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अर्थव्यवस्था में मजबूती बरकरार, हर मोर्चे पर कामयाब मोदी सरकार

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देश में दूसरी बार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए जोरदार प्रयास किए गए हैं। सरकार ने आर्थिक वृद्धि को तेज करने और देश को 5 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने को प्राथमिकता दी है। इसके लिए सुधार के कई कदम उठाए गए हैं। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने वैश्विक मंदी को दरकिनार करते हुए कहा कि आर्थिक सुधार पर सरकार लगातार काम कर रही है, जिसकी वजह से भारत में इसका असर नहीं पड़ेगा। भारत की अर्थव्यवस्था बेहतर हालत में हैं। हमारी अर्थव्यवस्था का मोमेंटम खत्म नहीं हुआ है। हमारे लिए ग्रोथ का एजेंडा सबसे ऊपर है।

नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था के फंडामेंटल्स मज़बूत हैं। वित्त मंत्री ने बीते हफ़्ते कई क़दमों का एलान किया जिसका सकारात्मक असर निवेशकों और ग्राहकों पर पड़ेगा।

मोदी सरकार ने राजकोषीय लक्ष्यों को किया हासिल
जुलाई 2014 के पूर्ण बजट में मोदी सरकार ने अर्थव्यवस्था में मंदी के बाद भी यूपीए सरकार के अंतरिम बजट के राजकोषीय लक्ष्यों को हासिल किया था। मोदी सरकार ने वित्तीय वर्ष 2018-19 में भी 3.4 प्रतिशत के राजकोषीय लक्ष्य को हासिल कर लिया। राजकोषीय घाटा जो साल 2017-18 में 3.5 प्रतिशत था, वो घटकर साल 2018-19 में 3.4 प्रतिशत रह गया।
सरकार ने चालू वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को घटाकर GDP का 3.3 प्रतिशत कर दिया है।  

वृद्धि दर 7.1 प्रतिशत से हो सकती है अधिक

कच्चे तेल की कीमतें मौजूदा दरों के दायरे में रहती हैं और मानसून सामान्य से ऊपर रहता है, तो भारत की वृद्धि दर 7.1 प्रतिशत से अधिक हो सकती है। जून में वर्षा सामान्य से 36 प्रतिशत कम रही, लेकिन जुलाई और अगस्त में देश के 84% हिस्सों में सामान्य से ज्यादा बारिश हो चुकी है। फसल उत्पादन के लिए जुलाई-अगस्त की वर्षा और उसका समान वितरण कहीं अधिक मायने रखता है। इससे कृषि क्षेत्र के उत्पादन में बढ़ोतरी हो सकती है। अगर ऐसा हुआ और खाद्य उत्पादों की कीमतों में कुछ बढ़ोतरी किसानों की जेब में पहुंचती है तब ग्रामीण मांग में सुधार समग्र अर्थव्यवस्था को लाभ पहुंचाएगा। ऐसा इसलिए, क्योंकि भारत की वृद्धि में ग्रामीण अर्थव्यवस्था की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है जो विनिर्माण में 50 प्रतिशत और सेवा में एक चौथाई हिस्से को प्रभावित करती है।

बजट और मौद्रिक नीति से जीडीपी में वृद्धि 
बजट और मौद्रिक नीति से निजी उपभोग को बढ़ावा मिलेगा। चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही से वृद्धि की रफ्तार जोर पकड़ेगी, क्योंकि ब्याज दरों में कटौती तब अपना असर दिखाएगी। न्यूनतम आय समर्थन से किसानों और कर रियायतों से मध्य वर्ग के हाथ में जो पैसा पहुंचेगा उससे उपभोग मांग में इजाफा होगा, क्योंकि इस तबके में उच्च वर्ग की तुलना में मांग को प्रभावित करने की क्षमता कहीं अधिक है। वास्तव में मानसून और कच्चे तेल की कीमतों का रुख भी इसमें अहम भूमिका निभाएगा।

अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में सुधार

अर्थव्यवस्था के कई क्षेत्र में सुधार दिखाई दे रहा है। माइनिंग सेक्टर पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही के 0.4 फीसदी की तुलना में 2.7 फीसदी की दर से आगे बढ़ा। इलेक्ट्रिसिटी, गैस, वाटर सप्लाई और अन्य यूटिलिटी सेक्टर पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही के 6.7 फीसदी की तुलना में 8.6 फीसदी की दर से आगे बढ़ा।  पब्लिक ऐडमिनिस्ट्रेशन, डिफेंस और अन्य सेवाएं पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही के 7.5 फीसदी की तुलना में 8.5 फीसदी की दर से आगे बढ़ा है।

बजट से अर्थव्यवस्था को मिली रफ्तार  
वित्त वर्ष 2019-20 के बजट और उसके बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की घोषणा में अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए कई उपाए किए गए हैं। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के पुनर्पूंजीकरण से भी कर्ज देने की उनकी क्षमता में सुधार होगा। कर्ज वितरण मे वृद्धि होने से मांग में बढ़ोतरी होगी।

NPA के मामलों में सरकार को मिली बड़ी कामयाबी

रिजर्व बैंक आफ इंडिया की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक बैंकों का ग्रॉस एनपीए घटकर 9.1 फीसदी पर आ गया है। यह एक साल पहले 11.2 फीसदी पर था। रिपोर्ट के अनुसार बैंकों के फंसे कर्ज के बारे में जल्द पता चलने और उसका जल्द समाधान होने से एनपीए को नियंत्रित करने में मदद मिली है। रिपोर्ट में कहा गया है कि शुरूआती कठिनाइयों के बाद इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) बैंकिंग सिस्टम का पूरा माहौल बदलने वाला कदम साबित हो रहा है। पुराने फंसे कर्ज की रिकवरी में सुधार आ रहा है और इसके परिणामस्वरूप, संभावित निवेश चक्र में जो स्थिरता बनी हुई थी, उसमें सुगमता आने लगी है।

विदेशी संस्थागत निवेशकों को बड़ी राहत
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विदेशी संस्थागत निवेशकों को बड़ी राहत देते हुए कहा कि कैपिटल मार्केट में निवेश को बढ़ावा देने के लिए एफपीआई पर सरचार्ज हटाने का फैसला किया गया है। इससे बाजार में पूंजी का प्रवाह फिर से पहले की तरह हो सकेगा। घरेलू निवेशकों के लिए भी इनकम टैक्स सरचार्ज की बढ़ोत्तरी रद्द कर दी गई है। निर्मला सीतारमण ने कहा कि इक्विटी के लॉन्ग टर्म और शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन पर सरचार्ज बढ़ोत्तरी के फैसले को भी वापस लिया गया है।

विदेशी मुद्रा भंडार पहली बार 430 अरब डॉलर के पार
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश की अर्थव्यवस्था लगातार मजबूत हो रही है। मोदी सरकार की नीतियों के कारण आज भारत का विदेशी का मुद्रा भंडार नए रिकॉर्ड पर पहुंच गया है। विदेशी मुद्रा भंडार पहली बार 430 अरब डॉलर के पार 430.38 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, 19 जुलाई को समाप्त सप्ताह में 1.58 अरब डॉलर बढ़कर पहली बार 430.38 अरब डॉलर पर पहुंच गया। रिजर्व बैंक के अनुसार, 19 जुलाई को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार का सबसे बड़ा घटक विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति 1.39 अरब डॉलर बढ़कर 401.09 अरब डॉलर हो गया। इस दौरान स्वर्ण भंडार 24.30 अरब डॉलर पर स्थिर रहा। विदेशी मुद्रा भंडार ने आठ सितंबर 2017 को पहली बार 400 अरब डॉलर का आंकड़ा पार किया था। जबकि यूपीए शासन काल के दौरान 2014 में विदेशी मुद्रा भंडार 311 अरब डॉलर के करीब था।

रोजगार के मोर्चे पर भी सरकार को मिली कामयाबी
रोजगार के मोर्चे पर भी सरकार को पिछले एक साल में कामयाबी मिली है। EPFO के मुताबिक फॉर्मल सेक्टर में रोजगार के अवसर बढ़े हैं। फरवरी 2018 में 4.87 लाख लोगों को रोजगार मिला था, जो मार्च 2019 में बढ़कर 8.15 लाख तक पहुंच गया।

हर रोज 30 किलोमीटर रोड का निर्माण 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण पर विशेष जोर रहता है। पीएम मोदी की पहल पर केंद्र सरकार पूरे देश को यातायात सुविधाओं का जाल बिछाने पर काम कर रही है। मोदी सरकार ने मनमोहन सरकार के मुकाबले ढाई गुना तेज गति से सड़कों का निर्माण किया है। मोदी सरकार में हर रोज सड़क बनाने का दायरा बढ़ा है, जहां साल 2014-15 में 12 किलोमीटर हर रोज सड़क निर्माण होता था, जो 2018-19 में बढ़कर हर रोज 30 किलोमीटर हो गया है। वित्त वर्ष 2018-19 में राजमार्गों का निर्माण और विस्तार 10,800 किमी तक पहुंच गया। यह यूपीए शासन के दौरान 2013-14 की तुलना में ढाई गुना अधिक है। टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार यूपीए- 2 के पांच वर्षों के दौरान कुल 24,690 किमी का निर्माण या चौड़ीकरण किया गया था, जबकि मोदी राज में कुल निर्माण 39,350 किमी को छू गया, जो लगभग 70% की वृद्धि है।

छोटे व मझोले उद्योगों को सरकार ने दी राहत

सरकार ने सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) को बड़ी राहत दी है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि एमएसएमई के अब तक के सभी लंबित जीएसटी रिफंड का भुगतान 30 दिन के भीतर कर दिया जाएगा। वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि भविष्य में रिफंड मामलों को 60 दिन के भीतर निपटा दिया जाएगा। एमएसएमई के रिफंड आवेदन करने के 60 दिन के भीतर उनको भुगतान किया जाएगा।  

सीतारमण ने कहा कि यू.के. सिन्हा समिति की सिफारिशों पर 30 दिन के भीतर फैसला लिया जाएगा। ये सिफारिशें एमएसएमई के लंबित पड़े भुगतानों, प्रौद्योगिकी, विपणन, कर्ज की आसान उपलब्धता से जुड़ी हैं। सरकार एकल परिभाषा की ओर बढ़ने के लिए एमएसएमई अधिनियम में संशोधन पर भी विचार करेगी । सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में एमएसएमई क्षेत्र की हिस्सेदारी करीब 29 प्रतिशत है। यह क्षेत्र नौकरियां सृजित करने वाले सबसे बड़े क्षेत्रों में से एक है।

मोबाइल फोन के उत्पादन और निर्यात में 8 गुना बढ़ोतरी 

भारत में मोबाइल फोन के उत्पादन और निर्यात में पिछले पांच वर्षों में 8 गुना वृद्धि हुई है। भारतीय रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक, 2018-19 में भारत ने 24.3 बिलियन डॉलर के मोबाइल फोन का उत्पादन किया, जो 2014-15 में सिर्फ 3.1 बिलियन डॉलर था। भारत में ‘मेक इन इंडिया’ और ‘डिजिटल इंडिया’ अभियान के तहत मोबाइल फोन मैन्युफैक्चरिंग एक प्रमुख क्षेत्र के रूप में उभरा है। मोदी सरकार ने मोबाइल फोन मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं,जिसमें टैरिफ संरचना में सुधार, बुनियादी ढांचे का विकास, प्रक्रिया को सरल बनाने और कई तरह के प्रोत्साहन शामिल है। 

इसी साल दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इकोनॉमी बन जाएगा भारत
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत की इकोनॉमी दिन दूनी- रात चौगुनी तरक्की कर रही है। आज पूरी दुनिया में इंडियन इकोनॉमी का बोलबाला है। अर्थव्यवस्था के मामले में भारत आज विश्व की चोटी के देशों को चुनौती दे रहा है। आईएचएस मार्किट की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत इस साल ब्रिटेन को पछाड़कर दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। इतना ही नहीं रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2025 तक भारत जापान को पीछे छोड़कर दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश हो जाएगा। इस रिपोर्ट में भारतीय उपभोक्ता बाजार के भी 2019 में 1.9 खरब डॉलर से लगभग दोगुना बढ़कर 2025 तक 3.6 खरब डॉलर हो जाने की भविष्यवाणी भी की गई है।

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