नए कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन से किसानों का मोहभंग होने लगा है। शुरू होने साथ ही खालिस्तान समर्थन वाले नारों के चलते विवादों में आया यह आंदोलन अपने साथ कई और विवादों को जोड़ता गया। मोदी तू मर जा जैसे नारे लगने की बात हो या उमर खालिद, शरजील इमाम, गौतम नवलखा, सुधा भारद्वाज, वरवरा राव जैसे आरोपियों को रिहा करने की या फिर पिज्जा- मसाजर जैसी फाइव स्टार सुविधाओं की, आंदोलन शुरू से विवादों में रहा है। अब टूलकिट विवाद के बाद किसान इससे दूरी बनाने लगे हैं। उन्हें लगने लगा है कि किसान आंदोलन के जरिए देश को अस्थिर करने की विदेशी साजिश रची जा रही है। किसान आंदोलन के तीन प्रमुख जगहों- सिंघू, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर भीड़ कम होती जा रही है। अब आंदोलन स्थलों पर कुछ ही लोग बचे हुए हैं। कुछ दिन पहले जहां हजारों कैंप नजर आते थे, अब उनकी संख्या आधे से भी कम हो गई है।