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बुलंद हो रही है भारतीय अर्थव्यवस्था, जमकर हो रही प्रीमियम प्रॉडक्ट्स की खरीदारी

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय अर्थव्यवस्था बुलंदी की ओर बढ़ रही है। त्योहारी सीजन में प्रीमियम प्रॉडक्ट्स की जमकर खरीदारी हो रही है। अर्थव्यवस्था पर नोटबंदी और जीएसटी का बुरा असर पड़ने की आशंका खत्म हो गई है। पिछले साल के मुकाबले इस साल कारों, टेलीविजन और रेफ्रिजरेटर की बिक्री मुकाबले 15 प्रतिशत ज्यादा रही है।

नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार मारुति सुजुकी, ह्यूंदै मोटर, एलजी, सोनी, पैनासॉनिक और गोदरेज अप्लायंसेज ने बताया कि देश भर में ग्राहक इस त्योहारी सीजन में अधिक प्रीमियम प्रॉडक्ट्स खरीद रहे हैं। एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स की नवरात्रि-दशहरा सीजन में बिक्री पिछले वर्ष के मुकाबले 30 प्रतिशत से अधिक बढ़ी है। एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स के चीफ मार्केटिंग अफसर, अमित गुजराल ने बताया कि नोटबंदी और जीएसटी का असर समाप्त हो रहा है।

देश की सबसे बड़ी कार कंपनी मारुति सुजुकी की नवरात्रि के दौरान बुकिंग 18 प्रतिशत और वॉल्यूम ग्रोथ 15 प्रतिशत रही है। ह्यूंदै मोटर इंडिया की बुकिंग और सेल्स में भी अच्छी बढ़ोतरी हुई है। वाइट गुड्स बनाने वाली कंपनियों के लिए नवरात्रि-दशहरा पर बिक्री में बढ़ोतरी एक बड़ी राहत लेकर आई है। इस वर्ष फ्रॉस्ट-फ्री रेफ्रिजरेटर, इनवर्टर एसी और अधिक कपैसिटी वाली वॉशिंग मशीन की अधिक डिमांड रही। इंडस्ट्री के अनुमान के अनुसार, चार बड़ी कंपनियों- एलजी, सैमसंग, सोनी और पैनासॉनिक की डीलर्स को प्राइमरी सेल्स फेस्टिव सीजन में 25 प्रतिशत बढ़ी है। नवरात्रि के दौरान टू-व्हीलर्स की बिक्री में भी अच्छी तेजी आई। होंडा मोटर की सेल्स में भी 30 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी हुई।

आइए इस बहाने एक दृष्टि डालते हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शासनकाल में देश की अर्थव्यवस्था की 15 महत्वपूर्ण उपलब्धियों पर।

नंबर 1- रिकॉर्ड स्तर तक पहुंचा विदेशी मुद्रा भंडार
देश का विदेशी मुद्रा भंडार 400 अरब डालर के करीब पहुंच चुका है। रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार एक सितंबर, 2017 को समाप्त हुए सप्ताह में यह 3.572 अरब डॉलर की बढ़ोतरी के साथ 398.122 अरब डॉलर की रिकॉर्ड स्तर को छू गया। अगस्त 2014 के आंकड़ों को देखें तो यह 292.0465 अरब डॉलर था। यानि पीएम मोदी के शासनकाल में 100 अरब डॉलर से भी अधिक वृद्धि हुई है। इतना ही नहीं देश का आरक्षित स्वर्ण भंडार भी 74.83 करोड़ डॉलर बढ़कर 20.691 अरब डॉलर हो गया।

नंबर 2- मोदी सरकार में बढ़ता गया शेयर बाजार
13 जुलाई, 2017 को मोदी सरकार में एक और रिकॉर्ड तब बना जब शेयर बाजार के इतिहास में सेंसेक्स पहली बार 32000 और निफ्टी 9850 के पार पहुंच गया। जाहिर है यह भारतीय अर्थव्यवस्था में निवेशकों के भरोसे को दिखाता है। पूर्ववर्ती यूपीए सरकार के दौरान अप्रैल 2014 में सेंसेक्स करीब 22 हजार के आस-पास था और निफ्टी करीब साढ़े छह हजार अंकों के करीब रहता था।

नंबर 3- भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट में स्थिरता
पूरी दुनिया में आर्थिक मंदी का दौर चल रहा है। पश्चिमी दुनिया के अधिकतर देशों में जीडीपी ग्रोथ रेट 2 प्रतिशत के आसपास ही है। वहीं नोटबंदी के बावजूद भारत का ग्रोथ रेट 2016-17 में 7.1 रही। हालांकि पिछले साल की 7.6 प्रतिशत की तुलना में कुछ कमी हुई पर बीते तीन सालों के आंकड़ों पर गौर करें तो भारत की विकास की औसत रफ्तार अभी भी स्थिर बनी हुई है। यूपीए के अंतिम तीन सालों के औसत जीडीपी ग्रोथ रेट 5.3 की तुलना में मोदी सरकार में सकल घरेलू उत्पाद की औसत वृद्धि दर 7.3 रही है।

नंबर 4- चीन से ज्यादा तेज भारत की अर्थव्यवस्था
2015 में जहां चीन की विकास दर 6.9 थी, जबकि भारत की 7.2 थी। 2016 में यह आंकड़ा चीन के लिए 6.7 प्रतिशत था जबकि भारत ने इस दौरान 7.6 प्रतिशत की गति से वृद्धि की। इस वर्ष चीन ने 6.5 प्रतिशत की दर से वृद्धि का अनुमान जताया है। जाहिर भारत जहां पिछले तीन सालों में सात प्रतिशत से ज्यादा की गति से वृद्धि कर रहा है वहीं चीन की विकास दर अभी भी सात से कम है।

नंबर 5- बेहतर हुआ भारत का व्यापार संतुलन
भारत सरकार के आंकड़ों के अनुसार अप्रैल-जुलाई 2013-14 में अनुमानित व्‍यापार घाटा 62448.16 मिलियन अमरीकी डॉलर का था, वहीं अप्रैल-जनवरी, 2016-17 के दौरान 38073.08 मिलियन अमेरिकी डॉलर था। जबकि अप्रैल-जनवरी 2015-16 में यह 54187.74 मिलियन अमेरिकी डॉलर के व्‍यापार घाटे से भी 29.7 प्रतिशत कम है। यानि व्यापार संतुलन की दृष्टि से भी मोदी सरकार में स्थिति उतरोत्तर बेहतर होती जा रही है और 2013-14 की तुलना में लगभग 35 प्रतिशत तक सुधार आया है। 

नंबर 6- विनिर्माण क्षेत्र में आई तेजी
देश के विनिर्माण क्षेत्र में नए ऑर्डर मिलने, उत्पादन और रोजगार गतिविधियां बढने से उछाल दर्ज किया गया। निक्केई इंडिया मैन्युफैक्चरिंग पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) में अगस्त महीने में उछलकर 51.2 पर पहुंच गया जबकि जुलाई में यह 47.9 था।

नंबर 7- तेज रफ्तार अर्थव्यवस्था में चौथे नंबर पर भारत
10 जुलाई 2017 को जारी विश्व बैंक की सूची के अनुसार, तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था वाली सूची में भारत का स्थान चौथा है। विश्व बैंक ने उम्मीद जताई है कि साल 2017 में भारत की जीडीपी 7.2 प्रतिशत रहेगी। विश्व बैंक के अनुसार इसका सबसे बड़ा कारण, नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद स्टैंडअप इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, मेक इन इंडिया जैसे प्रोजेक्ट के कारण देश के बुनियादी ढांचे में भारी निवेश को माना जा रहा है।

नंबर 8- बेहतर हुआ कारोबारी माहौल
पीएम मोदी ने सत्ता संभालते ही विभिन्न क्षेत्रों में विकास की गति तेज की और देश में बेहतर कारोबारी माहौल बनाने की दिशा में भी काम करना शुरू किया। इसी प्रयास के अंतर्गत ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ नीति देश में कारोबार को गति देने के लिए एक बड़ी पहल है। इसके तहत बड़े, छोटे, मझोले और सूक्ष्म सुधारों सहित कुल 7,000 उपाय (सुधार) किए गए हैं। सबसे खास यह है कि केंद्र और राज्य सहकारी संघवाद की संकल्पना को साकार रूप दिया गया है।

नंबर 9- पारदर्शी नीतियां, परिवर्तनकारी परिणाम
कोयला ब्लॉक और दूरसंचार स्पेक्ट्रम की सफल नीलामी प्रक्रिया अपनाई गई। इस प्रक्रिया से कोयला खदानों (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 2015 के तहत 82 कोयला ब्लॉकों के पारदर्शी आवंटन के तहत 3.94 लाख करोड़ रुपये से अधिक की आय हुई।

नंबर 10- जीएसटी ने बदली दुनिया की सोच
जीएसटी, बैंक्रप्सी कोड, ऑनलाइन ईएसआइसी और ईपीएफओ पंजीकरण जैसे कदमों कारोबारी माहौल को और भी बेहतर किया है। खास तौर पर ‘वन नेशन, वन टैक्स’ यानि GST ने सभी आशंकाओं को खारिज कर दिया है। व्यापारियों और उपभोक्ताओं को दर्जनों करों के मकड़जाल से मुक्त कर एक कर के दायरे में लाया गया।

नंबर 11- लक्ष्य से भी अधिक टैक्स कलेक्शन
जीएसटी लागू होने के बाद पहले महीने (जुलाई) में टैक्स कलेक्शन का लक्ष्य प्राप्त कर लिया गया है। कुल जीएसटी कलेक्शन 92,283 करोड़ रुपये रहा। यानि यह कलेक्शन 91,000 करोड़ रुपये के लक्ष्य को भी पार कर गया है, जबकि 64 प्रतिशत करदाताओं ने ही रिटर्न भरे हैं। अनुमान है कि 100 प्रतिशत भुगतान होने पर यह आंकड़ा एक लाख करोड़ रुपये को पार कर जाएगा।(जुलाई के फाइनल आंकड़े की प्रतीक्षा)

नंबर 12- नये करदाताओं की संख्या में बड़ी वृद्धि
टैक्स रिटर्न करने के अंतिम दिन पांच अगस्त तक 56 लाख नये करदाताताओं ने रिटर्न दाखिल किया, जबकि पिछले साल यह संख्या 22 लाख थी। पहली अप्रैल से लेकर 5 अगस्त के बीच कुल मिलाकर 2.79 करोड़ आईटी रिटर्न दाखिल किए गए जबकि 2016 में इस दौरान 2.23 और 2015 में 2 करोड़ रिटर्न दाखिल किए गए।

नंबर 13- कैशलेस अभियान से आई पारदर्शिता
रिजर्व बैंक के अनुसार 4 अगस्त तक लोगों के पास 14,75,400 करोड़ रुपये की करेंसी सर्कुलेशन में थे। जो वार्षिक आधार पर 1,89,200 करोड़ रुपये की कमी दिखाती है। जबकि वार्षिक आधार पर पिछले साल 2,37,850 करोड़ रुपये की वृद्धि दर्ज की गई थी।

नंबर 14- महंगाई पर लगा लगाम
महंगाई दर में लगातार कमी हो रही है। वर्ष 2014 की 11 प्रतिशत की तुलना में आज महंगाई दर औसतन चार प्रतिशत है। पिछले जून महीने में खुदरा महंगाई दर 18 साल के सबसे निचले स्तर पर था। जून में रिटेल महंगाई दर 1.54 रही जबकि मई में ये 2.18 प्रतिशत थी। खुदरा मुद्रास्फीति जुलाई में 2.4 फीसदी पर पहुंच गई लेकिन थोक महंगाई दर 1.88 थी। जाहिर है पिछली सरकारों में जमीन आसमान का अंतर है।

नंबर 15- जन धन से वित्तीय समावेशन
बीते 3 साल में प्रधानमंत्री जनधन योजना (PMJDY) के तहत 16 अगस्त 2017 तक 29.52 करोड़ खाते खोले जा चुके हैं जबकि जनवरी 2015 में जनधन खातों की संख्या 12.55 करोड़ थी। लाभार्थियों के खाते की राशि भी बढ़कर 65,844.68 करोड़ रुपये हो गई और प्रति खाता औसत शेष राशि का आंकड़ा भी जनवरी 2015 के 837 रुपये से उछलकर अगस्त, 2017 में 2,231 रुपये हो गया। दूसरी ओर जीरो बैलेंस खातों की संख्या में खासी कमी हुई। सितंबर, 2014 में जहां 76.81 प्रतिशत ऐसे खाते थे तो अगस्त 2017 में उनका दायरा सिकुड़कर 21.41 प्रतिशत रह गया।

26 मई, 2014 को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की कमान संभाली तो देश उनसे उम्मीदें लगाए बैठा था। आशावाद और उम्मीदों से भरे माहौल के बीच पीएम मोदी ने देश की क्षमता के अनुरूप उसे अवसर के रूप में बदलने का संकल्प लिया और उसे सिद्धि के रास्ते पर लेकर आगे बढ़े।

देश की वर्तमान आर्थिक तस्वीर से यह साफ है कि मोदी सरकार की नीतियां सफल साबित हो रही हैं और भारत समृद्ध और सशक्त बनने की ओर अग्रसर है।

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