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डिजिटल इंडिया के 10 साल: प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में देश की डिजिटल क्रांति

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 10 साल पहले, 1 जुलाई 2015 को डिजिटल इंडिया पहल की शुरुआत की थी। इसका मकसद भारत को डिजिटल रूप से सशक्त, समावेशी और तकनीकी रूप से उन्नत राष्ट्र बनाना था। इस पहल ने देश के हर कोने में तकनीक की पहुंच बढ़ाई और लाखों लोगों के जीवन को बेहतर बनाया। डिजिटल इंडिया ने भारत को विश्व की डिजिटल राजधानी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

डिजिटल समावेशन और इंटरनेट क्रांति
-भारत की 5G सेवा अब 95 प्रतिशत जनसंख्या तक पहुंच चुकी है, जो यूरोप, लैटिन अमेरिका और अफ्रीका जैसे क्षेत्रों से कहीं आगे है। साथ ही, भारत दुनिया में सबसे सस्ता इंटरनेट 10 रुपये प्रति जीबी से कम में प्रदान करता है, जिसने डिजिटल समावेशन को बढ़ावा दिया है
-2014 में जहां भारत में इंटरनेट उपयोगकर्ता लगभग 25 करोड़ थे, वहीं 2025 तक यह संख्या बढ़कर 97 करोड़ से अधिक हो गई है, जो 288 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाती है।
-ग्रामीण इलाकों में इंटरनेट पहुंच 95 प्रतिशत से अधिक हो चुकी है। ग्रामीण टेलीफोन कनेक्शन 37.77 करोड़ से बढ़कर 53.66 करोड़ हो गए हैं।

डिजिटल भुगतान और वित्तीय समावेशन
-भारत अब विश्व के लगभग आधे रियल-टाइम डिजिटल भुगतान करता है, जहां हर महीने अरबों लेनदेन तुरंत होते हैं। मई 2025 में UPI के माध्यम से 25.14 लाख करोड़ रुपये का रिकॉर्ड ट्रांजैक्शन हुआ।
-भारत की फिनटेक अपनाने की दर 87 प्रतिशत है, जो वैश्विक औसत 67 प्रतिशत से कहीं अधिक है।
– डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के जरिए अब तक 44 लाख करोड़ रुपये सीधे लाभार्थियों के खातों में ट्रांसफर किए गए हैं, जिससे भ्रष्टाचार और बिचौलियों की भूमिका कम हुई है। इससे सरकार को 3.48 लाख करोड़ रुपये की बचत भी हुई है।

डिजिटल स्वास्थ्य और शिक्षा
-आयुष्मान भारत हेल्थ अकाउंट (ABHA) के तहत 78 करोड़ से अधिक खाते बनाए गए हैं, जो दुनिया के सबसे बड़े डिजिटल स्वास्थ्य इकोसिस्टम का हिस्सा हैं।
-CoWIN प्लेटफॉर्म के जरिए दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान सफलतापूर्वक चलाया गया, जिसमें 220 करोड़ से अधिक QR-प्रमाणित सर्टिफिकेट जारी किए गए।
-डिजिटल साक्षरता अभियान के तहत 4.78 करोड़ ग्रामीणों को डिजिटल कौशल प्रदान किए गए हैं, जिससे शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच आसान हुई है।

डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर और नवाचार
-आधार, DigiLocker, फास्टैग, PM-WANI, और वन नेशन वन सब्सक्रिप्शन जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म भारत के डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) को मजबूत करते हैं।
-भारत ने जी20 प्रेसीडेंसी के माध्यम से ग्लोबल DPI रिपोजिटरी और 25 मिलियन डॉलर का सामाजिक प्रभाव कोष शुरू किया है, जिससे अफ्रीका और दक्षिण एशिया के देशों को डिजिटल समावेशन में मदद मिली है।
-भारत अब 1.8 लाख से अधिक स्टार्टअप का घर है, जो विश्व के टॉप 3 स्टार्टअप इकोसिस्टम में शामिल है। 1.2 बिलियन डॉलर के भारत AI मिशन के तहत AI तकनीक को बढ़ावा दिया जा रहा है।
-ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC) पर दो वर्षों में 7 लाख से अधिक विक्रेता जुड़े हैं, जिससे स्थानीय किराना दुकानों, कारीगरों और MSMEs को डिजिटल बाजार में भागीदारी का अवसर मिला है।

सरकारी सेवाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही
-डिजिटल इंडिया ने शासन में पारदर्शिता बढ़ाई है। फर्जी राशन कार्ड और LPG कनेक्शन रद्द किए गए हैं।
-SVAMITVA योजना के तहत 2.4 करोड़ से अधिक संपत्ति कार्ड जारी किए गए और 6.47 लाख गांवों का मानचित्रण किया गया, जिससे भूमि विवादों में कमी आई है।
-भारतनेट योजना के तहत 2.18 लाख ग्राम पंचायतों तक हाई-स्पीड इंटरनेट पहुंचा है।
-42 लाख किलोमीटर से अधिक ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क बिछाया गया है, जो पृथ्वी से चंद्रमा की दूरी से 11 गुना अधिक है। इससे दूर-दराज के गांवों तक हाई-स्पीड इंटरनेट पहुंचा है, यहां तक कि गलवान, सियाचिन और लद्दाख जैसे सैन्य चौकियों तक भी। यह नेटवर्क डिजिटल इंडिया, भारतनेट, 5G और ई-गवर्नेंस को मजबूत करता है।

प्रधानमंत्री मोदी का दृष्टिकोण
प्रधानमंत्री मोदी ने डिजिटल इंडिया के 10 वर्ष पूरे होने पर इसे एक ऐतिहासिक उपलब्धि बताया और कहा कि यह पहल देश के हर नागरिक को सशक्त बनाने का माध्यम बनी है। उन्होंने कहा कि आने वाला दशक और भी अधिक परिवर्तनकारी होगा, जिसमें भारत डिजिटल शासन से वैश्विक डिजिटल नेतृत्व की ओर बढ़ेगा। प्रधानमंत्री मोदी ने डिजिटल इंडिया पहल पर कहा कि “आज ऐतिहासिक दिन है, हम #डिजिटलइंडिया के 10 वर्ष पूरे होने का जश्न मना रहे हैं! दस साल पहले, डिजिटल इंडिया की शुरुआत देश को डिजिटल रूप से सशक्त और तकनीकी रूप से उन्नत समाज में बदलने की पहल के रूप में हुई थी। एक दशक बाद, हम एक ऐसी यात्रा के साक्षी हैं जिसने अनगिनत लोगों के जीवन को प्रभावित किया है और सशक्तिकरण के एक नए युग की शुरुआत की है। भारत ने 140 करोड़ देशवासियों के सामूहिक संकल्प से प्रेरित होकर डिजिटल भुगतान में कई प्रगति की है। स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे क्षेत्रों को भी इस पहल से लाभ हुआ है।”

डिजिटल इंडिया ने भारत को तकनीकी रूप से सशक्त, समावेशी और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने में अभूतपूर्व योगदान दिया है। यह पहल न केवल डिजिटल अवसंरचना का विस्तार कर रही है, बल्कि डिजिटल नवाचार, वित्तीय समावेशन, स्वास्थ्य, शिक्षा और सरकारी सेवाओं में क्रांतिकारी बदलाव ला रही है। आने वाले वर्षों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, सेमीकंडक्टर्स और अन्य उन्नत तकनीकों के क्षेत्र में भारत की भूमिका और मजबूत होगी, जिससे देश वैश्विक डिजिटल महाशक्ति के रूप में उभरेगा।

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