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G-20 समिट: ग्लोबल साउथ की मजबूत आवाज बना भारत, ऑस्ट्रेलिया-कनाडा संग PM मोदी ने किया नई साझेदारी का ऐलान

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दक्षिणी अफ्रीका के G20 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का विजन और कूटनीति वैश्विक इतिहास का एक महत्वपूर्ण अध्याय बना है। इसने न सिर्फ ग्लोबल साउथ की आवाज को नई ऊंचाई दी, बल्कि यह भी प्रमाणित किया कि भारत अब विश्व व्यवस्था में केवल एक दर्शक नहीं, बल्कि “दिशा-निर्धारक शक्ति” बन चुका है। यह वह क्षण था जब प्रधानमंत्री मोदी ने महज़ भागीदारी से आगे बढ़कर G20 के एजेंडे को पुनर्परिभाषित किया और वैश्विक नेतृत्व के मानचित्र पर भारत की छाप और गहरी की। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बॉयकॉट के बावजूद 20वीं G20 समिट के सदस्य देशों ने साउथ अफ्रीका के बनाए घोषणा पत्र को सर्वसम्मति से मंजूर कर लिया। भारत के लिए सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही कि ग्लोबल साउथ अर्थात उन राष्ट्रों की आवाज बनना, जिन्हें दशकों से विकास, संसाधनों और प्रतिनिधित्व के मामलों में हाशिये पर डाल दिया गया था। भारत ने कहा ही नहीं, बल्कि प्रमाणित किया कि दुनिया अब उत्तर बनाम दक्षिण नहीं रही। दुनिया अब साझेदारी और समान अवसरों के सिद्धांत पर उभर रही है।

मोदी-रामफोसा की द्विपक्षीय बैठक में टेक्नोलॉजी, स्किल डेवलपमेंट पर चर्चा
पीएम मोदी ने रविवार को G20 शिखर सम्मेलन से इतर साउथ अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा के साथ द्विपक्षीय बैठक की। इससे पहले पीएम मोदी ने बताया कि, कल G20 शिखर सम्मेलन की बैठक अच्छी रही। उन्होंने कहा, ‘मैंने दो सत्रों में भाग लिया और प्रमुख मुद्दों पर अपने विचार साझा किए।’ मोदी ने X पर बताया कि, ‘जोहान्सबर्ग में G20 शिखर सम्मेलन के दौरान राष्ट्रपति रामफोसा के साथ शानदार बैठक हुई। हमने भारत-दक्षिण अफ्रीका साझेदारी के सभी पहलुओं की समीक्षा की, विशेष रूप से ट्रेड, कल्चर, इंवेस्टमेंट और टेक्नोलॉजी, स्किल डेवलपमेंट, AI, रेयर अर्थ मेटल में सहयोग में विविधता लाने पर।’ इसके साथ ही मोदी ने G20 की सफल अध्यक्षता के लिए राष्ट्रपति रामफोसा को बधाई दी।

IBSA बैठक में PM मोदी बोले- UNSC में सुधार बन गई है जरूरत
पीएम मोदी G20 शिखर सम्मेलन के दौरान भारत-ब्राजील-दक्षिण अफ्रीका (IBSA) नेताओं की बैठक में शामिल हुए। इसमें विदेश मंत्री एस.जयशंकर भी शामिल हुए। ब्राजील के राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा और दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा भी बैठक में मौजूद रहे। इस दौरान पीएम मोदी ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में सुधारों की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार अब विकल्प नहीं, बल्कि जरूरत बन गई है। बता दें कि IBSA (India-Brazil-South Africa) एक त्रिपक्षीय अंतरराष्ट्रीय मंच है जो भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका के बीच सहयोग को बढ़ावा देने के लिए बनाया गया है। 6 जून 2003 को ब्राजील में तीनों देशों के तत्कालीन विदेश मंत्रियों ने ब्रासीलिया घोषणापत्र (Brasília Declaration) पर हस्ताक्षर करके IBSA की औपचारिक शुरुआत की।

ग्लोबल साउथ की आवाज बनना भारत के लिए सबसे बड़ी उपलब्धि
दरअसल, शिखर सम्मेलन की पृष्ठभूमि दुनिया के लिए कम चुनौतीपूर्ण नहीं थी। भू-राजनीतिक तनाव, यूक्रेन-रूस युद्ध, पश्चिमी और एशियाई गुटों के बीच बढ़ती खाई और वैश्विक अर्थव्यवस्था का असंतुलन—यह सब एक ऐसे माहौल का निर्माण कर रहे थे, जहां किसी निष्कर्ष पर पहुंचना लगभग असंभव माना जा रहा था। लेकिन इसी कठिन परिस्थिति में भारत ने वह कर दिखाया जो बड़े-बड़े देशों की कूटनीति नहीं कर पाई। एक सर्वसम्मत घोषणा पत्र तैयार कराना किसी संयोग का परिणाम नही, बल्कि पीएम मोदी की दूरदर्शी विदेश नीति, भारत की बढ़ती वैश्विक विश्वसनीयता और पिछले दस वर्षों में निर्मित हुए ताकतवर अंतरराष्ट्रीय रिश्तों का परिणाम था। भारत के लिए सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही कि ग्लोबल साउथ अर्थात उन राष्ट्रों की आवाज बनना, जिन्हें दशकों से विकास, संसाधनों और प्रतिनिधित्व के मामलों में हाशिये पर डाल दिया गया था। भारत ने कहा ही नहीं, बल्कि प्रमाणित किया कि दुनिया अब उत्तर बनाम दक्षिण नहीं रही। दुनिया अब साझेदारी और समान अवसरों के सिद्धांत पर उभर रही है। इसी का परिणाम यह रहा कि भारत के प्रयासों से अफ्रीकन यूनियन को G20 की स्थायी सदस्यता मिली।

पीएम मोदी ने पुराने डेवलपमेंट मॉडल को बदलाव की बताई आवश्यकता
पीएम मोदी ने G20 समिट के पहले दो सत्रों को संबोधित किया। पहले सेशन में उन्होंने वैश्विक चुनौतियों पर भारत का नजरिया दुनिया के सामने रखा। पीएम मोदी ने कहा कि G20 ने भले ही दुनिया की अर्थव्यवस्था को दिशा दी हो, लेकिन आज की ग्लोबल विकास मॉडल के पैरामीटर्स ने बड़ी आबादी को रिसोर्स से वंचित किया है और प्रकृति के दोहन को बढ़ावा दिया है। अफ्रीकी देशों पर इसका असर सबसे ज्यादा दिखता है। इसलिए उन्होंने पुराने डेवलपमेंट मॉडल के मानकों पर दोबारा सोचने की अपील की। उन्होंने कहा- पुराने डेवलपमेंट मॉडल ने रिसोर्स छीने, इसे बदलना जरूरी है। वहीं समिट के दूसरे सत्र में पीएम ने भारत के श्री अन्न (मोटा अनाज), जलवायु परिवर्तन, G20 सैटेलाइट डेटा पार्टनरशिप और डिजास्टर रिस्क रिडक्शन पर बात की।

डिजिटल इंडिया की सफलता के साथ “ग्लोबल डिजिटल इंडिया” की शुरुआत
दक्षिणी अफ्रीका सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी की एक और उल्लेखनीय उपलब्धि रही, डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) मॉडल का अंतर्राष्ट्रीयकरण। भारत ने दुनिया को यह समझाने में कामयाब रहा कि डिजिटल तकनीक केवल सुविधा नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय का नया साधन है। UPI, डिजिटल स्वास्थ्य मिशन, आधार, डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर—ये सब मिलकर एक ऐसा मॉडल बनाते हैं जिसे विकासशील देश कम संसाधनों में भी अपनाकर अपने नागरिकों तक पारदर्शी और कुशल शासन पहुंचा सकते हैं। दक्षिण अफ्रीका, केन्या, इथियोपिया, घाना और कई लैटिन अमेरिकी देशों ने भारत के इस मॉडल को अपनाने में रुचि दिखाई। यह भारत के लिए आर्थिक, तकनीकी और कूटनीतिक तीनों स्तरों पर एक बड़ी जीत है। यह केवल डिजिटल इंडिया की सफलता नहीं, बल्कि “ग्लोबल डिजिटल इंडिया” की शुरुआत है।

जलवायु परिवर्तन को अंतरराष्ट्रीय नीति का अनिवार्य तत्व बनाया
जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर भारत की स्थिति पहले से ही स्पष्ट और मजबूत रही है। लेकिन इस बार भारत ने जलवायु न्याय को केवल एक तर्क नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय नीति का अनिवार्य तत्व बना दिया। भारत ने यह स्पष्ट कर दिया कि विकासशील देशों को ऊर्जा संक्रमण के लिए दोष देना अनुचित है। जिन देशों ने सदियों तक कार्बन उत्सर्जन किया, उन्हें आज जिम्मेदारी तो लेनी ही चाहिए। दक्षिणी अफ्रीका में भारत ने सुनिश्चित किया कि वैश्विक उत्तर न केवल टेक्नोलॉजी और फाइनेंस मुहैया कराए, बल्कि विकासशील देशों की आवश्यकताओं को प्राथमिकता दे। यह रुख भारत की नैतिक स्थिति को मजबूत करता है और विकासशील देशों के लिए एक मार्गदर्शक सिद्धांत भी बनाता है। जी20 शिखर सम्मेलन के इतर प्रधानमंत्री मोदी ने जापान की प्रधानमंत्री साने ताकाइची (Sanae Takaichi) के साथ द्विपक्षीय वार्ता की है। इस बैठक के दौरान, दोनों नेताओं ने भारत-जापान विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी को आगे बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की।

भारत की कूटनीति तीन स्तंभ- विश्वसनीयता, समाधान और साझेदारी
दरअसल, पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत की कूटनीति तीन स्तंभों पर टिकी है—विश्वसनीयता, समाधान और साझेदारी। भारत ने यह साबित किया है कि वह केवल अपनी बात नहीं रखता, बल्कि दुनिया के सामने एक ठोस समाधान भी प्रस्तुत करता है। वह संघर्ष नहीं बढ़ाता, बल्कि बातचीत के लिए रास्ता निकालता है। और वह दूसरों को नीचा दिखाकर नहीं, बल्कि साथ लेकर बढ़ने की नीति पर चलता है। यही कारण है कि आज भारत की बात को गंभीरता से सुना जाता है। दक्षिणी अफ्रीका में यह सम्मान अपनी चरम सीमा पर दिखाई दिया। इस सम्मेलन का रणनीतिक महत्व भी कम नहीं है। रूस और पश्चिम के बीच बढ़ती दूरी में भारत एक सेतु के रूप में उभरा है। चीन की आक्रामक भू-राजनीति के दौर में अफ्रीका में भारत का बढ़ा प्रभाव बीजिंग के लिए भी एक स्पष्ट संदेश है कि विश्व अब एकतरफा आर्थिक निर्भरता से बाहर निकल रहा है। सबसे महत्वपूर्ण तो भारत ने यह स्थापित किया कि वह न केवल एशिया का नेतृत्व कर सकता है, बल्कि अफ्रीका, मध्य एशिया, यूरोप और अमेरिका—सबके बीच संतुलन स्थापित कर सकता है।

कनाडा-ऑस्ट्रेलिया के साथ त्रिपक्षीय टेक्नोलॉजी और इनोवेशन पार्टनरशिप की शुरुआत
भारत ने कनाडा और ऑस्ट्रेलिया के साथ मिलकर एक त्रिपक्षीय टेक्नोलॉजी और इनोवेशन पार्टनरशिप की शुरुआत की है। इसकी घोषणा पीएम मोदी ने कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी और ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीस के साथ एक बैठक के बाद की। तीनों देशों ने महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों पर सहयोग को मजबूत करने पर सहमति जताई है। पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर बताया कि उन्होंने जोहान्सबर्ग में G20 शिखर सम्मेलन के इतर अल्बनीस और कार्नी के साथ एक शानदार बैठक की। उन्होंने कहा कि नेता ऑस्ट्रेलिया-कनाडा-भारत प्रौद्योगिकी और नवाचार (ACITI) साझेदारी की घोषणा करते हुए बहुत खुश थे। ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज और कनाडा के मार्क कार्नी से मुलाकात के बाद पीएम मोदी ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, ‘हमें आज ऑस्ट्रेलिया-कनाडा-भारत तकनीकी और नवाचार (एसीआईटीआई) साझेदारी की घोषणा करते हुए खुशी हो रही है।’

 

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