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पाटीदार आरक्षण पर ‘छल’ कर रही है कांग्रेस, समुदाय को भ्रम में रख रहे हैं हार्दिक पटेल

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पाटीदार समुदाय के बीच ही अपनी विश्वसनीयता खो चुके हार्दिक पटेल अब कांग्रेस से कदम मिलाकर चलने की अपील कर रहे हैं, पर कांग्रेस ने ‘हाथ’ मिलाने के बजाय उन्हें अंगूठा दिखा दिया है। खुलकर न तो आरक्षण का वादा किया और न ही इनकार ही किया है। कांग्रेस की मानें तो पाटीदारों को अपने पाले में लाने के लिए वो पूरी कोशिश कर रही है और हार्दिक पटेल से ‘डील’ पक्की हो चुकी है। लेकिन सवाल यह है कि इस ‘डील’ में पाटीदार समुदाय को क्या मिला? हार्दिक पटेल कह रहे हैं कि कांग्रेस ने आरक्षण पर उनकी बात मान ली है और वह पाटीदार समुदाय को आरक्षण देगी, लेकिन किस आधार पर यह नहीं बता रहे हैं। स्पष्ट है कि हार्दिक से हाथ मिलाकर कांग्रेस पाटीदार समुदाय से ‘छल’ कर रही है। आइये इस ‘छल’ की हकीकत इन 10 फैक्ट्स के माध्यम से जानते हैं-

Fact No-1
1992 के निर्णय का उल्लंघन असंभव
वर्ष 1992 के मंडल कमीशन केस में सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए साफ किया था कि एससी, एसटी, पिछड़ा वर्ग और किसी भी अन्य श्रेणी में आरक्षण की सर्वाधिक सीमा 50 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकती है। दरअसल 1992 में सुप्रीम कोर्ट का आरक्षण को लेकर सुनाया गया फैसला सिर्फ एक सुझाव नहीं बल्कि सुप्रीम कोर्ट का एक निर्धारित कानून जैसा है, इसलिए इसका उल्लंघन कोई नहीं कर सकता।

Fact No-2
समानता के अधिकार का उल्लंघन कतई नहीं
कांग्रेस ने पाटीदार समाज से आरक्षण का जो वादा किया है, वह उसके सत्ता में आने के बावजूद तभी अमल में आ सकता है, जब सुप्रीम कोर्ट 1992 के अपने फैसले पर पुनर्विचार करे। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में ही संविधान की स्पष्ट व्याख्या करते हुए कहा था, ‘’समानता के अधिकार की रक्षा के लिए आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा जरूरी है। अगर इस बाध्यता को नहीं माना गया तो संविधान में समानता के अधिकार के सिद्धांत का कोई अर्थ नहीं रह जाएगा।‘’

Fact No-3
आरक्षण की सीमा बढ़ाना असंभव
हार्दिक पटेल यह भी दावा कर रहे हैं कि कांग्रेस की तरफ से उनके समुदाय को आरक्षण का जो फॉर्मूला दिया गया है, वह एससी-एसटी और ओबीसी के 50 प्रतिशत आरक्षण के कोटे से ऊपर होगा। लेकिन सच्चाई यह है कि कानूनी और संवैधानिक रूप से यह आरक्षण में 50 प्रतिशत की सीमा का उल्लंघन है और वर्तमान कानून के तहत संभव नहीं है। संविधान के अनुच्छेद 31 (सी) के अंतर्गत अगर वे आरक्षण को नौवीं अनुसूची में ले आएंगे तो उसकी भी न्यायिक समीक्षा हो सकती है। इस प्रकार से आरक्षण की सीमा बढ़ाना संभव नहीं है।

Fact No-4
सुप्रीम कोर्ट का आरक्षण सीमा बढ़ाने से इनकार
हाल में ही राजस्थान में गुर्जरों के आरक्षण के प्रयास को सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि 50 प्रतिशत की सीमा को बढ़ाया नहीं जा सकता है। स्पष्ट है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के आलोक में हार्दिक पटेल और कांग्रेस दोनों ही मिलकर पाटीदार समुदाय के लिए चाहकर भी आरक्षण की सीमा नहीं बढ़वा सकते। यह इसलिए भी नहीं होगा क्योंकि देश में एक नए तरह के सामाजिक विद्वेष फैलने का खतरा है, ऐसे में यह संभव नहीं है कि कोई भी राज्य या केंद्र सरकार इस ओर पहल करे।

Fact No-5
संविधान संशोधन नहीं कर सकती कांग्रेस
आरक्षण की सीमा बढ़ाई जा सकती है और इसके लिए एक रास्ता यह है कि लोकसभा और राज्यसभा में अनुच्छेद 368 के तहत दो तिहाई बहुमत के साथ संविधान में संशोधन करें या 1992 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ याचिका दाखिल की जाए, जो एक लंबी चलने वाली प्रक्रिया है। दूसरी ओर सर्वविदित है कि ये काम सिर्फ केंद्र सरकार ही कर सकती है, यानी गुजरात की सत्ता मिलने पर भी कांग्रेस फिलहाल ऐसा नहीं कर सकती और केंद्र सरकार किसी एक समुदाय के लिए ऐसा करेगी तो जगह-जगह ऐसी मांगें उठने लगेंगी।

Fact No-6
अपने ही विरुद्ध सर्वे क्यों करेगा ओबीसी कमीशन?
हार्दिक पटेल और कांग्रेस का दावा है कि अगर कांग्रेस सत्ता में आती है, तो पाटीदारों को आरक्षण दिलाने के लिए एक सर्वे कराया जाएगा। इसके बाद कांग्रेस पार्टी विधानसभा में एक बिल लेकर आएगी और पाटीदारों को आरक्षण देगी। दरअसल आरक्षण की तय सीमा, यानी 50 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण तभी दिया जा सकता है, जब पटेलों को पिछड़ा वर्ग में शामिल करने के कानून को संविधान की नौवीं अनुसूची में डलवा दिया जाए। इतना ही नहीं अगर किसी पिछड़ी जाति को लेकर सर्वेक्षण करवाया जाया तो भी आरक्षण की पात्रता रखने वाले लोग भी इस 50 प्रतिशत के कोटे में शामिल हैं, इसलिए इसमें किसी अतिरिक्त कोटे की कोई गुंजाइश नहीं है और न ही ओबीसी के तहत आने वाली जातियां अपने अधिकारों का हनन होने देंगी।

Fact No-7
जाट और गुर्जरों को ना बोल चुकी है कांग्रेस
कांग्रेस पार्टी जानती है कि संविधान के तहत 50 प्रतिशत कोटे का उल्लंघन फिलहाल असंभव है। वह पहले भी कई बार जाट और गुर्जर आंदोलन को लेकर अपनी स्थिति स्पष्ट कर चुकी है और कह चुकी है कि 50 प्रतिशत की आरक्षण सीमा को पार नहीं करेगी। यानी साफ है कि कांग्रेस ने पहले भी इस मुद्दे को लेकर अपना स्टैंड बार-बार बताया है और आने वाले वक्त में पाटीदार समुदाय के लिए भी वह यही कहेगी।

Fact No-8
हार्दिक और कांग्रेस नेताओं के विरोधाभासी स्वर
9 नवंबर को गुजरात कांग्रेस के सीनियर नेता और विधानसभा में नेता विपक्ष मोहन सिंह राठवा ने कहा, ‘’पटेलों को एक प्रतिशत से अधिक आरक्षण देने की हैसियत किसी की नहीं है।‘’

22 नवंबर को अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, ‘’पार्टी संवैधानिक दायरे में रहते हुए पाटीदार आरक्षण पर कदम उठाएगी।‘’

22 नवंबर को कपिल सिब्बल ने कहा, “हमने एक सुझाव दिया है। सोच-समझकर ही फॉर्मूला दिया है। संविधान को सामने रखकर ही बातें तय हुई हैं।‘’

22 नवंबर को हार्दिक पटेल ने कहा, “आरक्षण को लेकर कांग्रेस ने हमारी बात मानी हैं। कांग्रेस का फॉर्मूला मंजूर है। सरकार बनने पर कांग्रेस आरक्षण के लिए बिल पास करेगी।”

ये सभी बयान अपने आप में विरोधाभासी हैं। ये बयान साबित करते हैं कि पाटीदार आरक्षण पर बात नहीं बनी है सिर्फ और सिर्फ गोलमोल बातें की जा रहीं हैं। कौन सा फॉर्मूला और पाटीदारों के हक में क्या बातें हुईं… कुछ भी निकलकर नहीं आया है। संदेह इसलिए भी कि कांग्रेस ने घोषणा की कि वह एससी/एसटी/ओबीसी के 49 प्रतिशत आरक्षण को ज्यों का त्यों रखेगी। जाहिर है इन बयानों का अर्थ एक ही है कि कांग्रेस पाटीदार समुदाय को आरक्षण नहीं देने जा रही है।

Fact No-9
आरक्षण पर अगर-मगर में उलझा रही कांग्रेस
कांग्रेस के स्टैंड का अंदाजा तभी लग गया था जब हार्दिक ने कांग्रेस को 3 नवंबर तक का अल्टीमेटम दिया था फिर अचानक ही आरक्षण पर स्टैंड क्लियर करने की डेडलाइन बढ़ाकर 7 नवंबर कर दी, लेकिन कांग्रेस ने अपना रुख स्पष्ट नहीं किया। हार्दिक ने डेडलाइन को फिर 17 नवंबर किया लेकिन आखिरकार 22 नवंबर को भी कांग्रेस ने हार्दिक को भ्रम में ही रखा। इस बीच हार्दिक ने कांग्रेस को समर्थन की घोषणा भी कर दी और यह भी कह दिया कि अगर कांग्रेस ने उनकी बात नहीं मानी तो वह उन्हें भी सबक सिखाएंगे। जाहिर है कांग्रेस और हार्दिक पाटीदार समुदाय को लगातार भ्रम में रख रहे हैं ताकि राजनीतिक लाभ ले सकें।

Fact No-10
आरक्षण पर चकमा दे रही कांग्रेस
रेशमा पटेल, चिराग पटेल, केतन पटेल, अमरीश और श्वेता पटेल … ये ऐसे युवा चेहरे हैं जो पाटीदार आरक्षण आंदोलन के अगुआ रहे हैं, लेकिन आज इनकी राहें हार्दिक पटेल से अलग हैं। दरअसल इन युवाओं ने समझ लिया है कि पाटीदार समुदाय को सिर्फ राजनीतिक इस्तेमाल के लिए कांग्रेस अपने पत्ते फेंक रही है। जाहिर है हार्दिक पटेल अपने ही समुदाय को झूठा सब्जबाग दिखाकर धोखा दे रहे हैं।

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