सत्ता पर पकड़ को मजबूत बनाये रखने के लिए कांग्रेस पिछले 70 सालों से हर तिकड़म करती आ रही है। धर्म और जाति के आधार पर बंटवारे की राजनीति उसके डीएनए के अनूकूल है, इसलिए इस आसान रास्ते को वह हमेशा से चुनती रही है। दरअसल सबका साथ-सबका विकास की नीति कांग्रेस के डीएनए का अंश कभी नहीं रहा। यही कारण है कि कांग्रेस आज इतिहास के उस पड़ाव पर है, जहां उसे यह तय करना है कि उसकी राजनीति सत्ता के लिए होगी या सबको साथ लेकर सबका विकास करने के लिए होगी। हालांकि, हाल में कांग्रेस के निर्णय बताते हैं कि आज भी कांग्रेस सत्ता के लिए ही राजनीति कर रही है और उसकी राजनीति देश सेवा के लिए नहीं है।
कांग्रेस ने अपने वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल को राय दी है कि वह बाबरी मस्जिद के मुकदमे में सुन्नी वक्फ बोर्ड की तरफ से सर्वोच्च न्यायालय में वकालत न करें। कांग्रेस की कपिल सिब्बल को दी गई इस राय से साफ होता है कि कांग्रेस अपनी नरम हिन्दुत्ववादी पार्टी की छवि बनाकर बहुसंख्यकों को एक बार फिर धोखा देने की योजना बना चुकी है।
आइये, आपको बताते हैं कि कांग्रेस ने नरम हिंदूवादी होने का नाटक खेलने के लिए कपिल सिब्बल को यह राय क्यों दी?
कांग्रेस ने किया राम मंदिर के जल्द निर्माण के निर्णय का विरोध– कपिल सिब्बल कांग्रेस के जाने-माने नेता हैं और यूपीए सरकार में कैबिनेट मंत्री के बतौर मानव संसाधन मंत्रालय में काम कर चुके हैं। कपिल सिब्बल पार्टी की तरफ से हर महत्वपूर्ण मामलों पर जनता के सामने राय रखते हैं। यही कपिल सिब्बल हैं जिन्होंने गुजरात चुनाव के पहले पटेलों को आरक्षण देने के लिए हार्दिक पटेल के साथ बातचीत करके फार्मूला निकालने का महत्वपूर्ण काम पार्टी के लिए किया था। पार्टी के ऐसे महत्वपूर्ण नेता हैं जो सर्वोच्च न्यायालय में बाबरी मस्जिद मंदिर पर चल रही सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा को महा विपत्ति की आशंका जताते हुए, इस मुकदमे की सुनवाई को मई 2019 के बाद शुरू करने का दबाव बनाते हैं।
06 दिसंबर 2017 को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सुन्नी वक्फ बोर्ड की तरफ से कपिल सिब्बल वकालत तो कर रहे थे, लेकिन दलीलें कांग्रेस पार्टी की नीतियों के तहत दे रहे थे।
हालांकि सुन्नी वक्फ बोर्ड के हाजी महबूब ने कपिल सिब्बल की इस दलील को उनका राजनीतिक दांव पेंच बताया। सुन्नी वक्फ बोर्ड के हाजी महबूब ने मीडिया से कहा-
कांग्रेस के विरोध के बावजूद तीन तलाक पर सर्वोच्च न्यायालय ने संसद को कानून बनाने की सलाह दी और प्रधानमंत्री मोदी ने कानून बनवा कर लोकसभा से पारित भी करवा दिया।