वामपंथी और नक्सली पोर्टल ‘द वायर’ के न्यूज़ प्रेजेंटेटर करण थप्पर अपने मोदी विरोधी रुख के लिए मशहूर हैं। मोदी सरकार के प्रति अपनी घृणा को प्रदर्शित करने का कोई मौका नहीं चुकते हैं। 7 मिनट का एक वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है। इसमें करण थापर अपनी एजेंडाधारी पत्रकारिता का बखूबी प्रदर्शन करते हुए प्रधानमंत्री मोदी, हिन्दू धर्म और भारत को बदनाम करने की कोशिश की है।
वामपंथी पत्रकार करण थापर ने पाकिस्तान मीडिया में भगवान हनुमान का अपमान करते हुए भगवान हनुमान जी को भगवान हुमायूँ कहकर संबोधित किया, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रसारित लाईव परोगराम में करण थापर ने कुल 7 मिनट तक हिन्दुओं के प्रति नफरत भरी और आपत्तिजनक बाते की। pic.twitter.com/duyGCHefS5
— रणबीर सिंह नेगी (@RanveerNegi19) April 4, 2022
दरअसल करण थापर ने 1 अप्रैल, 2022 को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से इस्लामाबाद सुरक्षा संवाद में भाग लिया था। ‘नेविगेटिंग डिसइंफॉर्मेशन एंड डिस्कोर्स इन द इन्फॉर्मेशन एज’ नामक शीर्षक पर आयोजित चर्चा में थापर के अलावा वाशिंगटन पोस्ट के शेन हैरिस, चीन के सरकारी मीडिया चाइना ग्लोबल टेलीविजन नेटवर्क (सीजीटीएन) के लियू शिन और कई पाकिस्तानी और अंतरराष्ट्रीय मीडिया हस्तियां शामिल हुई थीं।
पाकिस्तानी मंच पर भारत विरोध: PM मोदी से ‘नफरत’ में ‘द वायर’ के करण थापर ने परोसी हिन्दू घृणा, बजरंग बली को बताया ‘हुमायूँ’
— विनोद अंगिरा,धर्मयोद्धा (@VinodRajotiya82) April 4, 2022
एक सवाल के जवाब में करण थापर ने कहा कि जब से प्रधानमंत्री मोदी सत्ता में आए हैं, ‘समस्या’ बढ़ रही है और संकट आज अपने चरम पर है। उन्होंने कहा, “मैं यह नहीं कह रहा हूं कि यह सब अधिक होने वाला है, लेकिन 2014 की स्थिति की तुलना में आज की स्थिति ज्यादातर लोगों की कल्पना से काफी खराब है।” उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी जानबूझकर हिंदुओं को भड़का रही है, जिसमें धर्म के नाम पर 80 प्रतिशत आबादी शामिल है। थापर ने अपनी बात को साबित करने के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के भाषण का हवाला दिया।
मशहूर इतिहासकार रोमिला थापर के “युधिष्ठिर ने सम्राट अशोक से प्रेरणा ली थी” के बाद पेश है उनके कजिन करण थापर का नया शाहाकार “बजरंगबली भगवान हुमायूं का दुसरा नाम है”??? pic.twitter.com/kPzi8TIPuB
— दलीप पंचोली?? (@DalipPancholi) April 3, 2022
इस चर्चा के दौरान करण थापर ने भगवान हनुमान को भी नहीं छोड़ा। उन्होंने भगवान हनुमान को मुगल शासक हुमायूं से जोड़ दिया। उन्होंने कहा, “जब राजनेता अली और बजरंग बली के बारे में बात करते हैं। बजरंगबली भगवान हुमायूं का दूसरा नाम है, जो हो रहा है वह स्पष्ट हो जाता है, और यह जानकर दुख होता है कि यह हो रहा है।” करण थापर चर्चा में शामिल सदस्यों को बताया कि हिंदू धर्म एक अलग तरह की आस्था है। राजनेता इसे किसी और चीज़ में बदलने की कोशिश कर रहे हैं और गलत तरीके से पेश कर रहे हैं।
न्यूज पोर्टल ‘द वायर’ और उसे जुड़े लोग फेक न्यूज की फैक्ट्री है। आइए देखते हैं ये लोग किस तरह एक एजेंडे के तहत मोदी सरकार के खिलाफ प्रोपेगेंडा करते रहते हैं…
कोर्ट ने पोर्टल से 14 लोखों को हटाने का निर्देश दिया
तेलंगाना की एक अदालत ने स्वदेशी वैक्सीन निर्माता कंपनी भारत बायोटेक को झूठी खबरों के आधार पर बदनाम करने के मामले में जोरदार झठका दिया। कोर्ट ने पोर्टल से 48 घंटों के भीतर 14 लोखों को हटाने का निर्देश दिया। अदालत ने ‘द वायर’ को भारत बायोटेक और उसके उत्पाद कोवैक्सीन पर कोई भी मानहानिकारक लेख प्रकाशित करने पर रोक लगा दी। तेलंगाना के रंगा रेड्डी जिला अदालत ने ‘द वायर’ के खिलाफ ‘भारत बायोटेक’ द्वारा दायर 100 करोड़ रुपये की मानहानि के मुकदमे में फैसला सुनाया। अदलात ने कहा कि भारत बायोटेक एकमात्र ऐसी कंपनी है, जिसे 15 से 18 साल के बच्चों के लिए वैक्सीन बनाने के लिए अधिकृत किया गया है और वेबसाइट पर प्रकाशित होने वाले मानहानिकारक लेखों से लोगों में वैक्सीन के प्रति अविश्वास पैदा होगा।
[BREAKING] In a 100 CRORE defamation case filed by BHARAT BIOTECH, Andhra Court ordered taking down of 14 articles on @thewire_in and restrained
1)THE WIRE
2) Siddharth Vardarajan
3) SR Bhatia
4) M.K. Venu &othersFrom publishing DEFAMATORY articles relating to @BharatBiotech pic.twitter.com/S5NL8E34XL
— Bar & Bench (@barandbench) February 23, 2022
नए आईटी नियमों को लेकर फैलाया झूठ
द वायर ने नए आईटी नियमों को लेकर एक खबर प्रकाशित की थी। इसमें कहा गया था कि एमआईबी ने आईटी नियमों के तहत स्व-नियामक निकाय के लिए एक रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में एक पैनल का गठन किया है। पीआईबी ने द वायर के इस दावे को गलत बताया। पीआईबी की फैक्ट चेक विंग ने कहा कि इस निकाय का गठन पब्लिशर्स द्वारा किया जाएगा। इसे एमआईबी या एमआईबी द्वारा बनाए गए पैनल से गठित नहीं किया जा सकता है। इसका नेतृत्व सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश या एक प्रतिष्ठित व्यक्ति कर सकता है।
The Wire: A retired judge appointed from a panel prepared by @MIB_India will head the self-regulatory body under IT Rules#PIBFactCheck: Fake!
The body would be constituted by publishers & not MIB or a panel by MIB. It can be headed by a retired SC/HC judge or an eminent person pic.twitter.com/fb2HRlJFs5
— PIB Fact Check (@PIBFactCheck) March 3, 2021
सत्ता विरोध के लिए 3 साल के बच्चे का इस्तेमाल!
क्या तीन साल बच्चा ये बता सकता है कि गोली किधर से चली और किसने चलाई? पुलिस कौन है और आतंकवादी कौन है? लेकिन देश की तथाकथित सेक्युलर मीडिया कश्मीर के सोपोर में बशीर अहमद खान की मौत पर दुष्प्रचार कर भारतीय सुरक्षाबल और सरकार को बदनाम करने में जुटी रही।द वायर ने खबर में लिखा कि तीन साल के बच्चे ने कहा कि पुलिस ने उनके नाना को गोली मारी। यह काफी हास्यास्पद है कि द वायर ने तीन साल के एक बच्चे से यह उम्मीद की कि वो पुलिस और आतंकवादियों में स्पष्ट रूप से फर्क कर सकता है। बड़ी बात यह भी है कि आतंकवादी पुलिस यूनिफॉर्म में कई बार पकड़े जा चुके हैं लेकिन इसके बावजूद द वायर ने दुष्प्रचार करते हुए तीन साल के बच्चे से बुलवाए गए शब्दों को आधार बनाया।
Kashmiri Child at Centre of Propaganda War Says 'Police Killed Grandfather'
Junaid Kathju reports from Srinagar https://t.co/xds5uYqsMS via @thewire_in
— Siddharth (@svaradarajan) July 1, 2020
सत्ता विरोध के लिए द वायर इस खबर के जरिए सुरक्षाबलों के मनोबल को तोड़ने और आतंकवादियों को सुरक्षाकवच प्रदान करने का काम कर रहा है, जबकि हकीकत यह है कि 65 वर्षीय बुजुर्ग बशीर अहमद खान की आतंकियों की गोली से मौत हुई। जब यह हादसा हुआ, उस समय बशीर अहमद अपने 3 साल के नाती के साथ बाजार जा रहे थे। बशीर अहमद का लहूलुहान शरीर गोली लगने के बाद वहीं सड़क पर गिर पड़ा और उनका 3 साल का नाती उनके शव के ऊपर बैठा रहा।
फेक न्यूज फैक्ट्री में तब्दील ‘द वायर’
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पूरा देश कोरोना संकट से लड़ रहा थ, लेकिन कुछ प्रोपेगंडा पत्रकार फेक न्यूज वायरल करने में लगे थे। प्रोपेगंडा पोर्टल ‘द वायर’ के प्रमुख सिद्धार्थ वरदराजन ने लिंक शेयर करते हुए कहा कि पंजाब और हिमाचल की बॉर्डर रेखा के पास मुस्लिम समुदाय के कुछ बच्चे, औरतें, पुरुष नदी ताल पर बिना खाना-पीना के रहने को मजबूर हो गए हैं, क्योंकि उन्हें गाली देकर, मारकर उनके घरों से खदेड़ दिया गया है।
Punjab: Muslims Families Hide in Riverbed After Being Driven From Hoshiarpur Villages https://t.co/Pi1SC9y0CV via @thewire_in
— Siddharth (@svaradarajan) April 8, 2020
इस फेक न्यूज पर होशियारपुर पुलिस ने एक वीडियो ट्वीट करते हुए कहा कि वे लोग ठीक हैं, फेक न्यूज न फैलाएं।
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वीडियो में युवक का साफ कहना था कि उन्हें कोई भी दिक्कत नहीं है। वे लोग आराम से हैं और उन्हें दो टाइम का खाना और राशन मिल रहा है। एक अन्य ट्वीट में पुलिस ने कहा कि सीनियर अफसर के निर्देशों पर गुज्जर समुदाय के लोगों को खाने-पीने की चीजें पहुंचाई गई।
On the directions of Sh. Gaurav Garg,IPS, SSP HPR, All Essential eatables provided to the Gujjar community by Inspector Bhushan Shekhari, SHO Talwara, HPR. He also ensured that necessary steps will be taken to provide essential facilities to needy persons in this time of crisis. pic.twitter.com/X3wy3uIcib
— Hoshiarpur Police (@PP_Hoshiarpur) April 12, 2020
फेक न्यूज मामले में ‘द वायर’ के खिलाफ FIR दर्ज
भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक सिद्धार्थ वरदराजन द्वारा संचालित इस पोर्टल ‘द वायर’ ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लेकर एक झूठी खबर प्रकाशित की, जिसके खिलाफ मामला दर्ज किया गया। योगी सरकार की चेतवानी के बावजूद जब ‘द वायर’ ने फर्जी खबर नहीं हटायी, तो उसके खिलाफ FIR दर्ज की गई। इसके बारे में योगी आदित्यनाथ के मीडिया सलाहकार मृत्युंजय कुमार ने ट्वीट कर जानकारी दी। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा- “हमारी चेतावनी के बावजूद इन्होंने अपने झूठ को ना डिलीट किया ना माफ़ी मांगी। कार्यवाही की बात कही थी, FIR दर्ज हो चुकी है आगे की कार्यवाही की जा रही है। अगर आप भी योगी सरकार के बारे में झूठ फैलाने के की सोच रहे है तो कृपया ऐसे ख़्याल दिमाग़ से निकाल दें।”
हमारी चेतावनी के बावजूद इन्होंने अपने झूठ को ना डिलीट किया ना माफ़ी माँगी।
कार्यवाही की बात कही थी, FIR दर्ज हो चुकी है आगे की कार्यवाही की जा रही है।
अगर आप भी योगी सरकार के बारे में झूठ फैलाने के की सोच रहे है तो कृपया ऐसे ख़्याल दिमाग़ से निकाल दें। pic.twitter.com/1xPWWQVxGx
— Mrityunjay Kumar (@MrityunjayUP) April 1, 2020
इससे पहले योगी सरकार ने ‘दी वायर’ के संस्थापक सिद्धार्थ वरदराजन को चेतावनी देते हुए कहा था कि वह अपनी फर्जी खबर को डिलीट करें वरना इस पर कार्रवाई की जाएगी। यूपी सीएम के मीडिया सलाहकार ने कहा था कि झूठ फैलाने का प्रयास ना करे, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कभी ऐसी कोई बात नहीं कही है। इसे फ़ौरन डिलीट करे अन्यथा इस पर कार्यवाही की जाएगी तथा डिफ़ेमेशन का केस भी लगाया जाएगा। वेबसाईट के साथ-साथ केस लड़ने के लिए भी डोनेशन मांगना पड़ जाएगा।
झूठ फैलाने का प्रयास ना करे, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कभी ऐसी कोई बात नहीं कही है। इसे फ़ौरन डिलीट करे अन्यथा इस पर कार्यवाही की जाएगी तथा डिफ़ेमेशन का केस भी लगाया जाएगा। वेबसाईट के साथ-साथ केस लड़ने के लिए भी डोनेशन माँगना पड़ेगा फिर। https://t.co/2rEJmToLIh
— Mrityunjay Kumar (@MrityunjayUP) April 1, 2020
बता दें कि तबलीगी जमात को बचाने के लिए ‘द वायर’ ने फेक न्यूज़ फैलाते हुए लिखा कि जिस दिन इस इस्लामी संगठन का मजहबी कार्यक्रम हुआ, उसी दिन सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि 25 मार्च से 2 अप्रैल तक अयोध्या में प्रस्तावित विशाल रामनवमी मेला का आयोजन नहीं रुकेगा क्योंकि भगवान राम अपने भक्तों को कोरोना वायरस से बचाएंगे।
दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित मरकज में सैकड़ों मौलवियों की मौजूदगी और उनसे जुड़े कई लोगों की कोरोना से मौत और संक्रमण के मामले सामने आने के बाद पूरे देश में हड़कंप मच गया। इसी बीच मौलाना साद का एक ऑडियो वायरल हुआ, जिसमें वे मुसलमानों से कहते सुने जा सकते हैं कि मुसलमान डॉक्टरों और सरकार की सलाह न मानें क्योंकि मिलने-जुलने और एक-दूसरे के साथ बैठ कर खाने से कोरोना नहीं होगा। ऐसे में कई मौलानाओं के बयानों को ढकने के लिए ‘द वायर’ ने एक लेख प्रकाशित किया और उसके संपादक वरदराजन ने इस लेख को शेयर भी किया। लेकिन, ‘द वायर’ की झूठी खबर पकड़ी गयी।
कश्मीर को लेकर फैलायी झूठी खबर
अगस्त 2019 में ‘द वायर’ ने कश्मीर पर झूठी खबर फैलाने की कोशिश की,जिसकी पोल श्रीनगर के डीसी शाहिद चौधरी ने खोली थी। ‘द वायर’ ने कश्मीर को लेकर ‘कश्मीर रनिंग शॉर्ट ऑफ लाइफ सेविंग ड्रग्स एज क्लैम्पडाउन कांटिन्यूज’ शीर्षक से एक लेख प्रकाशित किया, जिसमें कश्मीर में जीवन रक्षक दवाओं की कमी बताई गई थी। इसमें कहा गया था कि श्रीनगर के दवा की दुकानों में दवाइयों की आपूर्ति कम कर दी गई है,जिससे आम लोगों को परेशानी हो रही है।
श्रीनगर के मजिस्ट्रेट आईएएस अधिकारी शाहिद चौधरी ने इस झूठ का पर्दाफाश कर दिया। उन्होंने लेख के लिंक को शेयर करते हुए ट्वीट कर बताया कि सभी की चिंता का ख्याल रखा जा रहा है। एक दिन के लिए भी दवाइयों की कमी नहीं हुई है। आपूर्ति में कोई व्यावधान नहीं है। यदि कोई व्यक्तिगत मामलों में भी मदद चाहता है, उसके लिए भी प्रशासन तैयार है।
All concerns and worries are deeply appreciated but we were not low on medical stocks even for a single day. No interruption in supplies. Still open to help individual cases, if any.
https://t.co/MZDlX8bDNC— Shahid Choudhary (@listenshahid) August 23, 2019
सिर्फ आईएएस चौधरी ही नहीं, बल्कि जम्मू के आईपीएस प्रणव महाजन ने भी इस पोर्टल को आड़े हाथ लिया। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि इस नाजुक समय में ऐसे पोर्टल्स को परिपक्वता दिखानी चाहिए। उन्होंने सबसे पहले जमीन पर मौजूद शाहिद चौधरी जैसे अधिकारियों से बात करनी चाहिए, फिर कोई रिपोर्ट करनी चाहिए।
कश्मीर विशेषज्ञ पत्रकारों के झूठ का पर्दाफाश
‘द वायर’ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर झूठी खबरें फैलाना अपना अधिकार समझता है। ‘द वायर’ ने You Tube पर एक वीडियो अपलोड किया। जिसमें कथित वरिष्ठ पत्रकार जयशंकर गुप्ता, उर्मिलेश और प्रेम शंकर झा यह डिस्कशन करते दिख रहे हैं कि 5 अगस्त, 2019 के बाद एक भी कश्मीरी अखबार छप नहीं रहा है। यह ‘आपातकाल’ से भी बुरा दौर है, जिसमें अखबार तक नहीं छप रहे हैं। उनके इस प्रोपैगंडा को दूरदर्शन के पत्रकार अशोक श्रीवास्तव ने अपने डिबेट शो ‘दो टूक’ में एक्सपोज करके रख दिया। उन्होंने इन तथाकथित कश्मीर विशेषज्ञ पत्रकारों के झूठ को बेनकाब करते हुए अपने डिबेट शो में इनके मुंह पर सबूत दे मारे।
देखिये #DoTook में कैसे बेनकाब हुआ @thewire_in का झूठ – @AartiTikoo @ConnectJunaidd @iamkash_kr @rainarajesh @e_postmortem @hussain_imtiyaz #KashmirIssue #Kashmiri #कश्मीर pic.twitter.com/eFd0dxwmf9
— Ashok Shrivastav (@AshokShrivasta6) September 11, 2019
आइए आपको द वायर की कुछ और खबरों के उदाहरण से बताते हैं कि सिद्धार्थ वरदराजन की वैकल्पिक पत्रकारिता आखिर कैसी है-
विष वमन की पत्रकारिता-1- 1 फरवरी को द वायर ने वेबसाइट पर एक वीडियो अपलोड किया, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ विष वमन करने वाली एक क्लिप है। इस वीडियो को दिखाने के पीछे सिद्धार्थ वरदराजन की मंशा यही थी कि मोदी का राजनीतिक विरोध किया जाए। ‘द वायर’ की इस अमर्यादित और तर्कहीन वीडियो क्लिप की रिपोर्ट-
विष वमन की पत्रकारिता-2- द वायर की प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ विष वमन की रिपोर्टिंग का यह उदाहरण बेहद ही शर्मनाक है। ‘द वायर’ ने अपनी एक रिपोर्ट में दावोस में प्रधानमंत्री मोदी के विश्व आर्थिक मंच पर दिए गए भाषण की तर्कहीन निंदा की। दूसरी तरफ विश्व के सभी समाचार पत्रों ने इस भाषण में भारत की वैश्विकरण और जलवायु परिवर्तन के लिए प्रतिबद्धता की सराहना की थी। ‘द वायर’ की वह शर्मनाक रिपोर्ट-
विष वमन की पत्रकारिता-3- ‘द वायर’ ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की, जिसमें आंकड़ों को तोड़ा मरोड़ा गया और उसे सही साबित करने के लिए उन विशेषज्ञों के कथनों को आधार बनाया जो राजनीतिक रुप से प्रधानमंत्री मोदी के धुर विरोधी हैं। इस रिपोर्ट में सच्चाई को छुपाते हुए विश्लेषण किया गया। इस रिपोर्ट में इसका जिक्र नहीं किया गया कि आजादी के बाद से चली आ रही किसानों की समस्याओं के लिए सबसे लंबे समय तक देश में शासन करने वाली कांग्रेस पार्टी की लचर नीतियां और क्रियान्वयन जिम्मेदार हैं। इस समस्या को ऐसे पेश किया गया जैसे देश के किसानों की समस्या पिछले तीन-चार सालों में ही पैदा हुई है। इस तथ्य को पूरी तरह से नकारा गया कि किस तरह किसानों की समस्या के मूल कारणों को दूर करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने कदम उठाए हैं, जिसे कांग्रेस की सरकारों को पहले ही लागू कर देना चाहिए था। आप भी द वायर की इस रिपोर्ट को देखिए-
विष वमन की पत्रकारिता-4- जब प्रधानमंत्री मोदी ने किसानों के लिए 2018 के बजट में कई लाभकारी योजनाएं लागू करने की घोषणा की तो ‘द वायर’ ने लिखना शुरू कर दिया कि इन योजनाओं को सरकार लागू नहीं कर पाएगी। ऐसा कहने के लिए कोई पक्के सबूत सिद्दार्थ के पास नहीं थे, सिर्फ और सिर्फ काल्पनिक शंकाओं के आधार पर लिखी गई रिपोर्ट थी। तोड़ मरोड़ कर आंकडों के आधार पर विष वमन करने वाली इस रिपोर्ट को देखिए-
विष वमन की पत्रकारिता-5- ‘द वायर’ ने प्रधानमंत्री मोदी के 2018 के बजट पर एक लेख प्रकाशित किया, इसमें सरकार को व्यापार विरोधी बताते हुए कहा गया कि 2018 के बजट को किसानों और गरीबों को ध्यान में रखकर बनाया गया। इस लेख में इस तथ्य को कोई तवज्जो नहीं दी गई कि प्रधानमंत्री मोदी हर बजट के जरिए अर्थव्यवस्था की मूल समस्याओं का समाधान किस तरह से करते आ रहे हैं। ‘द वायर’ की उस रिपोर्ट को देखिए, जिसमें बजट का कैसे एकपक्षीय विरोध किया गया-
विष वमन की पत्रकारिता-6 -4 फरवरी, 2018 को ‘द वायर’ ने प्रधानमंत्री मोदी द्वारा गरीबों के लिए 2018 के बजट में घोषित की गई आयुष्मान भारत योजना पर एक लेख प्रकाशित किया। लेख ने 10 करोड़ गरीब परिवारों यानी 50 करोड़ गरीब लोगों को 5 लाख रुपये की मुफ्त स्वास्थ्य योजना पर सवाल उठाते हुए इसे लोकलुभावन घोषित कर दिया। वेबसाइट ने यह भी बताने का प्रयास किया कि इस योजना को सरकार लागू नहीं कर सकती है क्योंकि उसके पास इसे लागू करने के लिए पर्याप्त धन नहीं है। लेकिन रिपोर्ट ने इस ओर ध्यान नहीं दिया कि सरकार ने शेयरों की खरीद फरोख्त से होने वाली आमदनी पर 10 प्रतिशत का टैक्स लगाकर इस योजना को लागू करने की सारी तैयारी पहले से ही कर रखी है। इस लेख में यह भी ध्यान नहीं दिया कि प्रधानमंत्री मोदी ने तीन सालों के अंदर गरीबों के लिए शौचालयों, मुफ्त गैस कनेक्शन, जन धन खाते, सड़कें, घर, बिजली आदि की योजनाओं को बहुत मजबूती से लागू कर दिया है। विष वमन करती हुई द वायर की रिपोर्ट-
विष वमन की पत्रकारिता-7- 1 फरवरी, 2018 को राजस्थान उपचुनावों में आए परिणामों को लेकर जिस तरह से एकपक्षीय रिपोर्टिंग ‘द वायर’ ने की, उससे यह समझना कठिन नहीं है कि सिद्धार्थ वरदराजन ने इन परिणामों को तूल देकर कर राजनीतिक गोलबंदी करने का काम किया। वेबसाइट की हर एक रिपोर्ट में सीधा निशाना प्रधानमंत्री मोदी को बनाने का काम किया। राजस्थान के उपचुनावों पर की गई द वायर की एकपक्षीय और कुतर्क से भरी रिपोर्टस को देखिए-
‘द वायर’ एक ऐसा पोर्टल है, जो तथाकथित धर्मनिरपेक्ष और वामपंथी पार्टियों के ‘माउथपीस’ की तरह काम करता है। पत्रकारिता की आड़ में यह पोर्टल अनर्गल मुद्दों को आधार बनाकर प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी की प्रदेश सरकारों को निशाना बनाता है, ताकि उन्हें बदनाम किया जा सके। यह मोदी विरोध के एजेंडों पर काम करते हुए, देश के खिलाफ भी काम करने से बाज नहीं आता है।