प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में अब जबकि देश की राजनीति का अंदाज बदलने लगा है, कांग्रेस एक बार फिर विभाजन और बंटवारे की राजनीति कर देश को गर्त में धकेलने की कोशिश कर रही है। पार्टी एक बार फिर सत्ता पर काबिज होने की कवायद में वंशवाद, भाषावाद, प्रांतवाद, क्षेत्रवाद, संप्रदायवाद की आग में देश को जलाने की साजिश पर अमल कर रही है।
गुजरात में क्षेत्रवाद को बढ़ावा देने वाले कांग्रेस विधायक अप्लेश ठाकोर के बाद एक और विधायक गेनीबेन ठाकोर का एक वीडियो वायरल हो रहा है। इस वीडियो में विधायक महिलाओं के एक समूह से कह रही हैं कि बलात्कार के आरोपी को पुलिस को सौंपने के बदले जिंदा जला देना चाहिए। यह वीडियो गुरुवार को वायरल हुआ जिसमें विधायक महिलाओं के एक समूह को कथित रूप से यह कह रही हैं। गेनीबेन को अल्पेश ठाकोर की करीबी माना जाता है। ठाकोर महिलाओं से कह रही हैं, ‘भारत में, हर किसी को कानून की प्रक्रिया (न्याय पाने के लिए) से गुजरना पड़ता है। लेकिन, जब कभी ऐसी घटनाएं होती हैं, 50-150 लोगों को एक साथ आना चाहिए और उसी दिन उसे जला देना चाहिए। उसे खत्म करो, उसे पुलिस को मत सौंपो।’
इसके पहले अल्पेश ठाकोर के भड़काऊ बयान के बाद कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने यूपी-बिहार के लोगों को गुजरात छोड़ने के की धमकियां दीं, उन्हें बंधक बनाया, उनपर हमले किए और उनकी कमाई लूट ली। अल्पेश ने कहा था कि, ‘बाहर के जो तमाम लोग यहां आते हैं, क्राइम करते हैं, उनकी वजह से अपराध बढ़ा है, गांव में टकराव बढ़ा है। वे गांवों के सामान्य लोगों को मारते हैं और अपराध करके वापस चले जाते हैं। उनके कारण, गुजरातियों को रोजगार नहीं मिल रहा है। क्या ऐसे लोगों के लिए हमारा गुजरात है?’
दरअसल कांग्रेस की राजनीति क्षेत्रवाद, जातिवाद और प्रांतवाद के बंटवारे के आधार पर आगे बढ़ी है। आइये हम देखते हैं कि कैसे कांग्रेस विभाजन और बंटवारे की राजनीति करती रही है।
दलितों को भड़काने की राजनीति
सहारनपुर में किस तरह सवर्णों और दलितों के बीच टकराव स्थापित करने की सियासत की गई ये सब जानते हैं। ये भी साफ हो गया है कि कांग्रेस की शह पर सहारनपुर में इस संघर्ष की साजिश रची गई और उनके कई नेताओं का इस मामले में हाथ भी सामने आ रहे हैं। इसी तरह गुजरात के ऊना में दलित पिटाई की भी कांग्रेस ने साजिश रची थी और भाजपा पर दोष मढ़ने का प्रयास किया था। लेकिन गुजरात की जनता ने कांग्रेस की राजनीति को समझ लिया और उसे स्थानीय निकाय चुनाव में हराकर उसे सबक भी सिखा दिया।
किसानों को भड़काती है कांग्रेस
साठ सालों तक सत्ता में रही कांग्रेस ने किसानों को ठगने का काम किया है। हर स्तर पर पंगु बनाकर रखने की नीति पर चलते हुए किसानों के नाम पर राजनीति भी खूब करती है। लेकिन मध्यप्रदेश में मंदसौर की घटना ने कांग्रेस की पोल खोल कर रख दी है। किसान कल्याण के नाम पर राजनीति कर रही कांग्रेस किस तरह किसानों को भड़काती है वो जगजाहिर हो चुका है। कांग्रेस के विधायक, नेता किसानों का नेतृत्व करने के नाम पर आगे आते हैं और किसानों को गोलियां खाने को छोड़ भाग जाती है।
अलगाववाद की जहर बोती है कांग्रेस
साठ सालों तक सत्ता में काबिज रही कांग्रेस ने देश की समस्याओं का हल तो ढूंढ नहीं पाई … उल्टे क्षेत्रवाद और प्रांतवाद की राजनीति को बढ़ावा ही दिया। हाल में ही जब कांग्रेस के एक कार्यकर्ता ने सरेआम गाय काटा तो देश में विरोध के स्वर सुनाई देने लगे। उत्तर भारत और दक्षिण भारत के बीच विभेद पैदा करने की कुत्सित कोशिश की गई। ट्विटर और सोशल मीडिया पर ‘द्रविनाडु’ यानी दक्षिण भारत के चारों प्रमुख राज्यों को मिलाकर अलग देश निर्माण की मांग को हवा दी गई। आप समझ सकते हैं कि कांग्रेस किस कदर बंटवारे और विभाजन की राजीनीति करती है।
राज्यों को आपस में लड़वाती है कांग्रेस
नदियों के जल बंटवारे का मामला हो या फिर राज्यों के सीमांकन का… कांग्रेस ने यहां भी राजनीति की। इसी का नतीजा है कि आज भी जल बंटवारे के नाम पर तमिलनाडु और कावेरी आमने-सामने होते हैं तो पंजाब, हिमाचल और राजस्थान भी एक दूसरे के खिलाफ तलवारें निकाल लेते हैं। हालांकि मोदी सरकार इन समस्याओं के समाधान की तरफ बढ़ तो रही है लेकिन कांग्रेस ने इसे उलझा कर रख दिया है। दूसरी तरफ सीमांकन के नाम पर यूपी-बिहार, बिहार -बंगाल, असम-बंगाल के बीच तनातनी की शिकायतें आती रहती हैं।
उत्तर-दक्षिण को लड़ाने की साजिश
कर्नाटक में अलग झंडे को मंजूरी देने के बाद सीएम सिद्धारमैया ने अलग तरह के अलगाववाद की बुनियाद तैयार करनी शुरू कर दी है। इस बार उन्होंने संसाधनों के हिस्से को लेकर उत्तर और दक्षिण भारत के बीच खाई चौड़ा करने की कोशिश की है।
“For every 1 rupee of tax contributed by UP that state receives Rs. 1.79
For every 1 rupee of tax contributed by Karnataka, the state receives Rs. 0.47
While I recognize, the need for correcting regional imbalances, where is the reward for development?”: CM#KannadaSwabhimana https://t.co/EmT7cY60Q0
— Karnataka Congress (@INCKarnataka) 16 March 2018
जाहिर है कर्नाटक के सीएम की मंशा अब उत्तर और भारत के बीच खाई को पैदा करने की है।
कर्नाटक को ‘कश्मीर’ बनाने की साजिश
राहुल गांधी की सहमति के बाद सिद्धारमैया ने कर्नाटक को अलग झंडा बनाने की मंजूरी दे दी है। दरअसल राहुल गांधी इस बहाने कर्नाटक में अलगगाववाद का जहर बोना चाहते हैं। दरअसल 1948 में कांग्रेस ने कश्मीर को धारा 370 और 35A का प्रावधान कर अलगाववाद की नींव रख दी थी।
‘कन्नड़वाद’ पर ‘गंदी राजनीति’ की साजिश
राहुल गांधी और कांग्रेस की हिन्दी भाषा से नफरत जगजाहिर है। राहुल की इसी नीति के तहत सिद्धरमैया ने हिंदी भाषा के विरूद्ध बिगुल फूंक दिया है।राहुल की शह पर सिद्धारमैया एक बार फिर देश में भाषावाद और क्षेत्रवाद का झंडा बुलंद कर रहे हैं।
हिंदुओं में फूट डालने की साजिश
राहुल गांधी ने फूट डालो राज करो की नीति के तहत लिंगायत को अलग धर्म की मान्यता देकर हिंदुओं को विभाजित करने की बुनियाद डाल दी है। कर्नाटक की सरकार ने लिंगायत को अलग धर्म की मान्यता देने के लिए केंद्र सरकार लिखा है।
हिंदी विरोध पर अलगाववाद की साजिश
16 मार्च, 2018 को कांग्रेस ने पूर्वोत्तर में अलगाववाद की बीज बोने की एक और कोशिश तब की जब मेघालय विधानसभा में राज्यपाल के हिंदी में दिए गए अभिभाषण का विरोध करते हुए कांग्रेसी सदस्यों ने सदन से वॉक आउट कर दिया। ध्यान देने वाली बात ये है कि विधानसभा के सभी सदस्यों को अंग्रेजी में लिखी अभिभाषण की प्रतिलिपि भी दे दी गई थी।
द्रविड़नाडु की बीज बोती कांग्रेस
मई 2017 में कांग्रेस ने पशु क्रूरता अधिनियम के विरोध में ट्विटर और सोशल मीडिया पर ‘द्रविनाडु’ यानि दक्षिण भारत के चारों प्रमुख राज्यों को मिलाकर अलग देश निर्माण की मांग को हवा दी थी।
‘दूध में दरार’ डालने की साजिश
यूपीए की सरकार जब देश की सत्ता में थी तो सेना में मुसलमानों की संख्या की गिनती कराए जाने की योजना बनाई जाने लगी। कांग्रेस ये जानती है कि सेना में धर्म, जाति या क्षेत्र के आधार पर नौकरियां नहीं दी जाती हैं और इन सब के बारे में कोई आंकड़ा नहीं रखा जाता।
कांग्रेस ने की मुसलमानों के आरक्षण की मांग
वर्ष 2017 में कांग्रेस ने आंध्र प्रदेश में सरकारी नौकरियों और अलीगढ़ में पीजी कोर्सेज में मुसलमानों को आरक्षण की मांग की थी। इसी मांग पर बढ़ते हुए तेलंगाना सरकार ने भी तुष्टिकरण का कार्ड खेलते हुए मुसलमानों को अलग से आरक्षण की व्यवस्था बहाल कर दी।