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अनुच्छेद-370 की फिर से बहाली को लेकर हो रहा किसान आंदोलन, पंजाब में केजरीवाल और आंदोलनकारी किसान नेताओं की बैठक में हुआ बड़ा खुलासा

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आंदोलनकारी किसान शुरू से तीनों कृषि कानूनों में संशोधन के बजाय उन्हें पूरी तरह वापस लेने की मांग कर रहे हैं। इस मांग से आशंका जतायी जा रही थी कि किसानों का मकसद कृषि कानूनों का विरोध करना नहीं, बल्कि कुछ और है। सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिससे किसान आंदोलन और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बारे में बड़ा खुलासा हुआ है। किसान आंदोलन का मुख्य मकसद कृषि कानूनों के विरोध की आड़ में अनुच्छेद-370 की फिर से बहाली है। 

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल हाल ही में पंजाब दौरे पर गए थे। इस दौरान उन्होंने किसानों के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक की, लेकिन इस बैठक में जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद-370 के प्रावधानों को रद्द किए जाने के भाजपा सरकार के फैसले का मुद्दा उठा। किसान नेताओं ने अरविंद केजरीवाल से पूछा कि उन्होंने अनुच्छेद-370 को रद्द किए जाने के मोदी सरकार के फैसले का समर्थन क्यों किया था? हालांकि दिल्ली के मुख्यमंत्री ने इसे ‘राजनीतिक सवाल’ करार दिया, लेकिन सवाल उठता है कि अनुच्छेद- 370 से पंजाब के किसानों का क्या लेनादेना है। आखिर वे इस मुद्दे को क्यों उठा रहे हैं?

किसान नेताओं के साथ बैठक के दौरान अरविंद केजरीवाल के चेहरे से भी नाकाब उतर गया। उन्होंने अपना बचाव करते हुए कहा कि दिल्ली की सारी शक्तियां तो इन्होंने पहले से ही छीन रखी है। मैं किसी राज्य के अधिकार छीनने का समर्थन क्यों करूंगा? मैं रोज लड़ रहा हूं दिल्ली के लिए और हमने सुप्रीम कोर्ट में केस कर रखा है। केजरीवाल ने यहां स्पष्ट कर दिया कि वो अनुच्छेद-370 हटाने का समर्थन नहीं करते हैं। बच्चों को देशभक्ति का पाठ पढ़ाने वाले केजरीवाल अनुच्छेद-370 का मुद्दा उठाने वाले किसान नेताओं को देशभक्ति का पाठ नहीं पढ़ा सके। इसे ‘राजनीतिक सवाल’ करार देकर वहां से भाग खड़े हुए।

‘पंजाब किसान यूनियन’ के जिला उपाध्यक्ष गुरजंत सिंह मनसा ने केजरीवाल से अनुच्छेद-370 से संबंधित सवाल पूछा था। इसके जवाब में केजरीवाल ने पूछा कि ये किसानों का मसला कैसे हैं? इस पर किसान नेताओं ने कहा कि ये किसानों और राज्यों के अधिकार का मसला है, इसे लागू करने वाले वही लोग हैं जो तीनों कृषि कानून लेकर आए। यानि आंदोलनकारी किसान नेताओं की नजर में अनुच्छेद-370 और तीनों कृषि कानून एक ही तरह के है। इससे पता चलता है कि किसानों को देश की एकता और अखंडता से कोई लेनादेना नहीं है।

इससे पहले सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हुई थी, जिसमें कुछ किसान हाथ में पोस्टर लिए थे, जिस पर लिखा था कि अनुच्छेद 370 और 35 ए को फिर से लागू किया जाए। साथ ही कश्मीर और कश्मिरियों के साथ खड़े होने की बात भी लिखी गई थी। हालांकि परफॉर्म इंडिया इस तस्वीर की पुष्टि नहीं करता, लेकिन सोशल मीडिया पर लोगों ने इसे गंभीरता से लिया। लोगों ने सवाल उठाया कि किसान नये कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं। उन्हें वापस लेने की मांग कर रहे हैं। ऐसे में अनुच्छेद 370 और 35 ए को लागू करने की मांग क्यों की जा रही है? 

दरअसल इस किसान आंदोलन की कमान पाकिस्तान में है। वहीं से इस आंदोलन को नियंत्रित किया जा रहा है। इस आंदोलन को समर्थन देने वाले वहीं लोग है, जिन्होंने अनुच्छेद-370 को रद्द किए जाने का विरोध किया था। इन लोगों का मकसद भोले-भाले किसानों को बरगला कर उन्हें मोदी सरकार के खिलाफ खड़ा करना है। साथ ही देशभर में आंदोलन का विस्तार कर सरकार को तीनों कृषि कानून वापस लेने के लिए दबाव बनाना है। अगर सरकार दबाव में आकर कानूनों को वापस ले लेती है, तो उसके बाद अनुच्छेद-370 बहाली के साथ ही सीएए और तीन तलाक विरोधी कानून को भी वापस लेने का रास्ता साफ हो जाएगा। 

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