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नोटबंदी से मिली डिजिटल लेनदेन को रफ्तार

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का डिजिटल इंडिया का सपना सच होने की दिशा में अग्रसर है। नोटबंदी के बाद देश ने जिस तरह से डिजिटल ट्रांजेक्शन्स को अपनाया है उससे लगता है कि आने वाले दिनों में भारत डिजिटल ट्रांजेक्शन्स का सुपर पावर होगा। इस साल अक्टूबर तक डिजिटल ट्रांजेक्शन की कीमत 1000 करोड़ से ज्यादा पहुंच चुकी थी। यह वित्तीय वर्ष 2016-17 में हुए कुल डिजिटल ट्रांजेक्शन के लगभग बराबर है। जून, जुलाई और अगस्त के महीनों में औसतन 136-138 करोड़ रुपये का डिजिटल लेनदेन हुआ।

टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार देश में वर्ष 2017-18 में डिजिटल लेनदेन में 80 प्रतिशत का इजाफा हो सकता है। यह रकम कुल मिलाकर 1800 करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है। दिलचस्प बात यह है कि मार्च और अप्रैल में जब नोटबंदी के बाद पैदा हुई नकदी की किल्लत दूर होने लगी थी, तो डिजिटल लेनदेन में इजाफा देखा गया। इन दोनों महीनों में 156 करोड़ रुपये का डिजिटल लेनदेन हुआ। उसके बाद से औसतन 136-138 करोड़ रुपये के डिजिटल लेनदेन हो रहे हैं।

पिछले साल 8 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नोटबंदी की घोषणा के बाद से ही डिजिटल लेनदेन बढ़ रहा है फिर चाहे वह यूपीआई-भीम हो, आईएमपीएस एम-वॉलेट या डेबिट कार्ड, लोग अब पहले से अधिक डिजिटल पेमंट का इस्तेमाल कर रहे हैं।

डिजिटल वर्ल्ड में डिजिटल इंडिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब डिजिटल इंडिया कंसेप्ट सबके सामने रखा तो अधिकतर लोगों ने इसे असंभव बताया, लेकिन पूरा विश्व जहां डिजिटल क्रांति की तरफ बढ़ रहा है तो भारत इसमें पीछे न रह जाए इसे देखते हुए प्रधानमंत्री ने इसे पूरा करने को ठाना। दरअसल मोदी सरकार की मंशा है कि डिजिटल इंडिया के माध्यम से लोगों को दिन-प्रतिदिन के कार्यों में सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सकें। इसके तहत सरकार का पहला लक्ष्य है घर-घर तक ब्रॉडबैंड हाइवे के जरिये इंटरनेट पहुंचाना। दूसरा लक्ष्य है हर हाथ को फोन देना, सरकार इस दिशा में तेजी से काम कर रही है। पीसीओ के तर्ज पर पब्लिक इंटरनेट एक्सेस प्वाइंट पंचायतों में बनाया जाना इसका तीसरा लक्ष्य है और इसपर भी कार्य शुरू है।

डिजिटल पेमेंट
भ्रष्टाचार से निपटने, पारदर्शी और प्रभावी शासन उपलब्ध कराने और गरीब-अमीर के बीच खाई को पाटने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डिजिटल इंडिया का कंसेप्ट सामने रखा है। डिजिटल पेमेंट को प्रचलन में लाना भी इसी व्यवस्था का हिस्सा है। इन्वेस्टमेंट बैंकिंग फर्म जेफरीज ने एक रिपोर्ट में कहा है कि बैंक उपभोक्ताओं द्वारा डिजिटल पेमेंट बढ़ा है।

40 प्रतिशत बढ़े NEFT
जेफरीज के अनुसार नोटबंदी के बाद बैंक उपभोक्ताओं द्वारा डिजिटल पेमेंट बढ़ा है। नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड्स ट्रांसफर (NEFT) में 30 प्रतिशत की बढ़त हुई है। प्रति लेनेदेन के हिसाब से भी NEFT में 10 प्रतिशत की बढ़त हुई है। इस तरह कुल मिलाकर NEFT में 40 प्रतिशत की बढ़त हुई है।

IMPS में 100 प्रतिशत की वृद्धि
जेफरीज के रिपोर्ट के अनुसार IMPS में भी बढ़त देखने को मिली है। इसके तहत 24X7 के लेनेदेन की उपलब्धता और आकर्षक पेमेंट्स सिस्टम की वजह से इसमें अभी भी 100 प्रतिशत से अधिक की बढ़त देखने को मिल रही है। रिपोर्ट के मुताबिक नोटबंदी के बाद प्वाइंट ऑफ सेल (POS) मशीनों पर भुगतान तीन गुना बढ़ा है।

कार्ड स्वाइप भुगतान में बढ़ोतरी
08 नवंबर, 2016 को डिमोनिटाइजेशन के बाद कार्ड स्वाइप कर भुगतान करने में 10 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यूनीफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) और सरकार की तरफ से लाए गए BHIM मोबाइल ऐप का इस्तेमाल भी तेजी से बढ़ा है। वहीं क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल में भी 40 प्रतिशत से अधिक की बढ़त देखी गई है।

Rupay का इस्तेमाल बढ़ा
जेफरीज के अनुसार ई-कॉमर्स के लिए Rupay का इस्तेमाल बढ़ा है। इसके साथ ही ई-कॉमर्स पर किए जाने वाला खर्च भी दोगुना से अधिक बढ़ा है। गौरतलब है कि Rupay वीजा और मास्टरकार्ड की ही तरह घरेलू कार्ड पेमेंट सिस्टम है। प्रधानमंत्री द्वारा डिजिटल सोसाइटी बनाने के आह्वान का देश के लोगों पर असर हो रहा है अब इसके प्रत्यक्ष उदाहरण सामने आ रहे हैं।

लेस कैश व्यवस्था बनाना उद्देश्य
रिजर्व बैंक के अनुसार 4 अगस्त तक लोगों के पास 14,75,400 करोड़ रुपये की करेंसी सर्कुलेशन में थे। जो वार्षिक आधार पर 1,89,200 करोड़ रुपये की कमी दिखाती है। जबकि वार्षिक आधार पर पिछले साल 2,37,850 करोड़ रुपये की वृद्धि दर्ज की गई थी। इस प्रकार, बिना किसी प्रतिबंध के, नोटबंदी के बाद कैश का प्रचलन कम हो रहा है।

मोबाइल वॉलेट लेन-देन में भी बढ़ोतरी
एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक यह रफ्तार आनेवाले दिनों में और तेज होगी। कंसल्टेंसी कंपनी डिलॉयट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सालाना 126 प्रतिशत की दर से बढ़ते हुए मूल्य के हिसाब से मोबाइल वॉलेट से लेनदेन 2022 तक 32,000 अरब रुपये पर पहुंच जाएगा। मोबाइल वॉलेट से लेनदेन की संख्या में हर साल 94 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो रही है।

एक अरब+एक अरब+एक अरब विजन
जनधन, आधार और मोबाइल यानि JAM की ‘त्रिमूर्ति’ से सामाजिक क्रांति की शुरुआत हो चुकी है। केंद्र सरकार की निगाह अब एक अरब-एक अरब-एक अरब पर है। यानि एक अरब आधार नंबर जो एक अरब बैंक खातों और एक अरब मोबाइल फोन से जुड़े हों। ससंद की फाइनैंस स्टैंडिंग कमिटी के सामने रखी रिपोर्ट के मुताबिक देश में 118 करोड़ मोबाइल, करीब इतने ही आधार नंबर और 31 करोड़ जनधन खाते हैं। जल्ज ही एक अरब आधार, मोबाइल और अकाउंट्स आपस में जुड़ जाएंगे। जाहिर है मात्र इस कदम से देश के लोग स्वत: फाइनेंशियल और डिजिटल मुख्यधारा का हिस्सा बन जाएंगे।

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