लगता है कि कांग्रेस नेता जयराम रमेश का भी पार्टी और आलाकमान की नीतियों से मोहभंग हो गया है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि सल्तनत खत्म हो चुका है, लेकिन पार्टी नेताओं की सोच नहीं बदली है। उन्होंने ये बात मान ली है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की नीतियों को चुनौती देने की कांग्रेस में कूबत नहीं रह गई है। जयराम रमेश न केवल मनमोहन सरकार में मंत्री रहे हैं, बल्कि वो पार्टी के थिंक टैंक भी रहे हैं।
रस्सी जल गई, लेकिन ऐंठन बरकरार !
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार एक न्यूज एजेंसी को दिये इंटरव्यू में जयराम रमेश ने कहा है कि, “सल्तनत चली गई, लेकिन हमारा व्यवहार अब भी सुल्तानों की तरह है।” रमेश ने किसी का नाम तो नहीं लिया, लेकिन माना जा रहा है कि वो पार्टी नेताओं के बहाने कहीं न कहीं आलाकमान पर भी निशाना साध बैठे हैं। बताया जाता है कि कांग्रेस में सिर्फ एक ही परिवार की सल्तनत है, वो है सोनिया गांधी का परिवार। जिसके इशारे के बिना पार्टी में पत्ता हिलना भी नामुमकिन है। ऐसे में कयास लगने स्वभाविक हैं कि रमेश ने सीधे-सीधे पार्टी नेतृत्व को ही आईना दिखाने की कोशिश की है।
जयराम ने कहा है कि, “कांग्रेस ने 1996 से 2004 तक सत्ता से बाहर रहते हुए चुनावी राजनीति में संकट का सामना किया। उससे पहले 1977 में आपातकाल के बाद मिली हार भी कांग्रेस की चुनावी राजनीति के लिए संकट का दौर था, लेकिन कांग्रेस अभी जिस संकट से जूझ रही है वो चुनावी राजनीति का नहीं, बल्कि अस्तित्व का संकट है। पार्टी निश्चित रूप से गहरे संकट में है।”
‘भारत बदल चुका है, कांग्रेस भी बदले’
जयराम रमेश के अनुसार, “पार्टी को ये समझना पड़ेगा कि हमारा मुकाबला नरेंद्र मोदी और अमित शाह से है, जो बिल्कुल अलग तरीके से सोचते और काम करते हैं।” रमेश ने कहा कि, “अगर हमने अपने रुख में लचीलापन नहीं रखा, तो ये सच है कि हम जल्द ही अप्रासंगिक हो जाएंगे। पुराने नारे, फॉर्मूले और मंत्र अब काम नहीं करेंगे। भारत बदल चुका है, कांग्रेस को भी बदलना होगा। “
डूबते जहाज से भाग रहे हैं जयराम ?
जयराम रमेश ने पार्टी की स्थिति पर जो भी भड़ास निकाली है, उसपर कांग्रेस की आधिकारिक प्रतिक्रिया आने से पहले ही उसके पालतू पत्रकारों को मिर्ची लग चुकी है। जयराम ने चाहे जिन वजहों से भी अपने दिल का दर्द बयां किया हो, लेकिन उनका कबूलनामा मीडिया के एक वर्ग को बिल्कुल ही नहीं पच पा रहा है।
Jairam was a member of the “sultanate” in good standing! Rats & sinking “sultanate” https://t.co/Oe3nOoYMWR
— Swati Chaturvedi (@bainjal) August 8, 2017
Jairam was a RS member for 13 yrs, cabinet minister for 5 & a party “strategist” for polls. Zero responsibility? https://t.co/PJiyIPR3iB
— Swati Chaturvedi (@bainjal) August 8, 2017
LOL. Jairam can’t win a single vote for @INCIndia and can’t contest elections! No wonder Modi & Shah are eating @INCIndia for breakfast https://t.co/llmH0WBYAa
— Sagarika Ghose (@sagarikaghose) August 8, 2017
Jairam Ramesh ‘satya-vachan’! Taking VRS? https://t.co/40P8LCcfiC
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) August 8, 2017
सवाल उठना तो लाजिमी है कि जयराम रमेश के इंटरव्यू से सोनिया और राहुल गांधी से ज्यादा ये कुत्सित मानसिकता के छद्म पत्रकार क्यों परेशान हैं ?