बीते चार सालों में देश में हुए पॉलिटिक्स का विश्लेषण करें तो कांग्रेस की ‘ओछी’ राजनीति और राहुल गांधी की ‘अपरिपक्व’ मानसिकता ने देश की राजनीति को अगंभीर बना दिया है। उसने एक विशिष्ट शैली विकसित की है जिसमें वह चाहती है कि ‘दुष्प्रचार’ भी हो जाए और अपना बचाव भी कर जाए। ‘इरादतन’ झूठ बोल कर मुद्दे को उठाना, लोगों को भरमाना और फिर अपनी ही कही बातों से पलट जाना… कांग्रेस की फितरत हो गई है। इसे सहज शब्दों में कहें तो कांग्रेस अपने ही बुने ‘जाल’ में इस कदर फंस जाती है और अपना ही नुकसान कर लेती है।
आइये कुछ ऐसे ही ‘झूठे’ और ‘प्रायोजित’ मुद्दों पर नजर डालते हैं जिसे उठाकर कांग्रेस ने आत्मघाती गोल कर लिया है।
राफेल डील पर कांग्रेस ने याचिका वापस ली
राफेल डील पर कांग्रेस खूब हल्ला मचा रही है, लेकिन रॉबर्ट वाड्रा के बहनोई और कांग्रेस नेता तहसीन पूनावाला ने जब इस पर याचिका दायर की तो कांग्रेस बैकफुट पर आ गई। पहले तो याचिका से किनारा किया और फिर इसे भाजपा प्रायोजित बता दिया। अब राहुल गांधी के खासमखास तहसीन पूनावाला की याचिका भाजपा प्रायोजित कैसे है यह तो कांग्रेस ही बता सकती है।
If self goal is an art then congress is Picasso of it pic.twitter.com/ASSfskolg7
— Rishi Bagree ?? (@rishibagree) September 13, 2018
विजय माल्या की अरुण जेटली से मुलाकात
भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या ने वित्तमंत्री अरुण जेटली पर आरोप लगाया था कि देश छोड़ने पहले वह उनसे मिलकर आया था। आपको बता दें के माल्या के शब्द वही थे जो कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने 25 अगस्त को लंदन में कहे थे। रिपब्लिक टीवी की पड़ताल में अब तो यह खुलासा भी हो गया है कि हाल में ही लंदन में कांग्रेस के दो पूर्व मंत्री ने विजय माल्या से मुलाकात की थी।
बैंकों के बढ़ते एनपीए पर फंसी कांग्रेस
बैंकों के बढ़ते एनपीए पर कांग्रेस मोदी सरकार पर हमलावर है, लेकिन हकीकत ये है कि कांग्रेस के किए ‘कु’कर्मों का भुगतान मोदी सरकार को करना पड़ रहा है। हाल में ही आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा, ‘’यूपीए-2 के शासन काल में 2006-08 के दौरान घोटालों की जांच में सुस्ती और पॉलिसी पैरालाइसिस के कारण बैंकों का डूबा कर्ज बढ़ता चला गया।‘’
डोकलाम मामले पर घिरे तो पलट गए राहुल गांधी
24 अगस्त को लंदन में आयोजित इंडियन जर्नलिस्ट एसोसिएशन के कार्यक्रम में राहुल गांधी ने कहा कि मोदी सरकार ने इस मुद्दे को सही तरीके से नहीं निबटा। हालांकि जब उनसे पूछा गया कि आप इससे कैसे निबटते, तो उन्होंने मामले की जानकारी नहीं होने की बात कहकर पल्ला झाड़ने की कोशिश की। जाहिर है राहुल गांधी ने ऐसा कह कर विदेशी धरती पर भी अपनी फजीहत करवा ली।
सिख नरसंहार पर कांग्रेस खुद को दी ‘क्लीन चिट’
25 अगस्त को लंदन में इंडियन जर्नलिस्ट एसोसिएशन के साथ बातचीत के दौरान 1984 में सिखों के नरसंहार पर राहुल गांधी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी इसके लिए जिम्मेदार नहीं है। जाहिर है उनकी मंशा नरसंहार में शामिल जगदीश टाइटलर, सज्जन कुमार और कमलनाथ जैसे नेताओं को बचाने की थी। हालांकि जब विरोध हुआ तो उनकी पार्टी ने राहुल को ‘बच्चा’ ठहराते हुए बचाव किया।
Now Rahul Gandhi wants us to believe that No One Killed the Sikhs! #RahulLiesOn1984 pic.twitter.com/ZSfqc60zUp
— BJP (@BJP4India) August 27, 2018
एनआरसी मुद्दे पर बोल नहीं पा रही कांग्रेस
साल 2015 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर असम में नागरिकों के सत्यापन यानि एनआरआसी ड्राफ्ट का कार्य शुरू किया गया। 2018 के जुलाई में फाइनल ड्राफ्ट पेश करने के बाद कांग्रेस ने राजनीति की। हालांकि देश यह जान गया यह ड्राफ्ट सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में ही तैयार हुआ था और जो इस ड्राफ्ट का विरोध कर रहे हैं वो घुसपैठियों के शुभचिंतक हैँ।
ईवीएम छेड़छाड़ पर फंसी कांग्रेस
कांग्रेस सहित कई विपक्षी पार्टी ईवीएम से छेड़छाड़ की बात कहती है। लेकिन मई 2017 में चुनाव आयोग ने जब सभी पार्टियों को चैलेंज किया, कि वो 3 जून को ईवीएम टेम्पर करके दिखाएं तो कांग्रेस सहित किसी भी पार्टी ने इस चैलेंज को स्वीकार नहीं किया। लोगों ने सवाल करना शुरू कर दिया कि ईवीएम में गड़बड़ी के बाद भी कांग्रेस पंजाब, गोवा और कर्नाटक के चुनावों में कैसे जीत गई?
सर्जिकल स्ट्राइक पर कांग्रेस की हाय-तौबा
28-29 सितंबर, 2016 की रात भारतीय सेना ने पाक के कब्जे वाले कश्मीर में सर्जिकल स्ट्राइक किया। हालांकि सेना की उपलब्धि पर कांग्रेस हाय तौबा करने लगी और फर्जी कहने लगी। कुछ नेताओं ने तो सबूत भी मांगे और राहुल गांधी ने इसे खून की दलाली तक कह डाला, लेकिन लोगों ने यही समझा कि कांग्रेस सरकार का विरोध करते-करते देश का ही विरोध करने लगी है।
बहरहाल कांग्रेस देश में अगंभीर और अपरिपक्व राजनीति कर रही है। कई बार तो ऐसा लगता है कि कांग्रेस को ये पता नहीं है कि उसे किस मुद्दे पर कैसे रिएक्ट करना चाहिए। पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी तो अधिकतर समय खुद को साबित करने की कोशिश में ही लगे रहते हैं।
गौरतलब है कि नोटबंदी पर राहुल ने पहले कहा कि मैं लोकसभा में बोलूंगा तो भूकंप आ जाएगा, फिर विपक्षी पार्टियों के साथ प्रेस कान्फ्रेंस में एलान किया कि उनके पास पीएम मोदी के निजी भ्रष्टाचार के सबूत हैं, जिससे उनका गुब्बारा फट जाएगा। लेकिन इसके बाद बिना विपक्ष के पीएम से मिलने चले गए। इससे विपक्षी नेता नाराज हो गए। फिर गुजरात में जाकर सहारा, बिड़ला का जिक्र कर आरोप लगाया। लेकिन बिड़ला के कार्यालय से जब्त जिस डायरी के आधार पर राहुल आरोप लगा रहे हैं, उसमें कांग्रेस की नेता शीला दीक्षित और जयंती नटराजन के नाम भी हैं।