देश में सेक्यूलरिज्म के नाम पर वामपंथी पत्रकार और तथाकथित बुद्धिजीवी दोहरा रवैया अपना रहे हैं। कौन सी घटना मॉब लिंचिंग है और कौन सी नहीं, यह धर्म देखकर तय किया जा रहा है। राजस्थान में लगभग एक साथ घटी दो अलग-अलग घटनाओं के संदर्भ में देखें तो ये बात साफ है कि तथाकथित सेक्यूलरवादी हिंदुओं के साथ घटित हुई किसी भी घटना पर मौन रहते हैं और किसी मुसलमान अपराधी के साथ भी कोई घटना घट जाए तो ये शोर मचाने लगते हैं।
अलवर में रकबर खान की मौत को लेकर तो खूब हो-हल्ला मचाया जा रहा है, लेकिन बाडमेर में 22 साल के खेताराम भील की हत्या मुसलमानों की भीड़ ने कर दी उस पर सबकी जुबान बंद है।
दोनों घटनाएं एक समय की हैं, लेकिन रकबर खान को पूरा देश जान रहा है और खेताराम नाम के दलित युवक को कोई नहीं जानता है। रकबर खान को किसने मारा इसका कोई सबूत नहीं है, लेकिन हिंदू आतंकी, हिंदू तालीबान जैसे शब्दों से हिंदू समुदाय को बदनाम किया जा रहा है।
वहीं हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार बाड़मेर जिले में भिंडे के पार गांव के खेताराम भील को मुस्लिम लड़की से बात भर करने के मामले में रस्सी से हाथ पैर बांधकर पीटा गया और उसे भीड़ ने पीट-पीट कर मार दिया, लेकिन मीडिया में बिल्कुल सन्नाटा है। जाहिर है यह खबर तथाकथित सेक्यूलर मीडिया के एजेंडे में फिट नहीं बैठ रहा है तो इसपर बिल्कुल खामोशी है। हालांकि जब तथाकथित सेक्यूलर मीडिया के इस दोहरे चरित्र को उजागर किया गया तो इसके लंबरदार बौखला उठे।
You sir are an MLA swearing allegiance to the Indian constitution or a hateful troll with zero empathy? https://t.co/f0gQhF3v3y
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) 24 July 2018
दोनों घटनाओं में अंतर देखें तो जिस रकबर खान की मौत हुई है वह अपराधी था और उसके विरुद्ध नौगाम थाने में 2014 में केस भी दर्ज है। मीडिया रकबर खान को मासूम बताने पर तुला हुआ है और उसे दूध कारोबारी बताया जा रहा है। लेकिन सच यह है कि वह गो तस्करी के मामले में पहले भी गिरफ्तार किया जा चुका था और उसके नाम से नौगाम थाने में केस संख्या 355/2014 दर्ज भी है। सवाल यह भी रकबर खान अगर दूध का व्यापारी था तो रात को दो बजे चोरी छिपे गाय क्यों ले जा रहा था?
दरअसल तथाकथित सेक्यूलर मीडिया ने दिल्ली में डॉक्टर नारंग की हत्या बांग्लादेशी मुसलमानों द्वारा किए जाने पर चुप्पी लाद ली थी। दिल्ली में ही अंकित सक्सेना नाम के युवक को मुसलमानों ने मार दिया फिर भी मीडिया चुप रही। कासगंज में चंदन गुप्ता को भारत माता की जय बोलने पर मुसलमानों ने लिंचिंग कर दी, लेकिन तथाकथित सेक्यूलर मीडिया चुप रहा। इसी तरह पश्चिम बंगाल में दुलाल कुमार और त्रिलोचन महतो को लटका कर मार दिया गया। केरल में आदिवासी युवक मधु को मुसलमानों ने पत्थरों से पीट कर मार डाला, लेकिन तथाकथित सेक्यूलर मीडिया की जुबानों को लकवा मार दिया।
ये सवाल छोड़ो की इस चुनाव में हिन्दू किसका,
ये जवाब दो कि इस देश में हिन्दू का कौन?
My debate on @abpnewstv pic.twitter.com/Gxs0ovwQfF— Kapil Mishra (@KapilMishra_IND) 23 July 2018
जिस रकबर खान की मौत पर राहुल गांधी ने ट्वीट किया और पीएम मोदी को बदनाम करने की साजिश रची, उसी राहुल गांधी ने दलित खेताराम भील की हत्या पर अब तक कुछ नहीं कहा।
जाहिर है राहुल गांधी को खेताराम भील में अपना वोटबैंक नहीं दिख रहा है, लेकिन रकबर खान में तो एकमुश्त दस करोड़ वोट साफ-साफ दिख रहा है। जाहिर है देश के लोगों को राहुल गांधी समेत तथाकथित सेक्यूलर मीडिया और तथाकथि बुद्धिजीवियों की इस दोहरे चरित्र को समझना ही होगा।