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सत्ता मिलते ही तुष्टिकरण में जुटी कांग्रेस, वंदे मातरम् की परंपरा कराई बंद

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मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आते ही देशभक्ति की भावना जगाने वाली परंपरा और कार्यक्रमों पर एक एक कर गाज गिराना शुरू कर दिया है। एमपी ने मुख्यमंत्री कमलनाथ ने हर महीने की पहली तारीख को सामूहिक वंदे मातरम् गाने की परंपरा खत्म कर दी। ये परंपरा वर्ष 2005 में मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर ने शुरू कराई थी और 13 साल से अनवरत चल रही थी। हम आपको बता दें कि कमलनाथ ने विधानसभा चुनाव के दौरान मुस्लिम संगठनों के साथ एक गुप्त बैठक की थी जिसमें मुसलमानों से 90 फीसदी वोट कांग्रेस को देने की मांग की थी। कमलनाथ ने मुस्लिम नेताओं को भरोसा दिया था कि सत्ता में आने के बाद वो विरोधियों को निपटाना शुरू कर देंगे।

वंदे मातरम् से नफरत क्यों? 

  • 27 अप्रैल, 2018 को कर्नाटक रैली में राहुल गांधी के इशारे पर केसी वेणुगोपाल ने वंदे मातरम् अधूरा छुड़वाया
  • 2016 में महाराष्ट्र विधानसभा में वंदे मातरम् गाने का ओवैसी की पार्टी AIMIM के विधायक वारिस पठान ने विरोध किया 
  • उत्तराखंड में भाजपा सरकार ने स्कूलों में वंदे मातरम् गाने का प्रस्ताव रखा तो कांग्रेस नेताओं ने इसका पुरजोर विरोध किया
  • मेरठ नगर निगम में बीएसपी टिकट पर चुने गए मेयर ने वंदे मातरम् का गान अनिवार्य नहीं करने दिया, मारपीट भी हुई
  • इलाहाबाद नगर निगम में भी बीजेपी वंदे मातरम् गाने का प्रस्ताव लाई तो विपक्ष के पार्षदों ने किया जमकर विरोध

भारत माता नहीं, सोनिया की जयकार 

राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार बीडी कल्ला के समर्थक जब भारत माता की जय का नारा लगा रहे थे तो कल्ला ने उन्हें रोककर सोनिया गांधी जिंदाबाद के नारे लगवाए। जब बी डी कल्ला चुनाव जीत गए तो उनको अशोक गहलोत ने मंत्री पद का तोहफा दे दिया।

वंदे मातरम् और मुस्लिम तुष्टिकरण

इतिहासकार कभी खिलाफत आंदोलन को, तो कभी अंग्रेजों की फूट डालो-राज करो की नीति को और कभी-कभी मुस्लिम लीग के द्विराष्ट्र का सिद्धांत को जिम्मेदार ठहराते हैं। लेकिन मैं कहना चाहता हूं कि कांग्रेस के तुष्टीकरण की नीति के आगे झुकते हुए वंदे मातरम के केवल दो स्टैंजा लेने का निर्णय भारत के विभाजन का कारण बना।

अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष

28 जून 2018, कोलकाता 

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