Home विशेष अल्पसंख्यक-विकास के लिए मोदी सरकार के 10 कदम

अल्पसंख्यक-विकास के लिए मोदी सरकार के 10 कदम

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नरेन्द्र मोदी सरकार की तमाम नीतियों में मुस्लिम एवं अल्पसंख्यक वर्ग के हितों का पूरा-पूरा ध्यान रखा जाता है। इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण हैं वे अनेक योजनाएं, जिसमें इस वर्ग की व्यावहारिक समस्याओं को समझते हुए इनके विकास को प्रमुखता दी गई है। आइए एक नजर डालते हैं मोदी सरकार द्वारा अल्पसंख्यकों के विकास के लिए 10 कदमों पर-

1. नई मंजिल योजना

यह योजना आरंभ करने का उद्देश्य देश में अल्पसंख्यक समुदायों की प्रगति और सशक्तीकरण के संबंध में समग्र दृष्टिकोण एवं अल्पसंख्यकों, विशेषकर मुसलमानों की शिक्षा व उनके जीविकोपार्जन की आवश्यकताओं में सहायता देना था। साथ ही इस योजना द्वारा बीच में ही पढ़ाई छोड़ देने वाले अथवा मदरसों में पढ़ाई करने वाले छात्रों को शिक्षा के लिए पुन:प्रेरित कराने के अतिरिक्त रोजगार के दृष्टिकोण से नई दिशा में प्रेरित करना भी रहा। सबसे महत्वपूर्ण यह था कि ब्रिज पाठ्यक्रमों द्वारा शैक्षिक भागीदारी उपलब्ध कराकर, डिस्टेंस एजुकेशन कोर्स के माध्यम से 10वीं और 12वीं के प्रमाणपत्र उन्हें उपलब्ध कराए जाते थे। इसके अंतर्गत उन्हें चार पाठ्यक्रमों में ट्रेड के आधार पर कौशल प्रशिक्षण भी उपलब्ध कराए जाते थे, जो इस प्रकार थे- विनिर्माण, इंजीनियरिंग, सरल कौशल तथा अन्य सेवाएं। 17 से 35 वर्ष के आयुवर्ग के लोगों के अतिरिक्त मदरसों में पढ़ने वाले छात्र इसका लाभ ले सकते थे। इस योजना के तहत 650 करोड़ रुपये को मंजूरी दी गई थी, जिसका लाभ एक लाख अल्पसंख्यक युवाओं को पहुंचा। अब तक की किसी भी योजना में अल्पसंख्यकों के हित को इतनी प्राथमिकता कभी नहीं दी गई।

2. स्किल इंडिया एवं मेक इन इंडिया

इस योजना के लिए मोदी सरकार ने 2015-2016 में आबंटित धनराशि को लगभग 11 गुना बढ़ा दिया गया, जो कि वर्ष 2013-2014 के 17 करोड़ से बहुत अधिक थी। सरकार के स्किल इंडिया और मेक इन इंडिया के अनुपालन में अल्पसंख्यकों के कौशल विकास के लिए सीखो और कमाओ की अवधारणा को प्राथमिकता दी गई, जिसमें 1.23 लाख अल्पसंख्यक युवाओं को प्रशिक्षित करने के लिए 191.96 करोड़ रुपयों को स्वीकृति प्रदान की गई। यह संख्या 2015-2016 में बढ़कर 210 करोड़ हो गई, जिससे 1.25 लाख अल्पसंख्यक युवा लाभांवित हुए।

3. नई रोशनी योजना

अल्‍पसंख्‍यक महिलाओं की नेतृत्‍व क्षमता को विकसित करने हेतु एक विशेष योजना नई रोशनी को क्रियान्वित किया गया, जिससे कि सरकारी प्रणाली, बैंकों और अन्‍य माध्‍यमों के साथ समन्वयन स्थापित करने के लिए आवश्यक जानकारी उनके पास उपलब्ध हो। यह प्रयास उनके आत्मविश्वास को बढ़ाने में भी कारगर साबित होता। वर्ष 2014-15 और 2015-16 के दौरान अल्‍पसंख्‍यक मामलों के अंतर्गत मंत्रालय ने 28.98 करोड़ रुपए खर्च करके 24 राज्‍यों की 1.30 लाख से अधिक महिलाओं को प्रशिक्षित किया। अभी हाल में नीति आयोग ने स्‍वतंत्र रूप से योजना के कार्यान्‍वयन का मूल्‍यांकन किया है। सरकार के इस प्रयास को बड़े स्तर पर सहारना प्राप्त हुई।

4. उस्ताद [अपग्रेडिंग द स्किल्स एंड ट्रेनिंग ट्रेडिशनल आर्टस/क्राफ्ट्स फॉर डेवलपमेंट]

सरकार ने हस्तशिल्पियों, पारंपरिक दस्तकारों के हितों की रक्षा के लिए एवं उनकी समस्याओं को समझते हुए व्यावहारिक धरातल पर और भी कई कदम उठाए। अशिक्षा, अज्ञानता और गरीबी के चलते इस वर्ग के अनेक लोग अपनी कलाओं से दूर हो रहे थे। पारंपरिक धरोहरों के प्रति इस विमुखता को देखते हुए ही सरकार ने इस योजना को आरंभ किया था और इसमें ऐसी नीतियों को प्रमुखता दी थी, जिससे इस स्थिति में परिवर्तन लाया जा सके। साथ ही पारंपरिक कौशलों, डिजाइन विकास, क्षमता निर्माण और उस्‍ताद दस्‍तकारों और हस्‍तशि‍ल्पियों के पारंपरिक कौशल को बढ़ाने संबंधी मानक भी निर्धारित किए जा सकें और कौशलों का संरक्षण भी हो सके। इस योजना के लक्ष्यों में एक उद्देश्‍य यह भी रहा कि विभिन्‍न पारंपरिक कलाओं में संलग्‍न अल्‍पसंख्‍यक युवाओं को इस कला में दक्ष-प्रवीण दस्‍तकारों और हस्‍तशिल्पियों द्वारा अतिरिक्त प्रशिक्षण दिलाया जा सके। डिजाइन हस्‍तक्षेप, उत्‍पाद श्रेणी विकास, पैकेजिंग, प्रदर्शनी जैसी गतिविधियों के लिए राष्‍ट्रीय फैशन प्रौद्योगिकी संस्‍थान (एनआईएफटी), राष्‍ट्रीय डिजाइन संस्‍थान (एनआईडी) और भारतीय पैकेजिंग संस्‍थान (आईआईपी) की सहायता लेना भी इस योजना का हिस्सा रहा। इसके अलावा बिक्री बढ़ाने के लिए इ-बाजार पोर्टल और ब्रांड निर्माण के लिए इन संस्‍थानों का सहयोग आपेक्षित रहा। राष्‍ट्रीय और अंतर्राष्‍ट्रीय बाजार के साथ सम्‍पर्क स्‍थापित करने के लिए इ-वाणिज्‍य पोर्टल के साथ समन्वय स्थापित किया गया।

5. हमारी धरोहर योजना

मोदी सरकार की नीतियों में इस बात का ध्यान भी रखा गया कि अल्पसंख्यकों की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत व परंपराओं को भी सहेजा जा सके, उनका संरक्षण भी सुनिश्चित हो। इसके लिए इन इमारतों के रखरखाव पर विशेष रूप से ध्यान दिया जाता है।  हमारी धरोहर योजना प्रारंभ करने का मूल उद्देश्य भी यही है। द एवरलास्टिंग फ्लेम इंटरनेशनल प्रोग्राम इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए शुरू किया गया। यह अपने तौर पर अनोखी ही पहल थी।

6. प्रोग्रेस पंचायत कार्यक्रम

इस कार्यक्रम के अंतर्गत ग्रामीण स्तर पर जाकर मुस्लिम एवं अल्पसंख्यक वर्ग को सीधे उन योजनाओं से अवगत कराया जाता रहा है, जो विशेष रूप से उन्हें ही केंद्र में रखकर बनाई गई है, परंतु वे इससे अनभिज्ञ हैं। इस प्रयास को आरंभ हुए भी अभी कुछ ही समय हुआ है, जब केंद्र सरकार ने जिला स्तर पर गठित निगरानी सह अनुश्रवण समिति को भंग कर दिया था और उसके स्थान पर डिस्ट्रिक्ट डेवलपमेंट को-ऑर्डिनेशन एंड मॉनिटरिंग कमेटी [दिशा] गठित की गई थी। सांसदों को इसका अध्यक्ष घोषित किया गया और निश्चित किया गया कि केंद्र द्वारा प्रायोजित सारी योजनाओं पर इसी के द्वारा समीक्षा की जाएगी।

7. वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा हेतु उठाए गए कदम

सरकार ने इस दिशा में भी संवेदनशीलता बरतते हुए अनेक कदम उठाए हैं। वक्फ संपत्तियों को किसी भी प्रकार के अतिक्रमण से बचाने तथा अनाधिकृत हस्तक्षेप रोकने हेतु सरकार ने राष्ट्रीय दूर संवेदी केंद्र द्वारा सबसे पहले उन संपत्तियों की मैपिंग कराई और फिर उनके संरक्षण हेतु पर्याप्त व्यवस्था की गई। इनमें शामिल स्थान भी मुस्लिम बहुल थे।

8. तीन तलाक पर राहत

मोदी सरकार के प्रयास से मुस्लिम महिलाओं ने अपनी सबसे बड़ी त्रासदी पर विजय प्राप्त की, वह है- तीन तलाक। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में इसे अवैध करार दिया। इससे पहले किसी ने इस बात पर शायद ही इतनी चिंता प्रकट की हो कि तीन तलाक के कारण मुस्लिम महिलाओं की दशा कितनी शोचनीय हो जाती थी। न केवल सामने, बल्कि फोन पर या एसएमएस द्वारा भी तीन तलाक के अनेक मामले सामने आए हैं।ऐसे में समझा जा सकता है कि यह फैसला मुस्लिम महिलाओं के लिए कितनी बड़ी राहत साबित हुआ है।

9. एनएमडीएफसी के प्रयास

राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास एवं वित्त निगम [एनएमडीएफसी] द्वारा अल्पसंख्यकों को अपना रोजगार आरंभ करने हेतु बहुत ही कम बयाज दर पर लोन उपलब्ध कराता है। यह बात ध्यान देने योग्य है कि अपने को मुस्लिम शुभचिंतक कहने वाली तत्कालीन सरकार ने वर्ष 2012-2013 से ही एनएफडीसी को दी जाने वाली इक्विटी को बाधित रखा था, क्योंकि उनके अधिकृत शेयरों में वृद्धि नहीं थी। मोदी सरकार का यह प्रयास केवल सराहनीय ही नहीं, बल्कि ऐतिहासिक है, जिसमें उन्होंने एनएमडीएफसी की अधिकृत शेयर पूंजी को एक बार में ही 1500 से बढ़ाकर 3000 रुपये करके दोगुना कर दिया।

10. ‘कोलेट्रल’ से मिला बड़ा लाभ

सरकार के प्रयासों से गरीबों के बैंक एकाउंट खुले, जिससे बचत के रूप में उनका आर्थिक सशक्तीकरण हुआ। मुद्रा योजना का सबसे अधिक लाभ सीधे-सीधे मुसलमानों को ही मिला है, क्योंकि मुस्लिम समुदाय में अधिकांश युवा अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़कर छोटे-मोटे काम-धंधों में लग जाते हैं। अपना इस तरह का कोई भी व्यवसाय शुरू करने में मुद्रा योजना के द्वारा उन्हें आर्थिक सहायता सहजता से प्राप्त हो जाती है। साथ ही ‘कोलेट्रल’ भी एक ऐसा ही सशक्त माध्यम है, जिसके अन्तर्गत बिना कोई संपत्ति या आभूषण इत्यादि गिरवी रखे भी सीधे लोन लिया जा सकता है। इससे पहले ऐसा होने की कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था।

इसके अतिरिक्त केंद्र सरकार के 17 विभागों के वार्षिक बजट का 15 प्रतिशत भाग अल्पसंख्यकों पर खर्च किए जाने संबंधी योजनाओं पर भी कार्य हुआ। 

 

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