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मोदी सरकार के आम बजट में महिला सशक्तीकरण पर जोर

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हर योजना और कदम के केंद्र में देश की आधी आबादी यानी महिलाएं रहती हैं। मोदी सरकार में महिलाओं के सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए जितना काम किया है, उतना पहले किसी भी सरकार ने नहीं किया। गुरुवार को लोकसभा में पेश किए गया आम बजट भी महिला सशक्तीकरण पर केंद्रित रहा। बजट में ग्रामीण, शहरी और नौकरीपेशा महिलाओं के उत्थान के लिए तमाम योजनाओं का ऐलान किया गया। एक नजर डालते हैं-

*ग्रामीण महिलाओं को चूल्हें के धुंए से मुक्ति दिलाने के लिए शुरू की गई उज्ज्वला योजना का दायरा बढ़ा दिया गया है। उज्जवला योजना के तहत मुफ्त रसोई गैस कनेक्शन योजना का लाभ अब 5 करोड़ से बढ़ाकर 8 करोड़ गरीब महिलाओं को दिए जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

*मोदी सरकार ने महिलाओं की गरिमा को ध्यान में रखते हुए वित्त वर्ष 2018-19 में 1.88 करोड़ शौचालय बनाने का लक्ष्य रखा गया है। केंद्र सरकार अब तक 6 करोड़ शौचालयों का निर्माण करवा चुकी है। वहीं वर्ष 2018-19 में ग्रामीण क्षेत्रों में 51 लाख आवास बनाए जाएंगे। इसमें भी ग्रामीण महिलाएं लाभान्वित होंगी।

*सौभाग्य योजना के तहत मोदी सरकार ने 4 करोड़ ग्रामीण आवासों में मुफ्त बिजली कनेक्शन देने का लक्ष्य निर्धारित किया है। जाहिर है कि गांवों में बिजली पहुंचने से सबसे ज्यादा फायदा ग्रामीण महिलाओं को होगा।

*स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से ग्रामीण महिलों के जीवन में बड़े बदलाव आ रहे हैं और वो स्वरोजगार से जुड़ रही हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए मोदी सरकार ने महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों को मार्च 2019 तक 75 हजार करोड़ ऋण देने का लक्ष्य रखा है। सरकार ने राष्ट्रीय आजीविका मिशन का बजट भी बढ़ाया है, इसके लाभार्थियों में महिलाओं की संख्या अधिक है।

*बजट में ऑर्गेनिक खेती के क्षेत्र में महिला स्वयं सहायता समूहों को प्रोत्साहन देने की घोषणा की गई है।

*ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ी संख्या में महिलाएं मत्स्य पालन और पशुपालन से जुड़ी हुई हैं। बजट में मछली व पशुपालन पर खास जोर दिया गया है। इसके लिए 10 हजार करोड़ रुपये का फंड बनाया जाएगा।

*महिला सुरक्षा को लेकर मोदी सरकार हमेशा से गंभीर रही है। बजट में भी यह देखने को मिला है। आम बजट में महिला सुरक्षा के लए 1,366 करोड़ का प्रावधान किया गया है। पिछले वर्ष यह 1,089 करोड़ रुपये था। निर्भया फंड के लिए 500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।

*महिलाओं एवं किशोरियों को कुपोषण से बचाने के लिए शुरू किए गए राष्ट्रीय पोषण मिशन के तहत 3,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। यह रकम पिछले वर्ष से दोगुनी है।

*आम बजट में एक वर्ष में 70 लाख नई नौकरियां सृजित करने का एलान का गया है, जाहिर है इसमें भी महिलाओं के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे और बड़ी संख्या में महिलाएं आत्मनिर्भर होंगी।

*आम बजट में ईपीएफ में महिलाओं का योगदान 12 से 8 फीसद करने का ऐलान किया गया है। अब नौकरी करने वाली महिलाएं अपनी मर्जी से कम ईपीएफ कटवा सकेंगी। इससे उनके हाथ में खर्च के लिए ज्यादा पैसे आएंगे।

*केंद्र सरकार ने नई महिला कर्मचारियों के ईपीएफ में 3 वर्षों तक 8 प्रतिशत का योगदान देने का भी ऐलान किया है।

*नौकरीपेशा महिलाओं की मेटर्निटी लीव को 12 सप्ताह से 26 सप्ताह किया गया है, ताकि महिलाओं को बच्चे की परवरिश के लिए ज्यादा वक्त मिल सके और उन्हें स्वास्थ्य लाभ भी मिल सके।

*आम बजट में अल्पसंख्यक महिलाओं पर भी विशेष फोकस किया गया है। अल्पसंख्यक मामलों के लिए बजट में 4,700 करोड़ का प्रावधान किया गया है। इस बजट का बड़ा हिस्सा शिक्षा पर खर्च किया जएगा।

*मुस्लिम लड़कियों और लड़कों की शिक्षा को ध्याम रखकर 7 नई परियोजनाएं शुरू की जाएगी। इन योजनाओं के लिए 2453 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया है। मुस्लिम लड़के और लड़कियां पढ़ाई बीच में न छोड़ दें, इसके लिए 980 करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति दी जाएगी। 522 करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति व्यावसायिक और तकनीकी पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों को दी जाएगी।

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