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ज्योतिरादित्य सिंधिया की राह पर एकनाथ शिंदे, Twitter बायो से हटाया शिवसेना, विधायकों के साथ बीजेपी में शामिल होने की तैयारी, अब उद्धव सरकार का जाना तय

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महाराष्ट्र में शिवसेना के लिए महासंकट ने मध्यप्रदेश में बगावत की कहानी की यादें ताजा कर दीं हैं। जिस तरह एमपी में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस से निरंकुश राज के तंग आकर बीजेपी का दामन थामा था, उसकी तर्ज पर अब एकनाथ शिंदे ने कांग्रेस और एनसीपी की ‘धोखेबाजी’ से नाराज होकर बगावत का झंडा बुलंद कर दिया है। दरअसल, ये दोनों दल अंदर ही अंदर शिवसेना को नुकसान पहुंचा रहे थे। इस बारे में कई बार पार्टी के जिम्मेदार नेताओं ने सीएम उद्धव ठाकरे को आगाह भी किया, लेकिन ठाकरे ने इस बारे में शरद पवार या सोनिया से बात करना तो दूर, अपनी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की वास्तविक चिंता पर कोई ध्यान ही नहीं दिया। इसी का नतीजा है कि आज शिंदे का पलड़ा भारी हो गया है। ज्योतिरादित्य सिंधिया की तरह शिंदे भी अपने समर्थक विधायकों के साथ बीजेपी में शामिल हो सकते हैं या फिर बीजेपी को समर्थन देकर नई सरकार बना सकते हैं।

शिंदे खेमे का दावा- वही बालासाहेब की असली शिवसेना, शिंदे को बनाया विधायक दल का नेता
बालासाहेब ठाकरे द्वारा गढ़ी गई शिवसेना की वास्तविक छवि को पहुंच रहे नुकसान ने पार्टी में विद्रोह की नींव रखी। शिंदे के समर्थन में ज्यादा विधायक आने से अब हालात ये बन रहे हैं कि ठाकरे सीएम के साथ-साथ पार्टी अध्यक्ष पद भी गंवा सकते हैं। ठाकरे के खोखले इमोशनल कार्ड का पार्टी विधायकों और नेताओं पर कोई असर नहीं हुआ है। शिंदे के पाले में विधायकों का संख्याबल और बढ़ गया है। शिंदे खेमे ने दावा किया है कि उनके साथ जो लोग हैं, वही बालासाहेब ठाकरे की असली शिवसेना हैं और एकनाथ शिंदे ही पार्टी के विधायक दल के नेता हैं।

महाराष्ट्र में शिवसेना और मध्यप्रदेश में कांग्रेस में बगावत में हैं कई समानताएं
दरअसल, राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग के बाद उद्धव ठाकरे हरकत में आते, उससे पहले ही शिंदे अपने समर्थक विधायकों को लेकर सूरत उड़ गए। उन्होंने इतना बड़ा खेल कर दिया और महाराष्ट्र की महाअघाड़ी सरकार को भनक तक नहीं लगी। कुछ ऐसा ही मध्यप्रदेश में भी दो साल पहले हुआ था। BJP ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ मिलकर कमलनाथ की सरकार को गिराने के लिए फुलप्रूफ तैयारी की थी। सत्ता में आने के साथ ही कमलनाथ सरकार गुटबाजी में उलझ गई थी। प्रदेश कांग्रेस में तीन गुट थे। कमलनाथ, दिग्विजय और ज्योतिरादित्य सिंधिया का अलग-अलग खेमा था। हर गुट सरकार में दखल चाहता था। इसी तरह महाराष्ट्र में तीन दलों की सरकार थी, जिसमें समय-समय पर अस्थिर होने की कवायद होती रही। दोनों ही राज्यों में आपसी गुटबाजी चरम पर रही।

सिंधिया ने ट्विटर बायो से कांग्रेस हटाया था, एकनाथ शिंदे ने शिवसेना डिलीट किया

  • BJP में शामिल होने से पहले ही ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने ट्विटर बायो से कांग्रेस शब्द हटाकर प्रोफाइल में कॉमन मैन लिख दिया था। ठीक वैसे ही उद्धव सरकार में मंत्री एकनाथ शिंदे ने अपने बायो से शिवसेना हटा दिया है।
  • जिस तरह कमलनाथ की जगह सिंधिया आना चाहते थे, उसी तरह एकनाथ शिंदे भी यही चाहते हैं।
  • सीएम कमलनाथ को मध्य प्रदेश की तरह महाराष्ट्र में बगावत की भनक ठाकरे को नहीं लग पाई।
    सिंधिया ने 22 विधायकों के साथ बगावत की थी। शिंदे अपनी पार्टी और निर्दलीय मिलाकर 46 विधायकों के साथ बागी हुए हैं।
  • मध्य प्रदेश में राज्यसभा चुनाव के बाद बगावत शुरू हुई थी। महाराष्ट्र में एमएलसी के बाद बगावत में तेजी आई, हालांकि इसकी शुरुआत राज्यसभा चुनाव के समय ही हो गई थी।
  • सिंधिया समर्थक विधायकों को बेंगलुरु ले जाया गया था और अब शिवसेना के विधायक भी महाराष्ट्र से बाहर ले जाए गए हैं।  उनकी वापसी के बाद बदलाव तय है।
  • सिंधिया की तरह शिंदे भी अपने समर्थक विधायकों के साथ बीजेपी में शामिल हो सकते हैं या फिर बीजेपी को समर्थन देकर नई सरकार बना सकते हैं।

 

 

 

 

 

 

 

मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे आधिकारिक घर ‘वर्षा’ खाली कर पैतृक आवास ‘मातोश्री’ पहुंचे
अब ऐसे हालात बन गए हैं कि महाराष्ट्र में जारी राजनीतिक उठापटक का आज-कल आखिरी दिन हो सकता है। एकनाथ शिंदे के साथ कुल 46 विधायक खुलकर सामने आ चुके हैं। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे अपना आधिकारिक घर ‘वर्षा’ खाली कर पैतृक आवास ‘मातोश्री’ पहुंच चुके हैं। इस बीच, आज कुर्ला के विधायक मंगेश कुदालकर और दादर के विधायक सदा सरवानकर भी शिंदे कैंप में पहुंच गए हैं। मुंबई में भी शिंदे के समर्थक तीन शिवसेना विधायक मौजूद हैं। ये विधायक शिंदे खेमे को जल्द ज्वाइन करेंगे।

शिंदे गुट की चिट्ठी राज्यपाल के पास पहुंची, भरत गोगावले को नया चीफ व्हिप चुना
इस बीच, शिंदे गुट ने विधायकों के हस्ताक्षर वाली चिट्ठी गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी को भेज दी है। चिट्ठी में कहा गया है कि एकनाथ शिंदे ही शिवसेना विधायक दल के नेता हैं। भरत गोगावले को नया चीफ व्हिप चुन लिया गया है। ठाकरे ने शिंदे को विधायक दल के नेता पद से हटा दिया था। इसके बाद सीएम उद्धव ठाकरे ने इमोशनल कार्ड खेलते हुए कहा था कि अगर एकनाथ शिंदे और बागी विधायक सामने आकर कहेंगे तो मैं मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दूंगा। उन्होंने यहां तक कह दिया है कि सीएम पद छोड़िये, मैं तो शिवसेना प्रमुख का पद भी छोड़ने को तैयार हूं। हालांकि ठाकरे के खोखले इमोशनल कार्ड का किसी पर असर नहीं हुआ और यह फेल हो गया। अब उद्धव सरकार की चला-चली की बेला नजदीक आ गई है।

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