प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि देश महिलाओं के नेतृत्व में विकास की दिशा में आगे बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पिछले नौ वर्षों में देश में महिला सशक्तिकरण पर निरंतर ध्यान दिया गया है। 10 मार्च को महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण पर बजट बाद के वेबिनार को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि नारी शक्ति देश की प्रगति की गति को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। उन्होंने कहा कि हर क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ रही है और अब महिलाएं कई क्षेत्रों में काफी आगे निकल चुकी है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष का बजट महिलाओं के नेतृत्व में विकास के प्रयासों को नई गति देगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि नारीशक्ति की संकल्पशक्ति, इच्छाशक्ति, उनकी कल्पना शक्ति, उनकी निर्णय शक्ति, त्वरित फैसले लेने का उनका सामर्थ्य निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए उनकी तपस्या, उनके परिश्रम की पराकाष्ठा, ये हमारी मातृशक्ति की पहचान है, ये एक प्रतिबिंब हैं। नारीशक्ति का ये सामर्थ्य भारत की अनमोल शक्ति है। यही शक्तिसमूह इस शताब्दी में भारत के स्केल और स्पीड को बढ़ाने में बहुत बड़ी भूमिका निभा रही है।
प्रधानमंत्री ने कहा मुद्रा लोन की 70 प्रतिशत लाभार्थी महिलाएं हैं। इसी तरह महिलाएं स्वानिधि के तहत बिना किसी जमानत के ऋण योजनाओं, पशुपालन, मत्स्यपालन, ग्रामीण उद्योग, एफपीओ की संवर्धन योजनाओं और खेल योजनाओं से भी लाभ उठा रही हैं। उन्होंने कहा कि इस बजट में यह बात परिलक्षित होती है कि हम कैसे आधी आबादी को साथ लेकर देश को आगे बढ़ा सकते हैं और कैसे महिला शक्ति की क्षमता को बढ़ा सकते हैं। उन्होंने महिला सम्मान बचत प्रमाणपत्र योजना का जिक्र किया, जिसमें महिलाओं को 7.5 प्रतिशत ब्याज मिलेगा। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “पीएम आवास योजना के लिए 80 हजार करोड़ रुपये महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक कदम है, क्योंकि तीन करोड़ से अधिक आवास महिलाओं के नाम पर हैं।” उन्होंने कहा, “पीएम आवास ने घरों के आर्थिक निर्णयों में महिलाओं को नई आवाज दी है।”
प्रधानमंत्री ने श्री अन्न को प्रोत्साहित करने में महिला स्व-सहायता समूहों की भूमिका पर बात की। उन्होंने कहा कि श्री अन्न के विषय में पारंपरिक अनुभव रखने वाली एक करोड़ से अधिक जनजातीय महिलाएं इन स्व-सहायता समूहों का हिस्सा हैं। उन्होंने कहा, “हमें श्री अन्न और उससे बने प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के लिए बाजार सम्बन्धी अवसरों की पड़ताल करनी होगी। कई स्थानों पर, सरकारी संगठन जंगल के छोटे उत्पादों के प्रसंस्करण में मदद कर रहे हैं और उन्हें बाजार में उतार रहे हैं। आज, दूर-दराज के इलाकों में अनेक स्व-सहायता समूहों का गठन हो गया है, हमें इन्हें और विस्तार देना होगा।”
प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू के उस आलेख का जिक्र देते हुए अपना सम्बोधन समाप्त किया, जिसको राष्ट्रपति ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर लिखा था। उन्होंने कहा, ”हम सबकी, बल्कि प्रत्येक व्यक्ति की ये जिम्मेदारी है कि इस प्रगति को तेज गति प्रदान की जाए। इसलिए आज मैं आप सबसे, प्रत्येक व्यक्ति से, अपने परिवार, आस-पड़ोस अथवा कार्यस्थल में एक बदलाव लाने के लिए स्वयं को समर्पित करने का आग्रह करना चाहती हूं। ऐसा कोई भी बदलाव, जो किसी बच्ची के चेहरे पर मुस्कान बिखेरे, ऐसा बदलाव, जो उसके लिए जीवन में आगे बढ़ने के अवसरों में वृद्धि करे। आपसे मेरा ये अनुरोध, हृदय की गहराइयों से निकला है।”