच है।

कार्यक्रम में गो-दान का भी आयोजन हुआ, जिसमें 100 गायें गरीब किसानों को दी गईं। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में गाय सिर्फ आस्था का विषय नहीं, बल्कि पोषण, आय और सामाजिक स्थिरता का आधार भी है। उन्होंने वाराणसी और रवांडा में गाय आधारित मॉडल को उदाहरण के रूप में पेश किया।

अपने संबोधन के अंत में पीएम मोदी ने देशवासियों से Vocal for Local को जन आंदोलन बनाने की अपील की। उन्होंने कहा कि स्थानीय उत्पाद खरीदकर हम सिर्फ एक वस्तु नहीं लेते, बल्कि एक परिवार, छोटे उद्यम और स्थानीय सप्लाई-चेन को मजबूत करते हैं—यही विकसित भारत का रास्ता है।









