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पाक प्रायोजित आतंकवाद को मोदी सरकार का करारा जवाब, भर्ती हो रहे दो… मारे जा रहे चार

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कश्मीर में आतंकवादियों को समूल खत्म करने की ओर बढ़ रहे सुरक्षा बलों को जबरदस्त सफलता मिल रही है। इनकी सतर्कता और मोदी सरकार की आतंकमुक्त कश्मीर नीति की वजह से आतंकवादी अब जान बचाने की फिक्र में हैं। सुरक्षा बलों की कार्रवाई से डरकर आतंकी भाग रहे हैं। सेना के एक्शन के कारण एक तो नये आतंकवादियों की भर्ती नहीं पा रही है ऊपर से हाल ये है कि जितनी भर्ती होते हैं उससे दोगुने आतंकवादियों को ढेर कर दिया जा रहा है। दरअसल जम्मू और कश्मीर में मजबूत ग्राउंड इंटेलिजेंस की सहायता से जारी आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई से आतंकी संगठनों की कमर टूट गई है। इतना ही नहीं राज्य में अलगाववादी अब अपनी गतिविधियों के लिए विदेशी घुसपैठियों पर अधिक निर्भर रह रहे हैं।

आतंकियों की संख्या में कमी
इंटेलिजेंस रिकॉर्ड के अनुसार इस साल जम्मू कश्मीर में जहां 71 आतंकियों की भर्ती हुई है, वहीं 132 आतंकियों को सैन्य ऑपरेशन में मार गिराया गया है। पाकिस्तान और PoK से इस साल जुलाई तक 78 आतंकवादियों ने घुसपैठ की है। वहीं पिछले वर्ष 2016 में यह आंकड़ा कुल मिलाकर 123 था। इस ट्रेंड को देखते हुए घाटी में सक्रिय आतंकियों की संख्या में गिरावट दर्ज की गई है।

कश्मीर घाटी में 132 आतंकी ढेर
इस साल सैन्य ऑपरेशनों में जिन 132 आतंकियों को ढेर किया गया, उनमें से 74 पाकिस्तानी आतंकवादी थे, जबकि 58 स्थानीय थे। इन आतंकियों में से 14 लश्कर-ए-तैयबा, हिज्बुल मुजाहिदीन और अल-बद्र के टॉप कमांडर थे। राज्य पुलिस, सेना और सीआरपीएफ के साझा ऑपरेशनों से बड़ी सफलता मिल रही है।

कुख्यात आतंकियों का खात्मा
बीते तीन महीनों में ही कई बड़े आतंकी ढेर हो चुके हैं। हाल में जो आतंकी मारे गए हैं उनमें ए++ कैटेगरी का पाकिस्तानी आतंकी अबु दुजाना लश्करे तैय्यबा का साउथ कश्मीर का डिवीजनल कमांडर था। सबजार अहमद बट्ट हिजबुल-मुजाहिदीन का कमांडर था। जुनैद लश्कर का कमांडर था। यासीन इट्टू उर्फ ‘गजनवी’ हिजबुल मुजाहिदीन के एक टॉप कमांडर था। इनके अलावा बशीर वानी, सद्दाम पद्दर, मोहम्मद यासीन और अल्ताफ मारे गए हैं। ये सब सुरक्षा बलों की ‘मोस्ट वांटेड’ सूची में थे।

मारे गए प्रमुख आतंकियों की सूची

  • बुरहान मुजफ्फर वानी, हिजबुल मुजाहिदीन
  • अबु दुजाना, लश्कर ए तैयबा कमांडर
  • बशीर लश्करी, लश्कर ए तैयबा
  • सब्जार अहमद बट्ट, हिजबुल मुजाहिदीन
  • जुनैद मट्टू, लश्कर ए तैयबा
  • सजाद अहमद गिलकर, लश्क ए तैयबा
  • आशिक हुसैन बट्ट, हिजबुल मुजाहिदीन कमांडर
  • अबू हाफिज, लश्कर ए तैयबा
  • तारिक पंडित, हिजबुल मुजाहिदीन
  • यासीन इट्टू ऊर्फ गजनवी, हिजबुल मुजाहिदीन

मदद की ‘भीख’ मांग रहे आतंकवादी
हिजबुल आतंकी सैफुल्लाह कश्मीरी का एक नया वीडियो सामने आया है। इसमें वह कश्मीर में सेना के लगातार हो रहे ऑपरेशन और एनआईए की कार्रवाई का जिक्र कर रहा है। एक निजी चैनल ने दावा किया है कि उसके पास यह वीडियो है उसमें वह कह रहा है कि कश्मीरी लोगों से अपील की है कि सेना का विरोध करे। यही नहीं आतंकियों की घाटी में मदद की भी गुहार लगाई है। इसमें वह ये भी कह रहा है कि सेना और एनआइए के ऑपरेशन से उनके हौसले पस्त नहीं होंगे। साफ है कि आतंकियों को अब स्थानीय मदद भी मुश्किल से मिल रही है और उनके पांव उखड़ने लगे हैं। 

इंटेलिजेंस इनपुट में हुआ सुधार
कश्मीर के पुलवामा जिले में लश्करे तैयबा के कमांडर अबु दुजाना के मारे जाने के पीछे एक वजह यह भी है कि विदेशी आतंकवादियों और स्थानीय गिरोहों के बीच टकराव पैदा हो गया है। विदेशी और स्थानीय आतंकी गिरोहों के बीच टकराव होने के कारण सुरक्षा बलों को गोपनीय सूचनाएं मिलती हैं, जिनके आधार पर सुरक्षा बल कार्रवाई करते हैं। दुजाना और लश्करी जैसे आतंकियों के मारे जाने से यह साफ है कि स्थानीय लोगों से लश्कर और जैश से जुड़े विदेशी आतंकियों से जुड़े इंटेलिजेंस इनपुट्स ज्यादा बेहतर ढंग से मिल रहे हैं।

तीन बिंदुओं पर फोकस कर रही सरकार
सरकार कश्मीर को लेकर मुख्य तौर पर तीन बिंदुओं पर फोकस कर रही है। आतंकी सरेंडर करने से इनकार करते हैं तो उन्हें खत्म कर दिया जाए। इसके लिए सुरक्षाबल एनकाउंटर वाली जगहों पर स्थानीय लोगों के प्रदर्शनों से बेअसर रहते हैं। इसके साथ ही टेरर फंडिंग से जुड़े हुर्रियत अलगाववादियों पर एक्शन हो रहा है। इसके साथ ही स्थानीय नागरिकों के प्रति नरम रुख अपनाया जा रहा है ताकि वे लोग खुद को पीड़ित या हाशिये पर न महसूस करें।

बॉर्डर पर सेना को मिली खुली छूट
पाकिस्तान से आने वाले आतंकवाद पर रोक लगाने के लिए सेना हर कदम पर कुछ ठोस कर रही है। जुलाई महीने के दौरान घुसपैठ में मददगार नौगाम और नौशेरा में पाकिस्तानी सैन्य चौकियों को ध्वस्त कर दिया गया। पहली बार सेना ने कार्रवाई का वीडियो भी जारी किया था। जाहिर है ये भारत की सैन्य कूटनीति के बदलाव की कहानी कहती है। पिछले साल सर्जिकल स्ट्राइक का खुला ऐलान और अब पाकिस्तानी बंकरों को ध्वस्त करने का वीडियो जारी कर भारत ने स्पष्ट संदेश दे दिया कि कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान की चोरी छिपे युद्ध वाली नीति अब नहीं चलने वाली।

‘खोजो और मारो’ का अभियान
11 जुलाई को अमरनाथ तीर्थयात्रियों पर हमले के बाद अब कश्मीर में आतंकियों को जिंदा पकड़ने की बाध्यता को खत्म करते हए ‘खोजो और मारो’ की नयी नीति बनाई गई है। सरकार की इस नयी नीति से आतंक के खिलाफ केंद्र सरकार के कठोर संकल्प का पता चलता है। ‘खोजो और मारो’ अभियान के साथ ही साथ दूसरी रणनीति भी शुरू हो चुकी है, ये रणनीति है आबादी में ‘घेरो, जंगल में मारो’। सरकार का मानना है कि इस रणनीति के तहत कश्मीर घाटी में आतंकियों का सफाया कर पाने में कामयाब हो पाएगी। जाहिर पीएम मोदी की ये सख्त नीति आतंक के खात्मे के लिए एक बड़ी पहल है।

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