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माल्या और मेहुल के जल्द भारत लाए जाने के संकेत से घबराए हुए हैं राहुल गांधी

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धोखाधड़ी के मामलों में देश के तीन कुख्यात भगोड़े विजय माल्या, मेहुल चौकसी और नीरव मोदी को भारत लाने की कवायद में मौजूदा सरकार जोरशोर से जुटी हुई है। सरकार इन शातिर आरोपियों पर हर तरह से शिकंजा कसने में लगी है ताकि इनका प्रत्यर्पण जल्द से जल्द हो सके। लेकिन दिलचस्प बात यह है कि जो कांग्रेस इनके विदेश भागने को लेकर सरकार को घेरने में लगी दिखी वही अब इनका प्रत्यर्पण करीब देखकर घबराई हुई है।

मेहुल है कांग्रेस के चुनावी प्लॉट का हिस्सा
यह जानकारी पहले ही आ चुकी है कि मेहुल का संबंध उस कैंब्रिज एनालिटिका की पैरेंटल कंपनी SCL Elections से रहा है जिसे राहुल गांधी ने 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए हायर किया था। बताया जाता है कि कांग्रेस के चुनावी प्लान का ही एक हिस्सा मेहुल चौकसी भी था जिसे कांग्रेस ने जान-बूझकर भगोड़ा बनाया। यानी उसे एक सोची-समझी चुनावी रणनीति के साथ भारत से भगाया गया और एंटीगुआ की नागरिकता दिलवाई गई। दरअसल यह पूरा प्लॉट ही विदेश से चुनाव अभियान ऑपरेट करने की कांग्रेसी रणनीति का हिस्सा था। पार्टी यह मानकर चल रही है कि मेहुल, माल्या और नीरव जैसे निवेशकों के विदेश में रहने से यह रणनीति कारगर हो सकती है। लेकिन एंटीगुआ सरकार ने जबसे कहा है कि वो मेहुल को भारत भेजने के लिए प्रत्यर्पण संधि में बदलाव को तैयार हो सकती है, तबसे कांग्रेस की सांसें फूल रही हैं।

माल्या के भी जल्द प्रत्यर्पण की उम्मीद    
लंदन की अदालत में माल्या के प्रत्यर्पण को लेकर पिछले साल दिसंबर से मुकदमा चल रहा है। अगर जज का फैसला भारत सरकार के पक्ष में आता है तो ब्रिटेन के गृह मंत्री को दो महीने के भीतर माल्या के प्रत्यर्पण आदेश पर हस्ताक्षर करना होगा। वैसे जज इस बात की तस्दीक कर चुकी हैं कि भारतीय अधिकारियों ने माल्या के प्रत्यर्पण के सिलसिले में जो सबूत सौंपे हैं वे स्वीकार्य हैं। विजय माल्या करीब 9,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का आरोपी है। उसने अपने प्रत्यर्पण के प्रयासों को चुनौती दे रखी है। मामले में 12 सितंबर को अगली सुनवाई है और उस दिन प्रत्यर्पण के पक्ष में कुछ ठोस निकलकर सामने आ सकता है। भारत में उसके लिए जेल की सेल भी लगभग तय की जा चुकी है। प्रत्यर्पण माल्या का होगा, हालत कांग्रेस की खराब हो रही है।  

शातिर तिकड़ी पर कानूनी शिकंजा सख्त  
गौर करने वाली बात यह भी है कि PMLA कोर्ट ने पिछले दिनों भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी और मेहुल चौकसी को नए भगोड़े आर्थिक अपराधी कानून के तहत समन जारी किया है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) की याचिका पर अदालती सुनवाई में पीएनबी के हजारों करोड़ के घोटाला मामले में नीरव मोदी को 25 सितंबर को और मेहुल चौकसी को 26 सितंबर को पेश होने का आदेश दिया गया है। ED ने प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग ऐक्ट (PMLA) के अंतर्गत इन्हें भगोड़ा अपराधी करार देने और इनकी संपत्ति जब्त करने की मांग के साथ विशेष अदालत में दो अलग-अलग याचिकाएं दायर की थीं। भगोड़ा आर्थिक अपराधी बिल पिछले महीने ही संसद के दोनों सदनों से पास हुआ है जिसके बाद अब घोटाले और धोखाधड़ी के आरोपियों की शामत आने वाली है। इससे पहले विजय माल्या को भी 27 अगस्त को कोर्ट में पेश होने का समन जारी हो चुका है।  

दरअसल इन तीनों का प्रत्यर्पण हुआ तो कांग्रेस की अगुआई वाली तब की यूपीए सरकार ने नियमों को ताक पर रखकर इन सबकी जो मदद की थी, उसकी पोल खुलेगी। पब्लिक एक बार फिर देखेगी कि कांग्रेस किस प्रकार चोरी और सीनाजोरी के धंधे के साथ देशवासियों की आंखों में धूल झोंकती है। अपनी आने वाली इसी स्थिति को भांपकर कांग्रेस बेहद घबराई हुई है।  

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