कर्नाटक में विधानसभा चुनाव की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी के हाथ से सत्ता खिसकती नजर आ रही है। 12 मई को होने वाले मतदान से पहले हुए चुनाव पूर्व सर्वे से साफ है कि बीजेपी कांग्रेस को कड़ी टक्कर दे रही है और सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभर रही है। यह हाल तब है जब कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य में अपना प्रचार अभियान शुरू ही नहीं किया है। प्रधानमंत्री मोदी के प्रचार अभियान के बाद बीजेपी के पक्ष में हवा बन सकती है। टाइम्स नाउ-वीएमआर और JAIN-लोकनीति CSDS ओपिनियन पोल से साफ है कि कांग्रेस का एक और किला ढहने के कगार पर है। 224 सदस्यों वाली कर्नाटक विधानसभा में सरकार बनाने के लिए 112 सीटों की जरूरत पड़ेगी।
JAIN-लोकनीति CSDS ने ओपिनियन पोल
JAIN-लोकनीति CSDS ने ओपिनियन पोल के मुताबिक कर्नाटक में बीजेपी को सबसे ज्यादा सीटें मिलने जा रही है। यहां बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने पूरी ताकत झोंक रखी है। ओपिनियन पोल के अनुसार यहां बीजेपी को 89 से 95, कांग्रेस को 85 से 91 और जेडीएस को 32 से 38 और अन्य को 6 से 12 सीटें मिल सकती हैं।
किस पार्टी को कितनी सीट ? | |
बीजेपी | 89-95 |
कांग्रेस | 85-91 |
जेडीएस+ | 32-38 |
अन्य | 6-12 |
कर्नाटक में चुनाव से पहले कांग्रेस ने लिंगायत कार्ड खेलने की कोशिश की, लेकिन ओपिनियन पोल से साफ है कि कांग्रेस का यह दांव भी काम नहीं कर रहा है। ओपिनियन पोल के मुताबिक कर्नाटक चुनाव में लिंगायत समाज बीजेपी के साथ है। सर्वे के मुताबिक 60 प्रतिशत लोग बीजेपी और 23 प्रतिशत मतदाता कांग्रेस के साथ हैं।
चुनाव में लिंगायत समाज किसे वोट देगा ? | |
बीजेपी | 60% |
कांग्रेस | 23% |
टाइम्स नाउ-वीएमआर के प्रीपोल सर्वे
टाइम्स नाउ-वीएमआर के चुनाव पूर्व सर्वे के मुताबिक बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटे का मुकाबला होने जा रहा है। सर्वे के मुताबिक बीजेपी को 89, कांग्रेस को 91 और जेडीएस+बसपा को 40 सीटें मिलती हुईं दिखाई दे रहीं है जबकि अन्य को 4 सीटें मिलती हुईं दिख रही हैं। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने चुनाव से ठीक पहले जिस तरह से लिंगायत को धार्मिक अल्पसंख्यक का दर्जा दिया था, लेकिन इसके बावजूद टाइम्स नाउ-वीएमआर के सर्वे में इस मुद्दे पर मतदाता भाजपा के पक्ष में दिखाई दे रहे है।
किस पार्टी को कितनी सीट ? | |
बीजेपी | 89 |
कांग्रेस | 91 |
जेडीएस | 40 |
अन्य | 4 |
कर्नाटक में फिलहाल कांग्रेस की सरकार है और 224 सदस्यीय कर्नाटक विधानसभा में कांग्रेस के 122, बीजेपी के 43, जेडीएस के 34, बीएसआरसी के तीन, केजेपी के 2, केएमपी के एक और 8 निर्दलीय विधायक हैं। सर्वे से साफ है कि जहां कांग्रेस के सीटों में कमी दिख रही है, वहीं बीजेपी को भारी फायदा मिल रहा है। एक बार प्रधानमंत्री मोदी अपना चुनाव प्रचार शुरू करेंगे तो बीजेपी के पक्ष में और हवा बन सकती है। ऐसे में एक के बाद एक राज्यों की सत्ता से बाहर होने के बाद कांग्रेस कर्नाटक से भी बाहर होती दिख रही है। आइए आपको दिखाते हैं क्यों कर्नाटक में फिर कांग्रेस की सरकार बनाना ना-मुमकिन है-
सिद्धारमैया की अय्याश छवि पड़ेगी कांग्रेस पर भारी
कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की छवि एक अय्याश नेता की है। पांच वर्षों के कार्यकाल में सिद्धारमैया ने जनता की गाढ़ी कमाई को दोनों हाथों से अपने ऐशो-आराम पर उड़ाया है। सिर्फ मुख्यमंत्री आवास पर चाय-बिस्किट और पानी की खर्चे को ही लें, इसमें ही सीएम सिद्धारमैया करोड़ों रुपये खर्च कर चुके हैं। जिस राज्य में किसान और गरीब की माली हालत खराब हो, वहां इस तरह की अय्याशी से पता चलता है कि मुख्यमंत्री को आम लोगों की जरा सी भी फिक्र नहीं है।
सीएम सिद्धारमैया का शाही अंदाज | |||
वर्ष | बिस्किट (लाख रुपये में) | चाय, कॉफी, पानी (लाख रुपये में) | कुल खर्च (लाख रुपये में) |
2013-14 | 3.65 | 10 | 13.65 |
2014-15 | 4.56 | 6.5 | 11.06 |
2015-16 | 4.56 | 6.7 | 11.26 |
2016-17 | 4.5 | 7 | 11.5 |
2017-18 | 4.5 | 7.2 | 11.7 |
21.77 | 37.4 | 59.17 |
किसानों की अनदेखी से ग्रामीण इलाकों में कांग्रेस के खिलाफ लहर
कर्नाटक में कांग्रेस सरकार ने किसानों की आर्थिक उन्नति के लिए कुछ भी नहीं किया है। किसानों को न तो फसल की उपज का उचित मूल्य मिलता है और न ही सरकार की तरफ से कोई मदद। कर्ज के लिए राज्य के किसान स्थानीय साहूकारों और निजी संस्थानों पर निर्भर हैं। कर्नाटक में खुदकुशी करने वाले किसानों की संख्या में बढ़ोतरी इस बात की गवाह है कि राज्य में किसान अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहे हैं। राज्य के कृषि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक कर्नाटक में अप्रैल 2013 से नवंबर 2017 के बीच 3,515 किसानों ने खुदकुशी की है। इनमें से 2,525 मामलों में किसानों ने सूखा और फसल के उचित दाम नहीं मिलने के चलते आत्महत्या की है। इसके अलावा किसानों को उपज का मूल्य दिलाने के नाम पर सरकार की तरफ से कोई प्रयास नहीं किए गए हैं। कर्जमाफी के नाम पर भी किसानों को साथ धोखा किया गया है। इन्हीं सब कारणों से ग्रामीण इलाकों में कांग्रेस के खिलाफ लहर है और यह कांग्रेस को दोबारा सत्ता में आने से रोक सकती है।
कर्नाटक में किसानों की खुदकुशी | |
वर्ष | आत्महत्या करने वाले किसान |
2013 | 1403 |
2014 | 768 |
2015 | 1569 |
2016 | 2079 |
स्रोत- लोकसभा में दिया गया जवाब |
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हिंदुओं को बांटने की रणनीति से कांग्रेस को नहीं होगा फायदा
सिद्धारमैया सरकार ने राज्य में विकास के लिए तो ऐसा कुछ किया है, जिसके बल पर वो कांग्रेस को दोबारा वोट देने की अपील करें। इसीलिए सिद्धारमैया ने कांग्रेस की फूट डालो और राज करो की नीति को अपनाया है। कांग्रेस सरकार ने एक तरफ मुस्लिम तुष्टिकरण को हवा दी और दूसरी तरफ हिंदुओं को बांटने की चाल चली। लेकिन हिंदुओं को बांटने की यह रणनीति कांग्रेस को उल्टी पड़ने वाली है, क्यों कि राज्य की जनता में यह संदेश जा चुका है कि कांग्रेस पार्टी सिर्फ सत्ता पाने के लिए यह कर रही है।
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कांग्रेस का मुस्लिम तुष्टिकरण का दांव पड़ेगा उल्टा
दोबारा सत्ता में आने के लिए कांग्रेस पार्टी को मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति पर काफी भरोसा है। मुस्लिम वोटबैंक को खुश करने के लिए सिद्धारमैया सरकार ने जहां एक तरफ टीपू सुल्तान की जयंती मनाने जैसा फैसला लिया, वहीं दूसरी तरफ पिछले पांच वर्षों में मुसलमानों पर दर्ज हिंसा के मामले वापस लेने का शासनादेश जारी किया। हिंदुओं की हत्या और हमला करने वालों पर कार्रवाई के नाम पर भी कांग्रेस सरकार ने चुप्पी साध ली। इससे राज्य के हिंदू जनमानस में सिद्धारमैया सरकार के खिलाफ आक्रोश है। यह आक्रोश मतदान वाले दिन कांग्रेस की लुटिया डुबोने में अहम भूमिका निभाएगा।
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टिकट बंटवारे में वंशवाद से कांग्रेस के आम कार्यकर्ताओं में नाराजगी
किसी भी पार्टी की जीत-हार उसके कार्यकर्ताओं का जोश और उत्साह तय करता है। कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता चुनाव से पहले हाईकमान की हरकतों की वजह से खासे नाराज हैं। पिछले दिनों टिकट बंटवारे में कांग्रेस ने राहुल गांधी से प्रभावित होकर नेताओं के बेटे-बेटियों को जमकर टिकट बांटे हैं। राज्य के तमाम जिलों में टिकट की उम्मीद लगाए उम्मीदवारों ने इसके खिलाफ जमकर प्रदर्शन भी किया था। इनमें से कई नेता बगावत करते हुए कांग्रेस के खिलाफ चुनाव मैदान में उतर चुके हैं, वहीं कई नेताओं ने जेडीएस और दूसरी पार्टियों से टिकट हासिल कर लिया है। कांग्रेस नेताओं की यह बगावत पार्टी को चुनाव में भारी पड़ने वाली है।
जेडीएस और बीएसपी के गठबंधन से सीधा नुकसान कांग्रेस को
कर्नाटक में पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा की जेडीएस इस बार मायावती की बीएसपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है। जीडीएस की दलित और मुस्लिम समुदाय के बीच खासी पकड़ है। जेडीएस के साथ बीएसपी के आ जाने से यह पकड़ और मजबूत हो गई है। इससे कांग्रेस के दलित और मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगेगी, यानी कांग्रेस को नुकसान होने की संभावना है।
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चुनाव पूर्व सर्वे में कांग्रेस को नुकसान
कर्नाटक चुनाव में भारतीय जनता पार्टी सत्ता धारी कांग्रेस से काफी आगे निकलती दिखाई दे रही है। यह तब है जब अभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रचार की शुरुआत भी नहीं की है। इंडिया टुडे की तरफ से कराए गए एक चुनाव पूर्व सर्वे के अनुसार बीजेपी की लोकप्रियता में जबरदस्त इजाफा हुआ है। पिछले चुनाव में बीजेपी के 19.9 प्रतिशत वोट मिले थे, वहीं इस बार 35 प्रतिशत वोट मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। सर्वे में यह भी कहा गया है कि कांग्रेस के वोटबैंक में जेडीएस बड़ी सेंध लगाने जा रही है, यानी इस बार कांग्रेस को भारी नुकसान होने वाला है।
योगी आदित्यनाथ पर टिप्पणी कांग्रेस को पड़ेगी भारी
कर्नाटक कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिनेश गुंडुराव ने पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की थी। गुंडुराव ने कहा था कि योगी यदि कर्नाटक में आएं तो उनकी चप्पलों से पिटाई की जाएगी। जाहिर है कि योगी नाथ संप्रदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं और वोक्कालिंगा समुदाय के बीच उनकी गहरी पैठ है। वोक्कालिंगा समुदाय के लोग कांग्रेस नेता की टिप्पणी से खासे आहत हैं। मतदान के दौरान यह गुस्सा दिखेगा और इससे कांग्रेस पार्टी को बड़ा नुकसान होने वाला है।
प्रचार में प्रधानमंत्री मोदी के उतरने के बाद बदलेगा माहौल
मतदान के करीब तीन हफ्ते पहले ही कर्नाटक में कांग्रेस के खिलाफ माहौल बन कर तैयार हो चुका है। यहा हाल तब है, जब बीजेपी के स्टार प्रचारक प्रधानमंत्री मोदी मैदान में नहीं उतरे हैं। आपको याद होगा, कुछ हफ्तों पहले पीएम मोदी ने कर्नाटक में रैली कर सिद्धारमैया पर ‘सीधा रुपैया सरकार’ कह कर हमला बोला था। जल्द ही पीएम मोदी की चुनावी रैलियां होने वाली हैं और उनका मुकाबला करने की हैसियत कांग्रेस में दिखाई नहीं दे रही है। यानी इस बार चुनाव में कांग्रेस पार्टी की सत्ता बचना मुश्किल नजर आ रहा है।
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