कांग्रेस का कुनबा लगातार बिखरता जा रहा है। अभिनेत्री से राजनेता बनीं खुशबू सुंदर ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे पत्र में खुशबू ने आरोप लगाया कि पार्टी में ऊपर बैठे जिन लोगों का जमीनी स्तर पर कोई जुड़ाव नहीं है और वे तानाशाही कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मेरी तरह जो लोग काम करना चाहते हैं उन्हें दबाया जा रहा है। अपने पत्र में खुशबू सुंदर ने लिखा कि कांग्रेस के 2014 लोकसभा चुनाव हार जाने के बावजूद उन्होंने पार्टी ज्वाइन की थी, लेकिन यहां काम करने वाले लोगों की अनदेखी की जाती है।
Congress fossilised, can’t beat BJP with such laid-back approach: Party spokesperson Sanjay Jha
कांग्रेस में सच बोलने वालों को किया जाता है परेशान
कांग्रेस में आलाकमान के प्रति निष्ठा रखने वाले नेताओं को अहम जिम्मेदारियां मिलती हैं, जबकि युवा और जमीन से जुड़े नेताओं को दरकिनार किया जाता है। जो भी नेता पार्टी की नकारात्मक राजनीति के खिलाफ कुछ बोलने की हिम्मत करता है, उसकी आवाज दबा दी जाती है। कांग्रेस से एक के बाद एक कई युवा नेताओं के पार्टी छोड़ने या आलाकमान से नाराजगी से यह सवाल उठना जायज है कि क्या वाकई बिना जनाधार वाले नेता तानाशाही कर रहे हैं। आइए डालते हैं एक नजर-
सचिन पायलट
राजस्थान के युवा नेता सचिन पायलट ने पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी की जीत में अहम भूमिका निभाई, लेकिन जब सरकार बनाने की बात आई तो सीएम की कुर्सी अशोक गहलोत को दे दी गई। नाराज सचिन को मनाने के लिए डिप्टी सीएम बना दिया गया। इस बीच गहलोत ने सचिन पायलट को किनारे करना शुरू कर दिया। इससे नाराज होकर सचिन पायलट को बागी रुख अपनाना पड़ा।
मध्य प्रदेश में जनाधार वाले लोकप्रिय युवा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस की अनदेखी के कारण हाल ही में बीजेपी में शामिल हो गए हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ राज्य के कई अन्य विधायक और युवा नेता भी बीजेपी का दामन थाम चुके हैं। इससे राज्य में कांग्रेस काफी कमजोर हो गई है।
असम के लोकप्रिय नेता हेमंत बिस्वा शर्मा को भी मजबूर होकर पार्टी से निकलना पड़ा। यहां के बुजुर्ग कांग्रेसी नेता तरुण गोगोई के साथ मतभेदों के कारण उन्हों हाशिए पर डाल दिया गया था। 2001 से 2015 तक कांग्रेस के विधायक हेमंत बिस्वा शर्मा 2016 में बीजेपी में आ गए। राज्य में कांग्रेस को हराने में इनका अहम योगदान रहा है। हेमंत बिस्वा शर्मा अभी असम के स्वास्थ्य मंत्री हैं।
कांग्रेस की एक तेजतर्रार युवा प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी को भी पार्टी नेतृत्व की अनदेखी के कारण बाहर होना पड़ा। उन्हें पार्टी में दुर्व्यवहार का भी सामना करना पड़ा। आखिर में वे शिवसेना में शामिल हो गईं।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी एक समय पार्टी नेतृत्व की अनदेखी के कारण कांग्रेस छोड़ने के लिए विवश होना पड़ा था। पार्टी में किनारे किए जाने पर ममता बनर्जी ने 1997 में कांग्रेस से अलग होकर तृणमूल कांग्रेस बना ली थी। ममता बनर्जी के कांग्रेस छोड़ने के बाद पार्टी का राज्य से एक तरह से सफाया हो गया है।
वाईएस जगन मोहन रेड्डी वर्तमान में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। इनके पिता वाईएस राजशेखर रेड्डी दो बार राज्य के सीएम रह चुके हैं। 2009 में वाईएस राजशेखर रेड्डी की हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मृत्यु के बाद लोगों ने जगन मोहन रेड्डी को मुख्यमंत्री बनाने की मांग की लेकिन पार्टी आलाकमान ने इसे ठुकरा दिया। आखिर में पार्टी से नाराज होकर इन्होंने 2010 में अलग पार्टी बना ली और आज राज्य में इनकी सरकार है।
महाराष्ट्र के युवा नेता मिलिंद देवड़ा ने हाल में ही मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। हालांकि उन्होंने पार्टी नहीं छोड़ी है, लेकिन पार्टी आलाकमान के रवैये से नाराज चल रहे हैं।