18 जून को दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा, ”आप किसी के घर में जबरन बैठकर धरना नहीं दे सकते।” कोर्ट ने यह टिप्पणी दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और उनके तीन अन्य मंत्रियों द्वारा एलजी आवास में जबरन धरने पर बैठने के खिलाफ सुनवाई करते हुए दी। कोर्ट की इस टिप्पणी से साफ है कि 11 जून से एलजी निवास में धरना पर बैठ कर केजरीवाल ने गैरकानूनी काम किया है।
गौरतलब है कि पानी की किल्लत, प्रदूषण की मार, सीलिंग की समस्या, सड़कों की खराब हालत, अस्पतालों में असुविधाएं और कानून व्यवस्था जैसी समस्याओं से रोज दो-चार हो रही दिल्ली की जनता त्रस्त है। केजरीवाल एंड कंपनी जनता की समस्याओं का समाधान करने के बजाय हर रोज नई नौटंकी के साथ सामने आ जाती है। विशेष यह कि इसके लिए दोष भी वह दूसरों के मत्थे मढ़ने में नहीं एक पल की भी देरी नहीं करती। आइये हम नजर डालते हैं कि केजरीवाल ने कब-कब किस मसले पर अपनी नाकामयाबी की टोपी किसी दूसरे को पहुंचाने की कोशिश की।
दिल्ली में आईएएस हड़ताल के केंद्र को जिम्मेदार ठहराया
19 फरवरी, 2018 को जब केजरीवाल के सामने आप के दो विधायकों ने मुख्य सचिव अंशु प्रकाश के साथ मारपीट की थी, तभी से ब्यूरोक्रेट्स डरे हुए हैं। वे केजरीवाल के मंत्रियों के सामने जाने में भी भय खाते हैं। अधिकारियों ने कहा है कि वह दफ्तर में बैठकर काम तो कर रहे हैं, लेकिन मुख्यमंत्री या किसी मंत्री के घर पर नहीं जाएंगे। अब केजरीवाल इसे ही हड़ताल कह रहे हैं। हैरत की बात ये है कि वे इसके विरोध में खुद हड़ताल पर बैठ गए। इतना ही नहीं वे अधिकारियों के बात कर समस्या का समधान करने के बजाय इसे केंद्र सरकार की साजिश करार दे रहे हैं।
दिल्ली के प्रदूषण के लिए आस-पास के राज्यों पर मढ़ा दोष
नवंबर, 2017 में जब दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषित आबोहवा ने जीना दुश्वार कर दिया तो इसका दोष केजरीवाल ने पड़ोसी राज्यों पर डाल दिया। समाधान खोजने के दिल्ली सरकार ने कोई कदम नहीं उठाए। इसके विपरीत उपराज्यपाल अनिल बैजल की मीटिंग में दिल्ली सरकार यह मानने को तैयार ही नहीं हुई कि राजधानी में प्रदूषण के लिए वाहनों से निकलने वाला धुआं, सड़कों और निर्माण स्थलों के आसपास उड़ने वाली धूल जिम्मेदार है।
दिल्ली में धूल भरी आंधी के लिए राजस्थान को कहा कसूवार
जून, 2018 को जब दिल्ली में धूल के कारण दम घुटने लगा तो भी दिल्ली सरकार ने अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया। न्यूनतम तापमान में 5 डिग्री तक की बढ़ोतरी हो गई, लेकिन दिल्ली सरकार सोती रही। हास्यास्पद तो ये रहा कि अरविंद केजरीवाल ने इस धूल संकट के लिए आईएएस बिरादरी को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि पर्यावरण सचिव चार महीनों से मीटिंग में ही नहीं आ रहे हैं।
पानी की किल्लत के लिए हरियाणा को जिम्मेदार ठहरा दिया
दिल्ली में पानी की समस्या दूर करने और मुफ्त पानी देने के वादे के साथ दिल्ली की सत्ता में आए केजरीवाल ने यहां भी अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया। उन्होंने हरियाणा सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए ट्वीट किया कि हरियाणा की तरफ से पिछले 22 सालों में सबसे कम पानी मिल रहा है। हालांकि सच्चाई यह है कि दिल्ली को दो कैनाल से 955 क्यूसेक पानी मिल रहा है, जो कि पिछले साल की तुलना में 8 प्रतिशत अधिक है। गौरत करने वाली बात यह है कि 12 दिसंबर, 2016 में पंजाब में अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि पंजाब के पास खुद के लिए पानी नहीं है, तो वह दूसरे राज्यों को पानी कहां से देगा।
असफलता की टोपी किसी और के सिर…
दिल्ली में ठंड बढ़ी तो हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर जिम्मेदार, कानून-व्यवस्था खराब तो केंद्र जिम्मेवार, सीलिंग के लिए केंद्र जिम्मेदार। जाहिर है केजरीवाल की फितरत ही यही हो गई है कि अपनी असफलता की टोपी किसी दूसरे को पहनाकर जनता को धोखा दिया जाए। एक नजर डालते हैं केजरीवाल के धरनों पर-
केजरीवाल का धरना पॉलिटिक्स |
21 जनवरी, 2014 को दिल्ली पुलिस के खिलाफ धरना |
22 अप्रैल, 2015 को केंद्र सरकार के विरुद्ध धरना |
14 मई, 2018 को एलजी दफ्तर के बाहर दिया धरना |
11 जून, 2018 को एलजी के आवास में दिया धरना |