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रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच वैश्विक कूटनीति में बढ़ी भारत की धमक, पिछले एक महीने में 20 से अधिक ग्लोबल लीडर्स ने किया दौरा

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के प्रभाव में काफी वृद्धि हुई है। इसका असर रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान देखने को मिल रहा है। युद्ध की वजह से दुनिया में मची उथल-पुथल के बीच भारत अचानक वैश्विक कूटनीति के केंद्र में आ गया है। विश्व के प्रमुख देशों के नेताओं का भारत आने का सिलसिला जारी है। पिछले एक महीने में 20 से अधिक ग्लोबल लीडर्स के भारत दौरे को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

वैश्विक कूटनीति का केंद्र बना भारत

भारत की राजधानी दिल्ली में रशिया के विदेश मंत्री सर्गी लावरोव, ब्रिटेन की विदेश मंत्री एलिजाबेथ ट्रस और अमेरिका के डिप्टी एनएसए दिलीप सिंह की मौजूदगी से भारत की कूटनीतिक ताकत के बारे में पता चलता है। भारत दुनिया का अकेला ऐसा देश है, जो रशिया से भी बात कर रहा है और अमेरिका से भी बात कर रहा है। भारत ने आलोचना के बावजूद, रशिया के साथ सम्पर्क बना कर रखा और आज इन पश्चिमी देशों के मंत्री इसीलिए भारत दौरे पर आ रहे हैं, क्योंकि वो भारत के जरिए रशिया तक अपनी बात पहुंचाना चाहते हैं।

बदलती भू-राजनीति में भारत की बढ़ती भूमिका

25 मार्च, 2022 को चीन के विदेश मंत्री वांग यी भी भारत आए थे और उन्होंने विदेश मंत्री एस. जयशंकर और एनएसए अजीत डोभाल से मुलाकात की थी। इसके आलावा जापान और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्रियों ने भी भारत का दौरा किया था। इन यात्राओं को लेकर विदेश मामलों के जानकार कहते हैं कि जिस प्रकार से भू राजनीति बदल रही है, उसके मद्देनजर हर ताकतवर देश चाहता है कि भारत के साथ उसके हित प्रभावित नहीं हों। इसलिए यूक्रेन पर भारत के रुख के बावजूद सभी देश भारत से अपने रिश्तों को पूर्ववत कायम रखे हुए हैं।

सफल कूटनीति से विश्व में भारत का दबदबा

पिछले कुछ समय से चीन परेशान था कि भारत अमेरिका का पिछलग्गू बन गया है। लेकिन अब चीन को विश्वास हो गया है कि भारत किसी भी देश के करीब हो सकता है, उसका पिछलग्गू नहीं है। भारत की सफल कूटनीति के कारण पूरे विश्व में भारत की एक अलग पहचान बनती जा रही है, जिसके कारण चीन जैसे शत्रु देश भी अब भारत से संबंध बेहतर करने के लिए लालायित है। मोदी सरकार ने साबित कर दिया है कि सफल कूटनीति से विश्व में दबदबा कायम किया जा सकता है। 

रूस – यूक्रेन के संपर्क में पीएम मोदी 

भारत ने अभी तक यूक्रेन पर आक्रमण के लिए रूस की आलोचना नहीं की है और उसने रूसी आक्रमण की निंदा करने वाले प्रस्तावों पर संयुक्त राष्ट्र के मंचों पर मतदान में हिस्सा लेने से परहेज किया है। पिछले गुरुवार को यूक्रेन में मानवीय संकट को लेकर रूस द्वारा पेश प्रस्ताव पर मतदान के दौरान भी भारत अनुपस्थित रहा। यह इस संघर्ष को लेकर भारत के निष्पक्ष रुख को प्रदर्शित करता है। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी रूस और यूक्रेन, दोनों देशों के नेताओं के संपर्क में हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से टेलीफोन पर 24 फरवरी, 2 मार्च और 7 मार्च को बात कर चुके हैं। वहीं यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से दो बार बात कर चुके हैं।

 

 

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