प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का सपना है कि भारत का भविष्य स्वच्छ ऊर्जा से भरा हो। प्रधानमंत्री के इस सपने को साकार करने की दिशा में नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय-Ministry of New and Renewable Energy (MNRE) ने कई कदम उठाए हैं। इस मंत्रालय का व्यापक उद्देश्य देश की ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए नवीन और अक्षय ऊर्जा का विकास करना और Installed Capacity को बढ़ाना है।

1. इंटरनेशनल सोलर अलायंस का काम शुरू
भारत अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। भारत ने फ्रांस के साथ मिलकर इंटरनेशनल सोलर अलायंस (ISA) के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। ISA ने पिछले छह दिसंबर को भारत में अपने मुख्यालय के साथ कानूनी इकाई के तौर पर कार्य करना शुरू कर दिया। इस संगठन में 121 सदस्य देश शामिल हैं। इसमें ऐसे देश शामिल हैं जो मकर और कर्क रेखा पर पड़ते हैं और लक्ष्य है सौर ऊर्जा को अधिक-से-अधिक बढ़ावा देना।

2. 2022 तक 175 गीगावाट की अक्षय ऊर्जा का लक्ष्य
भारत सरकार ने 2022 के आखिर तक 175 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा संस्थापित क्षमता का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसमें से 60 गीगावाट पवन ऊर्जा से, 100 गीगावाट सौर ऊर्जा से, 10 गीगावाट बायोमास ऊर्जा से एवं पांच गीगावाट लघु पनबिजली से शामिल है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए पिछले दो वर्षों के दौरान सोलर पार्क, सोलर रूफटॉप योजना, सौर रक्षा योजना, नहर के बांधों तथा नहरों के ऊपर सीपीयू सोलर पीवी पॉवर प्लांट के लिए सौर योजना, सोलर पंप, सोलर रूफटॉप के लिए बड़े कार्यक्रम शुरू किये गए हैं।
3. सौर ऊर्जा क्षमता-स्थापना का लक्ष्य बढ़ाया
राष्ट्रीय सौर मिशन के तहत सौर ऊर्जा क्षमता स्थापित करने के लक्ष्य को 20 गीगावाट से बढ़ाकर वर्ष 2021-22 तक 100 गीगावाट कर दिया गया है। वर्ष 2017-18 के लिए 10,000 मेगावाट का लक्ष्य रखा गया है, जिसकी बदौलत 31 मार्च, 2018 तक संचयी क्षमता 20 गीगावाट (GW) से अधिक हो जाएगी।

4. कुरनूल सोलर पार्क विश्व का सबसे बड़ा सोलर पार्क बना
21 राज्यों में कुल मिलाकर 20,514 मेगावाट क्षमता के 35 सोलर पार्कों को मंजूरी दी गई है। आंध्र प्रदेश में 1,000 मेगावाट क्षमता के कुरनूल सोलर पार्क को पहले ही चालू किया जा चुका है और इसका परिचालन जारी है। एक ही स्थान पर 1000 मेगावाट क्षमता के सोलर पार्क के चालू हो जाने से कुरनूल सोलर पार्क अब दुनिया के सबसे बड़े सोलर पार्क के रूप में उभर कर सामने आया है।
5. सोलर लाइटिंग सिस्टम की स्थापना में तेजी
30 नवम्बर, 2017 तक देश भर में 41.80 लाख से भी ज्यादा सोलर लाइटिंग प्रणालियां, 1.42 लाख सोलर पम्प और 181.52 MWEQ के पावर पैक स्थापित किये गए हैं। इनमें से 18.47 लाख सोलर लाइटिंग प्रणाली, 1.31 लाख सोलर पम्प और 96.39 MWEQ के पावर पैक पिछले साढ़े तीन वर्षों के दौरान स्थापित किये जाने की जानकारी मिली है।

6. सोलर रूफटॉप और छोटे सौर ऊर्जा संयंत्र कार्यक्रम
मंत्रालय ग्रिड कनेक्टेड रूफटॉप और छोटे सौर ऊर्जा संयंत्र कार्यक्रम क्रियान्वित कर रहा है। इसके तहत आवासीय, सामाजिक, सरकारी और संस्थागत क्षेत्रों में प्रोत्साहन के जरिए 2100 मेगावाट की क्षमता स्थापित की जा रही है। विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक और नव विकास बैंक की ओर से लगभग 1375 मिलियन अमेरिकी डॉलर के रियायती ऋण सोलर रूफटॉप परियोजनाओं के लिए भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक और केनरा बैंक को उपलब्ध कराए गए हैं।

7. पवन ऊर्जा क्षमता-स्थापना में भारत दुनिया में चौथे नंबर पर
भारत में पवन ऊर्जा उपकरण निर्माण का मजबूत आधार है। भारत में बनाई जाने वाली पवन टर्बाइन विश्व गुणवत्ता मानको के अनुरूप है और यूरोप, अमेरिका तथा अन्य देशों से आयातीत टर्बाइनों में सबसे कम लागत की है। वर्ष 2016-17 के दौरान पवन ऊर्जा में 5.5 गीगावाट की क्षमता जोड़ी गई जो देश में अब तक एक वर्ष में जोड़ी गई क्षमता में सबसे अधिक है। पवन ऊर्जा क्षमता की स्थापना में भारत विश्व में चीन, अमेरिका और जर्मनी के बाद चौथे स्थान पर है।
8. लक्ष्य से अधिक पनबिजली क्षमता सृजन
2016-17 में 5502.39 मेगावाट की अब तक की सबसे अधिक पनबिजली क्षमता सृजन दर्ज की गई, जो लक्ष्य की तुलना में 38 प्रतिशत अधिक है। लघु पन बिजली संयंत्रों से पिछले साढ़े तीन वर्षों के दौरान ग्रिड कनेक्टेड नवीकरणीय ऊर्जा के तहत 0.59 गीगावाट का क्षमता सृजन किया गया है।

9. महंगे आयातित फॉसिल ईंधनों पर निर्भरता में कमी
नवीकरणीय स्वदेशी संसाधनों के बढ़ते उपयोग से महंगे आयातित फॉसिल ईंधनों पर भारत की निर्भरता में कमी आने की उम्मीद है। लगभग 3 प्रतिशत बंजर भूमि के अनुमान के साथ भारत के पास 1096 गीगावाट की वाणिज्यिक अक्षय ऊर्जा स्रोतों से अनुमानित अक्षय ऊर्जा क्षमता है, जिसमें पवन – 302 गीगावाट; लघु हाइड्रो – 21 गीगावाट; जैव ऊर्जा 25 गीगावाट; और 750 गीगावाट सौर ऊर्जा शामिल है।

10. 49.8 लाख तक पहुंचे पारिवारिक बायोगैस संयंत्र
राष्ट्रीय बायोगैस एवं खाद प्रबंधन कार्यक्रम (NBMMP) के तहत मुख्य रूप से ग्रामीण एवं अर्द्धशहरी परिवारों के लिए पारिवारिक स्तर के बायोगैस संयंत्र स्थापित किए जाते हैं। 2017-18 के दौरान 0.15 लाख बायोगैस प्लांट की स्थापना की गई है जिससे 30 नवंबर 2017 तक कुल संचयी उपलब्धि 49.8 लाख बायोगैस संयंत्र तक पहुंच गई है।
 
                 
		








