मणिपुर में हिंसा मई 2023 में भड़की थी और उस पर काबू पा लिया गया था लेकिन जो लोग इसे मुद्दा बनाए रखना चाहते हैं उन्होंने आग में घी डालते हुए एक वीडियो वायरल कर दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे से पहले इस हिंसा को भड़काया गया और अब संसद सत्र शुरू होने से पहले एक वीडियो वायरल किया गया जिसमें दो महिलाओं को नग्न करके घुमाया जा रहा है। यह निश्चित रूप से शर्मसार करने वाली घटना है। इसके साथ ही कुछ वीडियो ऐसी भी आई हैं जिसमें महिलाएं सेना को भगाने के लिए खुद को निर्वस्त्र तक करने लगती हैं। इसका वीडियो भी बनाया जा रहा था, यानि उनकी मंशा थी कि पुलिस उनपर कार्रवाई करे तो वे इसे पुलिस दमन बताते हुए वीडियो वायरल कर सकें। इससे साफ पता चलता है कि इसमें अंतर्राष्ट्रीय साजिश है। इस अंतर्राष्ट्रीय साजिश में भारत में सत्ता परिवर्तन का सपना देखने वाले अमेरिकी अरबपति जार्ज सोरोस, भारत के तेज विकास से बौखलाया चीन और नापाक इरादों के लिए कुख्यात पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई की संलिप्तता से इनकार नहीं किया जा सकता है। सवाल यह भी उठता है कि कुकी विद्रोहियों के पास अत्याधुनिक हथियार कहां से आए। कहा यह भी जा रहा है कि उनकी तरफ से म्यांमार से आए आतंकवादी भी लड़ रहे हैं।
कुकी विद्रोहियों के पास अत्याधुनिक हथियार कहां से आए?
कुकी विद्रोहियों की मदद के लिए म्यांमार से आतंकवादियों का एक समूह आया है जिनके पास अत्याधुनिक हथियार है। ये मणिपुर में पहाड़ी की चोटियों से मैतेई समुदाय के लोगों के गांवों पर गोलीबारी कर रहे हैं। सवाल उठता है कि इनके पास इतने अत्याधुनिक हथियार कहां से आए? इससे साफ जाहिर है कि मणिपुर में अराजकता लाने के लिए विदेशी ताकतें ही जिम्मेदार हैं।
मणिपुर में म्यांमार के कुकी ईसाई आतंकी मैती हिंदुओं के घरों पर लगातार म्यांमार से मिले हथियारों से हमला कर रहे हैं।
इस वीडियो में गोली चलाने वाली लड़की को ही मैतही लोगो ने पकड़ लिया और कल उनका जुलूस निकाल दिया 3 नो वीडियो एक साथ है आप ख़ुद सोचिए इन लड़कियों के साथ भीड़ क्या करेगी… pic.twitter.com/o407yAhoaU— भगवा क्रांति (@bhagwakrantee) July 20, 2023
कुकी भीड़ ने मैतेई घरों में तोड़फोड़ और आगजनी की
कुकी समुदाय की भीड़ ने 3 मई 2023 को मणिपुर के टोरबंग इलाके में मैतेई घरों में तोड़फोड़ और आगजनी शुरू कर दी। पूरी मैतेई आबादी को अपनी जान बचाने के लिए क्षेत्र से भागना पड़ा।
Visuals shows Kuki mob starting to vandalise and burned down Meitei houses in Torbung location in Manipur on 3rd May 2023. The whole Meitei population had to flee the area to save their life’s #manipur #WhatsApp #Shameful #Kuki #Manipur_Violence #Manipur #मणिपुर… pic.twitter.com/AL8utAc7Q3
— Sandeep Aribam (@sanaribam) July 20, 2023
सेना के सामने महिलाओं ने कपड़े उतारने शुरू कर दिए
कुकी समुदाय किस तरह महिलाओं को आगे कर मणिपुर में हिंसा को अंजाम दे रहा है उसका अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि कानून व्यवस्था संभालने के लिए पहुंची सेना को पीछे हटने को मजबूर करने के लिए उन्होंने खुद को निर्वस्त्र करना शुरू कर दिया। इस तरह का वाकया अंतर्राष्ट्रीय साजिश को ओर इशारा करती है।
🇮🇳 MANIPUR, INDIA
NAKED RAGE OR A LACK OF SHAME
The woman chose to strip off, forcing the soldiers to retreat.
THE WOMEN BATTALION SHOULD BE DEPLOYMENT. pic.twitter.com/8Vp6MncKKk
— Aprajita Choudhary 🦋 (@aprajitanefes) July 11, 2023
कुकी उन्मादियों ने मैतेई के पूरे गांव को जला दिया
कुकी समुदाय के लोगों ने मैतेई समुदाय के लोगों पर किस तरह अत्याचार किया है उसे नीचे वीडियो में देख सकते हैं। पूरे इलाके में जले हुए शव मैतेई हिंदुओं के हैं। ये वीडियो मणिपुर के सुंगु-सेराउ का है। जहां कुकी उन्मादियों ने जून के मध्य में हमला कर पूरे गांव को जलाकर राख कर दिया था।
ये जले हुए शव मैतेई हिंदुओं के हैं।
ये वीडियो मणिपुर के Sugnu-Serou का बताया जा रहा है।
जहां कुकी उन्मादियों ने जून के मध्य में हमला कर पूरे गांव को जलाकर राख कर दिया था। pic.twitter.com/8qZEcFiKll
— Panchjanya (@epanchjanya) July 20, 2023
जमीन पर कब्जे का मामला भी प्रमुख वजह
यह सब जमीन पर कब्जे का मामला है। एक प्रचार मशीन चौबीसों घंटे काम कर रही है और आपको बता रही है कि मणिपुर जल रहा है। लेकिन कोई भी इस बारे में नहीं बोल रहा है कि मणिपुर में कैसे 40 प्रतिशत मैतेई हिंदुओं के पास केवल 10 प्रतिशत भूमि है और 40 प्रतिशत कुकी ईसाइयों के पास 90 प्रतिशत मणिपुर भूमि का नियंत्रण है।
It’s all about the occupation of Land. A propaganda machine is operating 24/7 telling you #Manipur is burning.
BUT NO ONE IS SPEAKING ABOUT HOW 40% MEITEI HINDUS HAVE ONLY 10% OF MANIPUR LAND AND 40% KUKI CHRISTIANS CONTROL 90% OF MANIPUR LAND.
That’s ECOSYSTEM. pic.twitter.com/eoXsNoqBG3
— Kashmiri Hindu (@BattaKashmiri) July 20, 2023
मणिपुर क्यों जल रहा है? ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को देखना भी जरूरी
इतिहासकार प्रोफेसर कपिल कुमार ने एक ट्वीट कर अपने एक लेख को शेयर किया है जिसमें वह इस पर प्रकाश डालते हैं कि मणिपुर क्यों जल रहा है? इसके लिए 1944 के बाद की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को देखना भी जरूरी है। उस वक्त इन्हीं मैतेई, कुकियों, नागाओं और अन्य लोगों ने इंडियन नेशनल आर्मी (आजाद हिंद फौज) और नेताजी सुभाष चंद्र बोस का समर्थन किया था! इसके बाद नेहरू ने पूर्वी राज्यों के साथ क्या किया? यह सबके सामने है। जवाहर लाल नेहरू नेताजी को पसंद नहीं करते थे क्योंकि नेताजी के रहते उनका प्रधानमंत्री बनने का सपना पूरा नहीं हो सकता था। अब चूंकि नागालैंड और मणिपुर के लोगों ने नेताजी का समर्थन किया था इसलिए नेहरू ने इन इलाकों को उपेक्षित छोड़ दिया। 1946 में मेरठ में हुई कांग्रेस की बैठक में नागालैंड के प्रतिनिधि ने आगाह किया था कि अमेरिकी मिशनरीज वहां के लोगों को भारत के साथ नहीं मिलने के लिए उकसा रही है। इस पर नेहरू का जवाब था- भारत का स्वतंत्रता संग्राम नागालैंड से नहीं शुरू नहीं होगा। नेहरू ने इस तरह का बयान इसीलिए दिया था कि उन्हें पता था कि वहां के लोग नेताजी का समर्थन करते हैं। वहां के मैतेई, कुकी, नागा और अन्य आदिवासी नेताजी को राजा मानता था। मणिपुर के मोइरंग में आजाद हिंद सरकार का गठन भी हो गया था और तिरंगा भी फहरा दिया गया था और ब्रिटिश शासन से 18 हजार वर्ग मील जमीन को आजाद करा लिया गया था। करीब 90 हजार मैतेई, कुकी, नागा ने स्वतंत्रता संग्रामी होने के लिए आवेदन किया था लेकिन नेहरू ने उनकी मांगों को सिरे से नकार दिया था।
Why Manipur Burning ? Read my analysis with a historical background from 1944 onwards when the same Meities , Kukis, Nagas & others supported INA & Netaji ! What Nehru did to Eastern states ?
Do MY LORDS know this history ! Things dont flame up in a day ! Its an organised,… pic.twitter.com/jP1ukYeMif— ProfKapilKumar,Determined Nationalist (@ProfKapilKumar) July 20, 2023
यह एक संगठित, योजनाबद्ध हिंसा का ट्रेलर
इस इतिहास को भी जानना जरूरी है कि चीजें एक दिन में नहीं भड़कतीं! यह एक संगठित, योजनाबद्ध हिंसा है – पूरे उत्तर-पूर्वी राज्यों में पिछली सरकारों द्वारा बसाए गए रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों की मदद से जार्ज सोरोस एजेंटों, चीन और आईएसआई द्वारा तैयार की गई देशभर में हिंसा का यह एक ट्रेलर है। इसीलिए समय रहते देश के हर नागरिक को इन साजिशों के प्रति सतर्क होने की आवश्यकता है।

मणिपुर की राजधानी इम्फाल बिल्कुल बीच में है। ये पूरे प्रदेश का 10 प्रतिशत हिस्सा है, जिसमें प्रदेश की 57 प्रतिशत आबादी रहती है। बाकी चारों तरफ 90 प्रतिशत हिस्से में पहाड़ी इलाके हैं, जहां प्रदेश की 43 प्रतिशत आबादी रहती है। इम्फाल घाटी वाले इलाके में मैतेई समुदाय की आबादी ज्यादा है। ये ज्यादातर हिंदू होते हैं। मणिपुर की कुल आबादी में इनकी हिस्सेदारी करीब 53 प्रतिशत है। प्रदेश के कुल 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई समुदाय से हैं। पहाड़ी इलाकों में 33 मान्यता प्राप्त जनजातियां रहती हैं। इनमें प्रमुख रूप से नगा और कुकी जनजाति हैं। ये दोनों जनजातियां मुख्य रूप से ईसाई हैं। इसके अलावा मणिपुर में आठ-आठ प्रतिशत आबादी मुस्लिम और सनमही समुदाय की है। भारतीय संविधान के आर्टिकल 371C के तहत मणिपुर की पहाड़ी जनजातियों को विशेष दर्जा और सुविधाएं मिली हुई हैं, जो मैतेई समुदाय को नहीं मिलती। ‘लैंड रिफॉर्म एक्ट’ की वजह से मैतेई समुदाय पहाड़ी इलाकों में जमीन खरीदकर बस नहीं सकता। जबकि जनजातियों पर पहाड़ी इलाके से घाटी में आकर बसने पर कोई रोक नहीं है। इससे दोनों समुदायों में मतभेद बढ़े हैं।
मणिपुर में हिंसा भड़कने की तीन प्रमुख वजहें
1. मैतेई समुदाय के एसटी दर्जे का विरोध: मैतेई ट्राइब यूनियन पिछले कई सालों से मैतेई समुदाय को आदिवासी दर्जा देने की मांग कर रही है। मामला मणिपुर हाईकोर्ट पहुंचा। इस पर सुनवाई करते हुए मणिपुर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से 19 अप्रैल को 10 साल पुरानी केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्रालय की सिफारिश प्रस्तुत करने के लिए कहा था। इस सिफारिश में मैतेई समुदाय को जनजाति का दर्जा देने के लिए कहा गया है। मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी को युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया। इन्होंने नागा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया। कोर्ट ने मैतेई समुदाय को आदिवासी दर्जा देने का आदेश दे दिया। अब हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है।
2. अवैध अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई: आरक्षण विवाद के बीच मणिपुर सरकार ने अवैध अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई शुरू की। मणिपुर सरकार का कहना है कि आदिवासी समुदाय के लोग संरक्षित जंगलों और वन अभयारण्य में गैरकानूनी कब्जा करके अफीम की खेती कर रहे हैं। ये कब्जे हटाने के लिए सरकार मणिपुर फॉरेस्ट रूल 2021 के तहत फॉरेस्ट लैंड पर किसी तरह के अतिक्रमण को हटाने के लिए एक अभियान चला रही है। वहीं, आदिवासियों का कहना है कि ये उनकी पैतृक जमीन है। उन्होंने अतिक्रमण नहीं किया, बल्कि सालों से वहां रहते आ रहे हैं। सरकार के इस अभियान को आदिवासियों ने अपनी पैतृक जमीन से हटाने की तरह पेश किया। जिससे आक्रोश फैला।
3. कुकी विद्रोही संगठनों ने सरकार से हुए समझौते को तोड़ दिया: हिंसा के बीच कुकी विद्रोही संगठनों ने 2008 में हुए केंद्र सरकार के साथ समझौते को तोड़ दिया। दरअसल, कुकी जनजाति के कई संगठन 2005 तक सैन्य विद्रोह में शामिल रहे हैं। मनमोहन सिंह सरकार के समय, 2008 में तकरीबन सभी कुकी विद्रोही संगठनों से केंद्र सरकार ने उनके खिलाफ सैन्य कार्रवाई रोकने के लिए सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन यानी SoS एग्रीमेंट किया। इसका मकसद राजनीतिक बातचीत को बढ़ावा देना था। तब समय-समय पर इस समझौते का कार्यकाल बढ़ाया जाता रहा, लेकिन इसी साल 10 मार्च को मणिपुर सरकार कुकी समुदाय के दो संगठनों के लिए इस समझौते से पीछे हट गई। ये संगठन हैं जोमी रेवुलुशनरी आर्मी और कुकी नेशनल आर्मी। ये दोनों संगठन हथियारबंद हैं। हथियारबंद इन संगठनों के लोग भी मणिपुर की हिंसा में शामिल हो गए और सेना और पुलिस पर हमले करने लगे।
पीएम मोदी के नेतृत्व में आज पूर्वोत्तर भी विकास की नई कहानी गढ़ रहा है। पूर्वोत्तर भारत के साथ ही मणिपुर भी तेज गति से विकास किया जा रहा है। इससे बौखलाए चीन और अन्य विदेशी ताकतें षडयंत्र के तहत पूर्वोत्तर भारत को अस्थिर करना चाहती हैं। पूर्वोत्तर के विकास पर एक नजर-
पीएम मोदी के नेतृत्व में पूर्वोत्तर लिख रहा है विकास की नई कहानी!
यह दुर्भाग्य की बात रही कि आजाद भारत की कांग्रेसी सरकारों द्वारा न तो पूर्वोत्तर राज्यों के आर्थिक विकास के लिए ठोस जमीनी प्रयास किए गए और न ही उनके सामरिक महत्व की पहचान करने पर ही ध्यान दिया गया। इस वजह से इस हिस्से के प्रति शेष देश में सहज अपनत्व की भावना कम ही रही है। 2014 में केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता संभालने के बाद पूर्वोत्तर भारत के पूर्ण विकास पर जोर दिया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना है कि देश के हर राज्य का संतुलित और तीव्र विकास हो ताकि देश आत्मनिर्भर बन सके। इस सपने को साकार करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी 65 साल से उपेक्षित पूर्वोतर भारत में विकास की नई कहानी गढ़ रहे हैं। पिछले सात वर्षों में पूर्वोत्तर के 8 राज्यों में अभूतपूर्व परिवर्तन देखने को मिला है।
मणिपुर में 1,850 करोड़ रुपये की 13 परियोजनाओं का उद्घाटन
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इंफाल, मणिपुर में 4जनवरी 2022 को लगभग 1,850 करोड़ रुपये की 13 परियोजनाओं का उद्घाटन किया और करीब 2,950 करोड़ रुपये की 9 परियोजनाओं का शिलान्यास किया। ये परियोजनाएं सड़क अवसंरचना, पेयजल आपूर्ति, स्वास्थ्य, शहरी विकास, आवासन, सूचना प्रौद्योगिकी, कौशल विकास, कला और संस्कृति जैसे विविध क्षेत्रों से संबंधित हैं।
1700 करोड़ रुपये की पांच राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं की आधारशिला
प्रधानमंत्री ने 1700 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से निर्माण की जाने वाली पांच राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं की आधारशिला रखी। उन्होंने 75 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से एनएच-37 पर बराक नदी पर बने स्टील ब्रिज का उद्घाटन किया, जो सिलचर और इंफाल के बीच यातायात को आसान बनाएगा। उन्होंने लगभग 1100 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किए गए 2,387 मोबाइल टॉवरों को भी मणिपुर के लोगों को समर्पित किया।
इंफाल में पेयजल की आपूर्ति के लिए थौबल योजना का उद्घाटन
प्रधानमंत्री ने 280 करोड़ मूल्य की ‘थौबल बहुउद्देश्यीय परियोजना की जल प्रवाह प्रणाली’ का उद्घाटन किया, जिससे इंफाल शहर में पेयजल की आपूर्ति होगी। प्रधानमंत्री ने 65 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित जल आपूर्ति योजना और 51 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित ‘सेनापति जिला मुख्यालय जलापूर्ति योजना का विस्तार’ परियोजना का भी उद्घाटन किया, जिनसे क्रमशः तामेंगलोंग जिले की दस बस्तियों के निवासियों को सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराया जायेगा तथा उस क्षेत्र के निवासियों को नियमित जल आपूर्ति प्रदान की जाएगी।
अत्याधुनिक कैंसर अस्पताल का शिलान्यास
प्रधानमंत्री ने इंफाल में लगभग 160 करोड़ रुपये की लागत से पीपीपी आधार पर निर्माण किए जाने वाले ‘अत्याधुनिक कैंसर अस्पताल’ का शिलान्यास किया। उन्होंने कियामगेई में ‘200 बिस्तरों वाले कोविड अस्पताल’ का उद्घाटन किया, जिसे डीआरडीओ के सहयोग से लगभग 37 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित किया गया है। उन्होंने ‘इंफाल स्मार्ट सिटी मिशन’ के तहत 170 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से विकसित तीन परियोजनाओं का उद्घाटन किया, जिनमें एकीकृत कमान और नियंत्रण केंद्र (आईसीसीसी)’; ‘इंफाल नदी के पश्चिमी किनारे का विकास (चरण I) और थंगल बाजार में माल रोड का विकास (प्रथम चरण) शामिल हैं।
नए भारत के सपनों को पूरा करने का प्रवेश द्वारः पीएम मोदी
मणिपुर के लोगों की बहादुरी को नमन करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा था कि देश के लोगों में आजादी का विश्वास यहां मोइरांग की धरती में पैदा हुआ जहां नेताजी सुभाष की सेना ने पहली बार राष्ट्रीय ध्वज फहराया। जिस पूर्वोत्तर क्षेत्र को नेताजी ने भारत की स्वतंत्रता का प्रवेश द्वार कहा, वो एक नए भारत के सपनों को पूरा करने का प्रवेश द्वार बन रहा है। उन्होंने अपने इस विश्वास को दोहराया कि भारत के पूर्वी और पूर्वोत्तर हिस्से भारत की प्रगति का स्रोत बनेंगे और यह आज इस क्षेत्र के विकास में दिखाई दे रहा है।
पीएम मोदी ने 50 से अधिक बार किया पूर्वोत्तर राज्यों का दौरा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 50 से अधिक बार उत्तर पूर्व भारत का दौरा किया। मोदी सरकार का मानना है कि परिवहन और संचार को बढ़ाकर ही इस क्षेत्र में परिवर्तन संभव है और इस संबंध में ठोस कदम उठाए गए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2014 में सत्ता संभालने के बाद से अब तक पूर्वोत्तर राज्यों का 50 से ज्यादा बार दौरा किया है। पीएम नरेंद्र मोदी देश के पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने लगातार इतनी बार पूर्वोत्तर राज्यों का दौरा किया है।