राफेल डील पर 10 अक्टूबर को एक फ्रांस की एक वेबसाइट ‘Mediapart’ में फ्रेंच भाषा में एक खबर छपी। कांग्रेस नेता शशि थरूर ने इसे ‘explosive’ बताते हुए ट्वीट किया कि भारत सरकार ने डसॉल्ट एविएशन पर दबाव डाला था कि वह रिलायंस डिफेंस से करार करे। हालांकि शशि थरूर के इस झूठ की पोल फ्रेंच मैगजीन ‘Le Monde’ के साउथ एशिया कॉरेसपोंडेंट जुलियन बोइसो ने खोल दी। जूलियन ने कहा कि शशि थरूर ने इसका अनुवाद ही गलत किया। इसमें ऑफसेट की बात की गई है, न कि रिलायंस को जबरदस्ती थोपने की। वे जिसे ‘explosive’ कह रहे हैं, उसमें कुछ भी नया नहीं है। क्योंकि डसॉल्ट एवियेशन ने फ्रांसीसी ट्रेड यूनियन्स को मई 2017 में ही यह बता दिया था कि ऑफसेट क्लाउज के कारण नागपुर में संयंत्र के निर्माण किया जाएगा।
If you read the article, there is nothing “explosive”, nothing new. In may 2017, Dassault Informed French trade unions about the construction of a plant in Nagpur, and explained to them why that plant could not be built in France. (because of the offset). https://t.co/TszxSt69nN
— julien bouissou (@jubouissou) October 11, 2018
दरअसल अफवाह, झूठ और दुष्प्रचार के दम पर राफेल डील को निरस्त करवाने की कुत्सित कोशिश जारी है और इस अंतरराष्ट्रीय साजिश को ‘राहुल गांधी एंड कंपनी’ अंजाम देने में लगी है। यह बात तब और पुख्ता हुई जब एबीपी न्यूज के पत्रकार विकास भदौरिया के 28 सितंबर को ट्वीट किया। उन्होंने लिखा, ‘’अंतरराष्ट्रीय हथियार कंपनियों, आर्म्स डीलर तथा दो राजनीतिक पार्टियों के नेता अपने लाभ के लिए अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र के तहत मोदी सरकार को बदनाम करने में जुटे हैं, ताकि यह सरकार राफेल डील को निरस्त कर दे।‘’
Sales Director of a big company of fighter aircraft’s met five senior leaders of two diffrent parties to raise the Rafale issue to malign the image of govt & @narendramodi so that both company/weapon dealer & political party is benefited if the deal gets cancelled.plz find out pic.twitter.com/i5X2hkD9KT
— Vikas Bhadauria ABP (@vikasbha) September 28, 2018
विकास भदौरिया के 29 सितंबर के ट्वीट के अनुसार दो राजनीतिक दलों के पांच नेताओं के साथ हथियार निर्माता और आर्म्स डीलर की बैठक अगस्त के अंत में जर्मनी के हमबर्ग में हुई थी। आपको बता दें कि राहुल गांधी 21 और 22 अगस्त को जर्मनी के हैम्बर्ग में ही थे।
Sources: Hamburg (germany), where first meeting took place in last week of august this year.
Sales Director of fighter aircraft company & senior leader, accompanied by two others,met for hours to raise Rafale issue as a scam. https://t.co/dVFaNWUfZ7— Vikas Bhadauria ABP (@vikasbha) September 29, 2018
राफेल डील पर ‘अंतरराष्ट्रीय साजिश’ को सिलसिलेवार समझिए
30 अगस्त, 2018
राहुल गांधी ने ट्वीट किया था, ”राफेल सौदे पर फ्रांस में जल्द ही धमाका होने वाला है।”
22 सितंबर, 2018
फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद का बयान छपा, ”भारत ने हमें ‘रिलायंस’ का नाम दिया था।”
23 सितंबर, 2018
पाकिस्तान के मंत्री फवाद खान ने राहुल गांधी के ट्वीट को रीट्वीट कर राफेल पर समर्थन किया।
23 सितंबर, 2018
शहजाद पूनावाला ने कहा, ”राफेल डील खत्म करने के लिए लंदन, अमेरिका और जर्मनी में बैठकें हुईं।”
24 सितंबर, 2018
पाकिस्तान के पूर्व मंत्री रहमान मलिक ने कहा, ”मोदी का हारना जरूरी, राहुल गांधी भारत के अगले पीएम होंगे।”